मूर्तिकला और वास्तुकला में क्या अंतर है?

मूर्तिकला और वास्तुकला  असल में, दोनों अलग-अलग शब्द हैं।

मूर्तिकला प्रोटो इंडो यूरोपीय (पीआईई) शब्द 'केल' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'कट या क्लीव'।

दूसरी ओर शब्द वास्तुकला लैटिन शब्द 'टेकटन' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है निर्माता (बिल्डर)

अंतर 👇👇👇

मूर्तिकला

1. यह  पुरातनता की सांस्कृतिक उपलब्धियों का एक प्रमुख संकेतक होता है।

2. यह कला का 3-आयामी कार्य है।

3. यह आमतौर पर एक प्रकार की सामग्री से बना होता है।

4. रचनात्मकता और कल्पना से प्रेरित हो कर और बिना किसी ख़ास माप पर इसका निर्माण किया जाता है।

5. इसकी संरचना का केवल बाहरी हिस्सा दिखाई देता है।

6. इसको नक्काशी, मॉडलिंग या कास्टिंग द्वारा निर्मित किया जाता है।

7. यह कठोर पदार्थ (जैसे पत्थर), मृदु पदार्थ (plastic material) एवं प्रकाश आदि से बनाया जाता है- जैसे नेपाली मल्ल वंश की 14वीं शती की बहुरंगी लकड़ी की मूर्ति (त्रि-आयामी)।

8. यह पत्थर या लकड़ी के एक टुकड़े से बनाया जाता है बना है।

● वास्तुकला

1. यह कला दर्शन की एक शाखा है जो वास्तुकला के सौंदर्य मूल्य, इसके अर्थशास्त्र और संस्कृति के विकास के साथ संबंध रखता है।

2. यह किसी स्थान को मानव के लिए वासयोग्य बनाने की कला है।

3. यह भवनों के डिजाइन और निर्माण को संदर्भित करता है।

4. यह आमतौर पर पत्थर, लकड़ी, कांच, धातु, रेत आदि जैसे विभिन्न प्रकार की सामग्रियों के मिश्रण से निर्मित किया जाता है।

5. इसमें इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग गणित का अध्ययन शामिल होता है जो निर्माण के दौरान विस्तृत और सटीक माप देता है।

6. यह संरचना के बाहरी और आंतरिक दोनों हिस्सों में दिखाई देता है।

7. इसमें प्रोजेक्ट संक्षिप्त, डिज़ाइन, ड्राइंग और कार्यान्वयन शामिल होता है।

8. यह एक इमारत के निर्माण में पत्थर, लकड़ी, कांच, पीतल, स्टील और अन्य धातुओं जैसे कई सामग्रियों से बना होता है।

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