० सामाजिक अधिगम का सिद्धांत(social learning theory)- बांडूरा
० अलबर्ट बंडूरा- कनाडा
० प्रेक्षणात्मक अधिगम का सिद्धांत
० सामाजिक संज्ञानात्मक सिद्धांत (social cognitivetheory)
० प्रेक्षनात्मक अधिगम किसी दुसरे का प्रेक्षण करने से होता है| अधिगम के इस प्रेक्षण रूप को अनुकरण कहा जाता है|
० बंडूरा को प्रेक्षनात्मक अधिगम का प्रवर्तक माना जाता है|
इस प्रकार के अधिगम में बालक सामाजिक व्यवहारों को सिखाता है इसलिए इसे सामाजिक अधिगम भी कहा जाता है|
दूसरों के व्यवहार को देखकर उनके अनुरूप व्यवहार करना,व्यवहार को अपने जीवन में उतरना,समाज द्वरा स्वीकृत व्यवहार को धारण करना और अमान्य व्यवहारों को त्यागना सामाजिक अधिगम के अंतर्गत आता है|
सभी मनोवेज्ञानिकों ने अपने अधिगम के सिद्धांत के प्रयोग जानवरों पर किये है| लेकिन जानवरों पर किये गए प्रयोगों का परिणाम बालक पर लागु करने में शिक्षक को थोडा संदेह होता है| शिक्षा शास्त्रियों का मानना है कि बालक सामाजिक प्राणी होता है जबकि पशु नहीं|
बालक सामाजिक प्राणी होने की वजह से सामाजिक जीवन में अनुकरण द्वरा सिखता है|
समाज के किसी प्रतिमान के व्यवहार को देखकर बालक उसका अनुकरण करने का प्रयास करता है | विशिष्ट व्यवहार को देखकर उससे नविन परिस्तिथियों को ग्रहण करना ही कनुकरण कहलाता है|
बंडूरा ने कई प्रयोग किये है| उनके द्वारा किये गए प्रयोगों में मुख्य रूप से “बोबो डॉल स्टडीज(Bobo Doll Studies) और “जीवित जोकर” पर पर किये गए प्रयोग है |
प्रयोग (Bandura’s bobo doll experiment)
इस प्रयोग में बच्चों को 5 मिनट की फिल्म दिखाई| फिल्म के एक कमरे में बहुत सरे खिलोने रखे हुए थे| उन खिलोनों में एक “बोबो डॉल” (बड़ा गुड्डा) था| एक बालक कमरे में प्रवेश करता है और खिलोनों के प्रति क्रोध प्रकट करता है और एक खिलोने के प्रति विशेष रूप से आक्रामक हो जाता है| यहाँ तक का भाग सभी बालकों को दिखाया गया| उसके बाद बालकों को तीन अलग अलग समूहों में बांटा गया और पहले समूह को उसके आगे की फिल्म दिखाई गयी जिसमे उस बालक को उसके क्रोध के लिए दण्डित किया गया| दुसरे समूह को उसके आगे दिखाया कि क्रोध के बदले बालक को पुरस्कार दिया गया और एक प्रोढ़ व्यक्ति ने उसके आक्रामक व्यवहार की प्रशंसा की| तीसरे समूह को फिल्म में आगे दिखाया गया कि उस बालक को न तो पुरस्कार दिया और न ही दण्डित किया|
फिल्म दिखने के बाद सभी बच्चो को खिलोनों के साथ खेलने के लिए एक प्रायोगिक कक्ष में बिठाया गया और उनका निरिक्षण किया गया जिसमे पाया कि जिन बच्चों ने खिलोनों के प्रति आक्रामक व्यवहार के प्रति पुरस्कार वाली फिल्म देखी उन बच्चों ने भी खिलोनो के प्रति आक्रामकता दिखाई|
जिन बालकों ने आक्रामक व्यवहार के प्रति दण्डित करने वाली फिल्म देखी उन बच्चों में सबसे कम आक्रामकता दिखे गयी|
बंडूरा ने अनुकरण करने की प्रक्रिया के 4 चरण बताये है-
1 अवधान(Attention)
2 धारणा (Retention)
3 पुनः प्रस्तुतीकरण (Re-producation)
4 पुनर्बलन (Reinforcement)
प्रेक्षनात्मक अधिगम के उदहारण-
० बालक अधिकांश सामाजिक व्यवहार बड़ों को देखकर और उनकी नक़ल करके सिखाते है|
० बच्चों में व्यक्तित्व का विकास भी प्रेक्षनात्मक अधिगम के द्वारा होता है|
० बालकों द्वारा कपडे पहनना,बाल संवारना आदि बड़ों की नक़ल कर के ही सिखा जाता है|
० आक्रामकता,नम्रता,परिश्रम,आलस्य,परोपकार,आदर आदि गुण इसी विधि द्वारा अर्जित किये जाते है|
० बन्दुरा ने बताया कि व्यक्ति स्वयं की क्रियाओं को तीन तरीकों से संतुलित कर सकता है|-
विशेषताएं विशेष
1 स्वनियंत्रण (अ) स्वनिरिक्षण (ब)विवेकपूर्ण निर्णय (स) स्वानुशासन
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