➤ बाल मनोविज्ञान का ही नाम बाल -विकास कर दिया गया है। बाल मनोविज्ञान गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास गर्भावस्था से किशोरवस्था तक का अध्ययन करता है।
➤ विकास का प्रारम्भ – गर्भावस्था
➤ विकास की पहली अवस्था - शैशवावस्था
➤ संज्ञानात्मक विकास का प्रारम्भ – शैशवावस्था
➤ बाल विकास का सबसे पहले वैज्ञानिक अध्ययन पेस्टोलाजी के द्वारा - 1774 में किया गया था।
➤ इन्होने अपने 3.50 वर्षीय पुत्र का अध्ययन कर एक पुस्तक प्रकाशित की जिसका नाम था – BABY BIOGRAPHY
➤ इनके पश्चात् 1781 में टाइडमैन के द्वारा भी अपने 3.50 वर्षीय पुत्र का अध्ययन कर BABY BIOGRAPHY पुस्तक लिखि गई।
➤ 1881 में प्रेयर के द्वारा बाल विकास का अधि क्रमबद्ध, व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन किया गया। एवं पुस्तक लिखि गई – THE MIND OF A CHILD
➤ उपरोक्त अध्ययन होने के पश्चात् मैडम मारिया मोण्टेसरी एवं फ्रोबेल के द्वारा बाल विकास में और अधिक कार्य किया गया।
➤ इन दोनो के द्वारा बालकों की आयु एवं उनके मानसिक स्तर के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था करना बताया गया।
➤ करके सीखने पर जोर दिया गया एवं कक्षा कक्ष वातावरण हठोरे बालकों के अनुरूप बनाने को कहा गया।
➤ इसके पश्चात् स्टेन्ली हॉल के द्वारा इस दिशा में अत्यधिक प्रयास किए गए व दो संस्थाओ
➤ (1) THE CHILD STUDY SOCIETY
(2) THE CHILD WEIFARE ORGANISATION
➤ इन संस्थाओं में स्टेन्ली हॉल ने किशोर बालको के लिए अत्यधिक कार्य किया इसलिए स्टेन्ली हॉल को किशोरवास्था का जनक माना जाता है।
➤ स्टेन्ली हॉल के प्रयासों से 1887 में NEW YORK में पहला बाल सुधार गृह स्थापित किया गया।
➤ इसी के परिणाम स्वरूप विश्वभर में किशोरावस्था के लिए बहुत अध्ययन किया जाने लगा।
➤ 1930 में भारत में बाल सुधार एवं बाल विकास पर अध्ययन प्रारम्भ हुआ।
➤ कलकत्ता के डॉक्टर N.N. सेन गुप्ता के द्वारा भारत में पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला खोली गई। (1916) में
➤ उपरोक्त आधारों पर बाल विकास का अध्ययन निरंतर जारी है।
(Special REET Exam)
0 comments:
Post a Comment