परिणाम जारी टीईटी में 33 फीसदी अभ्यर्थी पास हुए
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) 2018 के प्राथमिक स्तर का परिणाम मंगलवार की देर रात घोषित कर दिया गया। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 33 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर में परिणाम तैयार करने का काम मंगलवार की देर रात तक जारी रहा।
18 नवंबर को यह परीक्षा पूरे प्रदेश में दो पालियों में हुई थी। दोनों पालियों में 1783716 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी। इनमें से 1673126 यानी 93.80 प्रतिशत परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे जबकि 110590 अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 1170786 परीक्षार्थियों में से 1101645 यानी 94.1 प्रतिशत परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 366285 अभ्यर्थियों को सफलता मिली है। 15 दिसंबर 2017 को घोषित टीईटी 2017 के परिणाम के मुकाबले पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या लगभग दोगुनी बढ़ी है। टीईटी 2017 में कुल 11 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए थे। इनमें से 17.34 प्रतिशत परीक्षार्थी प्राथमिक और 7.87 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्तर के थे।
शासन ने 15 अक्तूबर को जारी समय सारिणी में संशोधन करते हुए प्राथमिक स्तर का परिणाम पांच दिसंबर तक जारी होने की बात कही थी। लेकिन परिणाम इससे एक दिन पूर्व ही जारी कर दिया गया। हालांकि परीक्षार्थियों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी की वेबसाइट पर परिणाम पांच दिसंबर को दोपहर बाद देखने को मिलेगा। शासनादेश के मुताबिक उच्च प्राथमिक स्तर का परीक्षा परिणाम बिलंबतम 12 दिसंबर तक जारी कर दिया जाएगा। समय सारिणी में बदलाव संबंधी शासनादेश विशेष सचिव चंद्रशेखर की ओर से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक को भेजा गया है। प्राथमिक स्तर का परिणाम इसलिए पहले जारी किया जाएगा क्योंकि आगामी 69000 शिक्षक भर्ती इसी परिणाम के आधार पर होनी है।
' 1170786 परीक्षार्थियों में से 1101645 हुए थे शामिल
' टीईटी 2017 के मुकाबले इस बार दोगुना ज्यादा पास हुए अभ्यर्थी
सारिणी में हुआ था संशोधन
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शिक्षक भर्ती : शिक्षामित्रों को लाभ, मेरिट भी दिखाएगी असर
पिछली भर्ती में जो भी अभ्यर्थी क्वालिफाई हुआ, उसको नौकरी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो भर्तियों में अवसर देने और वेटेज देने का निर्देश दिया था। इसके तहत शिक्षामित्रों को अनुभव के आधार पर 2.5 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 25 अंक वेटेज मिलना है। पिछली परीक्षा में वेटेज का फायदा उन्हीं शिक्षामित्रों को मिलता, जो लिखित परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ की सीमा रेखा पार करते। हालांकि, इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। अब चूंकि कोई न्यूनतम कटऑफ नहीं होगा तो शिक्षामित्रों की मेरिट उनके लिखित परीक्षा में पाए मूल अंक में वेटेज जोड़कर बनेगी। ऐसे में अगर कोई दस वर्ष पुराना शिक्षामित्र परीक्षा में बैठा है और उसने 25 अंक हासिल किए हैं तो भी 25 अंक का वेटेज जोड़कर उसके 50 अंक हो जाएंगे। ऐसे में गैर-शिक्षामित्र अभ्यर्थियों पर वे नौकरी की रेस में भारी पड़ेंगे। इससे पिछली बार की अपेक्षा इस बार अधिक शिक्षामित्रों को नौकरी मिलने की उम्मीद है।• एनबीटी ब्यूरो, प्रयागराज : प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2018 का रिजल्ट बुधवार को घोषित किया जाएगा। रिजल्ट सुबह 10 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड होने की संभावना है। वहीं अपर प्राइमरी लेवल की परीक्षा का रिजल्ट 12 दिसंबर तक आने की संभावना है। 75 जिलों के 3121 केंद्रों पर 18 नवंबर को हुई टीईटी की फाइनल आंसर की 30 नवंबर को जारी की गई थी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि प्राइमरी लेवल का रिजल्ट मंगलवार देर रात तक तैयार कर बुधवार को जारी कर दिया जाएगा। पहले टीईटी का रिजल्ट 8 दिसंबर को घोषित होना था।
