० यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद-72 के तहत राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने से शुरू होती है।
० इसके बाद याचिका पर विचार करने के लिये यह गृह मंत्रालय को भेजी जाती है, जिसके बाद संबंधित राज्य सरकार से सलाह ली जाती है।
० गृह मंत्री की सिफारिश पर परामर्श के बाद याचिका राष्ट्रपति को वापस भेजी जाती है।
🔰क्षमादान का उद्देश्य: -
० क्षमादान किसी निर्दोष व्यक्ति को न्यायालय की गलती के कारण दंडित होने से बचाने या संदेहास्पद सज़ा के मामलों में मददगार साबित हो सकती है।
🔰राष्ट्रपति को प्राप्त इस शक्ति के दो रूप हैं: -
1⃣ विधि के प्रयोग में होने वाली न्यायिक गलती को सुधारने के लिये।
2⃣ यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कठोर समझता है तो उसका बचाव करने के लिये।
🔰क्षमा करने की शक्तियों पर न्यायिक रुख: -
मारू राम बनाम भारत संघ मामले (1980) में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा कि अनुच्छेद-72 के तहत शक्ति का प्रयोग केंद्र सरकार की सलाह पर किया जाना चाहिये, न कि राष्ट्रपति द्वारा अपने विवेक से और राष्ट्रपति के लिये यह सलाह बाध्यकारी है।
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