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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

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मिथक : मनुष्य के पूर्वज बन्दर थे



आपने यह कई जगह पढ़ा होगा कि मनुष्य के पूर्वज बन्दर थे! डार्विन के विकासवाद के विरोधी तथा धार्मिक कथाओं मे विश्वास करने वाले भी यह कहते रहते है कि यदि मानवो का विकास बंदरो से हुआ है तो अभी तक बंदर क्यो बचे हुये है, उन्हे मानव या कम से कम आदिमानव अवस्था मे होना चाहिये।

सत्य क्या है ?

वैज्ञानिक तथ्य यह है कि बंदर मानव के पूर्वज नही है। यह गलतफहमी चित्र के बांये भाग मे दिखाये गये प्रसिद्ध भाग से उपजी है। इस चित्र का प्रयोग डार्विन के क्रमिक विकासवाद को दर्शाने के लिये किया जाता है। यह चित्र जीवन के विकासवाद का गलत चित्रण है।

पृथ्वी पर जीवन का प्रारंभ अमीबा जैसे एक कोशीय जीव से हुआ है। इन एक कोशीय जीवो से बहु कोशीय जीव बने। इन बहुकोशीय जीवो मे क्रमिक विकास से अन्य जीव बनते गये। यह विकास एक वृक्ष की तरह हुआ है। जीवन की हर प्रजाती इस वृक्ष की एक शाखा है। चित्र का दांया भाग देखे।

इस तरह से सारे जीवों का पूर्वज एक कोशीय जीव था। इस एक कोशीय जीव से सारी प्रजातियाँ उत्पन्न हुयी है। उसी तरह से बंदर (वानर प्रजाति) और मानव जाति का पूर्वज एक ही जीव प्रजाति थी। इस आदीवानर-मानव प्रजाति की दो शाखाये बनी, एक शाखा मानव के रूप मे विकसित हुयी, दूसरी शाखा से वानर प्रजाति बनी। मानव की शाखा से भी अन्य आधुनिक प्रजातियाँ बनी, जैसे अफ़्रीकी मानव, मंगोलीय मानव, युरेशीयन मानव इत्यादि! दूसरी शाखा से वानर की अन्य प्रजाति जैसे बंदर, लंगूर, चिम्पाजी, ओरेंग उटांग, बनमानुष जैसी प्रजातियाँ बनी।
इस तरह से देखे तो यह स्पष्ट है कि बंदर मानव के पूर्वज नही है, बल्कि बंदरो तथा मानवो का पूर्वज एक ही है। वानरो को मानवो का चचेरा भाई माना जा सकता है।

दूसरा प्रश्न कि यदि मानवो का विकास बंदरो से हुआ है तो अभी तक बंदर क्यो बचे हुये है, उन्हे मानव या कम से कम आदिमानव अवस्था मे होना चाहिये। यह प्रश्न उपर दिये गये तथ्य की रोशनी मे बेमानी हो जाता है। हर प्रजाति मे विकास की दर अलग होती है, मानव मे यह दर तेज है, अन्य प्रजाति मे यह दर धीमी है। वानरो मे विकास हो रहा है, लेकिन उन्हे मानव के समकक्ष आने मे लाखो वर्ष लग सकते है।

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