๐Ÿ”ฑ เค•्เคฏा เคนै เค‡เคš्เค›ाเคฎृเคค्เคฏु ๐Ÿ”ฑ

2009 में सुप्रीम कोर्ट में एक महिला अरुणा शानबाग के जीवन को समाप्त करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी। अरुणा मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थी। 1973 में अस्पताल के ही एक सफाईकर्मी ने उनके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की। अरुणा द्वारा प्रतिरोध जताने के बाद उन्हें गंभीर चोटें आईं। उनका शरीर लकवाग्रस्त हो गया और दिमाग मृत हो चुका था। 42 साल तक वह एक अस्पताल में जिंदा लाश की तरह भर्ती रहीं। हादसे के 27 साल बाद सन् 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की मित्र पिंकी बिरमानी की ओर से दायर इच्छामृत्यु याचिका को स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था। हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया था। इस मामले ने देश में इच्छामृत्यु को लेकर गंभीर बहस शुरू की। हालांकि अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। 18 मई, 2015 को इनकी मौत हो गई।

असहनीय पीड़ा से मुक्ति के लिए जानबूझकर जीवन को समाप्त करने का फैसला यूथेनेसिया [इच्छामृत्यु] की श्रेणी में आता है।श्रेणियां: व्यक्ति की सहमति या असहमति के आधार पर इसको प्रमुख रूप से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है -स्वैच्छिक : यदि कोई मरीज असाध्य कष्ट से पीड़ित है और वह अपने जीवन को समाप्त करना चाहता है तो वह डॉक्टर की मदद से ऐसा कर सकता है।बेल्जियम, लग्जमबर्ग, हॉलैंड, स्विटजरलैंड, जर्मनी और अमेरिका के ओरेगन और वाशिंगटन राज्यों में इसको कानूनी मान्यता मिली हुई है।गैर स्वैच्छिक : यदि किसी मरीज की ऐसी हालत नहीं है कि वह इसके लिए सहमति दे सके।हॉलैंड में विशेष परिस्थितियों में इसके लिए कानूनी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पूरी दुनिया में यह पूरी तरह से गैर कानूनी है।

पैसिव यूथेनेसिया
जीवन रक्षण प्रणाली को हटाकर प्राकृतिक रूप से मौत के लिए छोड़ दिया जाता है।दवाएं बंद कर दी जाती हैं।खाना और पानी बंद कर दिया जाता है।

एक्टिव यूथेनेसिया
मौत के लिए सीधे कदम उठाए जाते हैं। इसमें जहरीला इंजेक्शन भी शामिल हो सकता है।

क्या है लिविंग विल
इसे एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव भी कहते हैं। यह किसी भी व्यक्ति के वे दिशानिर्देश होते हैं जिसमें वह घोषणा करता है कि भविष्य में किसी ऐसी बीमारी या दशा से अगर वह ग्रस्त हो जाता है जिसमें तमाम आधुनिक इलाजों के बावजूद सुधार मुश्किल हो, तो उसका इलाज किया जाए या न किया जाए।दुनिया में कहां प्रावधान: ऑस्ट्रेलिया में ‘एडवांस डायरेक्टिव’ का प्रावधान है जिसमें लोगों को यह पहले ही तय करने की सहूलियत दी गई है कि भविष्य में उनका कैसे इलाज किया जाए। दरअसल लाइलाज या मरणासन्न स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपनी राय देने में असमर्थ हो, लिहाजा लिविंग बिल का प्रावधान है। पेशेंट सेल्फ डिटरमिनेशन एक्ट अमेरिकी नागरिकों को यह अधिकार देता है कि वे अपने स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय कर सकें। इस कानून में एडवांस डायरेक्टिव या लिविंग बिल का प्रावधान है। इसी कानून की तर्ज पर कॉमन कॉज संस्था ने भी लिविंग बिल की मांग की है।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

0 comments:

Post a Comment

We love hearing from our Readers! Please keep comments respectful and on-topic.