प्राइमरी लेवल की टीईटी का रिजल्ट आज
वेटेज ऐसे डालेगा असर• एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग में होने वाली 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन बुधवार को आने की उम्मीद है। बुधवार से आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी है। खास बात यह है कि शिक्षक भर्ती में पहले से कोई कटऑफ तय नहीं किया गया है। इसका सीधा फायदा शिक्षामित्रों को होगा क्योंकि उन्हें मिलने वाले अतिरिक्त वेटेज से रेस में आगे निकल जाएंगे। वहीं, अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा कड़ी हो जाएगी।
पिछली शिक्षक भर्ती में पहले से ही न्यूनतम कटऑफ अनारक्षित संवर्ग व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 45% और एससी-एसटी के लिए 40% तय कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि 68,500 पदों के लिए परीक्षा में बैठे 1.07 लाख अभ्यर्थियों में महज 41556 अभ्यर्थी ही पास हुए। परीक्षा में बैठने वाले 34,311 शिक्षामित्र थे, जिनमें से केवल 7224 ही क्वालिफाई कर पाए। कटऑफ पहले से तय होने के कारण परीक्षा में पास सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद भी करीब 28 हजार पद खाली रह गए थे इसलिए इस बार पहले से कटऑफ तय ही नहीं किया गया है। परीक्षा के बाद रिजल्ट घोषित होने पर पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार न्यूनतम कटऑफ तय किया जाएगा।
अकेडमिक मेरिट भी इस बार होगी अहम : पिछली भर्ती में पद के सापेक्ष अभ्यर्थी न होने के कारण अकेडमिक मेरिट का कोई महत्च नहीं रह गया था। इस बार
69 हजार प्रस्तावित शिक्षक भर्ती में नहीं होगा कटऑफ
इसकी भूमिका अहम होगी। भर्ती की फाइनल मेरिट 60% लिखित परीक्षा के अंक और 40% अकेडमिक वेटेज मिलाकर बनेगी। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रैजुएशन, बीटीसी/बीएड सब पर 10-10 अंक के अधिकतम वेटेज होंगे। शिक्षक भर्ती परीक्षा में टीईटी क्वालिफाई अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे। प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड को योग्य मानने के बाद अभ्यर्थियों के संख्या में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। टीईटी के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। पिछली बार प्राथमिक स्तर पर टीईटी में केवल 2.76 लाख अभ्यर्थी बैठे थे और उसमें महज 48 हजार ही सफल हो पाए थे। इस बार टीईटी प्राथमिक स्तर में 11 लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे हैं जो पिछली बार का लगभग 4 गुना है। इसके चलते शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी आवेदकों की संख्या काफी बढ़ेगी। पद के सापेक्ष अभ्यर्थियों की रेस में वही आगे निकल सकेंगे जिनकी एकेडमिक मेरिट भी बेहतर होगी।
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विशिष्ट बीटीसी के ओवरएज प्रशिक्षुओं को कई जिले में नहीं दे रहे तैनाती
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में सैकड़ों अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र विभिन्न कारणों से फंसे हैं। अफसरों की मनमानी के कारण शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता पूरी करने के बावजूद योग्य अभ्यर्थी ठोकरें खाने को विवश हैं।
