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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

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हिन्दी साहित्य प्रश्नोत्तरी ।।

• सुधीश पचौरी की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए - नई कविता का वैचारिक आधार, कविता का अंत, दूरदर्शन की भूमिका, उत्तर आधुनिकता और उत्तर संरचनावाद, नव साम्राज्यवाद और संस्कृति, नामवर के विमर्श, दूरदर्शन विकास से बाजार तक, देरिदा का विखंडन और साहित्य, अशोक बाजपेई का पाठ:कुपाठ

• हिंदी साहित्य में प्रयोगवादी पांच कवियों के नाम बताइए - मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह, नेमिचंद्र जैन, नलिन विलोचन शर्मा,  केसरी कुमार

• ‘नालासोपारा पोस्ट बॉक्स नंबर 203’ किसका उपन्यास है - चित्रा मुद्गल

• मोहन राकेश का जन्म कब और कहां हुआ था - 8 जनवरी 1925, झंडी वाली गली, अमृतसर पंजाब

• मोहन राकेश की मृत्यु कब हुई - 3 दिसंबर 1972, दिल्ली

• ‘पुनश्च’ किसकी पत्रों का संकलन है - अश्क दंपति के
‘काले काले बादल छाए, आय न वीर जवाहर लाल’ निराला की कविता किसके विरोध में लिखी गई थी -  नेहरु 

• रीतिकालीन कवियों का प्रिय छंद माना जाता है - कवित्त और सवैया छंद

• गांधी के विरोध में निराला ने किस शीर्षक से कविता लिखी - ‘बापू तुम मुर्गी खाते यदि’

• नंदकिशोर नवल द्वारा संपादित ‘निराला रचनावली’ कुल कितने खंडों में है - 8 खंड

• हिंदी में गेय पदों की परंपरा की शुरुआत किस से मानी जाती है - सिद्धों से

• ‘कलि कुटिल जीव निस्तार हित तुलसी बाल्मीकि अवतार धरि’ पंक्ति किसकी है - नाभादास की

• रामानंद के 12 शिष्यों का जो वर्णन ‘भक्तमाल’ में मिलता है, उनके नाम क्रमशः हैं - अनंतानंद, नर्हायानंद, कबीर, रैदास, सुखानंद, भावानंद, सेना, पद्मावती, सुरसुरानंद, सुरसुरी, धन्ना, पीपा

• तुलसीदास प्रमुख रचनाएं और उनकी शैली -  रामचरितमानस-दोहा चौपाई शैली, विनय पत्रिका-गीति शैली, गीतावली-कवित्त सवैया शैली, कवितावली-पद शैली, दोहावली-दोहा शैली, बरवै रामायण-बरवै शैली

• पुष्टिमार्ग के संस्थापक माने जाते हैं - वल्लभाचार्य

• ‘प्रवाह जीव’ किसे कहते हैं - प्रवाह जीव से क्या आशय है वह जीव जो सांसारिक प्रवाह में पड़े रहते हैं.

• ‘मर्यादा जीव’ किसे कहते हैं - मर्यादा से आशय है वह जीव जो विधि निषेध हो का पालन करते हैं.

• ‘पुष्टिजीव’ किसे कहते हैं - वह जीव जो भगवान का अनुग्रह प्राप्त कर लेते हैं और कृष्ण की नित्य लीला का |

Hindi Sahitya Prashnottari

आज के टॉप 25 प्रश्नोतर ।।

Q.1हिन्दी कहानी का उद्भव किस युग से माना जाता है 
(अ) भारतेंदु युग        (ब)द्विवेदी युग 
(स)शुक्ल युग           (द)शुक्लोत्तर युग

Q.2दामुल का कैदी कहानी के लेखक हैं ?
(अ)यशपाल            (ब)प्रेमचन्द 
(स)जयशंकर प्रसाद       (द)धर्मवीर भारती

Q.3पत्नी कहानी के लेखक हैं?
(अ)भीष्म साहनी     (ब)इला चन्द्र जोशी 
(स)जैनेंद्र               (द)सुदर्शन

Q.4हिन्दी का कौन सा कहानीकार 'नवाबराय' के नाम से उर्दू में लिखता था?
(अ) प्रेमचंद                 (ब) प्रसाद 
(स) जवालादत्त शर्मा       (द) कौशिक 

Q.5 'पूस की रात' कहानी किस वर्ग में आएगी?
(अ) यथार्थवादी        (ब) आदर्शवादी
(स) चरित्र प्रधान         (द) घटना प्रधान

Q.6अरुण और मधुलिका किस कहानी के पात्र है?
(अ) मन्त्र           (ब) पञ्च परमेश्वर
(स) ममता          (द)पुरस्कार✓

Q.7 किस कहानीकार की कहानियां मनोविज्ञान की दृष्टि से 'केस हिस्ट्री' सी प्रतीत होती है?
(अ) जैनेन्द्र            (ब)अज्ञेय
(स) यशपाल         (द) इलाचंद्र जोशी✓ 

Q.8'यही सच है' कहानी की लेखिका कौन है?
(अ)मन्नू भंडारी ✓          (ब) उषा प्रियंवदा
(स) ममता कालिया       (द) रजनी पनिकर

Q.9 'रहिमन धागा प्रेम का ' किस प्रसिद्ध कथा लेखिका का कहानी संकलन है?
(अ)उषा प्रियंवदा      (बी) मन्नू भंडारी
(स) कृष्णा सोवती      (द) मालती जोशी✓

Q.10 कौन-सा कहानी संकलन प्रेमचंद का है?
(अ)प्रेम तीर्थ ✓         (ब) प्रेम मलिका
(स) प्रेम पीयूष       (द) प्रेम सागर

Q.11 प्रेमचंद की पहली हिंदी कहानी कौन सी है ?
(अ) बूढी काकी              (ब) मन्त्र
(स) ठाकुर का कुआँ    (द) पंच परमेश्वर✓

Q.12 इंदुमती का प्रकाशन पहली बार सरस्वती पत्रिका में कब हुआ था ?
(अ)1900✓        (ब) 1902 
(स)1910             (द) 1903

Q.13 हिंदी कहानी का विकास कब से माना जाता है?
अ) 1850         ब) 1880
स) 1890         द) 1900✓

Q.14 कहानी पत्रिका का प्रकाशन कब हुआ था?
अ) 1950          ब) 1955✓
स) 1960           द) 1975

Q.15 पांडेय बेचन शर्मा उग्र की कहानियों को घासलेटी साहित्य किसने कहा है?
क) बनारसीदास चतुर्वेदी✓    ख) शशिप्रभा शास्त्री 
ग ) महीप सिंह          घ) गंगा प्रसाद विमल

Q.16 मन की चंचलता कहानी है?
क). किशोरीलाल गोस्वामी    ख). गिरिजादत्त वाजपेयी
ग). रामचंद्र शुक्ल     घ).माधवप्रसाद मिश्र ✓

Q.17 प्रकाशन वर्ष के अनुसार निम्नलिखित कहानी संग्रहों का सही अनुक्रम बताएँ–
(क) शरणार्थी, परिन्दे, कॉमरेड का कोट, डायन ✓
(ख) डायन, कॉमरेड का कोट, परिन्दे, शरणार्थी 
(ग) परिन्दे, शरणार्थी, डायन, कॉमरेड का कोट 
(घ) कॉमरेड का कोट, डायन, शरणार्थी, परिन्दे 

Q.18 चित्र मंदिर कहानी के लेखक कौन हैं?
क) प्रेम चंद्र      ख) जय शंकर प्रसाद✓
ग) राधिका रमन सिंह      घ) यशपाल

Q.19 मोहन राकेश द्वारा रचित कहानी संग्रह है?
अ. देवताओ की मुर्तिया    ब. फौलाद का आकाश✓
स. कब्बे और कालापानी    द. छुट्टियों के बाद

Q.20 हिन्दी कहानी विकास के कितने चरण है ?
(अ) 2       (ब) 6✓     (स) 10     (द) 3

Q.21 पोस्टकार्ड कहानी के लेखक हैं?
अ) धनंजय              ब) मार्कण्डेय
स) निर्मल वर्मा ✓       द) कमलेश्वर

Q.22 अस्तित्ववादी कथा धारा की प्रसिद्ध कहानियां "पिंजरा" और "काले साहब" किसने लिखी हैं?
क. अज्ञेय         ख. निर्मल वर्मा
ग. अश्क ✓      घ. उदय प्रकाश

Q.23 कौशिक जी का पूरा नाम क्या है?
अ) विश्वम्भरनाथ शर्मा✓      ब) निर्मल वर्मा 
स) द्विजेन्द्र मिश्र        द) अखिलेश

Q.24 "अनाख्या" किसका कहानी संग्रह है ?
अ) शिवपूजन सहाय       ब) रायकृष्णदास✓
स) राधिकारमण प्रसाद    द) चतुरसेन शास्त्री

Q.25 हिंदी कहानी का उद्भव किस युग से माना जाता है ?
अ भारतेंदु युग        ब द्विवेदी युग✓
स छायावादी युग      द प्रगतिवादी युग
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हिंदी साहित्य : समास ।।

📝 समास का तात्पर्य होता है – संछिप्तीकरण। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। अथार्त जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जहाँ पर कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जाए वह समास कहलाता है।

संस्कृत, जर्मन तथा बहुत सी भारतीय भाषाओँ में समास का बहुत प्रयोग किया जाता है। समास रचना में दो पद होते हैं, पहले पद को ‘पूर्वपद’ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है।
जैसे :-
• रसोई के लिए घर = रसोईघर
• हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
• नील और कमल = नीलकमल
• राजा का पुत्र = राजपुत्र ।

सामासिक शब्द क्या होता है :- समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहा जाता है। समास होने के बाद विभक्तियों के चिन्ह गायब हो जाते हैं।
जैसे :- राजपुत्र |

👉समास विग्रह  :
सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास – विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग – अलग किय जाते हैं उसे समास-विग्रह कहते हैं।
जैसे :- माता-पिता = माता और पिता।

👉 समास और संधि में अंतर :-
संधि का शाब्दिक अर्थ होता है मेल। संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है। इसमें दो वर्ण होते हैं इसमें कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों वर्णों में परिवर्तन हो जाता है और कहीं पर तीसरा वर्ण भी आ जाता है। संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है उनका मूल अर्थ नहीं बदलता।
जैसे – पुस्तक+आलय = पुस्तकालय।

समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षेप। समास में वर्णों के स्थान पर पद का महत्व होता है। इसमें दो या दो से अधिक पद मिलकर एक समस्त पद बनाते हैं और इनके बीच से विभक्तियों का लोप हो जाता है। समस्त पदों को तोडने की प्रक्रिया को विग्रह कहा जाता है। समास में बने हुए शब्दों के मूल अर्थ को परिवर्तित किया भी जा सकता है और परिवर्तित नहीं भी किया जा सकता है।
जैसे :- विषधर = विष को धारण करने वाला अथार्त शिव।

◆ उपमान क्या होता है :- जिससे किसी की उपमा दी जाती है उसे उपमान कहती हैं।

◆ उपमेय क्या होता है :- जिसकी उपमा दी जाती है उसे उपमेय कहते हैं।

✅ समास के भेद :
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास

✅ प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद :-
1. संयोगमूलक समास
2. आश्रयमूलक समास
3. वर्णनमूलक समास

1. अव्ययीभाव समास क्या होता है :- इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हों वहाँ पर अव्ययीभाव समास होता है संस्कृत में उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास ही माने जाते हैं।
जैसे :-
• यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
• यथाक्रम = क्रम के अनुसार
• यथानियम = नियम के अनुसार
• प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
• प्रतिवर्ष =हर वर्ष
• आजन्म = जन्म से लेकर
• यथासाध्य = जितना साधा जा सके
• धडाधड = धड-धड की आवाज के साथ
• घर-घर = प्रत्येक घर
• रातों रात = रात ही रात में
• आमरण = म्रत्यु तक
• यथाकाम = इच्छानुसार
• यथास्थान = स्थान के अनुसार
• अभूतपूर्व = जो पहले नहीं हुआ
• निर्भय = बिना भय के
• निर्विवाद = बिना विवाद के
• निर्विकार = बिना विकार के
• प्रतिपल = हर पल
• अनुकूल = मन के अनुसार
• अनुरूप = रूप के अनुसार
• यथासमय = समय के अनुसार
• यथाशीघ्र = शीघ्रता से
• अकारण = बिना कारण के
• यथासामर्थ्य = सामर्थ्य के अनुसार
• यथाविधि = विधि के अनुसार
• भरपेट = पेट भरकर
• हाथोंहाथ = हाथ ही हाथ में
• बेशक = शक के बिना
• खुबसूरत = अच्छी सूरत वाली

