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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

मानव जीवन में शिक्षा का महत्त्व ।।

▪️ 21 वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमान उन्ही के हाथों में होगी जो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देगे। नेल्सन मंडेला ने एक बार कहा था, शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं'।

▪️ शिक्षा अपने चारों ओर की चीजों को सीखने की एक प्रक्रिया है। यह हमें किसी भी वस्तु या परिस्थिति को आसानी से समझने, किसी भी तरह की समस्या से निपटने और पूरे जीवन भर विभिन्न आयामों में सन्तुलन बनाए रखने में हमारी सहायता करती है। शिक्षा से मनुष्य केवल ज्ञान और रोजगार तक सीमित नहीं हो सकता है, शिक्षा स्वतंत्रता को जन्म देती है।

▪️ जॉर्ज वाशिंगटन के विचारो में 'शिक्षा स्वतंत्रता के सुनहरे दरवाजों को खोलने की कुंजी है' हम अपने हक के बारे में जानते हैं, शिक्षा से एक सभ्य समाज का निर्माण है। शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है। इस लिए शिक्षा सभी मनुष्यों का सबसे पहला और सबसे आवश्यक अधिकार है। बिना शिक्षा के हम अधूरे हैं, और हमारा जीवन बेकार है। शिक्षा हमें अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह हमारे ज्ञान, कुशलता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में सुधार करती है। यह हमारे जीवन में दूसरों से बात करने की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है। शिक्षा परिपक्वता लाती है और समाज के बदलते परिवेश में रहना सिखाती है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक वृद्धि और तकनीकी उन्नति का रास्ता है।

▪️ आज बदलते दौर में शिक्षा की उपयोगिता पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षा के आभाव में मनुष्य आज्ञानी हो जाता है, इसका उदाहरण वैश्विक महामारी कोरोना में देखने को कही अधिक मिला है। समाज में व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वास, पाखंड शिक्षा के आभाव का परिलाक्षित होता है। और इसका सीधा असर व्यक्ति के सेहत से जुड़ जाता है, अक्सर देखने को मिलता है कि अंधविश्वास के चलते मनुष्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है। कभी कभी तो जान तक गवाना पड़ जाता है। ये मामले अधिकतर उन हिस्से में देखने को मिलता है जहाँ शिक्षा का आभाव होता है।

▪️ आज जिस तरह से वैश्विक परिदृश्य में बदलाव हो रहे हैं, तमाम तरह के समस्या जैसे घरेल हिंसा, निर्धनता, सामाजिक दुर्व्यहार, न्याय से वंचित समाज, जिसकी खामियाजा भुगतना उन लोगो को पड़ता है जो आज्ञानी है और दूसरों पर निर्भर होते हैं। आज जिस तेजी से बढ़ रही जनसंख्या वृद्धि, लैंगिक भेदभाव, ये एक चिंता का विषय है।

▪️ हम अपने देश की बात करे तो संयुक्त राष्ट्र की “विश्व जनसंख्या प्रोस्पेक्टर्स 2019 रिपोर्ट“ के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या में 273 मिलियन का इजाफा हो जाएगा जो विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि होगी।

▪️ भारत अभी भी उन देशों में जहां कार्यशील जनसंख्या सर्वाधिक तेजी से बढ़ रही है। जो आर्थिक संवृद्धि के अवसरों को तीव्र करता है। 2047 तक भारत की जनसंख्या वृद्धि संवृद्धि अपने चरम पर होगी। ऐसे में बदलते नये भारत के लिए निशिचित ही जरूरी है, की हम अपने शिक्षा व्यवस्था में वैश्विक मानकों के अनुसार जरूरी परिवर्तन करे।

▪️ जिसके समग्र विकास के लिए भारत के युवा को एक खास शिक्षा की जरूरत पड़ेगी और भारत को उस पे निवेश करना होगा। तभी एक बेहत भविष्य का निमार्ण होगा। भारत को अपने सबसे महत्वपूर्ण पूंजी अपने नागरिकों की शिक्षा गुणवत्ता पर गंभीर रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

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