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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

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बाल विकास एक नजर ।।

 बाल्यावस्था 1 से 5 वर्ष  🟫

1.सीखने का आदर्श काल
2.जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल
3.अनुकरण से सीखने की अवस्था
4.क्षणिक संवेग की अवस्था
5.भावी जीवन की अधारशिला

 बाल्यावस्था 6 से 12 वर्ष  🟪

1.अनोखा काल
2.वैचारिक क्रिया अवस्था
3.मिथ्या परिपक्वता का काल
4.खेल की आयु
5.प्रतिबंधात्मक समाजीकरण का काल
6.प्रारंभिक विद्यालय की आयु

 किशोरावस्था 13 से 18 वर्ष 🟩

1.जीवन का सबसे कठिन काल
2.समस्याओं व उलझन की अवस्था
3.संवेगात्मक परिवर्तन की अवस्था
4.प्रबल दबाव व तनाव का काल
5.संघर्ष व तूफान की अवस्था
6.संक्रमण काल
7.सामाजिक स्वीकृति की अवस्था
8.घनिष्ठ मित्रता की अवस्था
9.तार्किक चिंतन की अवस्था

CDP Previous Year Question

1. एक बच्चा सदैव दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाता है। यह निम्न में से कौन - सी आदत कहलाती है ?
A. विचार संबंधी आदत
B. भावना संबंधी आदत
C. नाड़ी मंडल संबंधी आदत
D. नैतिक आदत
Ans ➺ B

2. इनमें से कौन-सा आकलन करने का सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है ?
A. आकलन शिक्षण-अधिगम में अंतर्निहित प्रक्रिया है।
B. आकलन एक शैक्षणिक सत्र में दो बार करना चाहिए-शुरू में और अन्त में ।
C. आकलन शिक्षक के द्वारा नहीं बल्कि किसी बाह्य एजेन्सी के द्वारा कराना चाहिए।
D. आकलन सत्र की समाप्ति पर करना चाहिए.
Ans ➺ A

3. बालक के निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक संपर्क का स्‍त्रोत सबसे प्रारंभिक और सबसे अधिक चलने वाला है ?
A. शिक्षक
B. परिवार
C. सहकर्मी
D. मित्र
Ans ➺ B

4. सृजनात्मकता से सम्बन्धित निम्न में से कौन-सा है ?
A. अभिसारी चिंतन
B. सांवेगिक चिन्तन
C. अहंवादी चिंतन ।
D. अपसारी चिंतन
Ans ➺ D

5. इनमें से कौन सा भाषा के विकास को प्रभावित नहीं करता है ?
A. परिपक्वता
B. अभिप्रेरणा
C. स्‍वास्‍थ्‍य
D. लम्बाई या वजन
Ans ➺ D

6. बच्चों के बारे में निम्नलिखित में से किस कथन से वाइगोत्सकी सहमत होते ?
A. बच्चे तब सीखते हैं जब उनके लिए आकर्षक पुरस्कार निर्धारित किए जाएँ।
B. बच्चों के चिंतन को तब समझा जा सकता है जब प्रयोगशाला में पशुओं पर प्रयोग किए जाएँ।
C. बच्चे जन्म से शैतान होते हैं और उन्हें दण्ड देकर नियन्त्रित किया जाना चाहिए।
D. बच्चे समवयस्कों और वयस्कों के साथ सामाजिक अन्त:क्रियाओं के माध्यम से सीखते है।
Ans ➺ D

7. कोहलबर्ग के सिद्धांत के अनुसार कौन सी अवस्था पर एक व्‍यक्ति का निर्णय दूसरों के अनुमोदन, पारिवारिक आकांक्षाओं, पारंपरिक मूल्यों एवं समाज के नियमों पर आधारित है ?
A. पूर्व पारम्परिक
B. पारम्परिक
C. पश्च पारम्परिक
D. पूर्व-पश्चिम पारम्परिक
Ans ➺ B

8. निम्नलिखित में से बच्चे कैसे होते हैं ?
A. चिन्तन में वयस्कों की भाँति ही होते हैं और ज्यों-ज्यों वे बड़े होते हैं उनके चिन्तन में गुणात्मक वृद्धि होती है।
B. खाली बर्तन के समान होते हैं जिसमें बड़ों के द्वारा दिया गया ज्ञान भरा जाता है।
C. निष्क्रिय जीव होते हैं जो प्रदत्त सूचना को ज्यों-की-त्यों प्रतिलिपि के रूप में प्रस्तुत कर देते हैं।
D. जिज्ञासु प्राणी होते हैं जो अपने चारों ओर के जगत को खोजने के लिए अपने ही तर्कों और क्षमताओं का उपयोग करते हैं
Ans ➺ D

9. बालक के भाषा विकास में मुख्य योगदान देने वाली संस्था निम्न में से कौन - सी है ?
A. परिवार
B. विद्यालय
C. जनसंचार माध्‍यम
D. पत्र – पत्रिकाएँ
Ans ➺ A

10. बच्चों की त्रुटियों के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सत्य है ?
A. बच्चों की त्रुटियाँ उनके सीखने की प्रक्रिया का अंग हैं।
B. बच्चे तब त्रुटियाँ करते हैं जब शिक्षक सौम्य हो और उन्हें त्रुटियाँ करने पर दण्डन देता हो।
C. बच्चों की त्रुटियाँ शिक्षक के लिए महत्वहीन हैं और उसे चाहिए। कि उन्हें काट दे और उन पर अधिक ध्यान न दें
D. असावधानी के कारण बच्चे त्रुटियाँ करते हैं।
Ans ➺ A 

11. निम्‍नलिखित में से कौन सी संज्ञानात्मक प्रक्रिया है ?
A. खेलना
B. प्रतिवर्ती क्रियाएं
C. चिंतन
D. दौड़ना
Ans ➺ C

12. अध्यापक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी कक्षा के सभी शिक्षार्थी अपने आपको स्वीकृत और सम्मानित समझें। इसके लिए शिक्षक को क्या चाहिए ?
A. वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों का तिरस्कार करे ताकि वे अनुभवकरें कि उन्हें अधिक कठोर परिश्रम करना है।
B. उन शिक्षार्थियों का पता लगाएज़ों अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हों और सम्पन्न घरों से हों तथा उन्हें आदर्श के रूप में प्रस्तुत करे
C. अपने शिक्षार्थियों की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की जानकारी प्राप्त करे और कक्षा में विविध मतों को प्रोत्साहित करें
D. कड़े नियम बनाए और जो बच्चे उनके पालन न करें उन्हें दण्ड दे
Ans ➺ C

13. निम्न में से कौन से आयु समूह के लिए एरिक्सन ने विकास की आठ अवस्थाएं प्रस्तावित की है ?
A. जन्म से मृत्यु तक
B. जन्म से बाल्‍यावस्‍था तक
C. जन्म से किशोरावस्था तक
D. जन्म से युवावस्था तक
Ans ➺ A

14. सुरेश सामान्य रूप से एक शांत कमरे में अकेले पढ़ना चाहता है, जबकि मदन एक समूह में अपने मित्रों के साथ पढ़ना चाहता है। यह निम्नलिखित में से किसके विभिन्नता के कारण होता है ?
A. अभिक्षमता
B. अधिगम शैली
C. परावर्तकता-स्तर
D. मूल्यों
Ans ➺ B

15. निम्न में से कौन - सी शैशवावस्था की विशेषता नहीं है ?
A. शारीरिक विकास की तीव्रता
B. मानसिक क्रियाओं की तीव्रता
C. दूसरों पर निर्भरता
D. नैतिकता का होना
Ans ➺ D

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बाल मनोविज्ञान से संबंधित प्रश्नोत्तर।।

1. किसी शिक्षक के लिए सबसे ज्यादा जरुरी क्या है ?
(A) कक्षा में अनुशासन बनाए रखना
(B) एक सुवक्ता होना
(C) विद्यार्थियों की कठिनाइयों को दूर करना
(D) कक्षा में समयानुवर्ती होना
Ans ➺ C 

2. निम्नलिखित में से बचपन का सांप्रतिक दृष्टिकोण की मान्यता क्या होता है ?
(A) बहुत तरीके से बच्चे प्राप्त वयस्कों के बराबर होते हैं
(B) बच्चों को युवा प्राप्तवयस्कों के रूप में सबसे अच्छा माना जाता है
(C) बचपन आधारिक रूप से प्रतीक्षा अवधि है
(D) बचपन वृद्धि एवं परिवर्तन की एक अनूठी अवधि है
Ans ➺ D 

3. असंगठित घर से आनेवाला बच्चा सबसे अधिक कठिनाई का अनुभव किसमें महसूस करेगा ?
(A) सुनिर्मित पाठों में
(B) अभ्यास पुस्तिकाओं में
(C) नियोजित निर्देश में
(D) स्वतंत्र अध्ययन में
Ans ➺ D 

4. चरित्र का विकास किसके द्वारा होता है ?
(A) इच्छाशक्ति द्वारा
(B) नैतिकता द्वारा
(C) बर्ताव एवं व्यवहार द्वारा
(D) ये सभी
Ans ➺ D 

5. शिक्षक का बर्ताव कैसा होना चाहिए ?
(A) प्रशासनात्मक
(B) निदेशात्मक
(C) आदर्शवादी
(D) शिक्षाप्रद
Ans ➺ C 

6. बालिकाओं के शिक्षा को महत्त्व देने का उचित कारण क्या है ?
(A) बालिकाएँ बालकों से अधिक बुद्धिमती हैं
(B) अतीत में बालिकाओं को बुरी तरह से विभेदित किया जाता था
(C) किसी सामाजिक परिवर्तन के नेतृत्व में केवल बालिकाएँ समर्थ हैं ?
(D) बालिकाएँ बालकों से अल्पसंख्यक हैं
Ans ➺ C 

7. यदि कोई विद्यार्थी आपका सम्मान नहीं करता है तो शिक्षक को क्या करना चाहिए ?
(A) उसे डांटेंगे
(B) उसकी उपेक्षा करेंगे
(C) परीक्षा में कम अंक देंगे
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans ➺ D 

8. किस अवस्था में बच्चे अपने समकक्षी वर्ग के सक्रिय सदस्य बन जाते हैं ?
(A) किशोरावस्था
(B) वयस्कावस्था
(C) प्राक बाल्यावस्था
(D) बाल्यावस्था
Ans ➺ A 

9. किसी सामान्य 12 वर्ष के बच्चे में सबसे अधिक क्या होना संभव है ?
(A) कुल प्रेरक समन्वय में कठिनाई
(B) समकक्षी के अनुमोदन के लिए बेचैनी
(C) अब और यहाँ में उसकी रुचियों को सीमित करना
(D) वयस्कों को खुश करने के बारे में दुश्चिन्ता की अनुभूति
Ans ➺ B 

10. किसी विद्यार्थी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या होती है ?
(A) उत्तरदायित्व की अनुभूति
(B) आज्ञाकारिता
(C) सहभागिता
(D) ईमानदारी
Ans ➺ B 

11. बुनियादी स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा देना क्यों बेहतर होता है ?
(A) बच्चों में आत्मविश्वास का विकास करेगा
(B) प्राकृतिक वातावरण में बच्चों को सीखने में सहायता करेगा
(C) बौद्धिक विकास में सहायता करेगा
(D) अधिगम को सरल बनाएगा
Ans ➺ B 

12. शिक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए ?
(A) विद्यार्थियों में व्यावसायिक कुशलता का विकास करना
(B) व्यावहारिक जीवन के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना
(C) विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए तैयार करना
(D) विद्यार्थियों में सामाजिक जागरूकता का विकास करना
Ans ➺ B 

13. किस अवस्था को खिलौनों की आयु कहा जाता है ?
(A) पूर्व बाल्यावस्था को
(B) शैशवावस्था को
(C) उत्तर बाल्यावस्था को
(D) ये सभी
Ans ➺ A 


14. उत्तर बाल्यावस्था में किस आवश्यक तत्व में बालक भौतिक वस्तुओं के बदलाव समझने लगते हैं ?
(A) द्रव्यमान
(B) द्रव्यमान और संख्या
(C) संख्या
(D) द्रव्यमान, संख्या और क्षेत्र
Ans ➺ B

15. उत्तर बाल्यावस्था में किस आवश्यक तत्व में बालक भौतिक वस्तुओं के बदलाव समझने लगते हैं ?
(A) द्रव्यमान
(B) द्रव्यमान और संख्या
(C) संख्या
(D) द्रव्यमान, संख्या और क्षेत्र
Ans ➺ B

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बाल मनोविज्ञान विशेष महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी ।।

प्रश्‍न 1 – बालक के विकास की दशा कैसी होती है।
उत्‍तर – सिर से पैर की ओर 
( इसे केन्‍द्र से बाहर की ओर )
( सामान्‍य से विशिष्‍ट की ) 

प्रश्‍न 2 – विश्‍लेषणात्‍मक मनोविज्ञान के जनक कौन है।
उत्‍तर – सिगमंंडफ्रायड

प्रश्‍न 3 – तूफान की अवस्‍था किसे कहा जाता है।
उत्‍तर – किशोर अवस्‍था को

प्रश्‍न 4 – किशोर अवस्‍था को तूफान अवस्‍था किसने कहां ।
उत्‍तर – स्‍टेनले हाल

प्रश्‍न 5 – नैतिक विकास का सिद्धान्‍त किसने दिया।
उत्‍तर – कोहलवर्ग ने

प्रश्‍न 6 – मूल प्रवृत्ति का सिद्धान्‍त किसने दिया।
उत्‍तर – मैकडूगल ( 14 मूल प्रवृतियां बताई )

प्रश्‍न 7 – संवेग क्‍या है
उत्‍तर – मन की उत्‍तेजित दशा को संवेग कहते है
जैसे – क्रोध , खुशी

प्रश्‍न 8 – व्‍यक्तित्‍व का स्‍व: सिद्धान्‍त किसने दिया।
उत्‍तर – कार्लरोजर ने

प्रश्‍न 9 – सीखने का सिद्धान्‍त किसने दिया।
उत्‍तर – थार्नडाइक ने

प्रश्‍न 10 – खेल पद्धत्ति के जनक कौन है।
उत्‍तर – किल पैट्रिक 

प्रश्‍न 11 – ह्यूरिस्टिक पद्धत्ति के जनक कौन है।
उत्‍तर – आर्म स्‍ट्रांग

प्रश्‍न 12 – प्रोजक्‍ट पद्धत्ति के जनक कौन है।
उत्‍तर – जॉनडेवी

प्रश्‍न 13 – अस्‍थाई मानव दांत कितने होते है।
उत्‍तर – 20

प्रश्‍न 14 – शिशु के मस्तिष्‍क का वजन कितना होता है।
उत्‍तर – लगभग 350 ग्राम

प्रश्‍न 15 – मनुष्‍य के मस्तिष्‍क का वजन कितना होता है।
उत्‍तर – लगभग 1400 ग्राम 

प्रश्‍न 16 – जीनप्‍याजे ने जिनेवा मे किसकी स्‍थापना की ।
उत्‍तर – लेवोरट्री स्‍कूल की स्‍थापना की जिसमें उन्‍होनें मनोविज्ञान के कई प्रयोग किये ।

प्रश्‍न 17 – जीनप्‍याजे के द्वारा रचित पुस्‍तक का नाम क्‍या है।
उत्‍तर – द लैंग्वेज एण्‍ड थाट ऑफ द चाइल्‍ड
यह पुस्‍तक उन्‍होनें 1923 में लिखी थी।

