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ज्यादातर आत्महत्या की घटनाएं घटित होने में किसी अपने का हाथ जरूर होता है
जब भी कोई ब्यक्ति आत्महत्या कर लेने का निर्णय लेता है यह निर्णय आसान नही होता, अपनी जिद पर सवार इंसान विचार शून्य हो जाता है और आत्मघाती कदम उठा लेता है आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के पीछे किसी अपने का हाथ जरूर होता है
ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न कर दी जाती है ब्यक्ति खुद को खत्म कर लेने की सोचता है और किसी अपने को दर्द देना चाहता है उन्हें अहसास कराना चाहता है कि तुम्हारी वज़ह से मैंने जान दे दी अब तुम जिंदगी भर सोचो मेरे बारे में ...ब्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद लोगों का दिखावटी प्रेम बढ़ता है वे कहने लगते है आखिर बताया होता।
जिनकी वजह से आत्महत्या जैसा कदम उठाया गया वो भी 'प्रेम का गोता' लगाने लगते है
जब तक आत्महत्या करने वाला ब्यक्ति जिंदा था तब 'प्रेम के एक आसू' निकल न सके उस समय सिर्फ गुस्सा ईर्ष्या जलन औऱ खीझ थी पर उसके मर जाने के बाद प्रेम का यह जलजला क्यों?
इन सबके बीच ज्यादातर आत्महत्या घटित होने में अपनो का हाथ जरूर होता है खुद के घर मे घटित होने वाली घटनाओं को भूलकर लोग दूसरों के घरों में बढ़ती घरेलू हिंसा में सलाह जरूर देने चले जाते है!?
जिन घरों में आत्महत्या जैसी घटनाएं हो रही है उन्हें चुल्लू भर पानी मे डूब मरना चाहिए उन्हें दुसरो को सलाह देने का कोई हक नही, बच्चो की संख्या बढ़ाना और उनके मानसिक सेहत ठीक रहे इसके लिए कुछ प्रबन्ध न करना यह तो एकदम गैर जिम्मेदारी वाली बात है
आत्महत्या एक कायरना कर्म है यदि किसी को दर्द देना ही है तो उन लोगो से जो आपको ऐसा कदम उठाने पर मजबूर करते है इतनी दूरिया बना ली जाये कि वो आपसे कभी मिल न सके खुद को सशक्त करना ही एकमात्र विकल्प है आत्महत्या रोकने के लिए, लेकिन डिप्रेशन में गया इंसान बिना दूसरों की सहायता के बिना ठीक नही हो सकता , नतीज़तन आत्महत्या कर लेने की राह चुनता है जो बहुत ही घातक है
ज्यादातर आत्महत्या की घटनाएं घटित होने में किसी अपने का हाथ जरूर होता है
जब भी कोई ब्यक्ति आत्महत्या कर लेने का निर्णय लेता है यह निर्णय आसान नही होता, अपनी जिद पर सवार इंसान विचार शून्य हो जाता है और आत्मघाती कदम उठा लेता है आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के पीछे किसी अपने का हाथ जरूर होता है
ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न कर दी जाती है ब्यक्ति खुद को खत्म कर लेने की सोचता है और किसी अपने को दर्द देना चाहता है उन्हें अहसास कराना चाहता है कि तुम्हारी वज़ह से मैंने जान दे दी अब तुम जिंदगी भर सोचो मेरे बारे में ...ब्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद लोगों का दिखावटी प्रेम बढ़ता है वे कहने लगते है आखिर बताया होता।
जिनकी वजह से आत्महत्या जैसा कदम उठाया गया वो भी 'प्रेम का गोता' लगाने लगते है
जब तक आत्महत्या करने वाला ब्यक्ति जिंदा था तब 'प्रेम के एक आसू' निकल न सके उस समय सिर्फ गुस्सा ईर्ष्या जलन औऱ खीझ थी पर उसके मर जाने के बाद प्रेम का यह जलजला क्यों?
इन सबके बीच ज्यादातर आत्महत्या घटित होने में अपनो का हाथ जरूर होता है खुद के घर मे घटित होने वाली घटनाओं को भूलकर लोग दूसरों के घरों में बढ़ती घरेलू हिंसा में सलाह जरूर देने चले जाते है!?
जिन घरों में आत्महत्या जैसी घटनाएं हो रही है उन्हें चुल्लू भर पानी मे डूब मरना चाहिए उन्हें दुसरो को सलाह देने का कोई हक नही, बच्चो की संख्या बढ़ाना और उनके मानसिक सेहत ठीक रहे इसके लिए कुछ प्रबन्ध न करना यह तो एकदम गैर जिम्मेदारी वाली बात है
आत्महत्या एक कायरना कर्म है यदि किसी को दर्द देना ही है तो उन लोगो से जो आपको ऐसा कदम उठाने पर मजबूर करते है इतनी दूरिया बना ली जाये कि वो आपसे कभी मिल न सके खुद को सशक्त करना ही एकमात्र विकल्प है आत्महत्या रोकने के लिए, लेकिन डिप्रेशन में गया इंसान बिना दूसरों की सहायता के बिना ठीक नही हो सकता , नतीज़तन आत्महत्या कर लेने की राह चुनता है जो बहुत ही घातक है
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