2. तत्पुरुष समास के भेद :- वैसे तो तत्पुरुष समास के 8 भेद होते हैं किन्तु विग्रह करने की वजह से कर्ता और सम्बोधन दो भेदों को लुप्त रखा गया है। इसलिए विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-
1. कर्म तत्पुरुष समास
2. करण तत्पुरुष समास
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास
4. अपादान तत्पुरुष समास
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास
6. अधिकरण तत्पुरुष समास

1. कर्म तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है। ‘को’ को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है। उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।

जैसे :-
• रथचालक = रथ को चलने वाला
• ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ
• माखनचोर =माखन को चुराने वाला
• वनगमन =वन को गमन
• मुंहतोड़ = मुंह को तोड़ने वाला
• स्वर्गप्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
• देशगत = देश को गया हुआ
• जनप्रिय = जन को प्रिय
• मरणासन्न = मरण को आसन्न
• गिरहकट = गिरह को काटने वाला
• कुंभकार = कुंभ को बनाने वाला
• गृहागत = गृह को आगत
• कठफोड़वा = कांठ को फोड़ने वाला
• शत्रुघ्न = शत्रु को मारने वाला
• गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला
• मनोहर = मन को हरने वाला
• यशप्राप्त = यश को प्राप्त

2. करण तत्पुरुष समास क्या होता है :- जहाँ पर पहले पद में करण कारक का बोध होता है। इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है। उसे करण तत्पुरुष कहते हैं।
जैसे :-
• स्वरचित = स्व द्वारा रचित
• मनचाहा = मन से चाहा
• शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
• भुखमरी = भूख से मरी
• धनहीन = धन से हीन
• बाणाहत = बाण से आहत
• ज्वरग्रस्त = ज्वर से ग्रस्त
• मदांध = मद से अँधा
• रसभरा = रस से भरा
• आचारकुशल = आचार से कुशल
• भयाकुल = भय से आकुल
• आँखोंदेखी = आँखों से देखी
• तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित
• रोगातुर = रोग से आतुर
• पर्णकुटीर = पर्ण से बनी कुटीर
• कर्मवीर = कर्म से वीर
• रक्तरंजित = रक्त से रंजित
• जलाभिषेक = जल से अभिषेक
• रोगग्रस्त = रोग से ग्रस्त
• गुणयुक्त = गुणों से युक्त
• अंधकारयुक्त = अंधकार से युक्त

3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’ होती है। उसे सम्प्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
• विद्यालय = विद्या के लिए आलय
• रसोईघर = रसोई के लिए घर
• सभाभवन = सभा के लिए भवन
• विश्रामगृह = विश्राम के लिए गृह
• गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
• प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला
• देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
• स्नानघर = स्नान के लिए घर
• सत्यागृह = सत्य के लिए आग्रह
• यज्ञशाला = यज्ञ के लिए शाला
• डाकगाड़ी = डाक के लिए गाड़ी
• देवालय = देव के लिए आलय
• गौशाला = गौ के लिए शाला
• युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि
• हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी
• धर्मशाला = धर्म के लिए शाला
• पुस्तकालय = पुस्तक के लिए आलय
• राहखर्च = राह के लिए खर्च
• परीक्षा भवन = परीक्षा के लिए भवन

4. अपादान तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है। उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
• कामचोर = काम से जी चुराने वाला
• दूरागत = दूर से आगत
• रणविमुख = रण से विमुख
• नेत्रहीन = नेत्र से हीन
• पापमुक्त = पाप से मुक्त
• देशनिकाला = देश से निकाला
• पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
• पदच्युत = पद से च्युत
• जन्मरोगी = जन्म से रोगी
• रोगमुक्त = रोग से मुक्त
• जन्मांध = जन्म से अँधा
• कर्महीन = कर्म से हीन
• वनरहित = वन से रहित
• अन्नहीन = अन्न से हीन
• जलहीन = जल से हीन
• गुणहीन = गुण से हीन
• फलहीन = फल से हीन
• भयभीत = भय से डरा हुआ

5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’होती हैं। उसे सम्बन्ध तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
• राजपुत्र = राजा का पुत्र
• गंगाजल = गंगा का जल
• लोकतंत्र = लोक का तंत्र
• दुर्वादल = दुर्व का दल
• देवपूजा = देव की पूजा
• आमवृक्ष = आम का वृक्ष
• राजकुमारी = राज की कुमारी
• जलधारा = जल की धारा
• राजनीति = राजा की नीति
• सुखयोग = सुख का योग
• मूर्तिपूजा = मूर्ति की पूजा
• श्रधकण = श्रधा के कण
• शिवालय = शिव का आलय
• देशरक्षा = देश की रक्षा
• सीमारेखा = सीमा की रेखा
• जलयान = जल का यान
• कार्यकर्ता = कार्य का करता
• सेनापति = सेना का पति
• कन्यादान = कन्या का दान
• गृहस्वामी = गृह का स्वामी
• पराधीन – पर के अधीन
• आनंदाश्रम = आनन्द का आश्रम
• राजाज्ञा = राजा की आज्ञा

6. अधिकरण तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में’, ‘पर’ होता है। उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
• कार्य कुशल = कार्य में कुशल
• वनवास = वन में वास
• ईस्वरभक्ति = ईस्वर में भक्ति
• आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
• दीनदयाल = दीनों पर दयाल
• दानवीर = दान देने में वीर
• आचारनिपुण = आचार में निपुण

• जलमग्न = जल में मग्न
• सिरदर्द = सिर में दर्द
• क्लाकुशल = कला में कुशल
• शरणागत = शरण में आगत
• आनन्दमग्न = आनन्द में मग्न
• आपबीती = आप पर बीती
• नगरवास = नगर में वास
• रणधीर = रण में धीर
• क्षणभंगुर = क्षण में भंगुर
• पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम
• लोकप्रिय = लोक में प्रिय
• गृहप्रवेश = गृह में प्रवेश
• युधिष्ठिर = युद्ध में स्थिर
• शोकमग्न = शोक में मग्न
• धर्मवीर = धर्म में वीर

👉 तत्पुरुष समास के प्रकार :-
1. नञ तत्पुरुष समास
1. नञ तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें पहला पद निषेधात्मक होता है उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
• असभ्य = न सभ्य
• अनादि = न आदि
• असंभव = न संभव
• अनंत = न अंत

3. कर्मधारय समास क्या होता है :- इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे :-
• चरणकमल = कमल के समान चरण
• नीलगगन = नीला है जो गगन
• चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
• पीताम्बर = पीत है जो अम्बर
• महात्मा = महान है जो आत्मा
• लालमणि = लाल है जो मणि
• महादेव = महान है जो देव
• देहलता = देह रूपी लता
• नवयुवक = नव है जो युवक
• अधमरा = आधा है जो मरा
• प्राणप्रिय = प्राणों से प्रिय
• श्यामसुंदर = श्याम जो सुंदर है
• नीलकंठ = नीला है जो कंठ
• महापुरुष = महान है जो पुरुष
• नरसिंह = नर में सिंह के समान
• कनकलता = कनक की सी लता
• नीलकमल = नीला है जो कमल
• परमानन्द = परम है जो आनंद
• सज्जन = सत् है जो जन
• कमलनयन = कमल के समान नयन

👉 कर्मधारय समास के भेद :-
1. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास
2. विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास
3. विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास
4. विशेष्योभयपद कर्मधारय समास

1. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास :- जहाँ पर पहला पद प्रधान होता है वहाँ पर विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास होता है।
जैसे :-
• नीलीगाय = नीलगाय
• पीत अम्बर = पीताम्बर
• प्रिय सखा = प्रियसखा

2. विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास :- इसमें पहला पद विशेष्य होता है और इस प्रकार के सामासिक पद ज्यादातर संस्कृत में मिलते हैं।
जैसे :- कुमारी श्रमणा = कुमारश्रमणा
3. विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास :- इसमें दोनों पद विशेषण होते हैं।
जैसे :- नील – पीत, सुनी – अनसुनी, कहनी – अनकहनी
4. विशेष्योभयपद कर्मधारय समास :- इसमें दोनों पद विशेष्य होते है।
जैसे :- आमगाछ, वायस-दम्पति।

☑️ कर्मधारय समास के उपभेद :-
1. उपमानकर्मधारय समास
2. उपमितकर्मधारय समास
3. रूपककर्मधारय समास

1. उपमानकर्मधारय समास :- इसमें उपमानवाचक पद का उपमेयवाचक पद के साथ समास होता है। इस समास में दोनों शब्दों के बीच से ‘इव’ या ‘जैसा’ अव्यय का लोप हो जाता है और दोनों पद, चूँकि एक ही कर्ता विभक्ति, वचन और लिंग के होते हैं, इसलिए समस्त पद कर्मधारय लक्ष्ण का होता है। उसे उपमानकर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे :- विद्युत् जैसी चंचला = विद्युचंचला

2. उपमितकर्मधारय समास :- यह समास उपमानकर्मधारय का उल्टा होता है। इस समास में उपमेय पहला पद होता है और उपमान दूसरा पद होता है। उसे उपमितकर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे :- अधरपल्लव के समान = अधर – पल्लव, नर सिंह के समान = नरसिंह।

3. रूपककर्मधारय समास :- जहाँ पर एक का दूसरे पर आरोप होता है वहाँ पर रूपककर्मधारय समास होता है।
जैसे :- मुख ही है चन्द्रमा = मुखचन्द्र।

4. द्विगु समास क्या होता है :- द्विगु समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है किसी अर्थ को नहीं। इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं।
जैसे :-
• नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
• दोपहर = दो पहरों का समाहार
• त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
• पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह
• त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
• शताब्दी = सौ अब्दों का समूह
• पंसेरी = पांच सेरों का समूह
• सतसई = सात सौ पदों का समूह
• चौगुनी = चार गुनी
• त्रिभुज = तीन भुजाओं का समाहार
• चौमासा = चार मासों का समूह
• नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
• अठन्नी = आठ आनों का समूह
• सप्तऋषि = सात ऋषियों का समूह
• त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार
• सप्ताह = सात दिनों का समूह
• तिरंगा = तीन रंगों का समूह
• चतुर्वेद = चार वेदों का समाहार

👉 द्विगु समास के भेद :-
1. समाहारद्विगु समास
2. उत्तरपदप्रधानद्विगु समास
1. समाहारद्विगु समास :- समाहार का मतलब होता है समुदाय, इकट्ठा होना, समेटना उसे समाहारद्विगु समास कहते हैं।
जैसे :-
• तीन लोकों का समाहार = त्रिलोक
• पाँचों वटों का समाहार = पंचवटी
• तीन भुवनों का समाहार = त्रिभुवन

2. उत्तरपदप्रधानद्विगु समास :- उत्तरपदप्रधानद्विगु समास दो प्रकार के होते हैं।
(1) बेटा या फिर उत्पत्र के अर्थ में।
जैसे :-
दो माँ का =दुमाता
दो सूतों के मेल का = दुसूती।
(2) जहाँ पर सच में उत्तरपद पर जोर दिया जाता है।
जैसे :-
पांच प्रमाण = पंचप्रमाण
पांच हत्थड = पंचहत्थड

5. द्वंद्व समास क्या होता है :- इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता है। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
जैसे :-
• जलवायु = जल और वायु
• अपना-पराया = अपना या पराया
• पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
• राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
• अन्न-जल = अन्न और जल
• नर-नारी = नर और नारी
• गुण-दोष = गुण और दोष
• देश-विदेश = देश और विदेश
• अमीर-गरीब = अमीर और गरीब
• नदी-नाले = नदी और नाले
• धन-दौलत = धन और दौलत
• सुख-दुःख = सुख और दुःख
• आगे-पीछे = आगे और पीछे
• ऊँच-नीच = ऊँच और नीच
• आग-पानी = आग और पानी
• मार-पीट = मारपीट
• राजा-प्रजा = राजा और प्रजा
• ठंडा-गर्म = ठंडा या गर्म
• माता-पिता = माता और पिता
• दिन-रात = दिन और रात
• भाई-बहन = भाई और बहन

