केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 17 जनवरी 2020 को आतंकवाद, नक्सली हिंसा या सांप्रदायिक दंगा पीड़ितों को सरकारी सहायता पाने हेतु 'आधार' को अनिवार्य कर दिया है. गृह मंत्रालय ने हाल ही में अधिसूचना जारी करके साफ कर दिया है कि बिना आधार के इस तरह के मामलों सरकार आर्थिक सहायता नहीं दे पाएगी. उपर्युक्त केंद्रीय योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु लाभार्थियों को अनिवार्य रूप से अपने आधार का प्रदर्शन करना होगा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार देश में आतंकी, सांप्रदायिक और नक्सली हिंसा के अतिरिक्त सीमा पार से फायरिंग और बारूदी सुरंग अथवा आइईडी विस्फोट के पीड़ितों या पीड़ित के परिवारों को केंद्र सरकार की सहायता योजना के अंतर्गत लाभ पाने हेतु आधार नंबर देना या आधार प्रमाणीकरण कराना अनिवार्य होगा.
गृह मंत्रालय की यह अधिसूचना असम और मेघालय को छोड़कर सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में लागू हो गई है. असम और मेघालय के सभी लोग अभी आधार के दायरे में नहीं आ सके हैं, इसलिए उन्हें इस नियम से अलग रखा गया है.
मुख्य बिंदु
• नए नियम के तहत जिनके पास किसी कारण अभी तक 'आधार' नहीं है, उनके लिए भी इन लाभों हेतु 'आधार' रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
• यह सहायता राज्य सरकारों की ओर से दी जाती है और मांगे जाने पर केंद्र सरकार वे राशि राज्य सरकार को लौटा देती है.
• इस योजना के तहत वार्षिक बजट मोटे तौर पर छह से सात करोड़ रुपये के बीच की होती है.
• जब तक आधार जारी नहीं होता तब तक आवेदन की प्रति के साथ बैंक या डाकघर खाते की पासबुक, राशन कार्ड, मतदाता पहचानपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, किसान फोटो पासबुक और मनरेगा कार्ड दिखाकर भी योजना का लाभ लिया जा सकता है. लेकिन इस योजना का लाभ उठाने के लिए ‘आधार’ का आवेदन करना अनिवार्य होगा.
आधार कार्ड क्या है?
आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला एक पहचान पत्र है. इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है. यह संख्या, भारत में कहीं भी, व्यक्ति की पहचान तथा पते का प्रमाण होगा. भारतीय डाक द्वारा प्राप्त तथा यूआईडीएआई की वेबसाइट से डाउनलोड किया गया ई-आधार दोनों ही समान रूप से मान्य हैं.
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