प्रश्‍न 18 – जीनप्‍याजे ने संज्ञानात्‍मक विकास को ध्‍यान में रखते हुये बालक की कितनी अवस्‍था बतलाई ।
उत्‍तर – जीनप्‍याजे ने संज्ञानात्‍मक विकास को ध्‍यान में रखते हुये बालक की 4 अवस्‍था बतलाई ।

1.संवेदी गत्‍यात्‍मक अवस्‍था      
 ( जन्‍म से 2 वर्ष तक )
2. पूर्व संक्रियात्‍मक अवस्‍था          
 ( 2 से 7 वर्ष तक )
3. ठोस/मूर्त संक्रियात्‍मक अवस्‍था  
  ( 7 से 11 वर्ष तक )
4. औपचारिक संक्रियात्‍मक अवस्‍था
  ( 11 से 18 वर्ष तक )

प्रश्‍न 19 – संवेदी गत्‍यात्‍मक अवस्‍था को और किस नाम से जाना जाता हैा
उत्‍तर – इंद्रीयजन ज्ञान की अवस्‍था

प्रश्‍न 20 – अधिगम अन्‍तरण से क्‍या तात्‍पर्य है।
उत्‍तर –किसी पूर्व ज्ञान के आधार पर नये ज्ञान को सीखना ही अधिगम अन्‍तरण कहलाता है।
उदा. – साईकल चलाने वाला व्‍यक्ति स्‍कूटर चलाना जल्‍दी सीख जाता है।

प्रश्‍न 21 – अधिगम अन्‍तरण कितने प्रकार के होते है।
उत्‍तर – अधिगम अन्‍तरण तीन प्रकार के होते है।
1. धनात्‍मक अन्‍तरण
2. शून्‍य अन्‍तरण
3. ऋणात्‍मक अन्‍तरण

प्रश्‍न 22 – धनात्‍मक अन्‍तरण कितने प्रकार का होता है।
उत्‍तर – धनात्‍मक अन्‍तरण 3 प्रकार का होता है।
1. क्षैतिज समान्‍तर
2. उर्ध्‍व ( लम्‍बवत् )
3. द्विपार्शिवक

प्रश्‍न 23 – गणित सम्‍बन्‍धी विकार को क्‍या कहते है।
उत्‍तर – डिस्‍कैल्‍कुलिया।

प्रश्‍न 24 – पढने सम्‍बन्‍धी विकार को क्‍या कहते है।
उत्‍तर – डिस्‍लैक्सिया

प्रश्‍न 25 – लिखने सम्‍बन्‍धी विकार को क्‍या कहते है।
उत्‍तर – डिस्‍ग्राफिया


प्रश्‍न 26 - अपने छात्रों को दण्डित करने के लिए आप
उत्‍तर - सर्वप्रथम उन्‍हें समझायेंगे उसके उपरान्‍त उनके बारे में निर्णय लेंगे

प्रश्‍न 27 - जब आप कक्षा में शिक्षण करते हैं तो कक्षा में ------------- भी साथ साथ चलना चाहिए
उत्‍तर - अशाब्दिक विचार सम्‍प्रेषण

प्रश्‍न 28 - शिक्षण के समय विचार सम्‍प्रेषण द्रारा छात्रों पर प्रभाव डाला जा सकता है
उत्‍तर - मनोवैज्ञानिक

प्रश्‍न 29 - छात्रों में भाषा के उचित विेकास हेतु अधिक प्रभावशाली है
उत्‍तर - प्रोजैक्‍टर की

प्रश्‍न 29 - ज्ञानात्‍मक स्‍तर पर पढाते समय अध्‍यापक को पढाना चाहिए-
उत्‍तर - सरल और सुगमतापूर्वक

प्रश्‍न 30 - प्रयोगात्‍मक परीक्षाएं आयोजित करने का मुख्‍य उदेश्‍य है
उत्‍तर - अवलोकन और यथार्तता की कार्यकुशलता की जांच करना

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Western Philosophy:-

प्लेटो के अनुसार, आत्मा हमेशा उन रूपों को याद रखने की क्षमता रखती है जो वह एक बार उनसे समझ लेती है, इसे कब भंग किया गया था, और यह कि हम जिस जीवन का नेतृत्व करते हैं वह कुछ हद तक एक दंड या पुरस्कार होता है जो हमने पिछले अस्तित्व में किए गए विकल्पों के लिए किया है।

टॉप क्लासिकल वेस्टर्न फिलॉसफी एम सी क्यू और उत्तर 

शास्त्रीय पश्चिमी दर्शन बहुविकल्पीय प्रश्न
1. थेल्स के अनुसार इस ब्रह्मांड का मूल सिद्धांत है——-
ए। पानी

बी। आग

सी। वायु

डी। ईथर

जवाब:
ए। पानी

2. थेल्स एक——दार्शनिक हैं
ए। आयरिश

बी। यहूदी

सी। अरब

डी। जर्मन

जवाब:
ए। आयरिश

3.———सात ज्ञानियों में गिना जाता था
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। थेल्स

डी। अरस्तू

जवाब:
सी। थेल्स

4. चीजों का आर्क एपीरॉन है, जिसके अनुसार ——
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। कहानियों

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
डी। अनाक्सीमैंडर

5.Anaximenes के अनुसार- पहला सिद्धांत है
ए। आग

बी। पानी

सी। अनंत

डी। वायु

जवाब:
डी। वायु

6. किसने कहा कि संख्या सभी चीजों का सार और आधार है?
ए। डेसकार्टेस

बी। पाइथागोरस

सी। अनाक्सागोरस

डी। कांत

जवाब:
बी। पाइथागोरस

7. पश्चिमी दर्शन के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?
ए। थेल्स

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
ए। थेल्स

8. अरस्तू को श्रेय दिया जाता है ———
ए। गणितीय तर्क

बी। प्रतीकात्मक तर्क

सी। न्यायशास्त्रीय तर्क

डी। इनमे से कोई भी नहीं

जवाब:
सी। न्यायशास्त्रीय तर्क

9. परमाणुओं के सिद्धांत की वकालत किसने की?
ए। प्लेटो

बी। डेमोक्रिटस

सी। थेल्स

डी। लाइबनिट्ज़

जवाब:
बी। डेमोक्रिटस

10. मुख्य परमाणुवादी कौन है?
ए। लाइबनिट्ज़

बी। ल्यूसिपस

सी। पाइथागोरस

डी। केपलर

जवाब:
बी। ल्यूसिपस

11. प्रोटागोरस एक है ——दार्शनिक
ए। मिथ्या हेतुवादी

बी। अध्यात्मवादी

सी। धार्मिक

डी। आदर्शवादी

जवाब:
ए। मिथ्या हेतुवादी

12.मनुष्य सभी चीजों का मापक है, के अनुसार ——
ए। थेल्स

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
डी। प्रोटागोरस

13. डेमोक्रिटस और ल्यूसिपस किस स्कूल से संबंधित हैं?
ए। Ionian

बी। परमाणुवादी

सी। आदर्शवादी

डी। इलेटिक

जवाब:
बी। परमाणुवादी

14. —– एथेनियन पैदा हुए पहले दार्शनिक थे
ए। थेल्स

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। सुकरात

जवाब:
डी। सुकरात

15. ज्ञान संबंधित है
ए। प्रोटागोरस

बी। पाइथागोरस

सी। अनाक्सीमैंडर

डी। थेल्स

जवाब:
ए। प्रोटागोरस

16. आदर्शवाद एक व्यवस्थित दर्शन है जो की सर्वोच्चता सिखाता है
ए। पदार्थ पर आत्मा

बी। ईश्वर

सी। नौमेना

डी। भौतिकवाद

जवाब:
ए। पदार्थ पर आत्मा

17. मैयूटिक विधि किसके द्वारा है ——दार्शनिक
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सुकरात

डी। डेमोक्रिटस

जवाब:
सी। सुकरात

18. किसने कहा कि बिना जांचे-परखे जीवन जीने लायक नहीं है?
ए। चिंतामन्दर

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
सी। सुकरात

19. सुकरात एक प्रमुख ——दार्शनिक हैं
ए। यूनानी

बी। दंभी

सी। जर्मन

डी। फ्रेंच

जवाब:
ए। यूनानी

20. "स्वयं को जानो" किसका सिद्धांत है?
ए। प्लेटो

बी। थेल्स

सी। प्रोटागोरस

डी। सुकरात

जवाब:
डी। सुकरात

21. सुकरात किसके गुरु हैं ——–
ए। डेमोक्रिटस

बी। सोफिस्ट

सी। प्लेटो
डी। पाइथागोरस

जवाब:
सी। प्लेटो

22.—- बातचीत के माध्यम से सच्चाई खोजने की द्वंद्वात्मक पद्धति का आविष्कार किया
ए। सुकरात

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। सब सच हैं

जवाब:
ए। सुकरात

23. "सभी पश्चिमी दर्शन में प्लेटो के लिए फुटनोट्स की एक श्रृंखला शामिल है।" किसने कहा?
ए। सुकरात

बी। अरस्तू

सी। डेसकार्टेस

डी। अल्फ्रेड उत्तर व्हाइटहेड

जवाब:
डी। अल्फ्रेड उत्तर व्हाइटहेड

24. एथेंस जहां प्लेटो ने स्थापित किया ——, पश्चिमी दुनिया का पहला विश्वविद्यालय
ए। लिसेयुम

बी। द्वंद्ववाद

सी। अकादमी

डी। सब सच हैं

जवाब:
सी। अकादमी

25.अपने प्रसिद्ध "गुफा के रूपक" में —— एक कहानी से संबंधित है जो अज्ञान से ज्ञान तक आत्मा की यात्रा को दर्शाती है।
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सुकरात

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
ए। प्लेटो

26. गणतंत्र किसकी प्रसिद्ध कृति है———
ए। सुकरात

बी। थेल्स

सी। प्लेटो

डी। सार्त्र

जवाब:
सी। प्लेटो
27. विचारों के सिद्धांत में निहित सत्य का सिद्धांत किसका दर्शन है?
ए। सुकरात

बी। पाइथागोरस

सी। अरस्तू

डी। प्लेटो

जवाब:
डी। प्लेटो

28. विचारों की दुनिया और भौतिक दुनिया को किसने प्रतिष्ठित किया?
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। अरस्तू

डी। कांत

जवाब:
ए। प्लेटो

29.अरस्तू ने अपने काम में सत्य के सिद्धांत का उल्लेख किया—––
ए। विश्लेषणात्मक

बी। आचार विचार

सी। ज्ञान-मीमांसा

डी। तत्त्वमीमांसा

जवाब:
डी। तत्त्वमीमांसा

30. प्लेटो के लिए, —- भौतिक संसार से परे शाश्वत विचार हैं।
ए। फार्म

बी। द्वंद्ववाद

सी। तथ्य

डी। ज्ञान-विज्ञान

जवाब:
ए। फार्म

31. संगोष्ठी किसने लिखी?
ए। थेल्स

बी। अरस्तू

सी। प्लेटो

डी। अनाक्सागोरस

जवाब:
सी। प्लेटो

32. अरस्तू किसका छात्र था?
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। प्रोटागोरस

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
ए। प्लेटो

33. एथेंस में लिसेयुम नामक एक स्कूल की स्थापना किसने की थी।
ए। अरस्तू

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। सोफिस्ट

जवाब:
ए। अरस्तू

34. "बिना द्रव्य के कोई रूप नहीं है और बिना रूप के कोई द्रव्य नहीं है।"
ए। ल्यूसिपस

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
डी। अरस्तू

35. पदार्थ वह पदार्थ है जिससे संसार में सब कुछ बना है - का कथन है-
ए। अनाक्सागोरस

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। सुकरात

जवाब:
सी। अरस्तू

36. हर चीज में बदलाव को नियंत्रित करने वाले चार कारणों की खोज किसने की?
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सेंट ऑगस्टाइन

डी। सेंट एंसेल्म

जवाब:
बी। अरस्तू

37. कौन मानता था कि भगवान ने दुनिया को कुछ भी नहीं बनाया और भगवान द्वारा दुनिया को बनाने से पहले कुछ भी अस्तित्व में नहीं था?
ए। अनाक्सीमैंडर

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

जवाब:
डी। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

38. परमेश्वर का शहर किसका कार्य है—-
ए। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। पाइथागोरस

जवाब:
ए। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

39. किसने कहा कि विश्वास और तर्क के माध्यम से हम "प्राकृतिक धार्मिक सत्य" तक पहुँच सकते हैं।
ए। सुकरात

बी। सेंट थॉमस एक्विनास

सी। नीतिज्ञ

डी। परमाणुवादी

जवाब:
बी। सेंट थॉमस एक्विनास

40. सुम्मा थियोलॉजिका का कार्य है ———
ए। प्लेटो

बी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

सी। अनुसूचित जनजाति। थॉमस एक्विनास

डी। थेल

जवाब:
सी। अनुसूचित जनजाति। थॉमस एक्विनास

41. ——- ने सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी की
ए। थेल्स

बी। पाइथागोरस

सी। सुकरात

डी। प्लेटो

जवाब:
ए। थेल्स

42. पहला मीलियन भौतिकवादी दार्शनिक कौन था?
ए। हेराक्लीटस

बी। अनाक्सीमैंडर

सी। पाइथागोरस

डी। थेल्स

जवाब:
डी। थेल्स

43. थेल्स के दर्शन का प्रमुख स्रोत है
ए। प्लेटो

बी। पाइथागोरस

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
डी। अरस्तू

44.किसने कहा कि जीवित चीजें हमेशा नम होती हैं?
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। कहानियों

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
सी। कहानियों

45. Anaximander संबंधित है ——–
ए। स्टैगिरा

बी। मिलेटस

सी। समोसे

डी। सब झूठे हैं

जवाब:
बी। मिलेटस

46. ​​मील्सियन दार्शनिकों को ……………………….. के रूप में जाना जाता था।
ए। प्राकृतिक दार्शनिक

बी। तर्कवादी

सी। अनुभवतावादियों

डी। परमाणुवादी

जवाब:
ए। प्राकृतिक दार्शनिक

47. एनाक्सीमैंडर, एक दार्शनिक आया था ——
ए। अनैक्सीमेनेस

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। थेल्स

जवाब:
डी। थेल्स

48. एनाक्सीमैंडर में एपिरॉन का अर्थ है--
ए। औपचारिक तर्क

बी। अनंत

सी। एडोस

डी। हील

जवाब:
बी। अनंत

49. Anaximander की ब्रह्मांड विज्ञान a . को जन्म देती है
ए। सूर्य केंद्रीय

बी। टेलिअलोजिकल

सी। पृथ्वी को केन्द्र मानकर विचार किया हुआ

डी। ईश्वर

जवाब:
सी। पृथ्वी को केन्द्र मानकर विचार किया हुआ

50. किसने कहा कि शुरुआत में मनुष्य एक अलग जानवर, अर्थात् मछली के समान था।
ए। अनाक्सीमैंडर

