वो विद्यालय के पांच घंटे
हमारे आस-पास ऐसे कई प्राथमिक शिक्षक होंगे जो स्कूल ऑवर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और फिर दूसरी नौकरियों में स्विच ओवर कर जाते हैं।
कुछ ऐसे शिक्षक भी होंगे जो शिक्षण का कार्य तो ठीक से नहीं करते लेकिन वो एक कुशल व्यवसायी या राजनीतिज्ञ होंगे।
कुछ ऐसे शिक्षक भी होंगे जो school hour में फ़ोन पर बात करने, नेट चलाने या आपस में बातचीत में अपना समय काट देते होंगे लेकिन पढ़ाने से कोसों दूर हैं।
और अंत में ऐसे शिक्षक आपको प्रायः मिलेंगे जिनका कागजी कार्यवाही और लिखापढ़ी में कोई सानी नहीं। वो अपनी कुर्सी से चिपककर पूरे समय अपनी कागजी कार्यवाही में लगे रहते हैं और उनका सारा ज्ञान उनके कागजों में ही सिमट कर रह जाता है।
दोस्तों,
प्राथमिक में शिक्षक की नौकरी मात्र जीविका का साधन, हीन भावना से ग्रसित होने और अंडरस्टीमेट करने की विषयवस्तु नहीं है। यह किसी भी अन्य सरकारी विभाग के समान सम्मानजनक और अच्छी सैलेरी वाली नौकरी है।
आपके जीवन में दूसरे लक्ष्य भी हो सकते हैं, जिनके लिए विद्यालय के बाद भी भरपूर समय मिलता है मगर वो पांच घंटे जो आप विद्यालय में बिताते हैं, उसमें अपने शिक्षण कार्य को प्राथमिकता दें क्योंकि वही पांच घंटे आपके छात्रों और आपका भी भविष्य हैं। उन्ही पांच घंटों में आपकी जो छवि बनेगी और आप जो भी सिखाएंगे आपके छात्रों के मन-मस्तिष्क में पूरी जिंदगी चलेगी। वो पांच घंटे बेहद अनमोल हैं, उन्हें यूँ बेकार न जाने दें। हर दिन उन्हें कुछ नया सिखाएं।
ऐसे सभी शिक्षक जो उन पांच घंटों में प्रतिदिन शिक्षणकार्य करते हैं उनका आभार और धन्यवाद।
हमारे आस-पास ऐसे कई प्राथमिक शिक्षक होंगे जो स्कूल ऑवर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और फिर दूसरी नौकरियों में स्विच ओवर कर जाते हैं।
कुछ ऐसे शिक्षक भी होंगे जो शिक्षण का कार्य तो ठीक से नहीं करते लेकिन वो एक कुशल व्यवसायी या राजनीतिज्ञ होंगे।
कुछ ऐसे शिक्षक भी होंगे जो school hour में फ़ोन पर बात करने, नेट चलाने या आपस में बातचीत में अपना समय काट देते होंगे लेकिन पढ़ाने से कोसों दूर हैं।
और अंत में ऐसे शिक्षक आपको प्रायः मिलेंगे जिनका कागजी कार्यवाही और लिखापढ़ी में कोई सानी नहीं। वो अपनी कुर्सी से चिपककर पूरे समय अपनी कागजी कार्यवाही में लगे रहते हैं और उनका सारा ज्ञान उनके कागजों में ही सिमट कर रह जाता है।
दोस्तों,
प्राथमिक में शिक्षक की नौकरी मात्र जीविका का साधन, हीन भावना से ग्रसित होने और अंडरस्टीमेट करने की विषयवस्तु नहीं है। यह किसी भी अन्य सरकारी विभाग के समान सम्मानजनक और अच्छी सैलेरी वाली नौकरी है।
आपके जीवन में दूसरे लक्ष्य भी हो सकते हैं, जिनके लिए विद्यालय के बाद भी भरपूर समय मिलता है मगर वो पांच घंटे जो आप विद्यालय में बिताते हैं, उसमें अपने शिक्षण कार्य को प्राथमिकता दें क्योंकि वही पांच घंटे आपके छात्रों और आपका भी भविष्य हैं। उन्ही पांच घंटों में आपकी जो छवि बनेगी और आप जो भी सिखाएंगे आपके छात्रों के मन-मस्तिष्क में पूरी जिंदगी चलेगी। वो पांच घंटे बेहद अनमोल हैं, उन्हें यूँ बेकार न जाने दें। हर दिन उन्हें कुछ नया सिखाएं।
ऐसे सभी शिक्षक जो उन पांच घंटों में प्रतिदिन शिक्षणकार्य करते हैं उनका आभार और धन्यवाद।
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