⇒ अव्यय – जिन शब्दों के रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।
अव्यय के उदाहरण –
जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि।
अव्यय के भेद –
क्रिया-विशेषण अव्यय
संबंधबोधक अव्यय
समुच्चयबोधक अव्यय
विस्मयादिबोधक अव्यय
निपात अव्यय
हिंदी व्याकरण - अव्यय
1. क्रिया विशेषण अव्यय
जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे कहते हैं। जहाँ पर- यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण
वह यहाँ से चला गया।
घोडा तेज दौड़ता है।
अब पढना बंद करो।
बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।
वे लोग रात को पहुँचे।
सुधा प्रतिदिन पढती है।
वह यहाँ आता है।
रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।
सुमन सुंदर लिखती है।
मैं बहुत थक गया हूं।
हिंदी व्याकरण - अव्यय 04
क्रिया विशेषण के भेद -02
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय –
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।
जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है।
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो।
(iv) रमेश खूब पढ़ता है।
(v) तेज गाड़ी चल रही है।
(vi) सविता बहुत बोलती है।
(vii) कम खाओ।
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय –
जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय के उदाहरण
ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पर रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :-
जरा , सहज एवं धीरे चलिए।
हमारे सामने शेर अचानक आ गया।
कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया।
मोहन शीघ्रता से चला गया।
वह पैदल चलता है।
हिंदी व्याकरण - अव्यय 06
3. समुच्चयबोधक अव्यय –
जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। इन्हें योजक भी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।
जैसे :
और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक अव्यय होता है।
समुच्चयबोधक अव्यय के उदाहरण
सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे।
छुट्टी हुई और बच्चे भागने लगे।
किरन और मधु पढने चली गईं।
मंजुला पढने में तो तेज है परन्तु शरीर से कमजोर है।
तुम जाओगे कि मैं जाऊं।
माता जी और पिताजी।
मैं पटना आना चाहता था लेकिन आ न सका।
तुम जाओगे या वह आयेगा।
सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घर्णा करते हैं।
गीता गाती है और मीरा नाचती है।
यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद –
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
हिंदी व्याकरण - अव्यय 07
4. विस्मयादिबोधक अव्यय –
जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।
विस्मयादिबोधक अव्यय के उदाहरण
वाह! क्या बात है।
हाय! वह चल बसा।
आह! क्या स्वाद है।
अरे! तुम यहाँ कैसे।
छि:छि:! यह गंदगी।
वाह! वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
अहो! क्या बात है।
अहा! क्या मौसम हैं।
अरे! आप आ गये।
हाय! अब मैं क्या करूँ।
अरे! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे।
हाय! राम यह क्या हो गया।
भाव केआधार पर विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद :-
हर्षबोधक
शोकबोधक
विस्मयादिबोधक
तिरस्कारबोधक
स्वीकृतिबोधक
संबोधनबोधक
आशिर्वादबोधक
(1) हर्षबोधक :- जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ पर हर्षबोधक होता है।
(2) शोकबोधक :- जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ पर शोकबोधक आता है।
(3) विस्मयादिबोधक :- जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ पर विस्मयादिबोधक होता है।
(4) तिरस्कारबोधक :- जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ पर तिरस्कारबोधक होता है।
(5) स्वीकृतिबोधक :- जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ पर स्वीकृतिबोधक होता है।
(6) संबोधनबोधक :- जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ पर संबोधनबोधक होता है।
(7) आशीर्वादबोधक :- जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ पर आशिर्वादबोधक होता है।
5. निपात अव्यय किसे कहते हैं –
जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। इसे अवधारक शब्द भी कहते हैं। जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ पर निपात अव्यय होता है।
निपात अव्यय के उदाहरण –
प्रशांत को ही करना होगा यह काम।
सुहाना भी जाएगी।
तुम तो सनम डूबोगे ही , सब को डुबाओगे।
वह तुमसे बोली तक नहीं।
पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।
तुम उसे जानता भर हो।
राम ने ही रावण को मारा था।
रमेश भी दिल्ली जाएगा।
तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे।
राम ही लिख रहा है।
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