👉 द्वंद्व समास के भेद :-
1. इतरेतरद्वंद्व समास
2. समाहारद्वंद्व समास
3. वैकल्पिकद्वंद्व समास

1. इतरेतरद्वंद्व समास :- वो द्वंद्व जिसमें और शब्द से भी पद जुड़े होते हैं और अलग अस्तित्व रखते हों उसे इतरेतर द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास से जो पद बनते हैं वो हमेशा बहुवचन में प्रयोग होते हैं क्योंकि वे दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बने होते हैं।
जैसे :-
• राम और कृष्ण = राम-कृष्ण
• माँ और बाप = माँ-बाप
• अमीर और गरीब = अमीर-गरीब
• गाय और बैल = गाय-बैल
• ऋषि और मुनि = ऋषि-मुनि
• बेटा और बेटी = बेटा-बेटी

2. समाहारद्वंद्व समास :- समाहार का अर्थ होता है समूह। जब द्वंद्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुड़ा होने पर भी अलग-अलग अस्तिव नहीं रखकर समूह का बोध कराते हैं, तब वह समाहारद्वंद्व समास कहलाता है। इस समास में दो पदों के अलावा तीसरा पद भी छुपा होता है और अपने अर्थ का बोध अप्रत्यक्ष रूप से कराते हैं।
जैसे :-
• दालरोटी = दाल और रोटी
• हाथपॉंव = हाथ और पॉंव
• आहारनिंद्रा = आहार और निंद्रा

3. वैकल्पिक द्वंद्व समास :- इस द्वंद्व समास में दो पदों के बीच में या, अथवा आदि विकल्पसूचक अव्यय छिपे होते हैं उसे वैकल्पिक द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास में ज्यादा से ज्यादा दो विपरीतार्थक शब्दों का योग होता है।
जैसे :-
• पाप-पुण्य = पाप या पुण्य
• भला-बुरा = भला या बुरा
• थोडा-बहुत = थोडा या बहुत

6. बहुब्रीहि समास क्या होता है :- इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला , है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।
जैसे :-
• गजानन = गज का आनन है जिसका (गणेश)
• त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके (शिव)
• नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
• लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
• दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
• चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
• पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके (कृष्ण)
• चक्रधर= चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
• वीणापाणी = वीणा है जिसके हाथ में (सरस्वती)
• स्वेताम्बर = सफेद वस्त्रों वाली (सरस्वती)
• सुलोचना = सुंदर हैं लोचन जिसके (मेघनाद की पत्नी)
• दुरात्मा = बुरी आत्मा वाला (दुष्ट)
• घनश्याम = घन के समान है जो (श्री कृष्ण)
• मृत्युंजय = मृत्यु को जीतने वाला (शिव)
• निशाचर = निशा में विचरण करने वाला (राक्षस)
• गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला (कृष्ण)
• पंकज = पंक में जो पैदा हुआ (कमल)
• त्रिलोचन = तीन है लोचन जिसके (शिव)
• विषधर = विष को धारण करने वाला (सर्प)

👉 बहुब्रीहि समास के भेद :-
1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास
2. व्यधिकरण बहुब्रीहि समास
3. तुल्ययोग बहुब्रीहि समास
4. व्यतिहार बहुब्रीहि समास
5. प्रादी बहुब्रीहि समास

1. समानाधिकरण बहुब्रीहि समास :- इसमें सभी पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वो कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण आदि विभक्तियों में भी उक्त हो जाता है उसे समानाधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे :-
• प्राप्त है उदक जिसको = प्रप्तोद्क
• जीती गई इन्द्रियां हैं जिसके द्वारा = जितेंद्रियाँ
• दत्त है भोजन जिसके लिए = दत्तभोजन
• निर्गत है धन जिससे = निर्धन
• नेक है नाम जिसका = नेकनाम
• सात है खण्ड जिसमें = सतखंडा

2. व्यधिकरण बहुब्रीहि समास :- समानाधिकरण बहुब्रीहि समास में दोनों पद कर्ता कारक की विभक्ति के होते हैं लेकिन यहाँ पहला पद तो कर्ता कारक की विभक्ति का होता है लेकिन बाद वाला पद सम्बन्ध या फिर अधिकरण कारक का होता है उसे व्यधिकरण बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे :-
• शूल है पाणी में जिसके = शूलपाणी
• वीणा है पाणी में जिसके = वीणापाणी

3. तुल्ययोग बहुब्रीहि समास :- जिसमें पहला पद ‘सह’ होता है वह तुल्ययोग बहुब्रीहि समास कहलाता है। इसे सहबहुब्रीहि समास भी कहती हैं। सह का अर्थ होता है साथ और समास होने की वजह से सह के स्थान पर केवल स रह जाता है।
इस समास में इस बात पर ध्यान दिया जाता है की विग्रह करते समय जो सह दूसरा वाला शब्द प्रतीत हो वो समास में पहला हो जाता है।
जैसे :-
• जो बल के साथ है = सबल
• जो देह के साथ है = सदेह
• जो परिवार के साथ है = सपरिवार

4. व्यतिहार बहुब्रीहि समास :- जिससे घात या प्रतिघात की सुचना मिले उसे व्यतिहार बहुब्रीहि समास कहते हैं। इस समास में यह प्रतीत होता है की ‘इस चीज से और उस चीज से लड़ाई हुई।
जैसे :-
मुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई = मुक्का-मुक्की
बातों-बातों से जो लड़ाई हुई = बाताबाती

5. प्रादी बहुब्रीहि समास :- जिस बहुब्रीहि समास पूर्वपद उपसर्ग हो वह प्रादी बहुब्रीहि समास कहलाता है।
जैसे :-
• नहीं है रहम जिसमें = बेरहम
• नहीं है जन जहाँ = निर्जन

हिंदी व्याकरण - अव्यय

⇒ अव्यय – जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।

अव्यय के उदाहरण –

जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।

अव्यय के भेद – 

क्रिया-विशेषण अव्यय

संबंधबोधक अव्यय

समुच्चयबोधक अव्यय

विस्मयादिबोधक अव्यय

निपात अव्यय

हिंदी व्याकरण - अव्यय 

1. क्रिया विशेषण अव्यय 

जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है।

क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण

वह यहाँ से चला गया।

घोडा तेज दौड़ता है।

अब पढना बंद करो।

बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।

वे लोग रात को पहुँचे।

सुधा प्रतिदिन पढती है।

वह यहाँ आता है।

रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।

सुमन सुंदर लिखती है।

मैं बहुत थक गया हूं।
हिंदी व्याकरण - अव्यय 04

क्रिया विशेषण के भेद -02

3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय  – 

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।

जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय – 

जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण 

ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पर रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

जैसे :-

जरा , सहज एवं धीरे चलिए।

हमारे सामने शेर अचानक आ गया।

कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया।

मोहन शीघ्रता से चला गया।

वह पैदल चलता है।
हिंदी व्याकरण - अव्यय 06

3. समुच्चयबोधक अव्यय –

जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। इन्हें योजक भी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।

जैसे :

और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक अव्यय होता है।

समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण 

सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे।

छुट्टी हुई और बच्चे भागने लगे।

किरन और मधु पढने चली गईं।

मंजुला पढने में तो तेज है परन्तु शरीर से कमजोर है।

तुम जाओगे कि मैं जाऊं।

माता जी और पिताजी।

मैं पटना आना चाहता था लेकिन आ न सका।

तुम जाओगे या वह आयेगा।

सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घर्णा करते हैं।

गीता गाती है और मीरा नाचती है।

यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे।

समुच्चयबोधक अव्यय के भेद – 

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
हिंदी व्याकरण - अव्यय 07

4. विस्मयादिबोधक अव्यय – 

जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।

विस्मयादिबोधक अव्यय के उदाहरण 

वाह! क्या बात है।

हाय! वह चल बसा।

आह! क्या स्वाद है।

अरे! तुम यहाँ कैसे।

छि:छि:! यह गंदगी।

वाह! वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।

अहो! क्या बात है।

अहा! क्या मौसम हैं।

अरे! आप आ गये।

हाय! अब मैं क्या करूँ।

अरे! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे।

हाय! राम यह क्या हो गया।

भाव केआधार पर विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद :-

हर्षबोधक

शोकबोधक

विस्मयादिबोधक

तिरस्कारबोधक

स्वीकृतिबोधक

संबोधनबोधक

आशिर्वादबोधक

(1) हर्षबोधक :- जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ पर हर्षबोधक होता है।

(2) शोकबोधक :- जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ पर शोकबोधक आता है।

(3) विस्मयादिबोधक :- जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ पर विस्मयादिबोधक होता है।

(4) तिरस्कारबोधक :- जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ पर तिरस्कारबोधक होता है।

(5) स्वीकृतिबोधक :- जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ पर स्वीकृतिबोधक होता है।

(6) संबोधनबोधक :- जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ पर संबोधनबोधक होता है।

(7) आशीर्वादबोधक :- जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ पर आशिर्वादबोधक होता है।

5. निपात अव्यय किसे कहते हैं – 

जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। इसे अवधारक शब्द भी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ पर निपात अव्यय होता है।

निपात अव्यय के उदाहरण – 

प्रशांत को ही करना होगा यह काम।

सुहाना भी जाएगी।

तुम तो सनम डूबोगे ही , सब को डुबाओगे।

वह तुमसे बोली तक नहीं।

पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।

तुम उसे जानता भर हो।

राम ने ही रावण को मारा था।

रमेश भी दिल्ली जाएगा।

तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे।

राम ही लिख रहा है।

आज के टॉप 25 प्रश्नोतर

1. बांदा जिले का राजापुर गांव किस कवि का जन्म-स्थान था ?
(अ) बिहारी लाल    (ब) मैथिलीशरण गुप्त
(स) तुलसीदास✔️   (द) भूषण

2. तुलसीदास रचित ’विनय पत्रिका’ में –
(अ) विनय और भक्ति के पद है✔️
(ब) वैराग्य के पद हैं
(स) बाल लीला के पद हैं
(द) उपरोक्त सभी

3. केशवदास कवि होने के साथ-साथ –
(अ) गायक भी थे    (ब) आचार्य भी थे✔️
(स) संत भी थे       (द) पाखण्ड-विरोधी भी थे

4. केशवदास की रचनाओं में सबसे महत्त्वपूर्ण रचना कौन-सी है?
(अ) कविप्रिया       (ब) रसिकप्रिया
(स) रामचन्द्रिका✔️ (द) विज्ञानगीता

5. ’कवित-रत्नाकर’ का रचयिता कौन था ?
(अ) नरोत्तमदास    (ब) केशवदास
(स) सेनापति ✔️     (द) नंददास

6. ’’अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम’’, यह उक्ति किसकी है?
(अ) कबीरदास    (ब) मलूकदास ✔️
(स) नंददास        (द) रहीमदास

7. सूफी सम्प्रदाय के प्रमुख कवि थे –
(अ) जायसी ✔️  (ब) रहीम
(स) रसखान      (द) केशवदास

8. ’अखरावट’ और ’आखिरी कलम’ किसकी रचनायें है?
(अ) रसखान     (ब) खुसरो
(स) जायसी ✔️   (द) कुतबन

9. नागमती का विरह वर्णन हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ विरह-वर्णन है? यह किस ग्रंथ में है?
(अ) अखरावट में     (ब) पद्मावत में ✔️
(स) मधुमालती में    (द) मृगावती में

10. मीरा के पदों में –
(अ) राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है ✔️
(ब) अवधी का प्रयोग हुआ है
(स) खङी बोली का प्रयोग हुआ है
(द) उपरोक्त सभी

11. महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग की स्थापना की। पुष्टिमार्ग में ईश्वर प्राप्ति का सबसे मुख्य साधन है-
(अ) ज्ञान         (ब) वैराग्य
(स) भक्ति ✔️    (द) गुरु

12. अष्टछाप के कवियों ने –
(अ) केवल ब्रजभाषा में लिखा
(ब) कृष्णभक्ति के केवल माधुर्य पक्ष को ग्रहण किया
(स) किसी महाकाव्य की रचना नहीं की, केवल स्फुट रचनायें लिखीं
(द) उपरोक्त सभी ✔️