बी। ल्यूसिपस

सी। पाइथागोरस

डी। थेल्स

जवाब:
ए। अनाक्सीमैंडर

51. माइल्सियन स्कूल के विचारक किसके विचारक थे--
ए। तत्त्वमीमांसा

बी। प्रकृति

सी। धर्म

डी। आदर्शवाद

जवाब:
बी। प्रकृति

52. पाइथागोरस का जन्म कब हुआ था——–
ए। समोसे

बी। इओना

सी। एथेंस

डी। सब झूठे हैं

जवाब:
ए। समोसे

53.अमरता, प्रवास और आत्माओं के पुनर्जन्म में कौन विश्वास करता था?
ए। आयनियों

बी। परमाणुवादी

सी। पाइथागोरस

डी। इलेटिक

जवाब:
सी। पाइथागोरस

54. मांस और बीन्स के खिलाफ विभिन्न आहार प्रतिबंधों को किसने शामिल किया।
ए। थेल्स

बी। पाइथागोरस

सी। अनाक्सीमैंडर

डी। सुकरात

जवाब:
बी। पाइथागोरस

55. पाइथागोरसवाद के केंद्र में यह विचार है कि ——— खाते भौतिक चीजों पर पूर्वता लेते हैं।
ए। नंबर

बी। शून्य

सी। संगीत

डी। ईश्वर

जवाब:
ए। नंबर

56.विश्व का क्रम एक सामंजस्य का परिणाम है, जिसे संख्यात्मक अनुपातों में समाहित करने के लिए भी सोचा गया था, का दर्शन है
ए। पदार्थ पर आत्मा

बी। यथार्थवाद

सी। पाइथागोरस

डी। भौतिकवाद

जवाब:
सी। पाइथागोरस

57. ——एक दार्शनिक हैं जिन्होंने मन और पदार्थ के बीच अंतर किया
ए। अनाक्सागोरस
बी। थेल्स

सी। सुकरात

डी। डेमोक्रिटस

जवाब:
ए। अनाक्सागोरस

58. किसने कहा कि सब कुछ पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल का मिश्रण है
ए। अनाक्सीमैंडर

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अनाक्सागोरस

जवाब:
डी। अनाक्सागोरस

59.——- दार्शनिक अनाक्सागोरस का मुख्य स्रोत है
ए। सुकरात

बी। पाइथागोरस

सी। प्लेटो

डी। हेरोडोटस

जवाब:
सी। प्लेटो

60. —— ने एथेनियन लोकतंत्र को शक्ति और भव्यता दी
ए। पेरिक्लेस

बी। थेल्स

सी। प्रोटागोरस

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
ए। पेरिक्लेस

61. ——अनक्सगोरस द्वारा अपने दर्शन में पेश किया गया एक महत्वपूर्ण तत्व है और यह गति का कारण है।
ए। परिवर्तन

बी। ईश्वर

सी। मामला

डी। मन/नाउस

जवाब:
डी। मन/नाउस

62. परमाणुवादी अंतिम सुकराती हैं और वे अनुसरण करते हैं--
ए। फिसिस

बी। धर्म

सी। थेइज़्म

डी। आदर्शवाद

जवाब:
ए। फिसिस

63. परमाणु शब्द का अर्थ है--
ए। कटटेबल

बी। थीसिस

सी। विलोम

डी। काटा न जा सकने वाला

जवाब:
डी। काटा न जा सकने वाला

64. —— को ल्यूसिप्पुस का शिष्य माना जाता है
ए। प्रोटागोरस

बी। डेमोक्रिटस

सी। अनाक्सीमैंडर

डी। प्लेटो

जवाब:
बी। डेमोक्रिटस

65. —— कहते हैं कि सभी चीजों में एक ही तरह का पदार्थ होता है जो छोटे कणों में टूट जाता है।
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। परमाणुवादी

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
सी। परमाणुवादी

66.जिन्होंने दावा किया कि दो मूलभूत प्रकार के तत्व हैं: परमाणु और शून्य।
ए। सुकरात

बी। परमाणुवादी

सी। प्लेटो

डी। आदर्शवादी

जवाब:
बी। परमाणुवादी

67. किसने माना कि परमाणु इतने छोटे हैं कि अदृश्य हो सकते हैं?
ए। डेमोक्रिटस

बी। पाइथागोरस

सी। अरस्तू

डी। प्लेटो

जवाब:
ए। डेमोक्रिटस

68.सोफिया जिसका अर्थ है--
ए। बुद्धिमत्ता

बी। भाषण

सी। गतिविधि

डी। संकल्पना

जवाब:
ए। बुद्धिमत्ता

69. प्रोटागोरस का मूल निवासी ———उत्तर-पूर्व यूनान में
ए। क्लैज़ोमेन

बी। समोसे

सी। स्टैगिरा

डी। अब्देरा

जवाब:
डी। अब्देरा

70. पेशेवर सोफिस्टों में से पहला कौन था?
ए। सुकरात

बी। डेमोक्रिटस

सी। प्रोटागोरस

डी। प्लेटो

जवाब:
सी। प्रोटागोरस

71. किसने कहा कि अच्छा बोलने के बजाय अच्छा सोचो?
ए। थेल्स

बी। अरस्तू

सी। प्लेटो

डी। सुकरात

जवाब:
डी। सुकरात

72. सत्य और देवताओं पर हैं ——-
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। प्रोटागोरस

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
सी। प्रोटागोरस

73. —— अच्छी तरह सोचने के बजाय, सार्वजनिक बोलने से अधिक चिंतित थे।
ए। पदार्थवादी

बी। तर्कवादी

सी। आदर्शवादियों

डी। सोफिस्ट

जवाब:
डी। सोफिस्ट

74. मनुष्य सभी चीजों का मापक है, कहता है--
ए। ल्यूसिपस

बी। प्रोटागोरस

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
बी। प्रोटागोरस

75.मैयुटिक का अर्थ है--
ए। दाई का काम

बी। द्वंद्वात्मक

सी। अवधारणात्मक

डी। सार्वभौमिक

जवाब:
ए। दाई का काम

76. ——कहते हैं कि ज्ञान ज्ञाता और ज्ञात वस्तु के बीच एक समायोजन है
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। प्रोटागोरस

डी। सेंट एंसेल्म

जवाब:
सी। प्रोटागोरस

77. ——स्व-शिक्षित दार्शनिक के रूप में जाने जाते थे
ए। अनाक्सीमैंडर

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

जवाब:
सी। सुकरात

78. स्ट्रीट जीनियस दार्शनिक के रूप में किसे जाना जाता था?
ए। सुकरात

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। पाइथागोरस

जवाब:
ए। सुकरात

79.दार्शनिक प्रवृत्ति और विडंबना की दार्शनिक पद्धति के लेखक कौन थे?
ए। सुकरात

बी। एक्विनास

सी। प्लेटो

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
ए। सुकरात

80. किसने कहा कि बुद्धिमान होने का पहला कदम यह स्वीकार करना है कि कोई बुद्धिमान नहीं है।
ए। प्लेटो

बी। एन्सेल्म

सी। सुकरात

डी। थेल्स

जवाब:
सी। सुकरात

81. —— के अनुसार ज्ञान पुण्य है और अज्ञान उपाध्यक्ष है
ए। थेल्स

बी। प्लेटो

सी। पाइथागोरस

डी। सुकरात

जवाब:
डी। सुकरात

82. किसने कहा कि जैसे गुण ज्ञान है, वैसे ही गुण सोचा जा सकता है?
ए। ल्यूसिपस

बी। प्रोटागोरस

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
सी। सुकरात

83.सुकरात के अनुसार सर्वोच्च आदर्श है-
ए। मामला

बी। द्वंद्वात्मक

सी। बयान

डी। नैतिक गुण

जवाब:
डी। नैतिक गुण

84. संकल्पना का अर्थ है ——
ए। प्रलय

बी। विचार

सी। नैतिक गुण

डी। विशिष्ट

जवाब:
बी। विचार

85. अरस्तू के गुरु हैं -
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। अकादमी

डी। लिसेयुम

जवाब:
ए। प्लेटो

86. अकादमी के संस्थापक कौन थे?
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सुकरात

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
ए। प्लेटो

87. माफी किसका प्रसिद्ध कार्य है ———
ए। सुकरात

बी। थेल्स

सी। प्लेटो

डी। सार्त्र

जवाब:
सी। प्लेटो

88. पारलौकिक दुनिया में निहित अवधारणाएँ ——– का दर्शन है
ए। सुकरात

बी। पाइथागोरस

सी। अरस्तू

डी। प्लेटो

जवाब:
डी। प्लेटो

89. ज्ञान और डोक्सा में अंतर किसने किया?
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। अरस्तू

डी। कांत

जवाब:
ए। प्लेटो

90. रूपों/विचारों/अवधारणाओं/सार का सिद्धांत किसका दर्शन है?
ए। अरस्तू

बी। प्लेटो

सी। थेल्स

डी। पाइथागोरस
जवाब:
बी। प्लेटो

91. प्लेटो ने लिखा ——संवाद
ए। 37

बी। 24

सी। 34

डी। 35

जवाब:
सी। 34

92. थियेटेटस किसने लिखा था?
ए। थेल्स

बी। अरस्तू

सी। प्लेटो

डी। अनाक्सागोरस

जवाब:
सी। प्लेटो

93. किसने कहा कि सच्चा ज्ञान वैचारिक स्तर पर निहित है?
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। प्रोटागोरस

डी। अनाक्सीमैंडर

जवाब:
बी। अरस्तू

94.——कहा गया कि सर्वोत्तम संभव राजनीतिक व्यवस्था (राज्य) पर दार्शनिकों का शासन होगा।
ए। अरस्तू

बी। सोफिस्ट

सी। सुकरात

डी। प्लेटो

जवाब:
डी। प्लेटो

95. किसका दर्शन है कि जो ज्ञान, अज्ञान और मत के बीच का अंतर जानता है
ए। ल्यूसिपस

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
बी। प्लेटो

96. बोधगम्य संसार (अर्थात, वह संसार जिसे हम अपनी इंद्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं) उस उच्चतर बोधगम्य संसार का प्रतिबिंब या प्रति है, का दर्शन है——
ए। प्लेटो

बी। अनाक्सागोरस

सी। अरस्तू

डी। सुकरात

जवाब:
ए। प्लेटो

97. प्लेटो में "फॉर्म्स" के लिए ग्रीक शब्द है ——— (ए) हाइल (बी) लोगो (सी) ईडोस (डी) फिलोस 98 प्लेटो ने मानव आत्मा को ——- भागों में विभाजित किया
ए। तीन

बी। दो

सी। चार

डी। सब झूठे हैं

जवाब:
सी। चार

98. प्लेटो के विचारों के सिद्धांत की किसके द्वारा कड़ी आलोचना की गई थी?
ए। प्रोटोगोरस

बी। सुकरात

सी। अरस्तू

डी। सब सच है

जवाब:
सी। अरस्तू

99. प्लेटो ने अपने संवाद में आत्मा की अमरता को स्वीकार किया है
ए। क्षमायाचना

बी। गणतंत्र

सी। Theaetetus

डी। फादो

जवाब:
डी। फादो

100. ———- एक दार्शनिक हैं जिनका जन्म स्टैगिरा में हुआ था
ए। अरस्तू

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। थेल्स

जवाब:
ए। अरस्त

101. निम्नलिखित में से किस दार्शनिक ने सिकंदर महान को पढ़ाया?
ए। ल्यूसिपस

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
डी। अरस्तू

102. कौन सा विचारक जो एथेंस गया और प्लेटो की अकादमी में शामिल हो गया।
ए। अनाक्सागोरस

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। सुकरात

जवाब:
सी। अरस्तू

103.—— की कृतियों को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है- गूढ़ और गूढ़।
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सेंट ऑगस्टाइन

डी। सेंट एंसेल्म

जवाब:
बी। अरस्तू

104. प्रसिद्ध कार्य तत्वमीमांसा किसने लिखी?
ए। अरस्तू

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

जवाब:
ए। अरस्तू

105.कौन परिभाषित पदार्थ कुछ ऐसा है जिसे हम 'यह' के रूप में इंगित कर सकते हैं
ए। अनुसूचित जनजाति। अगस्टीन

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। पाइथागोरस

जवाब:
सी। अरस्तू

106. यह कथन किसने दिया कि सार्वभौम अत्यंत वास्तविक हैं लेकिन उनके विवरण से अलग नहीं किए जा सकते हैं।
ए। सुकरात

बी। एक्विनास

सी। प्लेटो

डी। अरस्तू

जवाब:
डी। अरस्तू

107. कौन कहता है कि होने की दो अवस्थाएँ होती हैं, अर्थात् संभावना और वास्तविकता।
ए। अरस्तू

बी। एन्सेल्म

सी। एक्विनास

डी। थेल

जवाब:
ए। अरस्तू

108. अरस्तू के अनुसार, नौ श्रेणियाँ हैं और एक—-
ए। सार्वभौमिक

बी। तर्क

सी। सत्व

डी। ईश्वर

जवाब:
सी। सत्व

109. अरस्तू के अनुसार अकारण कारण कहलाता है-
ए। संभावना

बी। मुख्य प्रस्तावक

सी। सत्यता

डी। परमाणु

जवाब:
बी। मुख्य प्रस्तावक

110. रोमन कैथोलिक चर्च के आधिकारिक दार्शनिक को कहा जाता है —–
ए। सुकरात

बी। सेंट थॉमस एक्विनास

सी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

डी। प्लेटो

जवाब:
बी। सेंट थॉमस एक्विनास

111. सेंट थॉमस एक्विनास ________ के दर्शन से बहुत प्रभावित थे।
ए। प्लेटो

बी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

सी। सुकरात

डी। अरस्तू

जवाब:
डी। अरस्तू

112. सेंट ऑगस्टिन ने अपने दर्शन और धर्मशास्त्र को किसकी शिक्षाओं पर आधारित किया -
ए। थेल्स

बी। पाइथागोरस

सी। सुकरात
डी। प्लेटो

जवाब:
डी। प्लेटो

113. ऑगस्टाइन के अनुसार ज्ञान के निम्नतम स्तर को कहा जाता है -
ए। सनसनी

बी। कारण

सी। ईश्वर

डी। नौमेना

जवाब:
ए। सनसनी

114. सेंट ऑगस्टाइन का कहना है कि ईश्वरीय ज्ञान के माध्यम से है -
ए। घटना

बी। धारणा

सी। आत्मा

डी। सनसनी

जवाब:
सी। आत्मा

115. प्रोस्लोगियम का काम किसने लिखा?
ए। प्लेटो

बी। सुकरात

सी। कहानियों

डी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

जवाब:
डी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

116. ईश्वर के अस्तित्व के लिए तथाकथित तात्विक तर्क के लिए कौन प्रसिद्ध है?
ए। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

बी। सुकरात

सी। प्लेटो

डी। सब झूठे हैं

जवाब:
ए। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

117.शैक्षिकवाद का जनक किसे कहा जाता है?
ए। अनाक्सागोरस

बी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

सी। अरस्तू

डी। सुकरात

जवाब:
बी। अनुसूचित जनजाति। एन्सेल्म

118.—— के अनुसार, हमारे पास ज्ञान के दो स्रोत हैं: विश्वास और कारण।
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सेंट एंसेल्म

डी। सुकरात

जवाब:
सी। सेंट एंसेल्म

119. सेंटऑगस्टाइन किसके दर्शन से बहुत प्रभावित थे-
ए। अरस्तू

बी। प्लेटो

सी। सुकरात

डी। एन्सेल्म

जवाब:
बी। प्लेटो

120. मील्सियन दार्शनिकों को ……….. के नाम से भी जाना जाता था।
ए। तर्कवादी

बी। अनुभवतावादियों

सी। परमाणुवादी

डी। पहले भौतिकवादी

जवाब:
डी। पहले भौतिकवादी

121. ………………… को परमाणु विद्यालय का संस्थापक माना जाता है।
ए। थेल्स

बी। चिंता करनेवाला

सी। ल्यूसिपस

डी। अरस्तू

जवाब:
सी। ल्यूसिपस

122. क्रिटो ………………… का एक काम है।
ए। प्लेटो

बी। अरस्तू

सी। सुकरात

डी। प्रोटागोरस

जवाब:
ए। प्लेटो

123. प्लेटो ने लिखा …………………
ए। भगवान का शहर

बी। फादो
सी। सुम्मा थियोलॉजिका

डी। प्रोस्लोगियम

जवाब:
बी। फादो

124. अरस्तू ……….. विचारों की सर्वोच्च श्रेणियां देता है।
ए। आठ

बी। दस

सी। नौ

डी। सात

जवाब:
बी। दस

125. ……………… के अनुसार। आस्था और तर्क न तो परस्पर अनन्य हैं और न ही परस्पर विरोधी हैं बल्कि परस्पर पूरक हैं
ए। सुकरात

बी। प्लेटो

सी। अरस्तू

डी। सेंट ऑगस्टाइन,

जवाब:
डी। सेंट ऑगस्टाइन,

126. सेंट एंसलम का तर्कशास्त्रीय तर्क ईश्वर के विचार से ईश्वर तक …………… के रूप में अस्तित्व में है।
ए। एक आइडिया

बी। कारण

सी। एक हकीकत

डी। एक संख्या

जवाब:
सी। एक हकीकत

Child Development And Pedagogy MCQ In Hindi

CDP

1. किस उम्र में नवजात शिशु अपनी मां की आवाज को पहचानता है?

