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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

पगोडा क्या होता है ?

#_पगोडा_शब्द_का_प्रयोग_नेपाल ,भारत_वर्मा_इंडोनेशिया _थाइलैंड_चीन_जापान एवं अन्य पूर्वीय देशों में #_भगवान्_बुद्ध अथवा किसी संत के अवशेषों पर निर्मित स्तंभाकृति मंदिरों के लिये किया जाता है।
इन्हें स्तूप भी कहते हैं।

परिचय

पगोडे प्राय:#_सूचीस्तंभीय (पिरैमिड आकार के), गुंबदीय_अथवा_बुर्ज_की_आकृति के होते हैं। 13 मंजिलों और 200 फुट ऊँचाई तक के पगोडे बने हैं।

#_भारत_तथा_पूर्वी_एशिया_के_पगोडों के शिखर पर एक मस्तूल पर बहुत सी राजकीय छतरियाँ लगी हुई होती हैं।

#_भारत_में_पगोडे प्राय: मंदिरों के द्वार पर अथवा मुख्य मूर्तिस्थल के ऊपर बनाए जाते हैं।

#_चीन_तथा_जापान_के पगोडों में स्तंभ वर्गीय, बहुभुजीय, अथवा वृत्तीय आकृति का होता है। उसमें अनेक, बहुधा पाँच, मंजिलें होती हैं।

#_भारत_का_प्रतिद्धतम_पगोडा_तंजौर_में_है
यह बहुत सुंदर और भारी है। इसका ऊपरी भाग लंबाकार 100 फुट का है और उसपर मूर्तिकला तक्षण का बहुत बारीक काम किया हुआ है।

#_उड़ीसा_प्रदेश_में_कोणार्क में नवीं शती ईसवी में बना एक #_काला_पगोडा है। यह सूर्यमंदिर है और हिंदू मंदिरों की भाँति बना है। इसकी केवल तीन मंजिलें शेष हैं।

#_बर्मा_में लगभग प्रत्येक गाँव में, जंगल में, मार्गों पर और प्रत्येक मुख्य पहाड़ी में पगोडे मिलेंगें। इनमें से अधिकांश धार्मिक दानशील व्यक्तियों द्वारा बनवाए गए हैं।

#_बर्मा_के_पगोडे_प्राय_बहुभुज_की_बजाय गोलाकृति के होते हैं। उन्हें डगोवा अथवा चैत्य कहा जाता है। वहाँ का प्राचीनतम चैत्य पगान में वुपया में है।

#_चीन_में_पगोडे_भारत_से गए और चीन भर में बहुत बड़ी संख्या में बने।

#_लंदन_में भी वहाँ के #_क्यू_उद्यान में एक विख्यात पगोडा है। इसका निर्माण चीनी नमूने पर हुआ है। इसे 1761 ई. में वास्तुविद्_सर_विलियम_चेंबर्स द्वारा बनाए गए अभिकल्प के अनुसार तैयार किया गया था।

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