13. ’’इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिक हिन्दू वारिये’’, यह उक्ति किस कवि के बारे में है?
(अ) जायसी के बारे में       (ब) रहीम के बारे में
(स) रसखान के बारे में ✔️  (द) खुसरो के बारे में

14 कौन-सा कथन सही नहीं है?
(अ) सूफी काव्य प्रायः अवधी में लिखा गया है
(ब) सूफी सम्प्रदाय खंडन-मंडन को महत्व देता है ✔️
(स) सूफी सम्प्रदाय में गुरु की बङी महिमा है
(द) सूफी संतों ने भारतीय लोकाचार को अपनाया

15. श्री वल्लभाचार्य की शिष्य परम्परा में –
(अ) निराकार ब्रह्म की आराधना होती है
(ब) राम की उपासना होती है
(स) कृष्ण की उपासना होती है ✔️
(द) गुरु की महिमा का गान होता है

16. ’अलवार’ संतों ने किस भाषा में लिखा?
(अ) तेलुगु      (ब) उङिया
(स) गुजराती   (द) तमिल ✔️

17. निम्नलिखित में से किसने श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय नामक नया पंथ चलाया ?
(अ) हितहरिवंश ✔️  (ब) वल्लभाचार्य
(स) छीतस्वामी        (द) कृष्णदास

18. सूरदास का प्रमुख ग्रंथ ’सूर सागर’ है। जनश्रुति के आधार पर इसमें कुल कितने पद थे ?
(अ) एक लाख    (ब) सवा लाख ✔️
(स) दस हजार    (द) साठ हजार

19. रसखान ने किस भाषा में रचना की?
(अ) खङी बोली में    (ब) अवधी में
(स) ब्रजभाषा में ✔️   (द) भोजपुरी में

20. अष्टछाप के कवियों में सबसे बङा स्थान किसे प्राप्त है?
(अ) नंददास को      (ब) छीतस्वामी को
(स) सूरदास को ✔️   (द) विट्ठलनाथ को

21. रतनसेन और पद्मावती की प्रेम-गाथा का वर्णन किस ग्रंथ में है?
(अ) रतन सेन में    (ब) पद्मावत में ✔️
(स) ज्ञान बोध में     (द) मधुमालती में

22. कृष्णभक्ति का प्रचार कब हुआ था?
(अ) 15 वीं शताब्दी में ✔️   (ब) 10 वीं शताब्दी में
(स) 19 वीं शताब्दी में       (द) 11 वीं शताब्दीर में

23. लगभग सम्पूर्ण कृष्ण काव्य –
(अ) खङी बोली में है   (ब) ब्रजभाषा में है ✔️
(स) अवधी में है         (द) खिचङी भाषा में है

24. निर्गुण भक्ति धारा के कवियों ने निम्नलिखित में से किस पर जोर नहीं दिया?
(अ) निराकार ब्रह्मा की उपासना
(ब) आत्मशुद्धि
(स) वैयक्तिक साधना
(द) अवतारवाद ✔️

25. निर्गुण भक्ति की प्रेमाश्रयी शाखा के कवियों की रचनाओं की मुख्य विशेषता है-
(अ) विरह-वेदना की तीव्रता   (ब) रोचक कथानक
(स) प्रेम की पीर                  (द) उपरोक्त सभी ✔️
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हिन्दी के वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर ।।

1. अनुनासिक का संबंध किससे होता है ?
(A) केवल मुँह से        (B) केवल नाक से
(C) नाक और मुँह से   (D) इनमें से कोई नही

2. अनुनासिक व्यंजन कौनसे होते है ?
(A) वर्ग के प्रथमाक्षर   (B) वर्ग के तृतीयाक्षर
(C) वर्ग के चतुर्थाक्षर   (D) वर्ग के पंचमाक्षर 

3. तालव्य व्यंजन कौनसे है ?
(A) च, छ, ज, झ       (B) त, थ, द, ध
(C) ट, ठ, ड़, ढ         (D) प, फ, ब, भ

4. य, र, ल, व – किस वर्ग के व्यंजन है ?
(A) ऊष्म       (B) तालव्य
(C) अन्तःस्थ     (D) ओष्ठ्‌य

5. स्थान के आधार पर बताइये की मूर्धन्य व्यंजन कौन से है ?
(A) ज, झ      (B) ग, घ
(C) ड, ढ       (D) प, फ

6. श्र ‘ वर्ण किसके योग से बना है ?
(A) श्‌ + र        (B) ज्‌ + ञ
(C) त्‌ + र        (D) क्‌ + ष

7. ज्ञ’ वर्ण किसके योग से बना है?
(A) ज्‌ + ञ        (B) ज्‌ + अ
(C) ज्‌ + ण        (D) ज + ञ

8. त्र’ वर्ण किसके योग से बना है ?
(A) क्‌ + ष        (B) त्‌ + र
(C) त्‌ + ष         (D) क्‌ + श

9. क्ष’ वर्ण किसके योग से बना है ?
(A) क्‌ + ष        (B) क्‌ + छ
(C) क्‌ + च       (D) क्‌ + श

10. निम्नलिखित मे से संयुक्त व्यंजन कौनसे है ?
(A) क्ष त्र ज्ञ श्र           (B) य र ल व
(C) श ष स ह       (D) इनमें से कोई नही

11. निम्नलिखित मे से द्विगुण व्यंजन कौनसे  है?
(A) ड़  ढ़        (B) श ष
(C) य व     (D) इनमें से कोई नही

12. निम्नलिखित मे से ऊष्म व्यंजन कौनसे  है ?
(A) श ष स ह      (B) य र ल व
(C) क्ष त्र ज्ञ        (D) ट ड़ ढ

13. हिन्दी वर्णमाला में संयुक्त व्यंजन की संख्या कितनी होती है ?
(A) 4   (B) 7    (C) 6     (D) 11

14. हिन्दी वर्णमाला में व्यंजनो की कुल संख्या कितनी होती है ?
(A) 34   (B) 30    (C) 32    (D) 33

15. हिन्दी वर्णमाला में स्वरो की कुल संख्या कितनी है 
(A) 10    (B) 11    (C) 12    (D) 13

16. वर्णो के व्यवस्थित समूह को क्या कहते है?
(A) ध्वनि     (B) व्यंजन
(C) वर्णमाला     (D) वाक्य

17. भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है ?
(A) वर्ण    (B) स्वर    (C) व्यंजन   (D) शब्द

18. निम्नलिखित मे से कौन अयोगवाह है ?
(A) अल्पप्राण    (B) महाप्राण
(C) विसर्ग       (D) सयुक्त व्यंजन

19. हिन्दी की आदि जननी क्या है ?
(A) पालि     (B) संस्कृत
(C) अपभ्रंश     (D) प्राकृत

20. हिंदी में मूल वर्ण कितने है .?
(A) 33    (B) 44     (C) 52    (D) 36

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उत्तर -👇👇
1.C/ 2.D/ 3.A/ 4.C/ 5.C/ 6.A/ 7.A/ 8.B/ 9.D/ 10.A

11.A/ 12.A/ 13.A/ 14.D/ 15.B/ 16.C/ 17.A/ 18.C/ 19.B/ 20.B

हिंदी व्याकरण :-

✅संधि ➺ दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहा जाता है।

✅भावार्थ ➺ 'सारांश' की तरह 'भावार्थ' भी मूल अवतरण का छोटा रूप है, किंतु 'भावार्थ' लिखने की रीति 'सारांश' की रीति से भिन्न है।

✅व्याख्या ➺ 'व्याख्या' किसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं। व्याख्या न भावार्थ है, न आशय। यह इन दोनों से भित्र है। नियम भी भित्र है।

✅आलेखन ➺ आलेखन पत्राचार का एक अंग है। समाज के विकास के साथ आलेखन के भित्र-भित्र रूप विकसित होते रहे हैं।

✅पर्यायवाची शब्द ➺ 'पर्याय' का अर्थ है- 'समान' तथा 'वाची' का अर्थ है- 'बोले जाने वाले' अर्थात जिन शब्दों का अर्थ एक जैसा होता है, उन्हें 'पर्यायवाची शब्द' कहते हैं।

✅वाक्य-शुद्धि ➺ वाक्य भाषा की अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई होता है।

✅पाठ-बोधन ➺ पाठ का स्वरूप साहित्यिक (अधिकांशतः), वैज्ञानिक, विवरणात्मक आदि होता है।

✅शब्द-शक्ति ➺ शब्द का अर्थ बोध करानेवाली शक्ति 'शब्द शक्ति' कहलाती है।

✅उच्चारण और वर्तनी ➺ मुख से अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है। सभी वर्णो के लिए मुख में उच्चारण स्थान होते हैं।

✅मौखिक अभिव्यक्ति ➺ मौखिक भाषा से दो प्रकार के कौशलों का विकास होता है- वाचन (बोलना) और श्रवण (सुनना)।

✅हिन्दी भाषा ➺ 'हिन्दी' शब्द भाषा विशेष का वाचक नहीं है बल्कि यह भाषा-समूह का नाम है।

✅हिन्दी साहित्य ➺ हिन्दी साहित्येतिहास के विभिन्न कालों के नामकरण का प्रथम श्रेय जार्ज ग्रियर्सन को है।

✅अनुवाद ➺ एक भाषा में प्रकट किये गये विचारों को दूसरी भाषा में रूपान्तरित करने को अनुवाद कहते हैं।

✅विज्ञापन लेखन ➺ विज्ञापन लेखन ऐसी कला है, जिसके द्वारा थोड़े-से स्थान एवं कम शब्दों में आवश्यक बातें आकर्षक ढंग से दी जाती हैं।

✅शब्द परिवार ➺ शब्दों का भी अपना परिवार होता है। यह परिवार दो तरह का होता हैं। विभिन्न भाषाओं में एकरूपता के कारण उन शब्दों को पारिवारिक शब्द माना गया है।

✅पद परिचय ➺ वाक्य में शब्दों के प्रयुक्त होने पर शब्द पद कहलाते हैं।

✅निपात ➺ किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात कहते हैं।

✅ऊनार्थक शब्द ➺ जिस शब्द से न्यूनता, तुच्छता या संक्षिप्ता का बोध होता है, उसे ऊनार्थक शब्द कहते हैं।

✅वाक्य-परिवर्तन ➺ बिना अर्थ बदले किसी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित करना वाक्य-परिवर्तन कहलाता हैं।

✅वाक्य विश्लेषण ➺ वाक्य में प्रयुक्त पदों को अलग-अलग कर उनका पारस्परिक संबंध बतलाना ही वाक्य-विश्लेषण कहलाता है।

✅सूचना लेखन ➺ कम से कम शब्दों में दी जाने वाली जानकारी जो लघु रूप में औपचारिक शैली में लिखी जाती है, वह सूचना लेखन कहा जाता है।

आज के टॉप 25 प्रश्नोतर

1. रामभक्ति मार्ग के अंतर्गत शृंगारी भावना के प्रवर्तक थे:
(अ) हरिचरणदास       (ब) जानकीप्रसाद
(स) रामचरणदास ✅  (द) तुलसीदास

2. नाभादास जी के गुरु का क्या नाम था?
(अ) अग्रदास ✅   (ब) अग्रअली
(स) प्रियादास      (द) तुलसीदास

3. ’रासपंचाध्यायी’ के रचयिता निम्न में से कौन हैं?
(अ) तुलसीदास    (ब) नंददास
(स) अग्रदास ✅   (द) प्रियादास

4. निम्नलिखित में से भक्ति आंदोलन को ’लोकजागरण’ किसने कहा?
(अ) अज्ञेय       (ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी ✅
(स) नगेंद्र       (द) ग्रियर्सन

5. ’रामचरितमानस’ में वक्ता- श्रोता युग्म कितने है ?
(अ) दो          (ब) तीन
(स) पाँच         (द) चार ✅

6. ’’चारहु फल मानत चारहु चणक को।’’ पंक्ति किसकी है?
(अ) केशवदास    (ब) तुलसी ✅
(स) कबीरदास     (द) नंददास

7. ’चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ के रचयिता हैं ?
(अ) गोकुलदास  ✅ (ब) नंददास
(स) अग्रदास          (द) प्रियादास

8. अग्रदास की भक्ति किस भाव की है?
(अ) शृंगार भाव    (ब) वात्सल्य भाव
(स) दास्य भाव     (द) माधुर्य भाव ✅