सबसे गंभीर मसला अन्य राज्यों से डीएलएड करने वालों का है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियम के अनुसार 12वीं के बाद डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन) किया जा सकता है। हालांकि उत्तर प्रदेश में स्नातक के बाद डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) का प्रावधान है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने नियमावली में संशोधन करते हुए एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार अन्य राज्यों से डीएलएड करने वालों को भी मौका दिया था। लेकिन बागपत समेत कुछ जिलों में उनके नियुक्ति पत्र रोक दिए गए जिन्होंने डीएलएड के बाद स्नातक किया है। विशिष्ट बीटीसी करने वाले 40 साल से अधिक उम्र के अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र भी प्रयागराज, बस्ती व चंदौली में नहीं दिए जा रहे। गौरतलब है कि 68500 परीक्षा में सफल 41556 अभ्यर्थियों में से 73 जिलों में 37719 को ही अब तक नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। मथुरा और संभल में चयन का डाटा उपलब्ध नहीं है।
विशिष्ट बीटीसी करने के बाद टीईटी और शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद साधना राय समेत अन्य अभ्यर्थियों को 40 साल से अधिक होने के कारण प्रयागराज, बस्ती और चंदौली में नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा। जबकि नियमावली में 50 साल तक नियुक्ति का प्रावधान है और अन्य जिलों में ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई भी है।
मंसूराबाद के घनश्याम मिश्रा ने 2010-11 सत्र में नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय से बीटीसी किया था। उसके बाद टीईटी और शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद प्रयागराज में काउंसिलिंग कराई। लेकिन मान्यता को लेकर कानूनी अड़चन के कारण अब विभाग उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा।
प्रीति त्यागी ने 12वीं करने के बाद दिल्ली से डीएलएड किया और फिर स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद टीईटी और 68500 शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा पास की। बागपत जिले में चयन हो गया और काउंसिलिंग भी करा ली। लेकिन अब बेसिक शिक्षा विभाग उसे नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा क्योंकि उसने स्नातक डीएलएड के बाद किया है।
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सब पढ़ें-सब बढ़ें पर...
गणित-विज्ञान न पढ़ें!
3442
08
57
197
1841
इन स्कूलों में बच्चों की संख्या
इनमें गणित विज्ञान के कुल शिक्षक
नगर क्षेत्र में जूनियर हाईस्कूल
नगर क्षेत्र में प्राइमरी स्कूल
कुल परिषदीय स्कूलों की संख्या
जूनियर हाई स्कूल न्यू गुड़ौरा, जूनियर हाई स्कूल अमराई गांव, जूनियर हाईस्कूल चिनहट बॉयज, जूनियर हाई स्कूल इस्माईलगंज, जूनियर हाई स्कूल उजरियावं, जूनियर हाई स्कूल जियामऊ, जूनियर हाई स्कूल उदयगंज।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में गणित-विज्ञान का एक भी शिक्षक नहीं
वर्ष 2011-12 में कुछ शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन वह भी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए थे। साल 2015 में भी नगर क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। जब तक नगर क्षेत्र में भर्ती नहीं होगी, यह समस्या सुलझाना मुश्किल है।
डॉ. अमरकांत सिंह, बीएसए
साल 2015 में विज्ञान और गणित के शिक्षकों की भर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में हुई थी, लेकिन नगर क्षेत्र में सीधी भर्ती न होने से शिक्षकों की कमी है। राज्य सरकार को चाहिए कि जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की तैनाती करे, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। -सुरेश जायसवाल, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति शहरी स्कूलों से काफी अच्छी है। बीएसए कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 415 जूनियर हाईस्कूल हैं। इन स्कूलों में करीब गणित और विज्ञान के करीब 450 शिक्षक तैनात हैं। यानी कई स्कूलों में एक से ज्यादा शिक्षक हैं।• अखिल सक्सेना, लखनऊ :
राज्य सरकार ने भले ही प्राइमरी और जूनियर स्कूलों की ग्रेडिंग के जरिए बच्चों के शैक्षिक स्तर को सुधारने का फैसला लिया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। बीएसए कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी के नगर क्षेत्र के 57 जूनियर हाईस्कूलों में केवल 8 विज्ञान और गणित के शिक्षक हैं। लगभग 49 स्कूलों में गणित और विज्ञान के एक भी शिक्षक नहीं हैं, जबकि इन स्कूलों की छात्र संख्या 3442 है।
राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद के करीब 1841 स्कूल संचालित हैं। शासन ने सभी जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान का एक-एक शिक्षक अनिवार्य रूप से तैनात करने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद नगर क्षेत्र के इन स्कूलों में गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान की पंच लाइन पंच लाइन सब पढ़ें सब बढ़ें ही पूरी होती नहीं दिख रही। आखिर बिना गणित विज्ञान पढ़े बच्चे कैसे आगे बढ़ेंगे।
नजरिया
बेसिक शिक्षा की हालत वाकई खराब है। हकीकत यह है कि सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा खर्च प्राइवेट स्कूल के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसके बावजूद इन विद्यालयों की हालत खस्ता है। जनता के पैसों की यह बर्बादी आखिर क्यों। सही प्रबन्धन क्यों नहीं किया जाता।
यहां हैं शिक्षक
एक नजर
ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त शिक्षक
49
केस-1 : जूनियर हाईस्कूल बरौली खलीलालबाद में कक्षा 6 से 8 तक के 57 बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षक तैनात हैं। वहीं गणित और विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं।
केस-2 : आलमबाग के जूनियर हाईस्कूल हैवतमऊ मवैया का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां 37 बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन गणित और विज्ञान विषय के एक भी शिक्षक तैनात नहीं हैं।
केस-3 : जूनियर हाईस्कूल उतरठिया में कक्षा 6 से 8 तक 48 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां साल 2011 के बाद से गणित और विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए। ऐसे में एक शिक्षिका के भरोसे जैसे-तैसे पढ़ाई होती है। कभी-कभार बीटीसी अभ्यर्थी मदद करते हैं।
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) 2018 के प्राथमिक स्तर का परिणाम मंगलवार की देर रात घोषित कर दिया गया। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 33 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर में परिणाम तैयार करने का काम मंगलवार की देर रात तक जारी रहा।
18 नवंबर को यह परीक्षा पूरे प्रदेश में दो पालियों में हुई थी। दोनों पालियों में 1783716 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी। इनमें से 1673126 यानी 93.80 प्रतिशत परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे जबकि 110590 अनुपस्थित थे। प्राथमिक स्तर की परीक्षा में 1170786 परीक्षार्थियों में से 1101645 यानी 94.1 प्रतिशत परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 366285 अभ्यर्थियों को सफलता मिली है। 15 दिसंबर 2017 को घोषित टीईटी 2017 के परिणाम के मुकाबले पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या लगभग दोगुनी बढ़ी है। टीईटी 2017 में कुल 11 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए थे। इनमें से 17.34 प्रतिशत परीक्षार्थी प्राथमिक और 7.87 प्रतिशत उच्च प्राथमिक स्तर के थे।
शासन ने 15 अक्तूबर को जारी समय सारिणी में संशोधन करते हुए प्राथमिक स्तर का परिणाम पांच दिसंबर तक जारी होने की बात कही थी। लेकिन परिणाम इससे एक दिन पूर्व ही जारी कर दिया गया। हालांकि परीक्षार्थियों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी की वेबसाइट पर परिणाम पांच दिसंबर को दोपहर बाद देखने को मिलेगा। शासनादेश के मुताबिक उच्च प्राथमिक स्तर का परीक्षा परिणाम बिलंबतम 12 दिसंबर तक जारी कर दिया जाएगा। समय सारिणी में बदलाव संबंधी शासनादेश विशेष सचिव चंद्रशेखर की ओर से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक को भेजा गया है। प्राथमिक स्तर का परिणाम इसलिए पहले जारी किया जाएगा क्योंकि आगामी 69000 शिक्षक भर्ती इसी परिणाम के आधार पर होनी है।
