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भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद को सबसे पहले 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सृजित किया था. ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति भारत के प्रधानमन्त्री के द्वारा की जाती है. वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल हैं. अब तक इस पद पर 5 व्यक्ति रह चुके हैं. इस लेख में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यों के बारे में बताया गया है.

Indian National security Advisor Ajeet Dobhal

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्यकारी और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर भारत के प्रधानमंत्री का प्राथमिक सलाहकार होता हैं. भारत की ख़ुफ़िया एजेंसियां; अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW) और खुफिया ब्यूरो (IB) प्रधानमन्त्री को रिपोर्ट करने की बजाये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट करतीं हैं. इन्हीं शक्तियों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, नौकरशाही के मामले में सबसे प्रमुख और शक्तिशाली कार्यालय माना जाता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) के मुख्य कार्यकारी एवम् भारत के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के प्राथमिक सलाहकार होते है. इस पद को सबसे पहले भारत में 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सृजित किया था.

ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति भारत के प्रधानमन्त्री के द्वारा की जाती है. वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल हैं. अब तक इस पद पर 5 व्यक्ति रह चुके हैं जिनके नाम हैं;👇

1. ब्रजेश मिश्रा

2. जे एन दीक्षित

3. एम के नारायणन

4. शिव शंकर मेनन

5. अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में👇

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को पौरी गढ़वाल, उत्तरखंड में हुआ था. अजीत डोभाल, 1968 के केरल बैच के IPS अफसर हैं.वे अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे. उन्हें 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था.

साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर केस्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया था. अजीत डोभाल ने करियर में ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया है. कहा जाता है कि वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे. डोभाल को भारत का जेम्स बांड भी कहा जाता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद बहुत ही महत्वपूर्ण पद माना जाता है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को लगभग ₹162,500 (US$2,300) प्रति माह की सैलरी मिलती है.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का आधिकारिक ढांचा इस प्रकार है,👇

दिसंबर 1998 में, सरकार ने एक टास्क फोर्स की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तीन स्तरीय ढांचा तैयार किया था. तीन स्तरीय ढांचे में शामिल हैं;

1. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council): इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सर्वोच्च संस्था है जिसका प्रमुख देश का प्रधानमन्त्री होता है और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस परिषद का सचिव होता है.

2. रणनीतिक नीति समूह (Strategic Policy Group): रणनीतिक नीति समूह का प्रमुख कैबिनेट सचिव होता है. यह संस्था देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नीति बनाती है जिसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख के अलावा खुफिया ब्यूरो और रॉ के चीफ शामिल होते हैं. इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को नीति बनाने सम्बन्धी सिफारिशें भेजना है.

3. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (National Security Advisory Board):  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) में वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारियों, नागरिकों के साथ-साथ सैन्य, शिक्षाविदों और आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, विदेश मामलों, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और आर्थिक मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले और नागरिक समाज के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल होते हैं.

इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर दीर्घकालिक विश्लेषण और दृष्टिकोण प्रदान करना है. यदि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इसे किसी मुद्दे का अध्ययन करने के लिए कहती है तो इसे वह भी करना पड़ता है.  इसके द्वारा सुझाई गयी नीति सिफारिशों और सुझावों को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के विचार जानने के लिए भेजा जाता है.

ध्यान रहे कि इस बॉडी ने ही वर्ष 2001 में भारत की परमाणु नीति का ड्राफ्ट तैयार किया था.इसके अलावा इसने 2002 में एक सामरिक रक्षा समीक्षा (Strategic Defence Review) और 2007 में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा (National Security Review) का भी निर्माण किया था.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के निम्न कार्य या दायित्व हैं;👇

1. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, देश के आंतरिक और बाहरी खतरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देने के लिए नियुक्त किया जाता है इसके अलावा वह सामरिक मुद्दों पर नजर रखता है.

2. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पडोसी देशों के साथ सीमा मुद्दों पर प्रधानमंत्री के विशेष संवाददाता के रूप में भी कार्य करते हैं और अक्सर विदेश यात्राओं पर प्रधानमंत्री के साथ जाते हैं.

3. विदेश की खुफिया एजेंसियों के बीच गुप्त और खुले ऑपरेशन के लिए तालमेल स्थापित करना.

4. देश के ऊपर आने वाले किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए स्ट्रेटेजी बनाना.

5. यदि किसी देश के ऊपर भारत को हमला करने की जरुरत पड़ेगी तो इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री के अलावा एक और सीक्रेट कोड होता है जो कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पास होता है. इस कोड को डालने के बाद ही किसी देश पर परमाणु हमला किया जा सकता है.

6. विभिन्न ऑपरेशनों के लिए भारत का क्या रवैया होना चाहिए इस बारे में उचित कार्रवाई करने के लिए प्रधान मंत्री को सलाह देना.

7. मूल रूप से एनएसए का कार्य प्रधानमंत्री के आदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सलाह लेकर देश के ऊपर आने वाले सभी खतरों का किस प्रकार से सामना करना है इस बारे में फैंसला लेना होता है.

8. कई बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भारत की विदेश नीति को ठीक करने के लिए भी प्रधानमन्त्री की तरफ से प्रतिनिधि बनाकर विदेश भेजा जाता है. जैसा कि कुछ समय पहले अजीत डोभाल, चीन के साथ सीमा विवाद निपटने के लिए चीन की यात्रा पर गये थे.

ऊपर दिए गए विश्लेष्ण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अतः इस पद के लिए चुना जाना किसी भी व्यक्ति के लिए किसी अवार्ड से कम नहीं है।

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