कैसे पढ़ा जाए
***************
@ जब याद न हो तो भूलने के लिए भी पढ़ा जाना चाहिए। 'लर्न, अनलर्न फिर री लर्न....'
हम लगभग सभी चीजों को पढे हुए हैं। जरूरत है उसे अनलर्न करने.... यानी जब उसे पढ़ने की कोशिश करेंगे तो नई बात दिमाग की गर्द को हटाएगी। हो सकता है कुछ नई बातें भी हों, जो पुरानी बातों से मेल न खाएँ.... दोनों मे टकराव नियतिबद्ध है। फिर जो नवीन ज्ञान होगा, वह आपका अपना पर्सेप्सन (प्रत्यक्षीकरण) होगा। इसी पर्सेप्सन के सहारे सारे ppr हल किए जाते हैं। चीजों को तब तक पढिए, बार बार पढिए, भूलिए फिर पढिए... जब तक कि उसे लेकर अपना पर्सेप्सन न बन जाए (स्पेशली सबजेक्ट्स, गणित, रिजनिंग की तैयारी के लिए) । यह पर्सेप्सन आपको कान्फिडेंस देगा, कान्फिडेंस आपको भावसागर पार कराएगा।
@@ चूंकि हमारा मस्तिष्क शब्दों के बजाए इमेज या पिक्चर्स मे चीजों को स्वीकारता है, इसलिए जो पढिए उसे अपने परिवेशगत चीजों से, घटनाओं से जोड़ते जाइए। इससे परीक्षा मे आसानी से उस तथ्य को याद कर पाएँगे। यही ट्रिक है। उधार की ट्रिक से थोड़ा कम ही वास्ता रखें.... वरना ट्रिक याद रखने के लिए भी ट्रिक ढूंढनी होगी आपको।
@@@ चीजों को पाठ्यक्रम के हिसाब से क्रमबद्ध पढ़ना चाहिए। किसी के बनाए हुए नोट्स, इन्टरनेट से मिली सामग्री, यू-ट्यूब वीडियो आदि हो सकता है कुछ बिन्दुओं पर सही हों, पर क्रमबद्ध रूप मे समूचे पाठ्यवस्तु को शायद ही स्पर्श कर सकें। उनकी दूसरी समस्या यह है कि जो लोग इस सामग्री को तैयार कर रहे हैं, वे खुद ही इधर-उधर की किताबों से उड़ाई गई सामग्री को पेश करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मैं यदि कविता, आलोचना पर कोई यूट्यूब लेक्चर बनाऊँ तो परमानंद श्रीवास्तव या संजीव या कृष्ण मोहन या बलराज जी के लेक्चर सा बना सकूँगा। इसलिए उचित है कि मानक चीजों को सुना/देखा/पढ़ा जाए। यह थोड़ा समय लेगा पर हमें बेहतर बनाएगा।
@@@ नोट्स न बनाने की आदत हो (मेरी भी नही है) तो बिना टेंशन लिए कहानी/नावेल की तरह पढ़ते जाएँ। 20-30% अगले दिन तक बचेगा दिमाग मे। अब फिर से पढ़ डालें। इस बार आपको पिछली बार से आधा टाइम लगेगा। चीजें भी कम पढ़नी होंगी, नजर डालते ही याद आ जाएगा सब। इस बार शायद 50 % या अधिक बचा रहेगा। तीसरी बार दो-चार दिन या हफ्ते भर बाद उसे फिर से पलटें। अब आपको तिहाई, चौथाई समय लगेगा। बल्कि छोटी मोटी किताब या पत्रिका तो आधे से एक घंटे मे फिनिश हो जाएगी... क्योंकि आपको सब पढ़ना नही है, मन को फ्री रखें, वो अपने काम की चीज उठा लेगा। अब किताब साइड... इसे exm से एक दिन पूर्व फिर चाय पीते पीते पलट डालिएगा। जितना आपके काम का था वो आपके दिमाग मे रहेगा। जो नही रहेगा वो या तो बेकार है या आपके सामर्थ्य से बाहर है। स्पेशली यह तरीका करेंट, GK या मानविकी भाषा विषयों मे उपयोगी है।
जो मिला सो अपना, वरना सीताराम....
(एमएड या एमए की परीक्षा के दौरान एक शाम मे तीन-चार किताबें इसी तरीके से दुहरा ली जाती थी। कंपटीशन परीक्षा मे सेंटर के बाहर पत्रिकाओं के विशेष बिन्दु ऐसे ही पढ़ लिए जाते हैं)
-------------------
इन्द्र मणि उपाध्याय द्वारा लिखी पोस्ट
***************
@ जब याद न हो तो भूलने के लिए भी पढ़ा जाना चाहिए। 'लर्न, अनलर्न फिर री लर्न....'
