० ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट या आधिकारिक गुप्त अधिनियम,1923 भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया जासूसी निरोधक कानून है. इस कानून को अंग्रेजों ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को जासूसी के आरोपों में फंसाने के लिए बनाया था. इस एक्ट में उन कार्यों और गतिविधियों के बारे में स्पष्ट बताया गया है जो कि अपराध की श्रेणी में आते हैं.
० तो आइये जानते हैं कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट में कौन कौन से कार्यों और गतिविधियों को करने से आपको 14 साल तक की सजा मिल सकती है.
० ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट पूरे भारत में लागू होता है साथ ही भारत सरकार के कर्मचारियों और भारत के बाहर भारत के नागरिकों के ऊपर भी लागू होता है. इसके अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल की जातीं हैं;
1. यदि कोई व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण बिल्डिंग का नक्सा या स्केच बनाता है, किसी फाइल की सीक्रेट जानकारी को नोट करता है जो कि देश के दुश्मन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए काफी हो.
2. यदि कोई व्यक्ति किसी गुप्त जानकारी को एकत्र, रिकॉर्ड, प्रकाशित या कोई गुप्त कोड या पासवर्ड, स्केच, योजना, मॉडल, आलेख या नोट या अन्य दस्तावेज को किसी ऐसे व्यक्ति को भेजता है जिससे कि देश की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करने की संभावना से संबंधित है, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी. जैसे अभी हालिया केस में सामने आया है कि DRDO का एक वैज्ञानिक ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी पाकिस्तान और अमेरिका को भेजा करता था.
3. एक व्यक्ति को विदेशी एजेंट के साथ जानकारी शेयर करने का दोषी माना जायेगा यदि;
i. कोई व्यक्ति, भारत के अन्दर या बाहर किसी विदेशी एजेंट के पते का दौरा करता है या उस एजेंट के साथ किसी तरह का सम्बन्ध रखता है, या_
ii. यदि किसी व्यक्ति के पास किसी विदेशी एजेंट का नाम, पता या अन्य जानकारी मिलती है या उसके द्वारा इस प्रकार की सीक्रेट जानकारी किसी और से कलेक्ट की गयी हो.
4. यदि भारत सरकार या प्रदेश सरकार का कोई कर्मचारी या जिसको सरकार की ओर से कोई कॉन्ट्रैक्ट दिया गया हो वह अपने पद या ऑफिस सम्बंधित जानकारी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शेयर करता है जिसके साथ उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं है, तो वह अपराधी माना जायेगा.
5. यदि कोई व्यक्ति किसी गुप्त जानकारी (जैसे कोई योजना, मॉडल, आलेख, नोट, दस्तावेज़, गुप्त कोड, पासवर्ड) को गुप्त रखने में विफल हो जाता है जिसको गुप्त रखना उसकी जिम्मेदारी थी.
इस मामले में एक चर्चित केस पूर्व भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता का है. उन्हें पाकिस्तान में अपनी तैनाती के दौरान भारत के दूतावास में रहते हुए पाकिस्तान की एजेंसी ISI को ईमेल से संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के मामले में 2010 में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गयी थी.
6. यदि कोई व्यक्ति देश के किसी गुप्त ऑपरेशन या लड़ाई या सैनिक कार्यवाही से सम्बंधित कोई नक्सा, फोटो, स्केच, योजना, मॉडल, लेख, नोट करना, दस्तावेज़ और जानकारी को देश के दुश्मनों या विदेशी एजेंट को भेजता है तो उसके खिलाफ इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी.
7. यदि व्यक्ति किसी प्रतिबंधित जगह में प्रवेश करने के उद्देश्य से निम्न कार्य करता है;
i. किसी भी नौसैनिक, मिलिट्री, वायु सेना, पुलिस इत्यादि स्थानों में घुसने के लिए फर्जी आधिकारिक वर्दी या किसी भी वर्दी को धोखा देने के उद्येश्य से पहनता है या ऐसी कोई वर्दी पहनकर झूठा अधिकारी बनकर किसी महत्वपूर्ण जगह में प्रवेश करने की कोशिश करता है.
ii. मौखिक या लिखित रूप से अपना गलत पद बताता है या किसी अन्य व्यक्ति को मौखिक या लिखित रूप से किसी ऐसी जगह पर भेजने की परमिशन देता है, जहाँ पर सीक्रेट जानकारी रखी हुई है या किसी झूठे पद का नाम बताकर नियम में किसी प्रकार की रियायत की मांग करता है.
8. यदि कोई व्यक्ति किसी भी पासपोर्ट या नौसेना, सैन्य, वायु सेना, पुलिस या आधिकारिक पास, परमिट, प्रमाण पत्र, लाइसेंस या इसी तरह के अन्य दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करता है, या इस प्रकार के फर्जी दस्तावेज अपने पास रखता है तो उसे इस एक्ट के तहत दोषी माना जायेगा.
9. इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि यदि अपराध करने वाला "एक कंपनी" है तो इस कंपनी को चलाने वाले और कंपनी के प्रति जिम्मेदार सभी लोग (कंपनी के साथ साथ) इस अपराध के लिए जिम्मेदार होंगे यदि अपराध इनके रहते हुआ है.
ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट में सजा का प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति ऊपर दिए आरोपों के लिए दोषी करार दिया जाता है तो उसे 3 साल तक की सजा होगी लेकिन यदि अपराध का सम्बन्ध रक्षा कार्यों, सेना शस्त्रागार, नौसेना, सैन्य या वायुसेना प्रतिष्ठान या स्टेशन, सुरंगों, कारखाना, डॉकयार्ड, शिविर, जहाज, गुप्त आधिकारिक कोड से सम्बन्धित हो तो उसे 14 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान है.
वर्ष 2014 से अब तक कितने केस दर्ज हुए
_गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने लोक सभा में बताया था कि वर्ष 2014 से ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन के 50 मामले देश में पंजीकृत हैं. इन 50 मामलों में से, 2016 में 30, वर्ष 2015 में 9 और 2014 में 11 मामले पंजीकृत हुए थे. वर्ष 2014 में पंजीकृत 30 मामलों में से आठ तमिलनाडु में जबकि पंजाब और उत्तर प्रदेश में 5 मामले दर्ज हुए थे.
ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट में सुधार
चूंकि यह कानून अंग्रेजों के समय 1923 में बनाया गया था इसलिए बदलते परिपेक्ष में इसमें परिवर्तन करना जरूरी हो गया है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस कानून के प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए जुलाई 2017 में कैबिनेट सचिवालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. दरअसल सरकार का लक्ष्य इसे अधिक पारदर्शी बनाने और सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुरूप बनाना है.
इस प्रकार आपने पढ़ा कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट क्या है और इसके अंतर्गत किस प्रकार के मामले दर्ज किये जाते हैं. उम्मीद है कि अब इन गतिविधियों को जानने के बाद आप जाने और अनजाने ऐसी किसी भी देशविरोधी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जिससे हमारे देश की संप्रभुता और सुरक्षा खतरे में पड़ जाए.
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