 (a) जन्म पर

 (b) 3 महीने पर

 (c) 6 महीने पर

 (d) 9 महीने पर

Ans: a

2. अधिगम तत्परता के उपेक्षा के परिणाम स्वरूप ______ होगा\ होगी?

 (a) विकास

 (b) परिपक्वता

 (c) सुधार

 (d) कुंठा

Ans: d

3. निम्नलिखित में से कौन सा अनुसंधान प्रकार मौजूदा स्थितियों को सुधारने पर केंद्रित है?

 (a) मौलिक अनुसंधान


 (b) व्यावहारिक अनुसंधान

 (c) क्रियात्मक अनुसंधान

 (d) प्रायोगिक अनुसंधान

Ans: c

4. जब बच्चे समूह खेल में भाग लेते हैं, तो बच्चे निम्न में से क्या सीखते हैं?

 (a) प्रतिस्पर्धा

 (b) सहयोग

 (c) संघर्ष

 (d) ये सभी

Ans: d

5. निम्नलिखित में से कौन सा कारक अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता है?

 (a) संस्कृति

 (b) आवश्यकताएं

 (c) निविष्ट

 (d) मापन 

Ans: d

6. इनमें से कौन-सा एक आपूर्ति प्रकार का प्रश्न है?

 (a) निबंध 


 (b) वैकल्पिक उत्तर

 (c) मिलान का प्रकार

 (d) बहुविकल्पीय प्रकार

Ans: a

7. निम्नलिखित में से कौन-सी रणनीति बच्चों में अर्थ निर्माण को बढ़ावा देती है?

 (a) सूचना का प्रसारण

 (b) दंडात्मक उपायों का उपयोग करना

 (c) सम्मान और मानकीकृत परीक्षण

 (d) अन्वेषण और चर्चा

Ans: d

8. विकास को आकार देने वाले पर्यावरणीय कारकों में शामिल है?

 (a) संस्कृति

 (b) पोषण की गुणवत्ता

 (c) सीखने की गुणवत्ता

 (d) ये सभी 

Ans: d

9. स्कूली शिक्षा में सतत और व्यापक मूल्यांकन किसके द्वारा शुरू किया गया था?

 (a) IGNOU


 (b) CBSE 

 (c) MHRD,भारत सरकार

 (d) NCERT

Ans: b

10. निम्नलिखित में से कौन संरचनात्मक आकलन का एक उपयुक्त उपकरण नहीं है?

 (a) अवधि परीक्षा

 (b) प्रश्न व खेल

 (c) दत्त कार्य

 (d) मौखिक प्रश्न

Ans: a

11. फ्राइड की विकास अवस्थाओं के अनुसार, किस अवस्था को प्रारंभिक विद्यालय आयु समझा जाता है?

 (a) मुखावस्था

 (b) गुदावस्था

 (c) अव्यक्तअवस्था 

 (d) शैशवस्था

Ans: c

12. बालकों में व्यक्तिगत भिन्नता के लिए निम्न में से कौन सा कारक जिम्मेदार है?

 (a) माता-पिता की मनोवृत्ति 


 (b) बुद्धि

 (c) नस्ल

 (d) स्थान

Ans: b

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13. निम्नलिखित में से कौन सा कथन अधिगम युक्तियों के लिए आकलन को दर्शाता है?

 (a) आकलन का प्रयोग शिक्षार्थियों पर उत्कृष्ट वा निकृष्ट का ठप्पा लगाने के लिए होता है। 

 (b) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान आकलन भिन्न शिक्षण अधिगम युक्तियां बनाने के लिए किया जाता है।  

 (c) अभिभावकों शिक्षार्थियों आदि को उपलब्धि के प्रमाण उपलब्ध कराने के लिए आकलन किया जाता है। 

 (d) आकलन अधिगम प्रक्रिया के अंत में किया जाना चाहिए। 

Ans: b

14. एक बालक पहले पूरे हाथ को, फिर उंगलियों को तथा फिर हाथ और उंगलियों को एक साथ चलाना सीखता है। यह उदाहरण वृद्धि और विकास के किस सिद्धांत को दर्शाता है?

 (a) निरंतरता का सिद्धांत

 (b) एकीकरण का सिद्धांत

 (c) सामान्य से विशेष का सिद्धांत

 (d) वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत

Ans: b

15. आदिवासी समुदायों के बच्चे कक्षा में सहज महसूस नहीं करती क्योंकि-

 (a) उन्हें पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं होती


 (b) वे उन शिक्षकों से पढ़ना चाहते हैं जो उनके समुदाय के हैं

 (c) सामाजिक सांस्कृतिक जलवायु अलग है

 (d) वह अति आत्मविश्वास है

Ans: c

16. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार निम्नलिखित में से किस विधि द्वारा मूल-प्रवृत्तियों में परिवर्तन लाया जा सकता है?

(a) मार्गान्तरीकरण

(b) सहसम्बन्ध

(c) विलयन

(d) नवीनीकरण

Ans: a

17. बुद्धि परीक्षण में एक सोलह वर्षीय बच्चा 75 अंक प्राप्त करता है तो उसकी मानसिक आयु………..होगी।

(a) 8 वर्ष

(b) 12 वर्ष

(c) 14 वर्ष

(d) 15 वर्ष

Ans: b


18. निम्न में कौन ‘सीखने के गेस्टाल्ट सिद्धान्त’ से सम्बन्धित है?

(a) स्किनर

(b) पावलोव

(c) थार्नडाइक

(d) कोहलर

Ans: d

19. मेरा मानना है विद्यार्थियों को अनुशासन में रखा जा सकता है?

(a) जब उनको बौद्धिक सन्तुष्टि प्रदान की जाए

(b) विद्यालय में कठोर नियमों का अनुपालन करके

(c) आर्थिक दण्ड लेकर

(d) अभिभावकों का सहयोग लेकर

Ans. (a)

20. पियाजे के संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त में अमूर्त तर्क एवं परिपक्व नैतिक चिंतन किस अवस्था की विशेषताएँ हैं?

(a) पूर्व संक्रियावस्था

(b) संवेदनात्मक-गामक अवस्था

(c) औपचारिक संक्रियावस्था

(d) मूर्त संक्रिया अवस्था

Ans: c

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शिक्षा मनोविज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर।।

1. जर्मनी के लिपजिंग विश्वविद्यालय जहाँ प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला 1879 में स्थापित की गई वर्तमान में नाम है -
(1) कॉर्ल मॉस विश्वविद्यालय ✅
(2) हारवर्ड विश्वविद्यालय
(3) साइकोलॉजिकल इंस्टीट्यूट
(4) इनमें से कोई नहीं

2. आत्म निरीक्षण विधि द्वारा किनकी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है -
(1) कक्षा-कक्ष में छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का
(2) स्वयं की ✅
(3) असाधारण बच्चों की
(4) उपरोक्त सभी का

3. प्रश्नोत्तर विधि का जनक किसे माना जाता है ?
(1) माटेसरी
(2) हेनरी कॉल्डवैल कुक
(3) फ्रोवेल
(4) सुकरात ✅

4. "बाल केन्द्रित शिक्षा" किसकी देन है:?
(1) शिक्षा के राष्ट्रीकरण की
(2) सर्व शिक्षा अभियान की 
(3) शिक्षा मनोविज्ञान की ✅
(4) उपरोक्त सभी की

5. शिक्षा मनुष्य की अन्तनिर्हित क्षमता का परिपूर्णता से विकास करती है। यह कथन है ?
(1) स्वामी विवेकानन्द ✅
(2) बी.एफ. स्किनर
(3) पेस्टालॉजी
(4) रविंद्रनाथ टैगोर

6. थार्नडॉईक ने शिक्षा मनोविज्ञान का कैसा रूप प्रदान किया ?
(1) निश्चित एवं स्पष्ट ✅
(2) अनियमित
(3) आंशिक स्पष्ट
(4) उपरोक्त सभी

7. बींसवी शताब्दी में मनोविज्ञान को माने जाने लगा -
(1) आत्मा का विज्ञान
(2) व्यवहार का विज्ञान ✅
(3) मन का विज्ञान 
(4) चेतना का विज्ञान

8. विकास का अर्थ है ?
(1) परिवर्तनों की उत्तरोत्तर श्रृंखला
(2) परिपक्वता एवं अनुभव के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों की श्रृंखला
(3) अभिप्रेरणा एवं अनुभव के फलस्वरूप होने वाले
परिवर्तनों की उत्तरोत्तर श्रृंखला ✅
(4) अभिप्रेरणा के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों की उत्तरोत्तर श्रृंखला

9. मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग कर विज्ञान का दर्जा किसने दिलाया ?
(1) विलियम वुन्ट
(2) विलियम जेम्स ✅
(3) स्किनर
(4) वाटसन

10. निम्नलिखित में से कौनसा वृद्धि और विकास के सिद्धान्तों से सम्बन्धित नही है ?
(1) निरन्तरता का सिद्धान्त
(2) वर्गीकरण का सिद्धान्त ✅
(3) समन्वय का सिद्धान्त
(4) वैयक्तिकता का सिद्धान्त

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अधिगम की परिभाषाएं:

स्किनर के अनुसार के अनुसार “ व्यवहार के अर्जुन में उन्नति की प्रक्रिया को अधियमन कहते हैं”

वुडबर्थ के अनुसार ” लर्निंग किसी नई प्रक्रिया में निहित होता है बचत नई क्रिया पुष्टि युक्त हो और कालांतर में हुई क्रियाओं में प्रकट होती हो’

गेट्स के अनुसार ” अनुभव एवं प्रशिक्षण दोबारा व्यवहार में संशोधन की अधिगम मन है”

वुड बर्थ के अनुसार – भूलना ना विकास की प्रक्रिया है 

कॉल्विन के अनुसार ‘पहले से निर्मित व्यवहार में अनुभवों दोबारा हुए परिवर्तन को अधिगम कहते हैं।’

शिक्षा मनोविज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर :-

शिक्षा मनोविज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी ।।
01. आधुनिक मनोविज्ञान के जनक माने जाते है ?
(1) स्किनर
(2) विलियम जेम्स ✅
(3) वुडवर्थ
(4) वाटसन

02. ईगो लिबिडो का अर्थ है ?
(1) आत्म प्रेम ✅
(3) ईगो मनोग्रंथि
(2) वस्तु लिबिडो
(3) ईगो सीनटोनिक

03. ई.एच. इरिकसन के अनुसार मनोलैंगिक विकास की कितनी अवस्थाएँ है ?
(1) 8 ✅
(2) 6
(3) 7
(4) 9

04. शिक्षण विधियों तथा शिक्षण नीतियों में अन्तर होता है ?
(1) प्रारूप का
(2) सिद्धान्तों का
(3) उद्देश्यों का ✅
(4) पाठ्यवस्तु का

05. सुपर इगो का विकास किस मनोलैंगिक अवस्था में सबसे अधिक होता है ?
(1) गुदा अवस्था
(2)अव्यक्त अवस्था ✅
(3) जननेन्द्रिय अवस्था 
(3) यौन प्रधान अवस्था

06. किस मनोवैज्ञानिक ने कहा की चेतन मन के साथ अचेतन मन पर भी ध्यान देना चाहिए ?
(1) जे.बी. वाटसन ने 
(2) वुडवर्थ ने
(3) टाईडमैन ने
(4) फ्रायड ने ✅

07. फ्रायड के अनुसार असामान्य व्यवहार का मौलिक कारण है ?
(1) प्रतिगमन
(2) आंशिक दमन ✅
(3) पूर्ण दमन
(3) कोई नहीं

08. बाल केन्द्रित शिक्षा की अवधारण मनोविज्ञान के किस सम्प्रदाय ने दी ?
(1) गेस्टाल्टवाद ने
(2) संरचनावाद ने
(3) मनोविश्लेषणवाद ने ✅
(4) व्यवहारवाद ने

09. “मनोविज्ञान आचरण एवं व्यवहार' का यथार्थ विज्ञान है। कथन है ?
(1) स्किनर 
(2) वुडवर्थ
(3) मैक्डूगल ✅
(4) वाट्सन

10. शिक्षा के संकुचित अर्थ में शिक्षा प्रदान की जाती है ?
(1) निश्चित स्थान पर ✅
(2) प्रत्येक समय व स्थान पर
(3) जीवनपर्यन्त
(4) उपरोक्त सभी

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संक्षेप में अधिगम के सिद्धांत ( Learning Theories )

1 . प्रयास व भूल का सिद्धांत :-थार्नडाइक 
( Trail and Error Theory ) 

2 . अनुबंधन सिद्धांत :- पावलोव 
( conditioning Theory ) 

3 . क्रिया - प्रसूत सिद्धांत :-स्किनर 
( Action - delivery principle ) 

4 . गेस्टाल्टवाद सिद्धांत :- मैक्स वीमर,कोहलट , कोफ्का 
( Theory of gestalt ) 

5 . सामाजिक अधिगम वाद :-अल्बर्ट बन्डूटा ( Theory of Social Learning ) 

6 . पुनर्बलन सिद्धांत :- क्लार्क हल
( Theory of Reinforcement ) 

अन्तनोंद न्यूनता सिद्धांत :-क्लार्क हल 
( Drive Reduction Theory )

7 . मानवतावादी सिद्धांत :- मासलो 
( Humanistic Theory of Learning ) 

8 . चिहन का सिद्धांत :- टोलमेन 
(Sign Theory of Learning ) 

9 . क्षेत्र सिद्धांत :- कुर्त लेविन
( Field Theory of Learning ) 

10. प्रतिस्थापन सिद्धांत :- गुथरी 
( Subsitituion Theory of Learning ) 

11 . अनुभवजन्य वाद सिद्धांत :- कॉल रोजर्स 
( Experimental Learning Theory )


🔅REET के लिए अति महत्वपूर्ण

बाल - विकास 🔰

➤ बाल मनोविज्ञान का ही नाम बाल -विकास कर दिया गया है। बाल मनोविज्ञान गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास गर्भावस्था से किशोरवस्था तक का अध्ययन करता है।

