❇️17वीं शताब्दी से ही दर्शन के साथ मनोविज्ञान के अध्ययन पर बुद्धि के स्वरूप संरचना प्रकार व सैद्धांतिक आधार की चर्चा प्रारंभ हो गई थी।
🔰ई.एल. थार्नडाइक ने बुद्धि के तीन प्रकार बताए हैं✅
1 सामाजिक बुद्धि
2 मूर्त बुद्धि
3 अमूर्त बुद्धि
🔰सामाजिक बुद्धि(Social Intelligence)
❇️सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता, जिसके सहारे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को ठीक ढंग से समझता है व व्यवहार कुशलता दिखा पाता है|
ऐसे लोगों का सामाजिक संबंध बहुत ही अच्छा होता है व समाज में उनकी बहुत इज्जत होती है।
जैसे- शिक्षक,अच्छे नेता इत्यादि।
🔰मूर्त बुद्धि ( Concrete Intelligence)
❇️मूर्त बुद्धि से तात्पर्य ऐसी मानसिक क्षमता जिसके सहारे व्यक्ति ठोस वस्तुओं का महत्व समझता हैं तथा उसका उपयोग ठीक ढंग से विभिन्न परिस्थितियों में करता है ऐसे बुद्धि वाले व्यक्ति सफल व्यापारी बन सकते हैं।
🔰अमूर्त बुद्धि(Abstract Intelligence)
❇️अमूर्त बुद्धि से तात्पर्य ऐसी मानसिक क्षमता जिसके सहारे व्यक्ति शाब्दिक तथा गणितीय संकेतों व चिन्हों को आसानी से समझ पाता है व उनकी उचित व्याख्या कर पाता है ऐसे व्यक्ति जिनमें अमूर्त बुद्धि अधिक होती हैं वे सफल कलाकार, गणितज्ञ व पेंटर होते हैं।
❇️विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को निम्न परिभाषाओं से परिभाषित किया है
❇️वुडवर्थ के अनुसार ‘‘बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।’’
❇️बर्ट के अनुसार ‘‘बुद्धि अच्छी तरह निर्णय करने, समझने एवं तर्क करने की योग्यता है।
❇️बंकिंघम के अनुसार ‘‘सीखने की योग्यता ही बुद्धि है।’’
❇️मन के अनुसार ‘‘नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता।’’
🔰🔰बुद्धि के सिद्धातं✅✅
❇️बुद्धि के अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किये गये है जो उसके स्वरूप पर पर्याप्त प्रकाश डालते है। इसके प्रमुख सिद्धांत है-
1. एक खण्ड का सिद्धांत।
2. दो खण्ड का सिद्धांत।
3. तीन खण्ड का सिद्धांत
4. बहु खण्ड का सिद्धांत।
5. मात्रा सिद्धांत।
6. वर्ग घटक सिद्धांत।
7. क्रमिक महत्व का सिद्धांत
🔰एक खण्ड का सिद्धांत-
❇️इस सिद्धातं के प्रतिपादक बिने और टर्मन है। उन्होंने बुद्धि को एक अखण्ड और अविभाज्य इकाई माना है। उनका मत है कि व्यक्ति की विभिन्न मानसिक योग्यताएं एक इकाई के रूप में कार्य करती है।
🔰दो खण्ड का सिद्धांत-
❇️इस सिद्धातं का प्रतिपादक स्पीयरमैन है। उनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में दो प्रकार की बुद्धि होती है- सामान्य बुद्धि तथा विशिष्ट बुद्धि।
🔰तीन खण्ड का सिद्धांत-
❇️यह सिद्धातं भी स्पीयरमैन के नाम से संबंधित है। उसने इसका नाम सामूहिक खण्ड दिया। उसने बुद्धि का एक खण्ड और बनाया।( सामान्य , विशिष्ट व सामुहिक बुद्धि)
🔰बहुखण्ड का सिद्धांत-
❇️स्पीयरमैन के बुद्धि के सिद्धातं पर आगे कार्य करके गिलफर्ड ने ‘‘बहुखण्ड का सिद्धांत’’ प्रतिपादित किया।
🔰क्रमिक महत्व का सिद्धांत-
❇️बर्ट तथा टर्मन ने मानसिक योग्यताओं को क्रमानुसार महत्व दिया है। यह क्रम इस प्रकार है-
सामान्य - स्मरण - चिन्तन - तर्क - कल्पना - विशेष मानसिक योग्यता
🔰प्रतिदर्श सिद्धांत-
❇️थोमसन द्वारा प्रतिपादित प्रतिदर्श का सिद्धांत
🔰त्रि-आयामी सिद्धांत-
❇️गिल्फोर्ड के द्वारा दिया गया सिद्धांत जिसमे गिल्फोर्ड में 1967 में डिब्बे के आकार का एक मोडल प्रस्तुत किया जिसे “बुद्धि संरचना मॉडल” कहते है| इस मोडल में मूल रूप से 120 कोष बताये गए है|
वर्तमान में 180 कोष बताये गये है।
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