' 1170786 परीक्षार्थियों में से 1101645 हुए थे शामिल
' टीईटी 2017 के मुकाबले इस बार दोगुना ज्यादा पास हुए अभ्यर्थी
सारिणी में हुआ था संशोधन
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शिक्षक भर्ती : शिक्षामित्रों को लाभ, मेरिट भी दिखाएगी असर
पिछली भर्ती में जो भी अभ्यर्थी क्वालिफाई हुआ, उसको नौकरी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो भर्तियों में अवसर देने और वेटेज देने का निर्देश दिया था। इसके तहत शिक्षामित्रों को अनुभव के आधार पर 2.5 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 25 अंक वेटेज मिलना है। पिछली परीक्षा में वेटेज का फायदा उन्हीं शिक्षामित्रों को मिलता, जो लिखित परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ की सीमा रेखा पार करते। हालांकि, इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। अब चूंकि कोई न्यूनतम कटऑफ नहीं होगा तो शिक्षामित्रों की मेरिट उनके लिखित परीक्षा में पाए मूल अंक में वेटेज जोड़कर बनेगी। ऐसे में अगर कोई दस वर्ष पुराना शिक्षामित्र परीक्षा में बैठा है और उसने 25 अंक हासिल किए हैं तो भी 25 अंक का वेटेज जोड़कर उसके 50 अंक हो जाएंगे। ऐसे में गैर-शिक्षामित्र अभ्यर्थियों पर वे नौकरी की रेस में भारी पड़ेंगे। इससे पिछली बार की अपेक्षा इस बार अधिक शिक्षामित्रों को नौकरी मिलने की उम्मीद है।• एनबीटी ब्यूरो, प्रयागराज : प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2018 का रिजल्ट बुधवार को घोषित किया जाएगा। रिजल्ट सुबह 10 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड होने की संभावना है। वहीं अपर प्राइमरी लेवल की परीक्षा का रिजल्ट 12 दिसंबर तक आने की संभावना है। 75 जिलों के 3121 केंद्रों पर 18 नवंबर को हुई टीईटी की फाइनल आंसर की 30 नवंबर को जारी की गई थी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि प्राइमरी लेवल का रिजल्ट मंगलवार देर रात तक तैयार कर बुधवार को जारी कर दिया जाएगा। पहले टीईटी का रिजल्ट 8 दिसंबर को घोषित होना था।
प्राइमरी लेवल की टीईटी का रिजल्ट आज
वेटेज ऐसे डालेगा असर• एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग में होने वाली 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन बुधवार को आने की उम्मीद है। बुधवार से आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी है। खास बात यह है कि शिक्षक भर्ती में पहले से कोई कटऑफ तय नहीं किया गया है। इसका सीधा फायदा शिक्षामित्रों को होगा क्योंकि उन्हें मिलने वाले अतिरिक्त वेटेज से रेस में आगे निकल जाएंगे। वहीं, अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा कड़ी हो जाएगी।
पिछली शिक्षक भर्ती में पहले से ही न्यूनतम कटऑफ अनारक्षित संवर्ग व ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 45% और एससी-एसटी के लिए 40% तय कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि 68,500 पदों के लिए परीक्षा में बैठे 1.07 लाख अभ्यर्थियों में महज 41556 अभ्यर्थी ही पास हुए। परीक्षा में बैठने वाले 34,311 शिक्षामित्र थे, जिनमें से केवल 7224 ही क्वालिफाई कर पाए। कटऑफ पहले से तय होने के कारण परीक्षा में पास सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद भी करीब 28 हजार पद खाली रह गए थे इसलिए इस बार पहले से कटऑफ तय ही नहीं किया गया है। परीक्षा के बाद रिजल्ट घोषित होने पर पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार न्यूनतम कटऑफ तय किया जाएगा।
अकेडमिक मेरिट भी इस बार होगी अहम : पिछली भर्ती में पद के सापेक्ष अभ्यर्थी न होने के कारण अकेडमिक मेरिट का कोई महत्च नहीं रह गया था। इस बार
69 हजार प्रस्तावित शिक्षक भर्ती में नहीं होगा कटऑफ
