संस्कृत में किसी वाक्य में शब्दों का क्रम बदल जाने पर भी अर्थ नहीं बदलता, जबकि अन्य भाषाओं में अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
In Sanskrit, meaning does not change even when the order of the words in a sentence changes, whereas in other languages the meaning may be misplaced for example..
उदाहरण के लिए हिन्दी का एक वाक्य लीजिए-
‘कमरे में एक बच्चा है।’
In English we write
"There is a child in room"
इस प्रकार लिखा जाता है, जबकि संस्कृत में केवल ‘कक्षे बालकः अस्ति’ लिखा जाता है।
अब हिन्दी वाक्य के शब्दों को उलट-पुलट कीजिए:
जैसे- 'बच्चा में कमरे एक है' इससे वाक्य विकृत हो गया।
Now Suffle in english- Child is a room in ? (There is no Meaning of this sentence)
लेकिन संस्कृत में हम इस वाक्य को किसी भी तरह लिखें जैसे:-
‘बालकः कक्षे अस्ति’
‘अस्ति कक्षे बालकः’
‘बालकः अस्ति कक्षे’
‘कक्षे अस्ति बालकः’ या
‘अस्ति बालकः कक्षे’,
परन्तु कभी भी इसका अर्थ नहीं बदलता। यहाँ आप तीनो शब्दों को उलट-पुलट करने की सभी संभावनाओं को शामिल करके देख लिया है।
But in sanskrit 👆even after shuffling a no. of time the meaning of sentence remains same
👉 इन गुणों के कारण संस्कृत को अनुवाद की सर्वश्रेष्ठ भाषा या माध्यम माना जाता है।
Note: This is only a comparison for better understanding, There is no such intention of degrading other languages. After all every language has its own specialty.🙏
Thank you
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