9. ’पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं’ उक्ति किसकी है?
(अ) कबीरदास    (ब) रैदास
(स) सूरदास       (द) तुलसीदास ✅

10. ’’मातु पिता जग जाइ तज्यो
विधिहु न लिख्यो कुछ भाल भलाई।’’ ये पंक्तियाँ तुलसी के किस काव्यग्रंथ से ली गई है?
(अ) विनयपत्रिका (ब) कवितावली ✅
(स) गीतावली (द) रामचरितामानस

11. ’’जाके प्रिय न राम वैदेही,
सो नर तजिउ कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही।’’ यह तुलसी के किस काव्यग्रंथ की उक्ति है?
(अ) रामचरितमानस।   (ब) कवितावली
(स) विनयपत्रिका ✅  (द) दोहावली

12. ’’केशव कहि न जाइका कहिए।’’ पंक्ति किसकी है?
(अ) तुलसीदास ✅  (ब) केशवदास
(स) रैदास।          (द) प्रियादास

13. ’’यदि प्रबंध काव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक चुना हुआ गुलदस्ता।’’ किसकी पंक्ति है?
(अ) नंददुलारे वाजपेयी (ब) नगेंद्र
(स) रामचंद्र शुक्ल ✅ (द) रामकुमार वर्मा

14. ’पद्मावत’ की रचना किस शासक के काल में हुई?
(अ) अकबर (ब) जहाँगीर
(स) औरंगजेब (द) शेरशाह सूरि ✅

15. ’बरवै छंद’ का प्रयोग प्रथमतः किस कवि ने किया?
(अ) तुलसीदास (ब) रहीम ✅
(स) कबीर (द) सूरदास

16. ’’कवित्त विवेक एक नहिं मोरे।’’ किसकी पंक्ति है?
(अ) घनानंद        (ब) कबीर
(स) रामानंद ✅  (द) तुलसीदास

17. ’योग चिंतामणि’ किसकी रचना है?
(अ) शंकराचार्य (ब) रामानुज
(स) रामानंद ✅  (द) वल्लभाचार्य

18. किस कवि को हिंदी का जातीय कवि कहा जाता है?
(अ) तुलसीदास ✅  (ब) सूरदास
(स) कबीर (द) रामानंद

19. ’’विक्रम धँसा प्रेम के बारा। सपनावती कहैं गयउ पतारा।’’
(अ) उसमान (ब) नूर मुहम्मद
(स) मंझन ✅  (द) कासिमशाह

20. ’रुकमिनि पुनि वैसहि मरि गई।
कुलवंति सत सों सति भई।।’’
(अ) कुतुबन ✅  (ब) उसमान
(स) जायसी (द) मंझन

21. ’’जानत है वह सिरजन हारा। जो किछु है मन मरम हमारा
हिंदू मग तर पाँव न राखेऊ। का जो बहुतै हिंदी भाखिऊ।’’
(अ) उसमान (ब) मंझन
(स) कुतुबन (द) नूर मुहम्मद ✅

22. ’’कबीर ने अपनी झाङ-फटकार के द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों का कट्टरपन दूर करने का जो प्रयत्न किया वह अधिकतर चिढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, हृदय को स्पर्श करने वाला नहीं।’’
पंक्तियाँ किसकी हैं?
(अ) रामचंद्र शुक्ल ✅  (ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(स) नगेंद्र               (द) अज्ञेय

23. ’हिंदी साहित्य की पीठिका’ के रचनाकार है?
(अ) रामकुमार वर्मा               (ब) अज्ञेय
(स) डाॅ. राजबली पाण्डेय ✅ (द) धीरेंद्र वर्मा

24. ’नल-दमयंती’ प्रेमाख्यान काव्य के रचनाकार हैं ?
(अ) रहीम (ब) मुल्ला दाऊद
(स) कासिमशाह (द) नरपति व्यास ✅

25. ’छिताई वार्ता’, जो कि कल्पना और इतिहास का अद्वितीय ग्रंथ है, के रचनाकार हैं ?
(अ) नरपति व्यास (ब) कासिमशाह
(स) नारायणदास ✅  (द) नूर मुहम्मद
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स्पेशल टॉपिक मोस्ट उपन्यास कलेक्शन ।।

💕💕 उपन्यास 
उपन्यास का नाम : परीक्षा गुरु
उपन्यासकार : लाला श्रीनिवास दास
उपन्यास का प्रकाशन : 25 नवंबर वर्ष 1882
महत्वपूर्ण पात्र : मदन मोहन, चुन्नीलाल, बैजनाथ, शम्भूदयाल, ब्रजकिशोर 
विषय वस्तु : मदन मोहन के बिगड़ने और बनने की कहानी, व्यष्टि को माध्यम बनाकर समष्टि को संदेश देने की बेहतर कोशिश ‼️

💕💕 उपन्यास 
उपन्यास का नाम : चन्द्रकान्ता या चन्द्रकान्ता संतति 
उपन्यासकार : बाबू देवकीनंदन खत्री 
उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1888
महत्वपूर्ण पात्र : वीरेन्द्रवीर सिंह, चन्द्रकान्ता, सुरेन्द्र सिंह, जय सिंह, क्रूर सिंह, तेज सिंह, चपला आदि.  
विषय वस्तु : मनोरंजन, तिलस्मी-जासूसी-अय्यारी के प्रयोग से रोचक कथा निर्वाह ‼️

💕💕 उपन्यास 
उपन्यास का नाम : ठेठ हिंदी का ठाठ 
उपन्यासकार : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
उपन्यास का प्रकाशन : 30 मार्च वर्ष 1899 
महत्वपूर्ण पात्र : देवबाला, देवांगन, रमानाथ, हेमलता आदि 
विषय वस्तु : समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया है. ‼️

💕💕 उपन्यास 
 उपन्यास का नाम : चित्रलेखा
 उपन्यासकार : भगवती चरण वर्मा
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1934
 महत्वपूर्ण पात्र : बीजगुप्त, कुमारगिरी, चाणक्य, चित्रलेखा, रत्नाम्बर श्वेतांक, विशालदेव, आदि.
  विषयवस्तु : पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित उपन्यास ‼️

💕💕 उपन्यास 
 उपन्यास का नाम : गोदान 
 उपन्यासकार : मुंशी प्रेमचन्द 
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1936
 महत्वपूर्ण पात्र : होरी, गोबर, झुनिया, धनिया, सिलिया, गोविंदी, मातादीन, दातादीन, मालती, मेहता, भोला, खन्ना, राय साहब 
  विषयवस्तु : किसान समस्या पर आधारित‼️
Hindi_Sahitya से हमने यह कॉपी किया है 

💕💕 उपन्यास 
उपन्यास का नाम : बाणभट्ट की आत्मकथा
 उपन्यासकार : हजारी प्रसाद द्विवेदी
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1946
 महत्वपूर्ण पात्र : निपुणिका, सुचारिता, महामाया, तुवर मिलिंद, प्रतिहारेंदु, भैरवी,
  विषयवस्तु : ऐतिहासिक यथार्थ की रक्षा के साथ समकालीन यथार्थ का सुंदर योग, नारी मुक्ति की आकांक्षा, समानता, जातीय विषमता पर प्रहार, स्वाधीनता के सहस्त्राधिक स्तरों में एकता ‼️

💕💕 उपन्यास 
उपन्यास का नाम : नदी के द्वीप
 उपन्यासकार : अज्ञेय 
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1951
 महत्वपूर्ण पात्र : भुवन, गौरा, रेखा, हेमेंद्र, चंद्रमोहन, डॉ. रमेश
 विषयवस्तु : व्यक्ति के विकसित आत्म को निरुपित कर, न केवल स्वयं बल्कि औरों को भी स्वतंत्र होने का स्पेस देना.‼️

💕💕 उपन्यास 
 उपन्यास का नाम : झूठा सच
 उपन्यासकार : यशपाल
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1958 और 1960
 महत्वपूर्ण पात्र : तारा, जयदेव, कनक, गिल, डॉक्टर आदि   
 विषयवस्तु : राष्ट्र विभाजन एवं त्रासदी का चित्रण, स्वातंत्रयोत्तर यथार्थ‼️

💕💕 उपन्यास 
 उपन्यास का नाम : राग दरबारी
 उपन्यासकार : श्रीलाल शुक्ल
 उपन्यास का प्रकाशन : वर्ष 1968
 महत्वपूर्ण पात्र : वैद्य जी 
विषयवस्तु : स्वतंत्र उत्तर भारत में व्याप्त विकृतियों पर व्यंग्यात्मक चलचित्र ‼️

अलंकार ।।



अलंकार – ” काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं ! “

अलंकार के तीन भेद हैं –

1. शब्दालंकार – ये शब्द पर आधारित होते हैं ! प्रमुख शब्दालंकार हैं – अनुप्रास , यमक , शलेष , पुनरुक्ति , वक्रोक्ति आदि !

2. अर्थालंकार – ये अर्थ पर आधारित होते हैं ! प्रमुख अर्थालंकार हैं – उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान आदि !

3.उभयालंकार- उभयालंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं!

1- उपमा – जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है
👉जैसे – हरिपद कोमल कमल से ।
हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !

2- रूपक – जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है !
👉 जैसे –
अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी ।
आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !

3- उत्प्रेक्षा – उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है !
👉जैसे – मुख मानो चन्द्रमा है ।
यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !

👆🏻👆🏻 इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !

4- यमक – जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँ यमक अलंकार होता है !
👉 जैसे – सजना है मुझे सजना के लिए ।
यहाँ पहले सजना का अर्थ है – श्रृंगार करना और दूसरे सजना का अर्थ – नायक शब्द दो बार प्रयुक्त है ,अर्थ अलग -अलग हैं ! अत: यमक अलंकार है !

5- श्लेष – जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां श्लेष अलंकार है !
👉 जैसे – रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून ।।
यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं – कान्ति , आत्म – सम्मान और जल ! अत: शलेष अलंकार है , क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन हैं !

6- विभावना – जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !

👉जैसे –
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।
वह ( भगवान ) बिना पैरों के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !

7- अनुप्रास – जहां किसी वर्ण की अनेक बार क्रम से आवृत्ति हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है !
👉 जैसे –
भूरी -भूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया ।
‘ भ ‘ की आवृत्ति अनेक बार होने से यहां अनुप्रास अलंकार है !

8- भ्रान्तिमान – उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है !
👉 जैसे –
नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?
यहां नाक में तोते का और दन्त पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !

9- सन्देह – जहां उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे –
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।

10- व्यतिरेक – जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !
👉जैसे –
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !

11- असंगति – कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है !
👉 जैसे –
हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !

12- प्रतीप – प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है !

👉 जैसे –
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।
सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !

