रिलायंस इंडस्ट्रीज एक ऐसी परियोजना प्रारंभ करने जा रही है जो सड़क निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग करती है। 1.3 अरब जनसंख्या वाले देश में प्रदूषण को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं जहां प्रमुख शहर अक्सर धुंध और कूड़े से ग्रस्त रहते हैं।
मुख्य बिंदु:
भारत वार्षिक रूप से लगभग 14 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग करता है। इसमें प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए एक संगठित प्रणाली का अभाव है, जो व्यापक स्तर पर कूड़े को फैलाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक भारत से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक की खपत को समाप्त करने की ओर प्रवृत्त हैं।
कंपनी भारत के राजमार्ग प्राधिकरण और अलग-अलग राज्यों के साथ कार्य करने का प्रयास करेगी और उन्हें हजारों किलोमीटर की सड़कें बनाने के लिए प्लास्टिक-इन्फ्यूज्ड मिश्रण की आपूर्ति करेगी| मोदी भारत की चरमराती अवसंरचना को उन्नत बनाना चाहते हैं।
हल्के प्लास्टिक वे हैं जो कैरिंग बैग या स्नैक रैपर के रूप में उपयोग किए जाते हैं, ये आमतौर पर पुनर्नवीनीकरण (रीसायकल) करने के लिए व्यवहार्य नहीं होते हैं और इसलिए गड्ढों में, गली के कोनों में या महासागरों में दाल दिए जाते हैं। रिलायंस इन प्लास्टिकों को टुकड़े-टुकड़े करना और उन्हें बिटुमेन के साथ मिलाना चाहती है, जो सस्ता और अधिक समय तक चलने वाला है।
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