इसकी भूमिका अहम होगी। भर्ती की फाइनल मेरिट 60% लिखित परीक्षा के अंक और 40% अकेडमिक वेटेज मिलाकर बनेगी। इसमें हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रैजुएशन, बीटीसी/बीएड सब पर 10-10 अंक के अधिकतम वेटेज होंगे। शिक्षक भर्ती परीक्षा में टीईटी क्वालिफाई अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे। प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड को योग्य मानने के बाद अभ्यर्थियों के संख्या में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। टीईटी के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। पिछली बार प्राथमिक स्तर पर टीईटी में केवल 2.76 लाख अभ्यर्थी बैठे थे और उसमें महज 48 हजार ही सफल हो पाए थे। इस बार टीईटी प्राथमिक स्तर में 11 लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे हैं जो पिछली बार का लगभग 4 गुना है। इसके चलते शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी आवेदकों की संख्या काफी बढ़ेगी। पद के सापेक्ष अभ्यर्थियों की रेस में वही आगे निकल सकेंगे जिनकी एकेडमिक मेरिट भी बेहतर होगी।
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विशिष्ट बीटीसी के ओवरएज प्रशिक्षुओं को कई जिले में नहीं दे रहे तैनाती
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में सैकड़ों अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र विभिन्न कारणों से फंसे हैं। अफसरों की मनमानी के कारण शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता पूरी करने के बावजूद योग्य अभ्यर्थी ठोकरें खाने को विवश हैं।
सबसे गंभीर मसला अन्य राज्यों से डीएलएड करने वालों का है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियम के अनुसार 12वीं के बाद डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन) किया जा सकता है। हालांकि उत्तर प्रदेश में स्नातक के बाद डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) का प्रावधान है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने नियमावली में संशोधन करते हुए एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार अन्य राज्यों से डीएलएड करने वालों को भी मौका दिया था। लेकिन बागपत समेत कुछ जिलों में उनके नियुक्ति पत्र रोक दिए गए जिन्होंने डीएलएड के बाद स्नातक किया है। विशिष्ट बीटीसी करने वाले 40 साल से अधिक उम्र के अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र भी प्रयागराज, बस्ती व चंदौली में नहीं दिए जा रहे। गौरतलब है कि 68500 परीक्षा में सफल 41556 अभ्यर्थियों में से 73 जिलों में 37719 को ही अब तक नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। मथुरा और संभल में चयन का डाटा उपलब्ध नहीं है।
विशिष्ट बीटीसी करने के बाद टीईटी और शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद साधना राय समेत अन्य अभ्यर्थियों को 40 साल से अधिक होने के कारण प्रयागराज, बस्ती और चंदौली में नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा। जबकि नियमावली में 50 साल तक नियुक्ति का प्रावधान है और अन्य जिलों में ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई भी है।
मंसूराबाद के घनश्याम मिश्रा ने 2010-11 सत्र में नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय से बीटीसी किया था। उसके बाद टीईटी और शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद प्रयागराज में काउंसिलिंग कराई। लेकिन मान्यता को लेकर कानूनी अड़चन के कारण अब विभाग उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा।
प्रीति त्यागी ने 12वीं करने के बाद दिल्ली से डीएलएड किया और फिर स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद टीईटी और 68500 शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा पास की। बागपत जिले में चयन हो गया और काउंसिलिंग भी करा ली। लेकिन अब बेसिक शिक्षा विभाग उसे नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा क्योंकि उसने स्नातक डीएलएड के बाद किया है।
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सब पढ़ें-सब बढ़ें पर...
गणित-विज्ञान न पढ़ें!