➤ विकास का प्रारम्भ – गर्भावस्था 

➤ विकास की पहली अवस्था - शैशवावस्था

➤ संज्ञानात्मक विकास का प्रारम्भ – शैशवावस्था

➤ बाल विकास का सबसे पहले वैज्ञानिक अध्ययन पेस्टोलाजी के द्वारा - 1774 में किया गया था।

➤ इन्होने अपने 3.50 वर्षीय पुत्र का अध्ययन कर एक पुस्तक प्रकाशित की जिसका नाम था – BABY BIOGRAPHY 

➤ इनके पश्चात् 1781 में टाइडमैन के द्वारा भी अपने 3.50 वर्षीय पुत्र का अध्ययन कर BABY BIOGRAPHY पुस्तक लिखि गई। 

➤ 1881 में प्रेयर के द्वारा बाल विकास का अधि क्रमबद्ध, व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन किया गया। एवं पुस्तक लिखि गई – THE MIND OF A CHILD

➤ उपरोक्त अध्ययन होने के पश्चात् मैडम मारिया मोण्टेसरी एवं फ्रोबेल के द्वारा बाल विकास में और अधिक कार्य किया गया। 

➤ इन दोनो के द्वारा बालकों की आयु एवं उनके मानसिक स्तर के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था करना बताया गया। 

➤ करके सीखने पर जोर दिया गया एवं कक्षा कक्ष वातावरण हठोरे बालकों के अनुरूप बनाने को कहा गया। 

➤ इसके पश्चात् स्टेन्ली हॉल के द्वारा इस दिशा में अत्यधिक प्रयास किए गए व दो संस्थाओ 

➤ (1) THE CHILD STUDY SOCIETY
    (2) THE CHILD WEIFARE ORGANISATION 

➤ इन संस्थाओं में स्टेन्ली हॉल ने किशोर बालको के लिए अत्यधिक कार्य किया इसलिए स्टेन्ली हॉल को किशोरवास्था का जनक माना जाता है। 

➤ स्टेन्ली हॉल के प्रयासों से 1887 में NEW YORK में पहला बाल सुधार गृह स्थापित किया गया। 

➤ इसी के परिणाम स्वरूप विश्वभर में किशोरावस्था के लिए बहुत अध्ययन किया जाने लगा। 

➤ 1930 में भारत में बाल सुधार एवं बाल विकास पर अध्ययन प्रारम्भ हुआ। 

➤ कलकत्ता के डॉक्टर N.N. सेन गुप्ता के द्वारा भारत में पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला खोली गई। (1916) में

➤ उपरोक्त आधारों पर बाल विकास का अध्ययन निरंतर जारी है।

(Special REET Exam)

कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत

कोहलबर्ग एक मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने बाल विकास में नैतिक विकास के तीन प्रमुख स्तर तथा 7 सोपान बताएं हैं जो निम्न प्रकार से हैं-


तीन प्रमुख स्तर इस प्रकार हैं

1-पूर्व परंपरागत स्तर
2-परंपरागत स्तर
3-उत्तर परंपरागत स्तर
सात सोपान निम्नलिखित हैं।

1-पूर्व परंपरागत स्तर इसके अंतर्गत निम्नलिखित सोपान आते हैं-

०. आत्म केंद्रित निर्णय
१. दंड तथा आज्ञा पालन अभिमुखता
२. यांत्रिक सापेक्षिक अभिमुखता

2-परंपरागत स्तर के अंतर्गत निम्नलिखित सोपान आते हैं
३-परस्पर एकजुट अभिमुखता
४-अधिकार संरक्षण अभिमुखता

3-उत्तर परम्परागत स्तर के अंतर्गत निम्न प्रकार के सोपान आते हैं
५-सामाजिक अनुबंध विधि सम्मत अभिमुखता
६-सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत अभिमुखता

1-पूर्व परंपरागत स्तर-

पूर्व परंपरागत का अर्थ होता है कि जिसे एक के पीछे दूसरा बराबर करता आया हो । इसे परंपरागत कहते हैं।
बाल विकास में पूर्व परंपरागत स्तर का अर्थ होता है कि बालक अपनी आवश्यकताओं के संदर्भ में चिंतन करते हैं वह इस स्तर पर नैतिक दुविधाओं युक्त प्रश्नों पर उनके उत्तर प्राय,ः उनको होने वाले लाभ या हानि पर आधारित होते हैं नैतिक कार्य अच्छे या बुरे कार्यों में निहित होते हैं ना कि अच्छे या बुरे व्यक्तियों में सामाजिक व सांस्कृतिक नियमों जैसे अच्छा या बुरा सही या गलत आदि के व्याख्या मिलने वाले दंड पुरस्कार अथवा नियमों को समर्थन करने वाले व्यक्तियों की शारीरिक सामर्थ्य अथवा होने वाले स्थूल परिणामों से आंकी जाती है।

2-परंपरागत स्तर-

कोलबर्ग के अनुसार नैतिक विकास के परंपरागत स्तर पर नैतिक मूल्य अच्छे या बुरे कार्यों को करने में निहित रहते हैं बालक बाह्य सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने में रुचि लेते हैं वे अपने परिवार अपने समूह अथवा अपने राष्ट्र की अपेक्षाओं को पूरा करने को महत्व देते हैं तथा महत्वपूर्ण व्यक्तियों तथा सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप कार्य करते हैं उनमें परंपरागत नियमों तथा दायित्वों के प्रति समर्थन तथा औचित्य का भाव रहता है।

3-उत्तर परंपरागत स्तर

नैतिक विकास के इस तृतीय तथा सर्वोच्च स्तर पर बालक उन नैतिक मूल्यों तथा नैतिक सिद्धांतों को परिभाषित करने के स्पष्ट प्रयास करने लगते हैं ,जिनकी सामाजिक दृष्टि से बैधता उपयोगिता होती है तथा जो परंपरागत मूल्यों नियमों या सिद्धांतों से भिन्न हो सकते हैं ।उनमें स्वानिर्धारित नैतिक सिद्धांतों के प्रति निष्ठा तथा अनुसरण करने की भावना होती है । नैतिक।मूल्य वस्तुतः उभयनिष्ठ मानदंडों अधिकारों तथा कर्तव्यों की पूर्ति में निहित माने जाते हैं।
कोहलवर्ग के द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त वर्णित नैतिक विकास के विभिन्न स्तरों तथा सोपानों के अवलोकन से स्पष्ट है कि यह तीनों स्तर तथा ये सातो सोपान क्रम से नैतिक निर्णय लेने की बढ़ती योग्यता तथा दृष्टिकोण की बढ़ती व्यापकता व अमूर्तता को इंगित करते हैं । प्रथम स्तर पर बालक आत्म केंद्रित होते हैं क्योंकि वे स्वहित की दृष्टि से ही नैतिक व्यवहार करते हैं तथा ठंड से बचने चाहते हैं इसके विपरीत तृतीय स्थान में व्यक्ति बाह्य केंद्रित हो जाते हैं तथा वे निष्पक्ष भाव से अन्य व्यक्तियों के संबंध में विचार करने की योग्यता विकसित कर लेते हैं।


Kohlberg was a psychologist who has given three major levels of moral development and 7 steps in child development which are as follows-

 The three major levels are

 1 Pre-Conventional Level
 2-traditional level
 3-North Conventional Level

 The following are the seven steps.

 1-Pre-Conventional Level It includes the following steps-1-Self-centered decision-2-Penalties and obedience orientation 3-Mechanical relative orientation

 2- The following steps are covered under the traditional level 4-Mutually united orientation 5-Rights protection orientation

 3- Traditional levels fall under the following types of steps 6-Social contract law-oriented orientation 7-Universal moral principle orientation

 1-Pre-Conventional Level-

Pre-traditional means that One who has been equaling the other behind the other. It is called traditional.
The pre-traditional level in child development means that children think in terms of their needs. At this stage, their answers to questions involving moral dilemmas are often based on the benefits or disadvantages they face. It is implied that good or bad individuals are judged by the social power or cultural consequences of the individuals who endorse the punishments or rules supporting the interpretation of social and cultural rules such as good or bad, right or wrong, etc.

 2-Traditional Level - 

According to Kolberg, at the traditional level of moral development, moral values ​​are inherent in performing good or bad actions. Children are interested in meeting external social expectations. They meet the expectations of their family, their group or their nation. They give importance to and work according to important persons and social system, they have a sense of support and justification for traditional rules and obligations.

 3-North Conventional Level

 At this third and highest level of moral development, children make clear efforts to define moral values ​​and moral principles that have socially usefulness and which may differ from traditional values ​​rules or principles. There is a feeling of loyalty to and adherence to principles. Moral value is in fact considered to be inherent in the fulfillment of common norms, rights and duties.
 It is clear from the observation of the various levels of moral development and steps described above by Kohlvarg that these three levels and these seven steps indicate the increasing ability to make ethical decisions and the increasing comprehensiveness and abstraction of attitudes. At the first level, the children are self-centered because they behave ethically from the point of view of selfishness and want to avoid the cold. On the contrary, in the third place, the people become externally focused and they are able to think objectively in relation to other people. Let's develop.

शिक्षा मनोविज्ञान :- अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1️⃣ बच्चों में संवेगात्मक समायोजन प्रभावी होता है ?
(1) व्यक्तित्व निर्माण में 
(2) कक्षा शिक्षण में
(3) अनुशासन में
(4) ये सभी ✓

2️⃣ अधिगम के प्रक्रम में अभिप्रेरण -
(1) सीखने वालों की स्मृति को तेज बनाता है
(2) पुराने अधिगम से नए अधिगम को विभेदित करता है
(3) एकदिशीय रूप से सोचने में सीखने वालों को प्रस्तुत करता है
(4) नये सीखने वालों में अधिगम के लिए रूचि का सृजन करता है ✓

3️⃣ एक छात्र के अधिगम पर उसकी आर्थिक स्थिति का किस प्रकार प्रभाव पड़ता है ?
(1) अमीर छात्र अधिक अधिगम करता ह
(2) किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है ✓
(3) गरीब छात्र कम अधिगम करता है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं

4️⃣ काम की प्रवृति पर सबसे अधिक बल किस मनोवैज्ञानिक ने दिया ?
(1) स्किनर ने
(2) हेगर्टी ने
(3) सिगमण्ड फ्रायड ने ✓
(4) थर्स्टन ने

5️⃣ "तत्परता का नियम" अधिगम का किस प्रकार का नियम है ?
(1) मुख्य नियम ✓
(2) सहायक नियम
(3) गौण नियम
(4) उपरोक्त सभी

6️⃣ थॉर्नडाइक के अधिगम नियम मे सर्वाधिक प्रधानता किसको है?
(1) तत्परता को
(2) अभ्यास को ✓
(3) काम प्रवृति को
(4) प्रभाव को

7️⃣ "अधिगम को ठोस सिद्धान्त किस मनोवैज्ञानिक द्वारा दिया गया ?
(1) स्किनर द्वारा
(2) हल द्वारा
(3) थॉर्नडाइक द्वारा ✓
(4) थर्स्टन द्वारा

8️⃣ निम्नलिखित में से किसके अनुकरण से बालक नया ज्ञान प्राप्त करता है ?
(1) शिक्षकों के
(2) दोस्तों के
(3) माता-पिता के
(4) उपरोक्त सभी ✓

9️⃣ अस्पष्टता के नियम में विचार होते है?
(1) स्पष्ट ✓
(2) अस्पष्ट
(3) सामान्य
(4) उपरोक्त में कोई नही

1️⃣0️⃣ सन् 1879 में विलियम वुण्ट ने किस विधि को व्यवहारिक प्रयोग के रूप में आरम्भ किया ?
(1) जीवनवृत विधि
(2) प्रयोगात्मक विधि ✓
(3) प्रश्नावली विधि
(4) मनोविश्लेषणात्मक विधि

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मनोविज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी।।

प्रश्न – 1 मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि है?
अ- बहिर्दर्शन विधी
ब- जीवन वृत्ति विधि
स- अन्त दर्शन विधि ✅
द- समाजमिति विधि

प्रश्न – 2 सिगमंड फ्राईड किस देश का निवासी था?
अ- आस्ट्रिया ✅
ब- रुस
स- जर्मन
द- अमेरिका

प्रश्न – 3 परीक्षण विधि के जनक है?
अ- टिचनर
ब- मैक्डुगल
स- विलियम जेम्स
द- विलियम वुन्ट✅

प्रश्न – 4 व्यक्ति स्वयं अपनी मानसिक क्रियाओं का अध्ययन कौन सी विधि से करता है?
अ- मनोविश्लेषणात्मक विधि
ब- प्रश्नावली विधि
स- अन्त दर्शन विधि ✅
द- समाजमिति विधि

प्रश्न – 5 समाजमिति विधि के जनक?
अ- वुडवर्थ
ब- जे एल मोरेनो ✅
स- टाईडमैन
द- जेम्स & एंजिल्स

प्रश्न – 6 मनोविज्ञान में बालकों पशुओं, व्यक्ति तथा समूह आदि के व्यवहार के अध्ययन हेतु उपयुक्त विधि हैं?
अ- व्यक्ति इतिहास विधि
ब- बहिर्दर्शन विधि ✅
स- आनुवंशिक विधि
द- आत्म निरीक्षण विधि

प्रश्न – 7 व्यक्तितत्व परीक्षण की सर्वाधिक मान्य व सर्वाधिक प्रयुक्त विधि हैं?
अ- साक्षात्कार विधि ✅
ब- समाजमिति विधि
स- प्रश्नावली विधि
द- प्रयोगात्मक विधि

प्रश्न – 8 ‘डिकरोली विधि’ के प्रतिपादक है?
अ- हीली ✅
ब- मान्टेसरी
स- क्रो&क्रो
द- सेगविन

प्रश्न – 9 खेल विधि के प्रतिपादक है?
अ- हेनरी कोल्डवेल कुक ✅
ब- फ्रोबेल
स- मारिया मोन्टेसरी
द- वुडवर्थ

प्रश्न – 10 छात्रों की व्यक्तिगत रुचियों व अभिवृतियों के विकास से संबंधित मूल्यांकन की सर्वाधिक उपयुक्त विधि हैं?
अ- वाद-विवाद विधि
ब- निरीक्षण विधि
श- साक्षात्कार विधि
द- प्रश्नावली विधि ✅ 

Q.11 अचेतन मन मे दमित इच्छाओं को पढ़ने की सर्वश्रेष्ठ विधि है?