13- दृष्टान्त – जहां उपमेय , उपमान और साधारण धर्म का बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव होता है,

👉जैसे-
बसै बुराई जासु तन ,ताही को सन्मान ।
भलो भलो कहि छोड़िए ,खोटे ग्रह जप दान ।।
यहां पूर्वार्द्ध में उपमेय वाक्य और उत्तरार्द्ध में उपमान वाक्य है ।इनमें ‘ सन्मान होना ‘ और ‘ जपदान करना ‘ ये दो भिन्न -भिन्न धर्म कहे गए हैं । इन दोनों में बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव है । अत: दृष्टान्त अलंकार है ।

Alankar in hindi, alankar ki paribhasha, anupras alankar , sabda alankar ke bhed, arthalankar ke bhed

आज के टॉप प्रश्नोतर ।।

1. हिन्दी में गेय पदों की परम्परा कब प्रारंभ हुई ?
(अ) सिद्धों से     (ब) जैनों से
(स) बौद्धों से            (द) लौकिक साहित्य से

2. सुमेलित कीजिए
(सम्प्रदाय)                   (प्रवर्तक)
(क) शंकराचार्य             1. विशिष्टाद्वैतवाद
(ख) वल्लभाचार्य           2. द्वैताद्वैतवाद
(ग) रामानुजाचार्य         3. अद्वैतवाद
(घ) निम्बार्क                4. शुद्धाद्वैतवाद

कूट:
क   ख    ग   घ
(अ) 3    4    1    2 
(ब) 2     3    1    4
(स) 2     4    1    3
(द) 3      4    2    1

3. सुमेलित कीजिए –
(सम्प्रदाय)                      (प्रवर्तक)
(क) तपसीशाखा               1. अग्रदास
(ख) रसिक सम्प्रदाय         2. जगजीवन दास
(ग) सत्यनामी सम्प्रदाय    3. हितहरिवंश
(घ) राधावल्लभ सम्प्रदाय  4. कील्हदास

कूट –
क   ख   ग   घ
(अ) 4    1    2    3
(ब) 1    2     3    4
(स) 4    1     3    2
(द) 4     2     4    3

4. हरिदास निरंजनी द्वारा स्थापित सम्प्रदाय है?
(अ) सत्यनामी
(ब) रसिक सम्प्रदाय
(स) निरंजनी सम्प्रदाय 
(द) राधावल्लभ सम्प्रदाय

5. ’शांत’ शब्द से संत की उत्पत्ति मानते है ?
(अ) परशुराम चतुर्वेदी
(ब) डाॅ. पीताम्बरदत्त बङथ्वाल
(स) डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त
(द) आचार्य विजयमोहन

6. रामानंद ने किस दर्शन को माना है ?
(अ) अद्वैतवाद     (ब) विशिष्टाद्वैतवाद
(स) द्वैतवाद         (द) द्वैताद्वैतवाद

7. भक्ति आंदोलन को निर्गुण भक्ति साहित्य और सगुण भक्ति साहित्य दो भागों में किसने विभाजित किया?
(अ) रामचंद्र शुक्ल      (ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(स) रामकुमार वर्मा    (द) गणपतिचन्द्र गुप्त

8. डाॅ. रामकुमार वर्मा ने ज्ञानाश्रयी शाखा को किस नाम से सम्बोधित किया है?
(अ) सूफी काव्य      (ब) संत काव्य 
(स) राम काव्य        (द) कृष्ण काव्य

9. ’’मेरा साहिब एक है, दूजा कहा न जाय, साहिब दूजा जो कहुँ साहब खरा रिसाय।’’ पद के रचयिता है?
(अ) दादू       (ब) कबीर
(स) पीपा       (द) धन्ना

10. ’’दशरथ सुत तिहुंलोक बखाना, रामनाम का मरम न जाना।’’ पद के रचनाकार है ?
(अ) केशवदास       (ब) तुलसीदास
(स) कबीर        (द) रामानन्द

11. ’’निर्गुण राम जपहुं रे भाई, अविगत की गति लखी न जाई।’’ पद के रचयिता है ?
(अ) तुलसीदास          (ब) अग्रदास
(स) कबीर दास    (द) केशवदास

12. भक्तमाल के अनुसार रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में रामानंद किस पीढी के शिष्य थे ?
(अ) प्रथम         (ब) द्वितीय
(स) तृतीय         (द) चतुर्थ

13. रामानंद के गुरू थे ?
(अ) ब्रजानंद           (ब) राघवानंद
(स) वल्लभाचार्य     (द) नरहयानंद

14. ’रामावतसम्प्रदाय’ का मूल मंत्र है ?
(अ) राम                        (ब) सीता राम
(स) अ एवं ब दोनों    (द) सीता

15. रामानंद के प्रमुख शिष्य है ?
(अ) सुखानंद, अनंतानंद, भावानंद
(ब) नरहर्यानंद, सुरसुरानंद, सुरसरि, पदमावती
(स) धन्न, पीपा, सेन कबीर, रैदास
(द) उपर्युक्त सभी

16. ’प्रसंग पारिजात’ के रचनाकार है ?
(अ) राधोदास        (ब) चेतनदास
(स) अनंतदास      (द) प्रियादास

17. ’’कबीर का प्रार्दुभाव एक घटना है। हिन्दी भक्ति काव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्ता ।’’ कथन है ?
(अ) हजारी प्रसाद द्विवेदी        (ब) रामकुमार वर्मा
(स) डाॅ. बच्चन सिंह          (द) चन्द्रबली पाण्डेय

18. श्यामसुंदर दास ने कबीर के पदों को किस शीर्षक से सम्पादित किया है ?
(अ) कबीर ग्रंथावली       (ब) संत कबीर
(स) कबीर            (द) कोई नहीं

19. कबीर की रचनाओं को धर्मदास द्वारा ’बीजक’ में सम्पादित कब किया गया ?
(अ) सन् 1468 ई.    (ब) सन् 1565 ई.
(स) सन् 1464 ई.     (द) सन् 1562 ई.

20. ’बीजक’ में कुल रमैनियाँ  है ?
(अ) 809   (ब) 84   (स) 115   (द) 21

21. ’’तुलसी को छोङकर हिन्दी भाषी जनता पर कबीर के समान या उनसे अधिक प्रभाव किसी कवि का नहीं पङा’’ उक्त कथन है ?
(अ) श्यामसुंदर दास     (ब) डाॅ. रामकुमार वर्मा
(स) हजारी प्रसाद द्विवेदी     (द) डाॅ. नगेन्द्र

22. नाभादास कृत ’भक्तमाल’ की रचना कब हुई ?
(अ) सन् 1585 ई.     (ब) सन् 1468 ई.
(स) सन् 1464 ई.     (द) सन् 1462 ई.

23. गोरखनाथ और कबीरदास के मध्य तत्त्व सिद्धांत पर विवेचना किस रचना में हुई है ?
(अ) कबीर परिचई        (ब) भवतारण में
(स) कबीर-गोरख-गुष्ट   (द) भक्तमाल

24. ’’तुम जिन जानो गीत है, यह निज ब्रहम विचार,
मैं कहता हूँ आंखिन देखी, तूँ कहता की लेखी।’’
इस कथन के रचनाकार है ?
(अ) कबीर     (ब) संत पीपा
(स) रैदास      (द) सुंदरदास

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उत्तर -
1.अ/ 2.अ/ 3.अ/ 4.स/ 5.ब/ 6ब/ 7.ब/ 8.ब/ 9.ब/ 10.स

11.स/ 12.द/ 13.ब/ 14.स/ 15.द/ 16.ब/ 17.स/ 18.अ/ 19.स/ 20.ब

21.अ/ 22.अ/ 23.स/ 24.अ

आज के टॉप 25 प्रश्नोतर ।।

1. ’’कब घर में बैठे रहैं, नाहिंन हाट बाजार
मधुमालती, मृगावती पोथी दोउ उचार।’’
(अ) बनारसीदास जैन ✔️ (ब) जायसी
(स) मंझन                   (द) कुतुबन

2. ’’विक्रम धँसा प्रेम के बारा। सपनावती कहँ गयउ पतारा।’’
(अ) उसमान     (ब) नूर मुहम्मद
(स) मंझन ✔️    (द) कासिमशाह

3. ’’बलंदीप देखा अँगरेजा। वहाँ जाइ जेहि कठिन करेजा।’’
(अ) जायसी          (ब) उसमान ✔️
(स) कासिमशाह    (द) नूर मुहम्मद

4. ’’तन चितउर, मन राजा कीन्हा।
हिय सिंघल, बुधि पद्मिनि चीन्हा।’’ किसकी पंक्तियाँ हैं?
(अ) नाभादास    (ब) जायसी ✔️
(स) उसमान      (द) मुल्ला दाऊद

5. ’माधवानल कामकंदला’ काव्य-रचना के रचयिता हैं ?
(अ) ईश्वरदास     (ब) जायसी
(स) गणपति ✔️   (द) पुहकर कवि

6. ’रस रतन’ के रचयिता कौन थे?
(अ) पुहकर कवि ✔️ (ब) नरपतिनाल्ह
(स) रहीम               (द) देवराज
स्टूडिफॉरहिंदीसाहित्य से हमने कॉपी किया है।

7. ’नल-चरित्र’ प्रेमाख्यान काव्य किसकी रचना है?
(अ) मंझन             (ब) मुकुंदसिंह ✔️
(स) कासिमशाह     (द) नरपति व्यास

8. ’कहरनामा’ के रचयिता है?
(अ) जायसी ✔️   (ब) कुतुबन
(स) मंझन         (द) मुल्ला दाऊद

9. ईश्वर का विरह ही किस मत के भक्तों की प्रधान संपत्ति है?
(अ) सूफी मत ✔️   (ब) सिख मत
(स) निर्गुण मत      (द) सगुण मत

10. रामानंद जी ने अपनी गुरु परंपरा का उल्लेख किस ग्रंथ में किया है?
(अ) वैष्णव मताब्जभास्कर (ब) जानकी मंगल
(स) गोसंकट (द) श्रीरामार्चन पद्धति ✔️

11. ’राम रक्षा स्तोत्र’ के रचयिता है ?
(अ) रामानुज       (ब) तुलसीदास
(स) रामानंद ✔️   (द) सूरदास

12. किस आदि काव्य को रामकथा का मूल स्रोत माना जाता है?
(अ) रामचरितमानस  (ब) वाल्मीकि रामायण ✔️
(स) जानकीमंगल      (द) पार्वतीमंगल

13. ’अंगदपैज’ काव्य के रचनाकार हैं ?
(अ) सूरदास          (ब) तुलसी
(स) ईश्वरदास ✔️      (द) कबीर

14. ’मूल गोंसाई चरित’ के रचनाकार हैं ?
(अ) रघुबरदास       (ब) बेनीमाधवदास ✔️
(स) तुलसी            (द) मीराबाई

15. आचार्य शुक्ल ने तुलसी-रचित ग्रंथों की संख्या मानी है?
(अ) पंद्रह          (ब) सात
(स) बारह ✔️       (द) बीस

16. ’भक्तमाल’ का रचनाकाल माना गया है?
(अ) 1550 ई.       (ब) 1530 ई.
(स) 1596 ई. ✔️    (द) 1600 ई.

17. ’’लाज न लागत आपको दौरे आहु साथ
धिक-धिक ऐसे प्रेम को कहा कहौं मैं नाथ।’’
पंक्तियाँ किसके द्वारा रचित हैं ?
(अ) मीराबाई (ब) रत्नावली ✔️
(स) पद्मावती (द) घनानंद

18. ’रामचरितमानस’ को पूरा करने में तुलसीदास जी को कितना समय लगा ?
(अ) दो वर्ष, सात माह ✔️ (ब) एक वर्ष
(स) चार वर्ष                 (द) तीन वर्ष

19. ’गीत पद्धति’ पर तुलसी ने कौन-सी रचना की?
(अ) जानकीमंगल       (ब) विनयपत्रिका ✔️
(स) रामलला नहछू     (द) रामचरितमानस

20. तुलसीदास को कलिकाल का वाल्मीकि किसने कहा?
(अ) रामचंद्र शुक्ल    (ब) ग्रियर्सन
(स) स्मिथ               (द) नाभादास ✔️

21. ’’तुलसीदास जी उत्तरी भारत की समग्र जनता के हृदय-मंदिर में पूर्ण प्रेम-प्रतिष्ठा के साथ विराज रहे हैं।’’ पंक्ति है ?
(अ) हजारी प्रसाद द्विवेदी        (ब) रामचंद्र शुक्ल ✔️
(स) डाॅ. नगेन्द्र                      (द) रामविलास शर्मा

22. ’वैराग्य संदीपनी’ किस कवि की रचना है?
(अ) तुलसीदास ✔️    (ब) कबीर
(स) वियोगी हरि       (द) रैदास

23. ’विनयपत्रिका’ की भाषा कौन-सी है?
(अ) अवधी       (ब) खङी बोली
(स) अपभ्रंश      (द) ब्रजभाषा ✔️

24. संत तुलसी की ’दोहावली’ में कुल कितने दोहे हैं?
(अ) चार सौ तिहत्तर     (ब) पाँच सौ बहत्तर ✔️
(स) पाँच सौ               (द) तीन सौ बहत्तर

25. कलि कुटिल जीव निस्तार हित वाल्मीकि तुलसी भयो।’’ पंक्ति किसकी है?
(अ) नाभादास ✔️    (ब) अग्रदास
(स) तुलसीदास      (द) प्रियादास

अशुद्ध शब्द छांटिए –


1. अशुद्ध शब्द छांटिए –
अ. पाँचवी
ब. दूसरी
स. पहली   
द. द्वितीय

2. ‘बिना विचार किया हुआ विश्वास’ के लिए शब्द है –
अ. अविश्वास
ब. अंधविश्वास
स. सविश्वास 
द. बेविश्वास