3442
08
57
197
1841
इन स्कूलों में बच्चों की संख्या
इनमें गणित विज्ञान के कुल शिक्षक
नगर क्षेत्र में जूनियर हाईस्कूल
नगर क्षेत्र में प्राइमरी स्कूल
कुल परिषदीय स्कूलों की संख्या
जूनियर हाई स्कूल न्यू गुड़ौरा, जूनियर हाई स्कूल अमराई गांव, जूनियर हाईस्कूल चिनहट बॉयज, जूनियर हाई स्कूल इस्माईलगंज, जूनियर हाई स्कूल उजरियावं, जूनियर हाई स्कूल जियामऊ, जूनियर हाई स्कूल उदयगंज।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में गणित-विज्ञान का एक भी शिक्षक नहीं
वर्ष 2011-12 में कुछ शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन वह भी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए थे। साल 2015 में भी नगर क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। जब तक नगर क्षेत्र में भर्ती नहीं होगी, यह समस्या सुलझाना मुश्किल है।
डॉ. अमरकांत सिंह, बीएसए
साल 2015 में विज्ञान और गणित के शिक्षकों की भर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में हुई थी, लेकिन नगर क्षेत्र में सीधी भर्ती न होने से शिक्षकों की कमी है। राज्य सरकार को चाहिए कि जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की तैनाती करे, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। -सुरेश जायसवाल, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति शहरी स्कूलों से काफी अच्छी है। बीएसए कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 415 जूनियर हाईस्कूल हैं। इन स्कूलों में करीब गणित और विज्ञान के करीब 450 शिक्षक तैनात हैं। यानी कई स्कूलों में एक से ज्यादा शिक्षक हैं।• अखिल सक्सेना, लखनऊ :
राज्य सरकार ने भले ही प्राइमरी और जूनियर स्कूलों की ग्रेडिंग के जरिए बच्चों के शैक्षिक स्तर को सुधारने का फैसला लिया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। बीएसए कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी के नगर क्षेत्र के 57 जूनियर हाईस्कूलों में केवल 8 विज्ञान और गणित के शिक्षक हैं। लगभग 49 स्कूलों में गणित और विज्ञान के एक भी शिक्षक नहीं हैं, जबकि इन स्कूलों की छात्र संख्या 3442 है।
राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद के करीब 1841 स्कूल संचालित हैं। शासन ने सभी जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान का एक-एक शिक्षक अनिवार्य रूप से तैनात करने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद नगर क्षेत्र के इन स्कूलों में गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान की पंच लाइन पंच लाइन सब पढ़ें सब बढ़ें ही पूरी होती नहीं दिख रही। आखिर बिना गणित विज्ञान पढ़े बच्चे कैसे आगे बढ़ेंगे।
नजरिया
बेसिक शिक्षा की हालत वाकई खराब है। हकीकत यह है कि सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा खर्च प्राइवेट स्कूल के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसके बावजूद इन विद्यालयों की हालत खस्ता है। जनता के पैसों की यह बर्बादी आखिर क्यों। सही प्रबन्धन क्यों नहीं किया जाता।
यहां हैं शिक्षक
एक नजर
ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त शिक्षक
49
केस-1 : जूनियर हाईस्कूल बरौली खलीलालबाद में कक्षा 6 से 8 तक के 57 बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षक तैनात हैं। वहीं गणित और विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं।
केस-2 : आलमबाग के जूनियर हाईस्कूल हैवतमऊ मवैया का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां 37 बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन गणित और विज्ञान विषय के एक भी शिक्षक तैनात नहीं हैं।
केस-3 : जूनियर हाईस्कूल उतरठिया में कक्षा 6 से 8 तक 48 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां साल 2011 के बाद से गणित और विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए। ऐसे में एक शिक्षिका के भरोसे जैसे-तैसे पढ़ाई होती है। कभी-कभार बीटीसी अभ्यर्थी मदद करते हैं।
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