अ- मनोविश्लेषणात्मक विधि ✅
ब- निरीक्षण विधि
श- साक्षात्कार विधि
द- प्रश्नावली विधि

Q.12 शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वाधिक काम मे आने वाली विधि है
A मनोविश्लेषणात्मक विधि
B साक्षात्कार विधि
C जीबन इतिहास विधि ✅ 
D विकासात्मक विधि

Q.13 शिक्षा के क्षेत्र में काम आने वाली विधि है —
A मनोविश्लेषणात्मक विधि
B साक्षात्कार विधि
C जीबन इतिहास विधि ✅
D विकासात्मक विधि

Q.14 चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वाधिक काम मे आने वाली विधि है
A मनोविश्लेषणात्मक विधि ✅
B साक्षात्कार विधि
C जीबन इतिहास विधि
D विकासात्मक विधि

Q.15 बालक जी अवस्थाओं का वर्णन किस विधि में किया जाता है —
A मनोविश्लेषणात्मक विधि
B साक्षात्कार विधि
C जीबन इतिहास विधि
D विकासात्मक विधि ✅

प्रश्न=16- समस्या की पहचान के बाद शोधकर्ता समस्या का एक काल्पनिक उत्तर ढूंढता है जिसे कहा जाता है?
अ. समस्या का संप्रत्यय
ब. परिकल्पना ✅
स. प्रदत संग्रह
द. निष्कर्ष निकलना

प्रश्न=17- निर्णय प्रदत संग्रह की विधि के उपयोग से संबंधित होता है?
अ. प्रेक्षण विधि
ब. प्रायोगिक विधि
स. सहसंबंधात्मक विधि
द. उपरोक्त सभी ✅

प्रश्न=18- मनोविज्ञान में हम कौन सी सूचनाएं संग्रहित कर सकते हैं?
अ. जनांकिकीय सूचनाएं
ब. भौतिक सूचनाएं
स. देहिक प्रदत/ मनोवैज्ञानिक सूचना
द. उपरोक्त सभी ✅

प्रश्न=19- किन सूचनाओं के अंतर्गत व्यक्तिगत सूचना आती है?
अ. जनांकिकीय सूचनाएं ✅
ब. भौतिक सूचनाएं
स. मनोवैज्ञानिक सूचनाएं
द. दैहिक प्रदत

प्रश्न=20- चयन अभीलेखन प्रदत विश्लेषण किस विधि की विशेषताएं हैं?
अ. प्रायोगिक विधि
ब. प्रेक्षण विधि ✅
स. सहसंबंधात्मक अनुसंधान
द. उक्त कोई नहीं

प्रश्न=21- प्रेक्षण विधि का प्रकार है?
अ. प्रकृति वादी प्रेक्षण
ब. असहभागी प्रेक्षण
स. अ व ब दोनों ✅
द. उपरोक्त कोई नहीं

प्रश्न=22- संरचित या मानकीकृत किसके प्रकार हैं?
अ. साक्षात्कार ✅
ब. प्रश्नावली
स. दूरभाष
द. नियंत्रित प्रेक्षण

प्रश्न=23- कौन सी विधि सूचना प्राप्त करने की सबसे प्रचलित वह साधारण बहुमुखी तथा अल्प लागत वाली आत्म संवाद विधि है?
अ. प्रश्नावली विधि ✅
ब. साक्षात्कार
स. प्रेक्षण विधि
द. दूरभाष

24 – मनोवैज्ञानिक जांच के लक्षण है –

1- वर्णन
2- पूर्व कथन
3- व्याख्या
4- नियंत्रण
5- अनुप्रयोग

1) 1 और 4
2) 1,2 और 3
3) 2,3 और 5
4) 1,2,3,4 और 5 ✅

25 – समस्या की पहचान के बाद शोधकर्ता समस्या का एक काल्पनिक उत्तर ढूंढता है,जिसे कहा जाता है-

1) परिकल्पना ✅
2) पुनरीक्षण
3) निष्कर्ष
4) इनमें से कोई नहीं

26 – प्रेक्षण विधि की विशेषता नहीं है –

1) चयन
2) पूर्व कथन ✅
3) अभिलेखन
4) प्रदत्त विश्लेषण

27 – परीक्षण के प्रकार है –

1) प्रकृतिवादी बनाम नियंत्रित प्रेक्षण
2) असहभागी बनाम सहभागी प्रेक्षण
3) 1 व 2 दोनों ✅
4) 1 व 2 दोनों ही नहीं

28 – एक नियंत्रित दशा में दो घटनाओं व परिवर्त्यों के मध्य कार्य-कारण संबंध स्थापित करने की विधि को कहते हैं –

1) प्रेक्षण
2) व्यक्ति अध्ययन
3) सर्वेक्षण
4) प्रायोगिक ✅

#Psychology

कुछ नए और उपयोगी तथ्य जो गाइडों में नहीं मिलेंगे।

🏵🍁🌹प्रयोगवाद 🌹🍁🏵

🔷साम्यवाद व मार्क्सवाद दृष्टि से ओतप्रोत साहित्य धारा प्रगतिवाद के पश्चात हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद का उदय हुआ ।
🔷 छायावादोत्तर काल की वह काव्य धारा जिसमें काव्य के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए गए प्रयोगवाद के नाम से जानी जाती है ।
🔷 सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय को प्रयोगवाद का प्रवर्तक माना जाता है ।
🔷अज्ञेय के संपादन में 1943 ईस्वी में प्रकाशित तार सप्तक से प्रयोगवाद का आरंभ माना जाता है ।
🔷अज्ञेय के संपादन में कुल चार तार सप्तक प्रकाशित हुए, जिनमें अज्ञेय ने सात-सात कवियों की रचनाएं संकलित की ।
🔷तार सप्तक की मूल योजना प्रभाकर माचवे व नेमीचंद जैन की थी ।
🔷इन दोनों ने अपनी योजना को अज्ञेय के सामने रखा ,जिसे उन्होंने क्रियान्वित किया ।
🔷हिंदी कविता में प्रयोगों के आरंभ कर्ता निराला माने जाते हैं।
🔷 निराला की कविताओं को प्रयोगों का एल्बम कहा जाता है।
🔷 निराला ने छंद ,प्रतीक, उपमान आदि सभी क्षेत्रों में प्रयोग किए ।
🔷निराला ने अपनी प्रथम कविता जूही की कली में कविता को छन्दों के बंधन से मुक्त किया।
🔷 कुकुरमुत्ता कविता में इन्होंने कुकुरमुत्ता गुलाब जैसे नये प्रतीक प्रयुक्त की किए ।
🔷राहों के अन्वेषक तार सप्तक कवि संबोधन ।
🔷प्रयोगवाद का नामकरण कर्ता आचार्य नंददुलारे वाजपेयी को माना जाता है ,जिन्होंने प्रयोगवादी रचनाऐं शीर्षक निबंध लिखा।
🔷 तार सप्तक की भूमिका में अज्ञेय नें लिखा है ,सातों कवि एक स्कूल के नहीं हैं,राहीं नहीं राहों के अन्वेषी हैं।
🔷 दूसरा सप्तक की भूमिका में अज्ञेय ने लिखा हमें प्रयोगवादी कहना उतना ही सार्थक या निरर्थक है ,जितना की हमें कविता वादी कहना ।
🔷अज्ञेय के अनुसार प्रयोग अपने आप में ईस्ट नहीं है ,वह साधन है ।
🔷अज्ञेय के संपादन में कुल 4तार सप्तक प्रकाशित हुए :-
प्रथम सप्तक 1943ईस्वी 
दूसरा सप्तक 1951 ईस्वी 
तीसरा सप्तक 1959 ईस्वी 
चौथा सप्तक 1979 ईस्वी 
🔷प्रयोगवादी आंदोलन के प्रचार-प्रसार हेतु अज्ञेय ने 1946 ईस्वी में "प्रतीक "का प्रकाशन किया ।
🔷प्रयोगवाद के विकसित रूप को 'नई कविता 'के नाम से जाना जाता है ।
🔷प्रयोगवाद ने दूसरे सप्तक के प्रकाशन के बाद नई कविता का रूप धारण कर लिया ।
🔷डॉ रामविलास शर्मा और नामवर सिंह ने नई कविता को प्रयोगवाद का छद्म रूप कहां ।
🔷नई कविता के नामकरण का श्रेय अज्ञेय को जाता है ।
🔷उन्होंने 1952 में आकाशवाणी पटना से प्रसारित एक रेडियो वार्ता में नई कविता नाम का प्रयोग किया ।
🔷1954 में इलाहाबाद से जगदीशगुप्त व रामस्वरूप चतुर्वेदी के संपादन मे नई कविता पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ।
🔷 डॉ बच्चन सिंह ने नई कविता को प्रगतिवादी व प्रयोगवाद दो अति वादी छोरो को मिलाने वाली कविता कहा ।
🔷नई कविता का आरंभ और नामकरण अंग्रेजी के न्यू पोएट्री काव्य आंदोलन की तर्ज पर हुआ।
,🔷 लघु मानव की प्रतिष्ठा नई कविता की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
🔷 लघु मानव से तात्पर्य साधन हीन ,उपेक्षित साधारण व्यक्ति से हैं।
🔷 नई कविता का रूप स्पष्ट करने के लिए निम्न आलोचनात्मक कृतियों का प्रकाशन हुआ :-
🌹नई कविता के प्रतिमान-- लेखक डॉक्टर लक्ष्मीकांत वर्मा
🌹 कविता के नए प्रतिमान --लेखक डॉक्टर नामवर सिंह 
🌹नई कविता का आत्म संघर्ष --लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध 
🌹नई कविता सीमाएं और संभावनाए --गिरिजाकुमार माथुर 
🌹नई कविता के बहाने लघु मानव पर --विजयदेव नारायण साही ।
🔷नया प्रतीक ,नये पत्ते ,क,ख,ग,प्रतिमान आदि पत्र-पत्रिकाओं ने नई कविता को प्रोत्साहन प्रदान किया ।
🔷नई कविता के कवियों ने रस सिद्धांत को चुनौती देकर रस के स्थान पर द्धन्द्ध, तनाव एवं बेचैनी को काव्य की आत्मा माना ।
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📌 सभी प्रतियोगियों के लिए महत्वपूर्ण 


शिक्षा-मौलिक और मानवाधिकार

मौलिक अधिकार के रूप में शिक्षा

भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार है। इस संबंध में “प्रारंभिक (प्राथमिक व मध्य स्तर) शिक्षा निःशुल्क हो, प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य हो तथा तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाया जाए एवं उच्च शिक्षा सभी की पहुँच के भीतर हो” कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धान्त हैं जो हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।

शिक्षा का उपयोग मानव व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास, मानवीय अधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता के लिए किया जाना चाहिए। माता-पिता और अभिभावकों को यह पूर्वाधिकार हो कि वे अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा देना चाहते हैं।

ईएफए क्यों महत्वपूर्ण है?

8 भाग में एमडीजी हासिल करने के लिए सर्व शिक्षा के लक्ष्य प्राप्त करना कुछ हद तक बच्चे और प्रजनन स्वास्थ्य पर इसके सीधे असर की वज़ह से बेहद महत्वपूर्ण है और साथ ही इस कारण कि ईएफए 2015 के लक्ष्यों के लिए ईएफए ने बहु-साथी सहयोग में विस्तृत अनुभव हासिल किया है। इसके साथ ही, स्वास्थ्य में सुधार, पीने के साफ पानी की सुगमता, गरीबी में कमी, और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे अन्य एमडीजी को प्राप्त करना शिक्षा एमडीजी प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

हालांकि कई ईएफए लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लगातार प्रगति हुई है, चुनौतियां फिर भी बाकी हैं। आज स्कूल जाने लायक उम्र के कई बच्चे हैं जो अभी भी वित्तीय, सामाजिक या शारीरिक चुनौतियों – जिनमें उच्च प्रजनन दर, एचआईवी / एड्स, और संघर्ष शामिल हैं, की वज़ह से अभी भी स्कूल नहीं जाते हैं।

विकासशील देशों में स्कूली शिक्षा की सुगमता 1990 से बेहतर हुई है – 163 में से कोई 47 देशों ने सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा (एमडीजी 2) हासिल की है और अतिरिक्त 20 देश 2015 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए "सही राह पर” होने के लिए अनुमानित हैं। लेकिन 44 देशों में अभी भी भारी चुनौतियां बाकी हैं, जिनमें से 23 उप-सहारा अफ्रीका में हैं। इन देशों में 2015 तक सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने की संभावना नहीं है जब तक कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को त्वरित न किया जाए।

हालांकि शिक्षा में लैंगिक अंतर (एमडीजी 3) कम हो रहा है, जब प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के लिए सुगमता तथा इनके पूरा होने की बात की जाती है तो बालिकाओं को लाभ अभी भी सीमित है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं के हाल ही में नामांकन के बावजूद -विशेष रूप से उप - सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में – 24 देशों में या तो प्राथमिक या माध्यमिक स्तर पर 2015 तक लिंग समता को प्राप्त करने की संभावना नहीं हैं। इन देशों का बहुमत (13) उप - सहारा अफ्रीका में हैं।

सीखने के खराब परिणाम और कम गुणवत्ता की शिक्षा भी शिक्षा के क्षेत्र में अधिभावी चिंताएं बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, कई विकासशील देशों में, प्राथमिक स्कूल के 60 प्रतिशत विद्यार्थियों से भी कम, जो पहली कक्षा में दाखिला लेते हैं, स्कूली शिक्षा के अंतिम ग्रेड तक पहुँचते हैं। इसके अलावा, कई देशों में छात्र/ शिक्षक अनुपात 40:1 से अधिक है और कई प्राथमिक शिक्षकों को पर्याप्त योग्यता की कमी है।

सबके लिए शिक्षा

इस अभियान में बच्चों, युवाओं व प्रौढ़ों को गुणवत्तायुक्त बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की वैश्विक प्रतिबद्धता है। वर्ष 1990 में सभी के लिए शिक्षा के विश्व-सम्मेलन में इस अभियान को प्रारंभ किया गया था।

24 वर्षों के बाद भी कई देश इस लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे है। सेनेगल के डकार शहर में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने पुनः 2007 में सम्मेलन में भाग लिया और वर्ष 2015 तक सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। उन्होंने छह मुख्य शिक्षा लक्ष्यों की पहचान की और वर्ष 2015 तक सभी बच्चों, युवाओं और प्रौढ़ वर्ग की शिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति करने की बात कही।

एक अग्रणी अभिकरण के रूप में यूनेस्को सभी अंतरराष्ट्रीय पहल को सबके लिए शिक्षा के लक्ष्य को पाने की ओर प्रवृत एवं एकजुट कर रही है। सरकारें, विकास अभिकरण, नागरिक संस्थाएँ, गैर-सरकारी संस्थाएँ एवं मीडिया कुछ ऐसे सहयोगी हैं जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

सबके लिए शिक्षा लक्ष्य को प्राप्त करने का यह अभियान आठ शताब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेन्ट गोल, एमडीजी) विशेषकर वर्ष 2015 तक सार्वजनिक प्राथमिक शिक्षा पर एमडीजी -2 और शिक्षा में महिला-पुरुष समानता पर एमडीजी -3 को भी मदद पहुँचा रहा है।

शिक्षा के महत्व पर ग्रामीण लोगों को प्रेरित किये जाने की आवश्यकता है। निम्नलिखित सूचनाएँ लोगों के लिए समाधान प्रदान करेंगी -

1.बालिका शिक्षा
2.बाल-मजदूरों के लिए शिक्षा एवं संयोज़क पाठ्यक्रम
3.अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग व अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा
4.शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग, अपंग एवं विशेष बच्चों के लिए शिक्षा
5.शिक्षा व महिलाएँ

शिक्षा के छह विशिष्ट लक्ष्य:

० बचपन की शुरुआत में ही समग्र देखभाल व शिक्षा का विस्तार तथा बेहतरीकरण, विशेष रूप से सर्वाधिक संवेदनशील व लाभों से वंचित बच्चों के लिए।
० यह सुनिश्चित करना कि 2015 तक सभी बच्चे, विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों में और जातिगत अल्पसंख्यक बालिकाएं, पूर्ण, मुफ्त तथा अच्छी गुणवत्ता की प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर सकें।
० यह सुनिश्चित करना कि सभी युवाओं तथा वयस्कों को सीखने की आवश्यकता, सीखने तथा जीवन-कौशल के उचित कार्यक्रमों की समान उपलब्धता हो।
० 2015 तक वयस्क साक्षरता में 50% सुधार हासिल करना, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, तथा सभी वयस्कों के लिए मूल व सतत् शिक्षा की समान उपलब्धता हो।
० 2015 तक प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक विषमता समाप्त करना, और 2015 तक बालिकाओं को शिक्षा की पूर्ण तथा बराबर उपलब्धता पर ध्यान केन्द्रित कर अच्छी गुणवत्ता की मूल शिक्षा की उपलब्धि हासिल कर शिक्षा में लैंगिक समानता प्राप्त करना।
० शिक्षा की गुणवत्ता के सभी पहलुओं को बेहतर बनाना और सभी की सर्वश्रेष्ठता सुनिश्चित करना ताकि सीखने के मान्य व मापे जाने योग्य परिणाम, सभी द्वारा प्राप्त किए जा सकें, विशेष रूप से साक्षरता, अंकज्ञान तथा आवश्यक जीवन कौशल।

अधिगम अक्षमताएं ।।

अधिगम अक्षमता अर्थ, विशेषता एवं वर्गीकरण

परिचय

आज शिक्षा के सार्वभौमिककरण के प्रयास के तहत विशिष्ट शिक्षा के संप्रत्यय को बल मिला है लेकिन लोगों में अभी भी जागरूकता का अभाव है। विशिष्ट बालक कौन है और विशिष्टता के कितने प्रकार हैं, इस संदर्भ में या तो लोगों को जानकारी ही नहीं है या फिर अपुर्ण जानकारी है।  विशिष्ट बालक के मुख्य प्रकार जैसे अस्थि विकलांगता, श्रवण विकलांगता, दृष्टि विकलांगता आदि में तो फिर भी लोग अंतर कर लेते हैं लेकिन मानसिक मंदता, अधिगम अक्षमता पागलपन आदि की जानकारी उन्हें नहीं है।  भ्रमवश वे इन सबको एक ही अर्थ में समझते हैं तथा एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं। यह बहुत गंभीर समस्या। अधिगम अक्षमता के साथ ऐसा अधिकांशत: होता है।

हर प्रकार के विशिष्टता की अपनी प्रकृति होती है और उस प्रकृति के अनुकूल ही हमें शिक्षण अधिगम – प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। अत: यह आवश्यक है कि हम विशिष्ट बालकों के विभिन्न प्रकार को जाने एवं समझें। इसी क्रम में, इस इकाई में यह विशिष्ट बालकों को एक प्रकार, अधिगम अक्षमता की परिभाषा, प्रकृति क्षण, विभिन्न प्रकार एवं विशिष्ट बालकों के अन्य प्रकार से अंतर की चर्चा करेंगे।

उद्देश्य

इस ईकाई के अध्ययन के पश्चात् आप

  • अधिगम अक्षमता की परिभाषा, प्रकृति, विशेषता की व्याख्या कर सकेंगे
  • अधिगम अक्षमता के विभिन्न प्रकार का वर्णन कर सकेंगे
  • अन्य प्रकार की विकलांगताओं एवं अधिगम अक्षमता में अंतर कर सकेंगे।

अधिगम अक्षमता

अधिगम अक्षमता अर्थ और परिभाषा

अधिगम अक्षमता पद दो अलग – अलग पदों अधिगम अक्षमता से मिलकर बना है।  अधिगम शब्द का आशय सीखने से है तथा अक्षमता का तात्पर्य क्षमता के अभाव या क्षमता की अनुपस्थिति से है। अर्थात सामान्य भाषा में अधिगम अक्षमता का तात्पर्य सीखने क्षमता  अथवा योग्यता की कमी या अनुपस्थिति से है।  सीखने में कठिनाइयों को समझने के लिए हमें एक बच्चे की सीखने की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का आकलन करना चाहिए।  प्रभावी अधिगम के लिए मजबूत अभीप्रेरणा, सकारात्मक आत्म छवि, और उचित अध्ययन प्रथाएँ एवं रणनीतियां आवश्यक शर्तें हैं (एरो, जेरे-फोलोटिया, हेन्गारी, कारिउकी तथा मकानडावार, 2011) औपचारिक शब्दों में अधिगम अक्षमता को विद्यालयी पाठ्यक्रम सीखने की क्षमता की कमी या अनुपस्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 ई. में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था और इसे निम्न शब्दों में परिभषित किया था।

अधिगम अक्षमता को वाक्, भाषा, पठन, लेखन अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से किसी एक या अधिक प्रक्रियाओं में मंदता, विकृति अथवा अवरूद्ध विकास के रूप में परिभाषित किया जा सकता हैं हो संभवता: मस्तिष्क कार्यविरूपता और या संवेगात्मक अथवा व्यवाहरिक विक्षोभ का परिणाम है न कि मानसिक मंदता, संवेदी अक्षमता अथवा संस्कृतिक अनुदेशन कारक का।  (किर्क, 1963)

इसके पश्चात् से अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने के लिए विद्वानों द्वारा निरंतर प्रयास किये किए गए लेकिन कोई सर्वमान्य परिभाषा विकसित नहीं हो पाई।

अमेरिका में विकसित फेडरल परिभाषा के अनुसार, विशिष्ट अधिगम अक्षमता को, लिखित एवं मौखिक भाषा के प्रयोग एवं समझने में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक  प्रक्रिया में विकृति, जो व्यक्ति के सोच, वाक्, पठन, लेखन, एवं अंकगणितीय गणना को पूर्ण या आंशिक रूप में प्रभावित करता है, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।  इसके अंतर्गत इन्द्रियजनित विकलांगता, मस्तिष्क क्षति, अल्पतम असामान्य दिमागी, प्रक्रिया, डिस्लेक्सिया, एवं विकासात्मक वाच्चाघात आदि शामिल है।  इसके अंतर्गत वैसे बालक नहीं सम्मिलित  किए जाते हैं, जो दृष्टि, श्रवण या गामक विकलांगता, संवेगात्मक विक्षोभ, मानसिक मंदता, संस्कृतिक या आर्थिक दोष के परिणामत: अधिगम संबंधी समस्या से पीड़ित है।  (फेडरल रजिस्टर, 1977)

वर्ष 1994 में अमेरिका की अधिगम अक्षमता की राष्ट्रीय संयुक्त समिति (द नेशनल ज्वायंट कमिटी ऑन लंर्निंग डिसेब्लिटिज्म) ने अधिगम अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि अधिगम अक्षमता एक सामान्य पद है, जो मानव में अनुमानत: केन्द्रीय तांत्रिक तंत्र के सुचारू रूप से नहीं कार्य करने के कारण उत्पन्न आन्तरिक विकृतियों के विषम समूह, जिसमें की बोलने, सुनने, पढ़ने, लिखने, तर्क करने या गणितीय क्षमता के प्रयोग में कठिनाई शामिल होते हैं, को दर्शाता है। जीवन के किसी भी पड़ाव पर यह उत्पन्न हो सकता है।  हालाँकि अधिकतम अक्षमता अन्य प्रकार की अक्षमताओं (जैसे की संवेदी अक्षमता, मानिसक मंदता, गंभीर संवेगात्मक विक्षोभ) या संस्कृतिक भिन्नता, अनुपयुक्तता या अपर्याप्त अनुदेशन के प्रभाव के कारण होता है लेकिन ये दशाएँ अधिगम अक्षमता को प्रत्यक्षत: प्रभावित नहीं करती है. (डी नेशनल ज्वायंट कमिटी ऑन लंर्निंग डिसेब्लिटिज्म - 1994).

उपर्युक्त परिभाषाओं की समीक्षा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिगम अक्षमता एक व्यापक संप्रत्यय है, जिसके अंर्तगत वाक्, भाषा, पठन, लेखन, एवं अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से एक या अधिक के प्रयोग में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति को शामिल किया जाता है, जो अनुमानत: केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से नहीं कार्य करने के कारण उत्पन्न होता है। यह स्वभाव से आंतरिक होता है।

ऐतिहासिक परिदृश्य

अधिगम अक्षमता के इतिहास पर दृष्टिपात करने से आप पाएँगे कि इस पद ने अपना वर्तमान स्वरुप ग्रहण करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है। इस पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 ई. सैमुअल किर्क ने किया था। यह पद आज सार्वभौम एवं सर्वमान्य है। जिसके पूर्व विद्वानों ने अपने – अपने कार्यक्षेत्र के आधार पर अनेक नामकरण किए थे। जैसे – न्यूनतम मस्तिष्क क्षतिग्रस्तता (औषधि विज्ञानियों या चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा). मनोस्नायूजनित  विकलांगता (मनोवैज्ञानिकों + स्नायुवैज्ञानिकों द्वारा), अतिक्रियाशिलता (मनोवैज्ञानिकों द्वारा), न्यूनतम उपलब्धता (शिक्षा मनोवैज्ञानिकों द्वारा) आदि।

रेड्डी, रमार एवं कुशमा (2003) ने अधिगम अक्षमता के क्षेत्र के विकास को तीन निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया है -

  • प्रारंभिक काल
  • रूपांतरण काल
  • स्थापन काल

प्रारंभिक काल – यह काल अधिगम अक्षमता के उदभव से संबंधित है।  वर्ष 1802 से 1946  के मध्य का यह समय अधिगम अक्षमता के लिए कार्यकारी साबित हुआ। अधिगम अक्षमता प्रत्यय की पहचान एवं विकास सी समय से आरंभ हुई तथा उनकी पहचान तथा उपयुक्त निराकरण हेतु प्रयास किए जाने लगे।

रूपांतरण काल – यह काल अधिगम अक्षमता के क्षेत्र में एक नये रूपांतरण का काल के रूप में जाना जाता है।  जब अधिगम अक्षमता एक विशेष अक्षमता के रूप में स्थापित हुई तथा जब अधिगम अक्षमता प्रत्यय का उद्भव हुआ, इन दोनों के मध्य का संक्रमण का काल रही रूपांतरण काल से संबंधित है।

स्थापन काल – 60 के दशक के मध्य में अधिगम अक्षमता से संबंधित कठिनाइयों को सामूहिक रूप से पहचान की प्राप्ति हुई। इस काल में ही सैमुअल किर्क ने 1963 में अधिगम अक्षमता शब्द को प्रतिपादित किया। 60 के दशक के बाद इस क्षेत्र में अनेक विकासात्मक कार्य किए गए  विशिष्ट शिक्षा में अधिगम अक्षमता एक बड़े उपक्षेत्र के रूप में प्रतिस्थापित हुई।

क्रूकशैक ने 1972 में 40 शब्दों का एक शब्दकोष विकसित किया।  इसी क्रम में यदि आप कुर्त  गोल्डस्टीन द्वारा 1927 ई. 1936 ई. एवं 1939 ई. में किए गए कार्यों का मूल्यांकन करें तो आप पाएँगे कि उनके उनके द्वारा वैसे मस्तिष्कीय क्षतिग्रस्त सैनिकों जो प्रथम विश्वयुद्ध  में कार्यरत थे की अधिगम समस्याओं का जो उल्लेख किया गया है, वही अधिगम अक्षमता का आधार स्तंभ है. उनके अनुसार, ऐसे लोगों से अनुक्रिया प्राप्त करने में अधिक प्रयत्न करना पड़ता है।  इनमें आकृति पृष्ठभूमि भ्रम बना रहता है, ये अतिक्रियाशील होते हैं तथा इनकी क्रियाएँ उत्तेजनात्मक होती हैं। स्ट्रास (1939) ने अपने अध्ययन में कुछ लक्षण बताए थे जो मूलत: अधिगम अक्षम बालकों पर बल दिया जो बुद्धिलब्धि परिक्षण पर सामान्य से कम बुद्धिलब्धि   रखते थे। उन्होंने कहा कि यदि किसी बालक की बूद्धिलब्धि न्यून और साथ ही न्यूनतम शैक्षिक योग्यता प्राप्त करता है तो उसकी शैक्षिक योग्यता की न्यूनता का कारण बूद्धिलब्धि की न्यूनता ही है।  इन अध्ययनों को सैमुअल किर्क ने अपने अध्ययन का आधार बनाया और कहा कि अधिगम अक्षमता सिर्फ शैक्षिक न्यूनता नहीं है। यह न्यूनतम मस्तिष्क क्षतिग्रस्तता, पढ़ने की दक्षता में समस्या अतिक्रियाशिलता आदि जैसे गुणों का समूह है। उन्होंने ये भी कहा जो बालक इन सारे गुणों से संयुक्त रूप से पीड़ित है, वो अधिगम अक्षम बालक है। शैक्षिक न्यून बालकों के संबंध में अपने मत को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अधिगम अक्षम बालक शैक्षिक न्यूनता से पीड़ित होगा और यह न्यूनता उनके एवं वाह्य दशाओं के परिणाम के कारण ही नहीं बल्कि उसमें उपलब्ध न्यूनतम शैक्षिक दशाओं के कारण भी संभव है। सैमुअल किर्क ने इस कार्य को  और प्रसारित करने के लिए अधिगम अक्षमता अध्ययनकर्ताओं का एक संघ बनाया जिसे एशोसिएशन फॉर चिल्ड्रेन विद लर्निंग डिसएब्लिटी कहा गया और अधिगम अक्षमता शोध पत्रिका का प्रारंभ किया।  आज विश्व स्तर पर अधिगम अक्षमता संबंधी अध्ययन किए जा रहे हैं और अधिगम अक्षमता पर आधारित दो विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाएँ मौजूद हैं जो किए जा रहे अध्ययनों का प्रचार प्रसार करने में अपनी भूमिका निभा रही हैं।

भारत में इस संबंध में कार्य शुरू हुए अभी बहुत कम समय हुआ है आज यह पश्चिमी में अधिगम अक्षमता संबंधी हो रहे कार्यों के तुलनीय है।  भारत वर्ष में अधिगम अक्षम बालकों की पहचान विदेशियों द्वारा की गई लेकिन धीरे – धीरे भारतियों में भी जागरूकता बढ़ रही है।  वर्तमान में भारत में सरकारी और गैर – सरकारी संस्थाएँ इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।  लेकिन, आज भी अधिगम अक्षमता में भारत में कानूनी विकलांगता के रूप में पहचान नहीं मिली है।  नि:शक्त जन (समान अवसर, अधिकार संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 में उल्लेखित सात प्रकार की विकलांगता में यह शामिल नहीं है। ज्ञात हो कि यही अधिनियम भारतवर्ष में विकलांगता के क्षेत्र में सबसे वृहद कानून है। अर्थात भारत में अधिगम अक्षम बालक को कानूनी रूप से विशिष्ट सेवा पाने का आधार नहीं है।

अधिगम अक्षमता की प्रकृति एवं विशेषताएँ

अधिगम संबंधी कठिनाई, श्रवण, दृष्टि, स्वास्थ, वाक् एवं संवेग आदि से संबंधित अस्थायी समस्याओं से जुड़ी होती है।  समस्या का समाधान होते ही अधिगम संबंधी वह कठिनाई समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत अधिगम अक्षमता उस स्थिति को कहते हैं जहाँ व्यक्ति की योग्यता एवं उपलब्धि में एक स्पष्ट अंतर हो।  यह अंतर संभवत: स्नायूजनित होता है तथा यह व्यक्ति विशेष में आजीवन उपस्थित रहता है।