3. ‘मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ’ में अलंकार है -
अ. उत्प्रेक्षा
ब. श्लेष
स. यमक 
द. रूपक

4. ‘मैं उस मकान में रहता हूँ जिसमें कभी गुरु जी पढ़ाते थे’ वाक्य है -
अ. सरल वाक्य
ब. संयुक्त वाक्य
स. मिश्र वाक्य
द. कोई भी नहीं

5. ‘घी के दीए जलाना’ मुहावरे का अर्थ है -                      
अ. घी से दीए जलाना
ब. दीए में घी डालना
स. बहुत खुश होना   
द. अच्छा कार्य करना

6. ‘पंजाब’ समस्त पद किस समास का उदाहरण है -
अ. कर्मधारय
ब. बहुब्रीहि
स. द्विगु
द. द्वंद्व

7. निम्न में से किसमें अनुस्वार का प्रयोग नहीं हुआ है -
अ. गंगा
ब. चंचल
स. ठंडा 
द. नहीं

8. निम्न में से अघोष व्यंजन है -
अ. ग
ब. र
स. स 
द. ह

9. ‘कामदेव’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है -
अ. मनोज
ब. कंदर्प
स. काम 
द. सुरपति

10. व्यंजन संधि का उदाहरण नहीं है –
अ. उच्चारण
ब. सज्जन
स. अनुच्छेद
द. व्यूह

उत्तर : 1. अ, 2. ब, 3. ब, 4. स, 5. स, 6. स, 7. द, 8. स, 9. द, 10. द

परिचय : व्याकरणाचार्य - किशोरीदास वाजपेयी

✍किशोरीदास वाजपेयी हिन्दी और संस्कृत के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं व्याकरणाचार्य थे। 

✍संस्कृत और हिन्दी के विद्वान, व्याकरण के पंडित, हिन्दी के आधुनिक पाणिनी की तरह जिन्हें डॉ. रामविलास शर्मा, राहुल सांकृत्यायन आदि मानते थे, वे स्वतंत्र वृत्ति से कनखल में अत्यन्त आर्थिक कष्ट में जीवनयापन करते रहे। 

✍कुछ समय के लिए उन्होंने शिक्षक का कार्य किया, और नागरी प्रचारिणी सभा के कोश विभाग में भी रहे। वे स्वाभिमानी और अक्खड़ स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे। 

✍1978 में मोरारजी देसाई ने मंच से नीचे उतरकर उत्तर प्रदेशका सम्मान उन्हें दिया। 

✍किशोरीदास वाजपेयी को हिन्दी का प्रथम वैज्ञानिक भी कहा जाता है।

✍आचार्य किशोरीदास वाजपेयी का जन्म सन्‌ 1898 में रामनगर, कानपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। 

✍इन्होंने लाहौर से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की थी। 

✍आचार्य वाजपेयी के जीवन पर आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के कृपापूर्ण प्रोत्साहन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। 

✍कुछ सहृदय एवं मूल्यांकन करने वाले विद्वानों में उन्हें 'हिन्दी का पाणिनि' तक घोषित किया है।

✍ महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने कह-कहकर उनसे 'हिंदी शब्दानुशासन' लिखवा लिया। 

✍वाजपेयी जी ने 'सुदामा' नाम से नाटक भी लिखा। 'तरंगिणी' नामक संग्रह में उनकी ब्रज-कविताएं और दोहे संकलित हैं। 

✍वाजपेयी जी ने 'ब्रजभाषा व्याकरण' नामक एक उत्तम ग्रंथ भी लिखा था। इसमें केवल व्याकरण ही नहीं, ब्रजभाषा के उद्भव, विकास और उसके स्वरूप का भी गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। 

✍उन्होंने कुछ समसामयिक विषयों पर भी पुस्तकें लिखी हैं। जैसे 'कांग्रेस का इतिहास' और 'नेताजी सुभाषचंद्र बोस'। एक अन्य पुस्तक में उन्होंने अपने साहित्यिक संस्मरण भी लिखे। 

✍'हिन्दी शब्दानुशासन' तो उनके जीवन का मुख्य ग्रंथ है ही। 

✍इसके अतिरिक्त इसी विषय पर उनकी एक और कृति 'राष्ट्रभाषा का प्रथम व्याकरण' भी है। 

✍वाजपेयी जी के भाषा-शास्त्रीय स्वरूप को जानने के लिए उनकी अन्य पुस्तक 'भारत का भाषा-विज्ञान' का अध्ययन भी आज की पीढ़ी के लिए कम महत्त्व का नहीं। 

कुछ नए और उपयोगी तथ्य जो परीक्षा में आएंगे ।।

💐"उद्दात्तता" काव्य का मूल स्रोत्र है - लोंजाइनस

💐त्रासदी का लक्ष्य है - भावों का विरेचन एवम यथार्थ का ज्ञान

💐"कला आशयजन्य नहीं है" - अरस्तू

💐चौपाई में 16 मात्राएं, दोहा और सोरठा में 24 मात्राएं, उल्लाला में 28 मात्राएं एवम हरिगीतिका में भी 28 मात्राएं होती हैं।

💐'दण्डक' किसे कहते हैं - वर्ण वृत्त में 26 वर्ण से अधिक वाले दण्डक कहलाते हैं।

💐"स्वछंद छंद में 'आर्ट ऑफ म्यूजिक' नहीं मिल सकता, वहां 'आर्ट ऑफ रीडिंग' है, वह स्वर प्रधान नहीं व्यंजन प्रधान है" - निराला

💐मुक्त छंद की कल्पना हिंदी में विधिवत किस युग में प्रारम्भ हुई - छायावाद

💐'लीव्स ऑफ द ग्रास' पुस्तक किसकी है - वाल्ट व्हिटमैन

💐छंद में लय क्या है - लय एक संयत व्यवस्था है जो स्वर के आरोह-अवरोह से उत्पन्न होती है।

💐छंदशास्त्र को अन्य किस नाम से जानते हैं - पिंगलशास्त्र

💐दोषों के लक्षणों का विवेचन सर्वप्रथम किसने किया - वामन

💐"मुख्यार्थ का जिससे अपकर्ष हो वह दोष है" - मम्मट

💐"गुण काव्य की संपत्ति अर्थात सौंदर्य विधायक तत्व और दोष उसकी विपत्त्ति अर्थात सौंदर्य विघातक तत्व है" - दण्डी

कुछ नए और उपयोगी तथ्य ।।

💐साकेत के किस सर्ग में उर्मिला सरयू को सम्बोधित करती हैं- दसवें सर्ग में

💐रामचरित मानस में चित्रकूट की घटना किस कांड में है- अयोध्याकाण्ड

💐आकुली-क़िलात किस ग्रन्थ के पात्र हैं - कामायनी

💐मैथलीशरण गुप्त ने द्विवेदी जी संरक्षण में किस शैली की निर्मिति की- सरस्वती शैली

💐महामना मदन मोहन मालवीय के आग्रह पर किस साहित्यकार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ओरियंटल कॉलेज में प्राचार्य का पद ग्रहण किया- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

💐'समालोचक' पत्र कब और कहां से निकला- 1903, जयपुर

💐"सन्दर्भण कला का कविता में सार्थक प्रयोग तुलसीदास ने किया है और निबंधों में गुलेरी जी और हज़ारीप्रसाद द्विवेदी" यह कथन किस आलोचक का है- बच्चन सिंह

💐"कविता करने में, हमारी समझ में, अलंकारों को बलात लाने का प्रयत्न न करना चाहिए" कथन किसका है- महावीर प्रसाद द्विवेदी

💐"नवीन भावों की ईंटों से कुटी हुई पक्की सड़क है-यह है आधुनिक साहित्य। इस पर रुढ़िवाद की बूढ़ी गाय को दौड़ाना सम्भव नहीं है" कथन किस आलोचक का है- रामविलास शर्मा

💐"कविता तो स्वच्छन्दता के बिना उत्तम बन ही नहीं सकती" कथन है- मिश्रबन्धु

💐श्री शारदा पत्रिका कहां से प्रकाशित होती थी- जबलपुर

हिन्दी भाषा एवं साहित्य ।।

1. ‘उद्धवशतक’ किसकी कृति है? उत्तर. जगन्नाथदास रत्नाकर
2. हिन्दी भाषा का जन्म हुआ है? उत्तर. पाली प्राकृत से
3. ‘पंच परमेश्वर’ के लेखक हैं? उत्तर. प्रेमचन्द
4. अवधी भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम क्या है? उत्तर. रामचरित मानस
5. स्थायी भावों की कुल संख्या कितनी है? उत्तर. 9

6. दोहा और रोला को क्रम से मिलाने पर कौन-सा छंद बनता है? उत्तर. कुण्डलिया
7. ‘हार की जीत’ (कहानी) के कहानीकार हैं? उत्तर. सुदर्शन
8. कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था? उत्तर. हिन्दी व्याकरण
9. सबसे प्राचीन कौन सी वीरता है।? उत्तर. वाकवीरता
10. शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है? उत्तर. भामह

11. ‘अशोक के फूल’ (निबंध-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं? उत्तर. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
12. लोगहिं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तौ मेरे कवित्त बनावत॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. घनानन्द
13. ‘जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी’। इस पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. तुलसीदास
14. हिन्दी की मूल उत्पत्ति किससे हुई है? उत्तर. वैदिक संस्कृत
15. ‘आत्मनिर्भरता’ निबंध के रचनाकार हैं? उत्तर. बालकृष्ण भट्ट

16. ‘ठेले पर हिमालय’ किसकी रचना है? उत्तर. धर्मवीर भारती
17. ‘रानी केतकी की कहानी’ के रचयिता हैं? उत्तर. इंशा अल्ला ख़ाँ
18. ‘यह प्रेम को पंथ कराल महा तरवारि की धार पै धावनो है’, नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है? उत्तर. बोधा
19. हिन्दी भाषा में कितने वचन होते हैं? उत्तर. दो
20. भारत मित्र’ पत्र (जो कलकत्ता से सन् 1934 में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे? उत्तर. रुद्रदत्त शर्मा

21. ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? उत्तर. साहित्य
22. ‘आकाशदीप’ कहानी के लेखक हैं? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
23. ‘कामायनी’ किसकी रचना है? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
24. ‘तोड़ती पत्थर’ कैसी कविता है? उत्तर. यथार्थवादी
25. ‘निराला’ को कैसा कवि माना जाता है? उत्तर. क्रान्तिकारी

26. भक्तिकाल की रामाश्रयी शाखा के निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं? उत्तर. तुलसीदास
27. उत्तर भारत में भक्ति का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है? उत्तर. स्वामी रामानंद
28. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषाएँ हाल ही में प्राचीन भाषाएँ घोषित की गई है? उत्तर. कन्नड़ एवं तेलुगु
29. ‘यह काम मैं आप कर लूँगा’, पंक्तियों में ‘आप’ है? उत्तर. निजवाचक सर्वनाम
31. हिन्दी साहित्य का नौवाँ रस कौन-सा है? उत्तर. शांत रस
32. कबीर किस काव्य धारा के कवि हैं? उत्तर. ज्ञानमार्गी
33. डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य केशवदास पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?? उत्तर. केशव की काव्यकला
34. व्याकरण की दृष्टि से ‘प्रेम’ शब्द क्या है? उत्तर. भाववाचक संज्ञा
35. चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती है? उत्तर. सोलह

36. हिन्दी का पहला दैनिक समाचार-पत्र कौन-सा था? उत्तर. उतण्ड मार्तण्ड
37. ‘आनन्द कादम्बिनी’ पत्रिका के सम्पादक कौन थे? उत्तर. चौधरी बदरीनारायण प्रेमघन
38. ‘धातुसेन’ प्रसाद के किस नाटक का पात्र है? उत्तर. स्कंदगुप्त
39. निम्नलिखित शब्दों में से किसमें व्यंजन संधि है? उत्तर. सत्कार
40. ‘रसिक प्रिया’ के रचयिता हैं? उत्तर. केशवदास

41. निम्नलिखित में से अर्द्ध स्वर कौन-सा है? उत्तर. य
42. भरतमुनि ने अपभ्रंश को नाम दिया है? उत्तर. अशुद्धभाषा
43. चोल शासकों की भाषा क्या थी? उत्तर. तमिल
44. ‘जनमेजय का नागयज्ञ’ किसकी कृति हैं? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
45. छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है? उत्तर. रहस्यवाद

46. काव्य क्षेत्र में ‘प्रबन्ध शिरोमणि’ की उपाधि किसे दी गई है? उत्तर. मैथिलीशरण गुप्त
47. ‘तोड़ती पत्थर’ (कविता) के कवि हैं? उत्तर. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
48. कौन-सी बोली पश्चिमी हिन्दी की नहीं है? उत्तर. बघेली बोली
49. इनमें संयुक्त व्यंजन कौन-सा है? उत्तर. ज्ञ
50. ‘जायसी -ग्रंथावली’ के सम्पादक का नाम है? उत्तर. रामचन्द्र शुक्ल

51. वीर रस का स्थायी भाव क्या होता है? उत्तर. उत्साह
52. ‘रामचरितमानस’ किस भाषा में लिखा गया है? उत्तर. अवधी
53. ‘चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग’। इस पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. रहीम
54. ‘गीतांजलि’ के रचयिता कौन हैं? उत्तर. रबीन्द्रनाथ टैगोर
55. मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक-?

