#पल्लव_वंश :
सिंहविष्णु (575-600 ई. पू.) पल्लव वंश का संस्थापक था, उसकी राजधानी कांची थी, कांची महाबलीपुरम के रथ मंदिर का निर्माण नरसिंहवर्मन प्रथम ने करवाया था, कांची के कैलाश मंदिर का निर्माण नरसिंहवर्मन द्वितीय ने करवाया था. पल्लव वंश का अंतिम शासक अपराजित 879-897 ई. था.
#राष्ट्रकूट :
दंतिदुर्ग 752 ई. राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की, एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कृष्ण प्रथम में ने करवाया था, ध्रुव (धारावर्ष) प्रथम राष्ट्रकूट शासक था, जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया और प्रतिहार नरेश वत्सराज एवं पाल नरेश धर्मपाल को पराजित किया, राष्ट्रकूटों की राजनीति मनकिर या मान्यखेट थी, इंद्र तृतीय के शासनकाल में अरब यात्री अलमसूदी भारत आया, राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कृष्ण तृतीय था. एलोरा एवं एलिफेंटा (महाराष्ट्र) गुहामंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूटों के समय ही हुआ था.
#चालुक्य_वंश (वातापी)
वातापी के चालुक्य वंश का संस्थापक पुलकेशिन प्रथम था, महाकूट अभिलेख मैं उसके पूर्व दो शासकों जयसिंह तथा रणराग के नाम मिलते हैं, इस वंश का सबसे प्रतापी राजा पुलकेशिन द्वितीय था, पुलकेशिन द्वितीय ने 'दक्षिणापथेश्वर' तथा 'परमेस्वर' की उपाधि धारण की, ऐहोल अभिलेख रविकीर्ति द्वारा लिखित है, जितेंद्र के मेगुती मंदिर का निर्माण पुलकेशिन द्वितीय ने करवाया था, नरसिंहवर्मन ने 'वातापिकोंड' की उपाधि धारण की थी.
#चालुक्य_वंश_कल्याणी :
कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना तैलप द्वितीय ने की थी, तैलप द्वितीय की राजधानी मान्यखेट थी, चालुक्यों का पारिवारिक चिन्ह वाराह था, रामेश्वर प्रथम ने कल्याणी (कर्नाटक) को राजधानी बनाया, इस वंश का सबसे प्रतापी शासक विक्रमादित्य-षष्ठ था, विल्हण एवं विज्ञानेश्वर विक्रमादित्य-षष्ठ के दरबार में ही रहते थे, माता अक्षरा की रचना विज्ञानेश्वर ने तथा विक्रमांकदेवचरित की रचना विल्हण ने की थी.
#चोल_साम्राज्य (9 वीं - 12 वीं शताब्दी)
चोल वंश का संस्थापक विजयालय था, इसकी राजधानी तंजौर या तंजावुर थी, उसने नरकेसरी की उपाधि धारण की, राजराजा प्रथम ने उत्तरी श्रीलंका तथा मालदीव पर अधिकार कर लिया, राजराजा प्रथम ने तंजौर में राजराजेश्वर शिव मंदिर बनवाया, राजेंद्र प्रथम ने बंगाल अभियान के दौरान पाल शासक महिपाल को पराजित कर गंगैकोंडचोल की उपाधि धारण की, राजेंद्र चोल ने विशाल नौसेना द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया में विजय अभियान किए, चोल शासक अधिराजेंद्र एक जन विद्रोह में मारा गया था, रामानुज कुलोत्तुंग प्रथम के समकालीन थे, चोल वंश का अंतिम शासक राजेंद्र तृतीय था, उत्तरमेरुर अभिलेख से स्थानीय स्वशासन की जानकारी मिलती है, स्थानीय स्वशासन चोल शासन की प्रमुख विशेषता थी, चोल कालीन नटराज प्रतिमा चोल कला का सांस्कृतिक सार माना जाता है.
#अन्य_वंश :
#सेन_वंश :
सेन वंश की स्थापना सामंतसेन ने बंगाल में की इसकी राजधानी नदिया (लखनौती) थी, सेन शासक बल्लाल सेन कुलीन प्रथा चलाई थी, इसने दान सागर नामक पुस्तक की रचना की थी, लक्ष्मण सेन बंगाल का अंतिम हिंदू शासक था.
#कश्मीर_के_राजवंश :
सातवीं शताब्दी में दुर्लभवर्धन नामक व्यक्ति ने कश्मीर में कार्कोट वंश की स्थापना की, कार्कोट वंश के महान शासक ललितादित्य मुक्तापीड मंदिर का निर्माण करवाया, 980 ई. में उत्पल वंश की रानी दिद्दा ने कश्मीर पर शासन किया, कल्हण अपनी राजतरंगिणी का विवरण लोहार वंश के अंतिम शासक जय सिंह 1128-1155 ई. के शासनकाल में समाप्त करता है.
#राजपूत_वंश :
अग्निकुल सिद्धांत के अनुसार प्रतिहार चालुक्य, चौहान तथा परमार की उत्पत्ति आबू पर्वत पर वशिष्ठ के अग्निकुंड से हुई, यह सिद्धांत चंदबरदाई के 'पृथ्वीराज रासो' पर आधारित है.
#गुर्जर_प्रतिहार_वंश :
इस वंश का संस्थापक हरिश्चंद्र था, परंतु नागभट्ट प्रथम वास्तविक महत्वपूर्ण राजा था, इस काल का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक मिहिरभोज था. इसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया. इसके शासनकाल में अरब यात्री 'सुलेमान' भारत आया, महेंद्रपाल तथा महिपाल ने राजशेखर को संरक्षण दिया, जिसने कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, हरविलास की रचना की. इस वंश का अंतिम शासक यशपाल था. दिल्ली नगर की स्थापना अनंगपाल ने की थी.
#चाहमान_या_चौहान_वंश :
चौहान वंश की शाकंभरी अजमेर के निकट शाखा का संस्थापक वासुदेव था. पृथ्वीराज तृतीय (रायपिथौरा) इस वंश का अंतिम शासक था. पृथ्वीराज रासो के लेखक चंद्रवरदाई पृथ्वीराज तृतीय के दरबारी कवि थे. तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में हुआ, जिसमें पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को हराया. तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में हुआ. जिसमें मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज तृतीय को हराया.
#परमार_वंश :
इस वंश कासर्वाधिक शक्तिशाली शासक भोज था, भोज ने त्रिभुवननारायण मंदिर का निर्माण करवाया.
#चंदेल_वंश :
831 ई. चंदेल वंश की स्थापना की उसकी राजधानी खजुराहो थी. धंगदेव के शासनकाल में खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण हुआ.
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