चूंकि अधिगम अक्षमता को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है और जनगणना में अधिगम अक्षमता  को आधार नहीं बनाया जाता है। इसलिए देश में मौजूद अधिगम अक्षम बालकों के संबंध में ठीक – ठीक आंकड़ा प्रदान करना तो अति मुश्किल है लेकिन एक अनुमान के अनुसार यह कहा जा सकता है कि देश में इस प्रकार के बालकों की संख्या अन्य प्रकार के विकलांगता बालकों की संख्या से कहीं ज्यादा है। यह संख्या, देश में उपलब्ध कुल स्कूली जनसंख्या के 1-42 प्रतिशत तक हो सकता है। वर्ष 2012 में चेन्नई में समावेशी शिक्षा एवं व्यवसायिक विकल्प विषय पर सम्पन्न हुए एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन लर्न 2012 में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में लगभग 10% बालक अधिगम अक्षम हैं। (टाइम्स ऑफ़ इंडिया, जनवरी 27,2012)

अधिगम अक्षमता की विभिन्न मान्यताओं पर दृष्टिपात करने से अधिगम अक्षमता की प्रकृति के संबंध में आपको निम्नलिखित बातें दृष्टिगोचर होगी-

  1. अधिगम अक्षमता आंतरिक होती है।
  2. यह स्थायी स्वरुप का होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन विद्यमान रहता है।
  3. यह कोई एक विकृति नहीं बल्कि विकृतियों का एक विषम समूह है।
  4. इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में कई प्रकार के व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती है।
  5. चूंकि यह समस्या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यविरूपता से संबंधित है, अत: यह एक जैविक समस्या है।
  6. यह अन्य प्रकार की विकृतियों के साथ हो सकता है, जैसे – अधिगम अक्षमता और संवेगात्मक विक्षोभ तथा
  7. यह श्रवण, सोच, वाक्, पठन, लेखन एवं अंकगणिततीय गणना में शामिल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति के फलस्वरूप उत्पन्न होता है, अत: यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या भी है।

अधिगम अक्षम बालक

  • सामान्य और सामान्य से थोड़ा ज्यादा सोचने एवं तर्क करने की योग्यता
  • औसत विद्यालय उपलब्धि से निम्न का प्रदर्शन
  • उपलब्धि और योग्यता केबीच में सार्थक अंतर का प्रदर्शन
  • निष्पादन संबंधी कठिनाई से युक्त।

अधिगम अक्षमता के लक्षण को आप अधिगम अक्षम बालकों की विशेषताओं के संदर्भ में समझ सकते हैं।

उपरोक्त मुख्य लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी प्रदर्शित कर सकते हैं.जो निम्नलिखित है –

  • बिना सोचे – विचारे कार्य करना
  • उपयुक्त आचरण नहीं करना
  • निर्णयात्मक क्षमता का अभाव
  • स्वयं के प्रति लापरवाही
  • लक्ष्य से आसानी से विचलित होना
  • सामान्य ध्वनियों एवं दृश्यों के प्रति आकर्षण
  • ध्यान कम केन्द्रित करना या ध्यान का भटकाव
  • भावात्मक अस्थिरता
  • एक ही स्थिति में शांत एवं स्थिर रहने की असमर्थता
  • स्वप्रगति के प्रति लापरवाही बरतना
  • सामान्य से ज्यादा सक्रियता
  • गामक क्रियाओं में बाधा
  • कार्य करने की मंद गति
  • सामान्य कार्य को संपादित करने के लिए एक से अधिक बार प्रयास करना
  • पाठ्य सहगामी क्रियाओं में शामिल नहीं होना
  • क्षीण स्मरण शक्ति का होना
  • बिना वाह्य हस्तक्षेप के अन्य गतिविधियों में भाग लेना में असमर्थ होना तथा
  • प्रत्यक्षीकरण संबंधी दोष।

अधिगम अक्षमता का वर्गीकरण

अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है।  ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं।  इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित है -

अधिगम संबंधी कठिनाइयां   ~    (Learning Disabilities)

बीमारी--------------> सम्बन्धित विकार

डिस्लेक्सिया------- पठन संबंधी विकार / समस्या
डिस्ग्राफिया------- लेखन संबंधी विकार / समस्या
डिस्केलकुलिया---- गणना संबंधी विकार / समस्या(गणितीय कौशल संबंधी विकार)
डिस्प्रेक्सिया------- लेखन ,पठन,वाचन,गणना संबंधी विकार / समस्या (एक से अधिक विकार){गतिक कौशल संबंधी विकार / समस्या}
डिस्थीमिया------  तनाव संबंधी विकार / समस्या
डिस्मोरफ़िया------ स्वयं को दूसरों से सुंदर लंबा और ताकतवर समझना
अफ़ेज़िया (अफेज्या) --------- भाषा संप्रेषण संबंधी विकार / समस्या
डिस्फ़ेज़िया------ जब अफ़ेज़िया शारीरिक विकार के कारण हो
बुलिमिया (बुलीमिया) -------- भोजन ग्रहण प्रवृत्ति से संबंधित विकार समस्या
प्रोजेरिया-------- कम आयु में वृद्धावस्था के लक्षण (कम आयु में वृद्ध दिखना)
डिमेन्सिया------ तर्क ना कर पाना,स्मरण शक्ति कमजोर होना
ADHD ------  अवधान (ध्यान) संबंधी समस्या
एलेक्सिया  ------  सीखने में अक्षमता
डिस्फैसिया   ------   (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
डिस्प्रैक्सिया ------ (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
डिसऑर्थोग्राफ़िया  ------  (वर्तनी संबंधी विकार)
ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर ------  (श्रवण संबंधी विकार)
विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर  ------ (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर ------  (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर ------  (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)

अब आप बारी – बारी से एक – एक का अध्ययन करेंगे।

डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच)। वर्ष 1887 में एक जर्मन नेत्र रोग विशेषज्ञ रूडोल्बर्लिन द्वारा खोजे गए इस शब्द को शब्द अंधता भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप, मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।

डिस्लेक्सिया के लक्षण - इसके निम्नलिखित लक्षण है –

1.वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
2.अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
3.एकाग्रता में कठिनाई
4.पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
5.शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर – उधर कर पढ़ा जाना, 6.जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना
7.वर्तनी दोष से पीड़ित होना
8.समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
9.शब्दकोष का अभाव
10.भाषा का अर्थपूर्ण प्रयोग का अभाव तथा
11.क्षीण स्मरण शक्ति

डिस्लेक्सिया की पहचान – उपर्युक्त लक्षण हालाँकि डिस्लेक्सिया की पहचान करने में उपयोगी होते हैं लेकिन इस लक्षणों के आधार पर पूर्णत: विश्वास के साथ किसी भी व्यक्ति को डिस्लेक्सिया घोषित नहीं किया जा सकता है। डिस्लेक्सिया की पहचान करने के लिए सं 1973 में अमेरिकन फिजिशियन एलेना बोडर ने बोड टेस्ट ऑफ़ रीडिंग स्पेलिंग पैटर्न नामक एक परिक्षण का विकास किया। भारत में इसके लिए डिस्लेक्सिया अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट और डिस्लेक्सिया स्क्रीनिंगटेस्ट का प्रयोग किया जाता है।

डिस्लेक्सिया का उपचार – डिस्लेक्सिया पूर्ण उपचार अंसभव है लेकिन इसको उचित शिक्षण - अधिगम पद्धति के द्वारा निम्नतम स्तर पर लाया जा सकता है।

डिसग्राफिया
डिसग्राफिया अधिगम अक्षमता का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, ख़राब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसबलिटिज्म, 2006)।

डिसग्राफिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –

1.लिखते समय स्वयं से बातें करना।
2.अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर को लिखना
3.पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना
4.लेखन समग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना
5.अपठनीय हस्तलेखन
6.लाइनों का ऊपर – नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा
7.अपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना

उपचार कार्यक्रम – चूंकि यह एक लेखन संबंधी विकार है, अत: इसके उपचार के लिए यह आवश्यक है कि इस अधिगम अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाय।

डिस्कैलकुलिया
यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है इसके अन्तरगत अंकों संख्याओं के अर्थ समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों एवं सिंद्धांतों के प्रयोग की अयोग्यता तथा सभी प्रकार के गणितीय अक्षमता शामिल है।

डिस्कैलकुलिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –

1.नाम एवं चेहरा पहचनाने में कठिनाई
2.अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई
3.अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना
4.गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग
5.वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई
6.चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई
7.दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ
8.नकद अंतरण या भुगतान से डर
9.समय की अनुपयुक्त समझ के कारण समय - सारणी बनाने में कठिनाई का अनुभव करना।

डिस्कैलकुलिया के कारण – इसका करण मस्तिष्क में उपस्थित कार्टेक्स की कार्यविरूपता को माना जाता है। कभी - कभी तार्किक चिंतन क्षमता के अभाव के कारण उया कर्य्क्रारी स्मिरती के अभाव के कारण भी डिस्ग्राफिया उत्पन्न होता है।

डिस्कैलकुलिया का उपचार – उचित शिक्षण- अधिगम रणनीति अपनाकर डिस्कैलकुलिया को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं –

1.जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधी उदहारण प्रस्तुत करना
2.गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना
3.फ्लैश कार्ड्स और कम्प्यूटर गेम्स का प्रयोग करना तथा
4.गणित को सरल करना और यह बताना कि यह एक कौशल है जिसे अर्जित किया जा सकता है।

डिस्फैसिया/डिस्फ़ेज़िया
ग्रीक भाषा के दो शब्दों डिस और फासिया जिनके शाब्दिक अर्थ अक्षमता एवं वाक् होते हैं से मिलकर बने है, शब्द डिस्फैसिया का शाब्दिक अर्थ वाक् अक्षमता से है। यह एक भाषा एवं वाक् संबंधी विकृति है जिससे ग्रसित बच्चे विचार की अभिव्यक्ति व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।

डिस्प्रेक्सिया
यह मुख्य रूप से चित्रांकन संबंधी अक्षमता की ओर संकेत करता है। इससे ग्रसित बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।

अधिगम अक्षमता और मानसिक मंदता
अधिगम अक्षमता और मानसिक मंदता पद एक सामान्य आदमी भाषा में एक दूसरे के पर्याय हैं और भ्रमवश वे दोनों पदों का एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं। यह सवर्था गलत है। अधिगम अक्षमता और मानसिक मंदता में स्पष्ट अंतर है जिन्हें आप उनकी परिभाषाओं के माध्यम से समझ सकेंगे।

अधिगम अक्षमता को लिखित या मौखिक भाषा के प्रयोग में शामिल किसी एक या अधिक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं में कार्यविरूपता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जबकी मानसिक मंदता को मानसिक विकास की ऐसी अवस्था के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें बच्चों का बौद्धिक विकास औसत बुद्धि वाले बालकों से कम होता है। 
इस अंतर को आप निम्नलिखित तालिका के माध्यम से आप और स्पष्ट कर सकते हैं –

अधिगम अक्षमता
1. औसत या औसत से ज्यादा बूद्धिलब्धि प्राप्तांक 
2. मस्तिष्क की सामान्य कार्य- प्रणाली बाधित नहीं होती है या औसत होती है
3. योग्यता और उपलब्धि में स्पष्ट अंतर
4. अधिगम अक्षम व्यक्ति मानसिक मंदता से ग्रसित हो यह आवश्यक नहीं है
5. यह किसी में भी हो सकता है

मानसिक मंदता
1. बूद्धिलब्धि प्राप्तांक 70 या उससे कम
2. मस्तिष्क की सामान्य कार्य प्रणाली औसत से कम
3. दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में पूर्णत: अक्षम या कठिनाई का सामना
4. मानसिक मंद व्यक्ति आवश्यक रूप से अधिगम अक्षमता से ग्रसित होते हैं
5.यह महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा पाई जाती है
अधिगम अक्षमता और स्लो लर्नर्स व पिछड़े बालक

अधिगम अक्षमता पद भ्रमवश स्लो लर्नर्स बालकों के लिए भी सामान्यत: प्रयोग किया जाता है। वर्तमान परिदृश्य में भी एक बहुत बड़ी जनसंख्या इन दोनों पदों का प्रयोग एक ही अर्थ में करती है। यह इन दोनों ही पदों का अनुपयुक्त प्रयोग है। दोनों पद एक दुसरे से सर्वथा भिन्न हैं। दोनों पदों के बीच स्पष्ट खिंची विभाजन रेखा को आप इनकी परिभाषाओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं।

एक स्लो लर्नर्स औसत से कम बुद्धि का बालक होता है जिसके सोचने की क्षमता, उस आयु समूह के बालकों के लिए निश्चित किए गए मानदंड से कम होता है। ऐसे बालक विकास की सभी अवस्थाओं से गुजरते हैं जो उसके लिए है लेकिन उस आयु समूह के सामान्य बालकों की तुलना में सार्थक रूप से धीमी गति से जबकि एक अधिगम अक्षम बालक औसत या ज्यादा बुद्धिवाला होता है जिसे कुछ विशिष्ट समस्याएँ होती हैं जो अधिगम को बहुत कठिन बना देती हैं। इस प्रकार अधिगम अक्षमता स्लो लर्निंग से भिन्न संप्रत्यय है।

पिछड़े बालक पद एक सापेक्ष पद है जिसकी व्याख्या शिक्षा, आर्थिक स्थिति, मानसिक स्थिति, सामाजिक स्थिती आदि के संदर्भ में की जाती है। यहाँ हम शिक्षा के संदर्भ में इसकी व्याख्या करेंगे। शिक्षा के संदर्भ में यह बालकों के एक विशिष्ट वर्ग को इंगित करता है जो किसी भी कारणवश अपने उम्र के अन्य बालकों ए कम निष्पादन करते हैं। वो मानिसक मंदता से ग्रसित हो सकते हैं या अधिगम अक्षमता से या फिर कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पिछड़े हो सकते है। ये सब पिछड़े हुए बालक कहे जाएंगे।

अधिगम अक्षमता के संर्दभ में इसका अध्ययन करने पर आप पाएँगे कि अधिगम अक्षमता पद इसकी तुलना में एक संकीर्ण पद है। पिछड़े बालक पद एक अति व्यापक पद है। ये दोनों पद एक – दुसरे के पर्याय नहीं हैं बल्कि ये एक दुसरे से सार्थक रूप से भिन्न हैं। अधिगम अक्षमता और शैक्षिक रूप से पिछड़े बालक के मध्य अंतर को आप तालिका 2 के माध्यम से और स्पष्ट रूप से समझ सकेंगे।

सारांश

प्रस्तुत इकाई में हमने अधिगम अक्षमता के अर्थ, प्रकृति, लक्षण आदि पर चर्चा की और इस पर भी विवेचन किया है कि अधिगम संबंधी कठिनाई से अधिगम अक्षमता किस प्रकार अलग है। हमने अधिगम क्षमता के विभिन्न प्रकार, उनके लक्षण, कारण, उपचार एवं उनसे प्रभावित होनेवाले कौशलों की भी चर्चा की है। अधिगम अक्षमता के इतिहास एवं इसके प्रसार को भी स्पष्ट किया है। अधिगम अक्षमता का अन्य प्रकार की अक्षमताओं से जैसे मानसिक मंदता, स्लो लर्निंग, शैक्षिक पिछड़ापन आदि से अंतर को भी इस इकाई में स्पष्ट किया गया है।