56. ‘शिव शंभु के चिट्ठे’ से संबंधित रचनाकार हैं? उत्तर. बाल मुकुन्द गुप्त
57. दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के क्षेत्र में किसने प्रचार-प्रसार किया? उत्तर. सी. राजगोपालाचारी
58. निम्न में से किस पुस्तक में ‘भ्रमरगीत’ का प्रसंग है? उत्तर. सूरसागर
59. ‘मानवीकरण अलंकार’ का प्रयोग किस प्रकार की कविता में हुआ है? उत्तर. नयी कविता में
60. ‘अनिल’ का पर्यायवाची शब्द क्या है? उत्तर. पवन

61. ‘विपाशा पत्रिका’ का प्रकाशन किस प्रदेश से होता है? उत्तर. उत्तर प्रदेश
62. ‘नीलकमल’ में कौन-सा समास है? उत्तर. कर्मधारय समास
63. ‘शेष कादम्बरी’ के रचयिता हैं? उत्तर. अलका सरावगी
64. वर्ण के द्वितीय व चतुर्थ व्यंजन क्या कहलाते हैं? उत्तर. महाप्राण
65. दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं? उत्तर. बिहारी

66. छंद का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है? उत्तर. ऋग्वेद
67. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है? उत्तर. रति
68. ‘कुरुक्षेत्र’ को क्या कहा जाता है।? उत्तर. रणक्षेत्र
69. भारत में सर्वाधिक किस भाषा का प्रयोग किया जाता है? उत्तर. हिन्दी भाषा
70. अद्भुत रस का स्थायी भाव क्या है? उत्तर. विस्मय

71. ‘मुख रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया’ पंक्तियों में अलंकार है? उत्तर. रूपक
72. ‘मुन्डा भाषा’ परिवार का क्षेत्र कौन-सा है? उत्तर. छोटा नागपुर
73. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया है? उत्तर. 343
74. एक भाषा दूसरी भाषा से क्या लेती है? उत्तर. शब्दावली
75. ‘कठिन गद्य के प्रेत हैं’, यह किस कवि के लिए कहा गया है? उत्तर. अज्ञेय

76. जायसी के सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ का नाम क्या है? उत्तर. पद्मावत
77. ‘मेवाड़ की पन्ना’ नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर ‘राजमुकुट’ नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है? उत्तर. गोविंद बल्लभ पंत
78. निम्न में से कंठ्य ध्वनियाँ कौन-सी हैं? उत्तर. क, ख
79. खड़ी बोली का प्रयोग सबसे पहले किस पुस्तक में हुआ? उत्तर. प्रेम सागर
80. निम्न में से स्त्रीलिंग शब्द कौन-सा है? उत्तर. ठंडाई

81. प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? उत्तर. मुल्ला दाऊद
82. बिहारी निम्नलिखित में से किस काल के कवि थे? उत्तर. रीतिकाल
83. ‘ध्रुव स्वामिनी’ नाटक के रचयिता हैं? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
84. अपभ्रंश का वाल्मीकि किसे कहा गया है? उत्तर. स्वयंभू
85. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना खड़ी बोली की है? उत्तर. साकेत

86. “यदि चादर के बाहर……..पसारोगे तो पछताओगे”? उत्तर. पैर
87. अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है? उत्तर. बंगाली
88. हिन्दी नाटकों के मंचन में ‘यक्षगान’ का प्रयोग किसने किया है? उत्तर. गिरीश कर्नाड
89. निम्नलिखित में से कौन-सा पश्च स्वर है? उत्तर. आ
90. अधिकतर भारतीय भाषाओं का विकास किस लिपि से हुआ? उत्तर. ब्राह्मी लिपि

91. भारतेन्दु हरिशचंद्र के अनुसार हिन्दी नयी चाल में कब ढली? उत्तर. 1873 ई.
92. ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. कबीर दास
93. गोवा की स्वीकृत राजभाषा है? उत्तर. कोंकणी
94. अवधी भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है? उत्तर. रामचरितमानस
95. संज्ञा के कितने भेद हैं? उत्तर. तीन

96. ह्रदय की वह कौन-सी स्थायी दशा है, जो सदाचार को प्रेरित करती है? उत्तर. शील दशा
97. रामभक्त कवि नहीं हैं? उत्तर. नरोत्तमदास
98. जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ कौन सा अलंकार होता है? उत्तर. विभावना
99. अष्टछाप के कवियों में प्रथम नियुक्त कीर्तनकार कवि कौन थे? उत्तर. सूरदास
100. ‘कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥’ उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?? उत्तर. बिहारी

101. मुग़ल काल की राजकीय भाषा थी? उत्तर. उर्दू
102. ‘गागर में सागर’ मुहावरे का अर्थ क्या है? उत्तर. संक्षेप में गहरी बात कहना
103. ‘चरण-कमल बन्दौ हरि राई’ में कौन-सा अलंकार है? उत्तर. रूपक अलंकार
104. ‘श्रद्धा’ किस कृति की नायिका है? उत्तर. कामायनी
105. भारत की किस भाषा को ‘इटालियन ऑफ़ द ईस्ट’ कहा जाता है? उत्तर. तेलुगु

106. तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में किसका वर्णन किया है? उत्तर. राम
107. ‘भारत भारती’ (काव्य) के रचयिता का नाम है? उत्तर. मैथिलीशरण गुप्त
108. मनोविश्लेषणात्मक शैली के उपन्यासकार कौन हैं? उत्तर. इलाचन्द्र जोशी
109. देवनागरी लिपि है? उत्तर. अक्षरात्मक
110. ‘आँसू’ का बहुवचन क्या होगा? उत्तर. आँसुओं

111. रामधारी सिंह दिनकर किस रस के कवि माने जाते हैं? उत्तर. वीर रस
112. बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है? उत्तर. रामचन्द्र शुक्ल
113. ‘साखी’ के रचयिता हैं? उत्तर. कबीरदास
114. ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के प्रथम साहित्यकार हैं? उत्तर. सुमित्रानन्दन पंत
115. ‘समांतर कहानी’ के प्रवर्तक कौन थे? उत्तर. कमलेश्वर

116. हिन्दी के पश्चात भारत की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है? उत्तर. बांग्ला
117. ‘महाभोज’ रचना की प्रधान समस्या को उजागर करने वाले विकल्प को चुनिए? उत्तर. राजनीतिक समस्या
118. ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए’ में कौन-सा अलंकार है? उत्तर. अनुप्रास अलंकार
119. निम्न में से प्रेमचंद के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है? उत्तर. मंगलसूत्र
120. ‘कठिन काव्य का प्रेत’ किस कवि को कहा जाता हैं? उत्तर. केशवदास को

121. दोपहर के बाद के समय को क्या कहा जाता है? उत्तर. अपराह्न
122. कबीरदास की भाषा थी? उत्तर. सधुक्कड़ी
123. हिन्दी ग़ज़ल लेखन का कार्य किसने प्रारंभ किया? उत्तर. दुष्यंत कुमार
124. भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फ़ारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?? उत्तर. कबीर
125. जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की भाषा को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है? उत्तर. बाहरी उपशाखा

126. ‘शिवा बावनी’ के रचनाकार कौन हैं? उत्तर. भूषण
127. “ऊधव मोहिं ब्रज बिसरावत नाहीं” में कौन-सा रस है? उत्तर. श्रृंगार रस
128. कौन-सी भाषा देवभाषा है? उत्तर. संस्कृत
129. ‘कुटज’ के रचयिता हैं? उत्तर. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
130. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘तत्सम’ है? उत्तर. काल

131. माधुर्य गुण का किस रस में प्रयोग होता है? उत्तर. भयानक
132. ‘क’, ‘ख’, ‘ग’, और ‘फ’ में से कौन-सा अक्षर उर्दू से लिया गया है? उत्तर. फ
133. शौरसेनी, पैशाची, महाराष्ट्री, अर्द्धमागधी और मागधी, ये निम्न में से किस भाषा के पाँच भेद हैं? उत्तर. प्राकृत
134. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है? उत्तर. मराठी भाषा
135. प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. माखन लाल चतुर्वेदी

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हिंदुस्तान के प्रमुख महापुरुषों के हिंदी भाषा एवम साहित्य पर अनमोल विचार ।।

💯अतिमहत्वपूर्ण💯 

💐हमारी हिन्दी को कामधेनु बनाना है। - चंद्रबली पांडेय

💐भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिन्दी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं। - अरविंद

💐मेरा आग्रहपूर्वक कथन है कि अपनी सारी मानसिक शक्ति हिन्दी के अध्ययन में लगावें। -विनोबा भावे

हिन्दी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद

💐जैसे-जैसे हमारे देश में राष्ट्रीयता का भाव बढ़ता जाएगा वैसे ही वैसे हिन्दी की राष्ट्रीय सत्ता भी बढ़ेगी। - श्रीमती लोकसुन्दरी रामन

💐जीवित भाषा बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती। - बाबूराव विष्णु पराड़कर

💐हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त

💐हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है। - धीरेन्द्र वर्मा

💐बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता। - गोविन्द शास्त्री दुगवेकर

💐राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार

💐हिन्दी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है। - बाबूराम सक्सेना

💐समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है। - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर

💐हिन्दी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है। - शंकरराव कप्पीकेरी

💐राष्ट्रभाषा हिन्दी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है। - अनंत गोपाल शेवड़े

💐हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। - वी. कृष्णस्वामी अय्यर

राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिन्दी ही जोड़ सकती है। - बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

💐विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है। - वाल्टर चेनिंग

💐हिन्दी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये। - बेरिस कल्यएव

अंग्रेजी सर पर ढोना डूब मरने के बराबर है। - सम्पूर्णानंद

💐देश को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है और वह भाषा है हिन्दी। - सेठ गोविंददास

💐इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिन्दी को समझते हैं। - राहुल सांकृत्यायन

💐समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिन्दी या हिन्दुस्तानी है। -सर जार्ज ग्रियर्सन

💐मुस्लिम शासन में हिन्दी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिन्दी पर। - चंद्रबली पांडेय

💐भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिन्दी है। - नलिनविलोचन शर्मा
 
💐जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह

💐यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिन्दी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय
 
💐अपनी सरलता के कारण हिन्दी स्वयं ही राष्ट्रभाषा हो गई है। - भवानीदयाल संन्यासी

💐यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाए? - चंद्रशेखर मिश्र

💐भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिन्दी भाषा का प्रचार है। - टी. माधवराव

💐हिन्दी हिन्द की, हम सबकी भाषा है। - र. रा. दिवाकर

💐यह संदेह निर्मूल है कि हिन्दी वाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

💐शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद

💐हमारी हिन्दी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह

💐वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। और हिन्दी इसमें समर्थ  है - पीर मुहम्मद मूनिस

💐भारतेंदु और द्विवेदी ने हिन्दी की जड़ें पाताल तक पहुँचा दी है, उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा। - शिवपूजन सहाय

💐यह निर्विवाद है कि हिन्दी भाषियों को उर्दू भाषा से कभी द्वेष नहीं रहा। - ब्रजनंदन दास

💐हिन्दी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय

💐देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। - रविशंकर शुक्ल

💐हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है। - राहुल सांकृत्यायन

💐नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री

💐अंग्रेजी से भारत की रक्षा नहीं हो सकती। - पं. कृ. पिल्लयार