हम लगभग सभी चीजों को पढे हुए हैं। जरूरत है उसे अनलर्न करने.... यानी जब उसे पढ़ने की कोशिश करेंगे तो नई बात दिमाग की गर्द को हटाएगी। हो सकता है कुछ नई बातें भी हों, जो पुरानी बातों से मेल न खाएँ.... दोनों मे टकराव नियतिबद्ध है। फिर जो नवीन ज्ञान होगा, वह आपका अपना पर्सेप्सन (प्रत्यक्षीकरण) होगा। इसी पर्सेप्सन के सहारे सारे ppr हल किए जाते हैं। चीजों को तब तक पढिए, बार बार पढिए, भूलिए फिर पढिए... जब तक कि उसे लेकर अपना पर्सेप्सन न बन जाए (स्पेशली सबजेक्ट्स, गणित, रिजनिंग की तैयारी के लिए) । यह पर्सेप्सन आपको कान्फिडेंस देगा, कान्फिडेंस आपको भावसागर पार कराएगा।
@@ चूंकि हमारा मस्तिष्क शब्दों के बजाए इमेज या पिक्चर्स मे चीजों को स्वीकारता है, इसलिए जो पढिए उसे अपने परिवेशगत चीजों से, घटनाओं से जोड़ते जाइए। इससे परीक्षा मे आसानी से उस तथ्य को याद कर पाएँगे। यही ट्रिक है। उधार की ट्रिक से थोड़ा कम ही वास्ता रखें.... वरना ट्रिक याद रखने के लिए भी ट्रिक ढूंढनी होगी आपको।
@@@ चीजों को पाठ्यक्रम के हिसाब से क्रमबद्ध पढ़ना चाहिए। किसी के बनाए हुए नोट्स, इन्टरनेट से मिली सामग्री, यू-ट्यूब वीडियो आदि हो सकता है कुछ बिन्दुओं पर सही हों, पर क्रमबद्ध रूप मे समूचे पाठ्यवस्तु को शायद ही स्पर्श कर सकें। उनकी दूसरी समस्या यह है कि जो लोग इस सामग्री को तैयार कर रहे हैं, वे खुद ही इधर-उधर की किताबों से उड़ाई गई सामग्री को पेश करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मैं यदि कविता, आलोचना पर कोई यूट्यूब लेक्चर बनाऊँ तो परमानंद श्रीवास्तव या संजीव या कृष्ण मोहन या बलराज जी के लेक्चर सा बना सकूँगा। इसलिए उचित है कि मानक चीजों को सुना/देखा/पढ़ा जाए। यह थोड़ा समय लेगा पर हमें बेहतर बनाएगा।
@@@ नोट्स न बनाने की आदत हो (मेरी भी नही है) तो बिना टेंशन लिए कहानी/नावेल की तरह पढ़ते जाएँ। 20-30% अगले दिन तक बचेगा दिमाग मे। अब फिर से पढ़ डालें। इस बार आपको पिछली बार से आधा टाइम लगेगा। चीजें भी कम पढ़नी होंगी, नजर डालते ही याद आ जाएगा सब। इस बार शायद 50 % या अधिक बचा रहेगा। तीसरी बार दो-चार दिन या हफ्ते भर बाद उसे फिर से पलटें। अब आपको तिहाई, चौथाई समय लगेगा। बल्कि छोटी मोटी किताब या पत्रिका तो आधे से एक घंटे मे फिनिश हो जाएगी... क्योंकि आपको सब पढ़ना नही है, मन को फ्री रखें, वो अपने काम की चीज उठा लेगा। अब किताब साइड... इसे exm से एक दिन पूर्व फिर चाय पीते पीते पलट डालिएगा। जितना आपके काम का था वो आपके दिमाग मे रहेगा। जो नही रहेगा वो या तो बेकार है या आपके सामर्थ्य से बाहर है। स्पेशली यह तरीका करेंट, GK या मानविकी भाषा विषयों मे उपयोगी है।
जो मिला सो अपना, वरना सीताराम....
(एमएड या एमए की परीक्षा के दौरान एक शाम मे तीन-चार किताबें इसी तरीके से दुहरा ली जाती थी। कंपटीशन परीक्षा मे सेंटर के बाहर पत्रिकाओं के विशेष बिन्दु ऐसे ही पढ़ लिए जाते हैं)
-------------------
इन्द्र मणि उपाध्याय द्वारा लिखी पोस्ट
0 comments:
Post a Comment