जारवा जनजाति :~
जारवा , भारत के अण्डमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की एक प्रमुख जनजाति है।
वर्तमान समय में इनकी संख्या २५० से लेकर ४०० तक अनुमानित है जो कि अत्यन्त कम है। जारवा लोगों की त्वचा का रंग एकदम काला होता है और कद छोटा होता है।
करीब १९९० तक जारवा जनजाति किसी की नज़रों में नहीं आई थी और एक अलग तरह का जीवन जी रही थी। अगर कोई बाहरी आदमी इनके दायरे में प्रवेश करता था, तो ये उसे देखते ही मार देते थे,
हालाँकि 1998 के बाद इनकी इस आदत में बहुत बदलाव आ चुका है।
वर्तमान समय में इनकी संख्या २५० से लेकर ४०० तक अनुमानित है जो कि अत्यन्त कम है। जारवा लोगों की त्वचा का रंग एकदम काला होता है और कद छोटा होता है।
करीब १९९० तक जारवा जनजाति किसी की नज़रों में नहीं आई थी और एक अलग तरह का जीवन जी रही थी। अगर कोई बाहरी आदमी इनके दायरे में प्रवेश करता था, तो ये उसे देखते ही मार देते थे,
हालाँकि 1998 के बाद इनकी इस आदत में बहुत बदलाव आ चुका है।
जारवा जनजाति 5 हजार साल से यहाँ रहती है, लेकिन 1990 तक बाहरी दुनिया के लोगों से इनका कोई संपर्क नहीं था। जनजाति अब भी तीर-धनुष से अपने लिए शिकार करती है।
#_जनजातियों_की_दयनीय_हालत
जारवा जनजाति की महिलाओं को पर्यटकों के आगे अर्धनग्न नचवाने के कुछ मामले सामने आए हैं। इस कार्य के लिए बिस्किट और सिक्कों का लालच दिया जाता है
#_बच्चों_की_हत्या
इस समुदाय में परंपरा के अनुसार यदि बच्चे की माँ विधवा हो जाए या उसका पिता किसी दूसरे समुदाय का हो तो बच्चे को मार दिया जाता है। बच्चे का रंग थोड़ा भी गोरा हो तो कोई भी उसके पिता को दूसरे समुदाय का मानकर उसकी हत्या कर देता है और समुदाय में इसके लिये कोई दंड नहीं है।
#_जारवा_जनजाति_से_जुड़े_रोचक_तथ्य :~
1...अंडमान की जारवा जनजाति हिन्द महासागर के टापुओ पर वर्षो से निवास कर रही है |
जारवा जनजाति के लोगो हजारो साल पहले अफ्रीका से यहाँ आकर बस गये थे
जारवा जनजाति के लोगो हजारो साल पहले अफ्रीका से यहाँ आकर बस गये थे
2...जारवा जनजाति को विश्व की सबसे पुरानी जनजाति माना जाता है जो अभी भी पाषाण युग में जी रही है
3....जारवा जनजाति अब विलुप्त होने की कगार है जिनकी संख्या अब लगभग 400 तक बची है जो आज 40-50 लोगो के समूह में के साथ रहते है
4...जारवा जनजाति का प्रिय भोजन सुअर का मांस है जिसके लिए वो समूह में शिकार करते है
5.....जारवा जनजाति के लोग आज भी धनुष बाण से शिकार करते है और इसी से मछलियों और केकड़ो का शिकार करते है
6....जारवा पुरुष और महिलाये ऊँचे ऊँचे पेड़ो से शहद इकट्ठा कर उसे भोजन के रूप में इस्तेमाल करते है
7...जारवा जनजाति प्रकृति में इतनी रम चुकी है कि उनको 150 से ज्यादा पेड़ पौधों और 250 से ज्यादा जानवरों की प्रजातियों का ज्ञान है |
8..सन 1998 में पहली बार जारवा बिना धनुष बाण के अपने इलाके से बाहर शहरों में आये थे
9..जारवा जनजाति इलाके से केवल एक अंडमान ट्रंक रोड गुजरती है | जारवा इलाके में जाने के लिए लगातार एक साथ गाड़िया बिना रुके गुजरती है और किसी भी गाड़ी को रुकने की इजाजत नही है जारवा जनजाति इलाको में पर्यटकों के रुकने पर पाबंदी है
10....जारवा इलाके में जाते वक्त सेना की गाडिया भी आगे पीछे चलती है क्योंकि जारवा लोग कभी भी पर्यटकों पर अपने भालो ,धनुष आदि से आक्रमण कर सकते है
11..जारवा जनजाति से लोग आज भी बिना कपड़ो के ही रहते है लेकिन हाले ही के वर्षो में बाहरी आबादी के ज्यादा आगमन से लोग उन्हें कपड़े देते है जो अक्सर पहने रहते है
12..जारवा जनजाति के लोगो को गाना गाने और नाचने का बहुत शौक है और एक सुर और ताल में ये नाचते गाते है
13.जारवा जनजाति के लोगो की भाषा जारवा ही है लेकिन पिछले कुछ वर्षो में मेडिकल सुविधाओं की जरूरत के चलते उन्होंने थोड़ी बहुत हिंदी भी बोलना सीख लिया है
14..जारवा जनजाति के लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा है जिसके कारण ही वो बिना मेडिकल के ही इतने वर्षो से जंगलो में रह रहे है
15...सन 2006 में जारवा जनजाति के लोगो को चेचक महामारी के रूप में फ़ैल गयी थी लेकिन मौत किसी की भी नही हुई
16..जारवा के लोगो का जबसे बाहरी लोगो से सम्पर्क हुआ उनमे शराब और पान की लत पड़ गयी
17...जारवा के जीवन में अनेको लोगो ने डॉक्युमेंट्री बनाने की कोशिश की लेकिन कुछ ही सफल हो पाए क्योंकि जारवा क्षेत्र में प्रवेश के लिए अनुमति मिलना बहुत कठिन है
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