Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 ।।

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 (Personal Data Protection Bill 2019) को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इस बिल को लोकसभा में शीतकालीन सत्र में पेश किया गया था। नई दिल्ली से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति का गठन किया गया है। यह समिति इस बिल की समीक्षा करने के बाद अपनी रिपोर्ट देगी।

पृष्ठभूमि

बता दें कि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को 11 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था। इस बिल के जरिए फेसबुक, गूगल और अन्य कंपनियों के लिए लोगों के निजी और गैर निजी डाटा को गुप्त रखना अनिवार्य बनाया गया है। बिना अनुमति डाटा का इस्तेमाल करने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।

राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्था: एक अवलोकन

आंध्रप्रदेश विधानसभा में सत्ताधारी वाइएसआर कांग्रेस ने तीन राजधानियां बनाने के प्रस्ताव को प्रचंड बहुमत (175 में से 151 सीटें) के चलते निम्न सदन से पारित तो करा लिया लेकिन इसे विधान परिषद (विधान मंडल का उच्च सदन) ने अस्थायी रूप से रोक दिया है। विधानसभा में जहां जगनमोहन रेड्डी सरकार बहुमत में हैं। वहीं विधान परिषद में मुख्य विपक्षी पार्टी तेलगुदेशम के पास 58 में से 28 सीटें हैं।

माना जा रहा है कि अब राज्य सरकार उच्च सदन को ही खत्म करने पर विचार कर रही है। दूसरी ओर, देश के चार बड़े राज्य ओडिशा, राजस्थान, असम और मध्यप्रदेश उच्च सदन स्थापित करने की कोशिशों में जुटे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि राज्यों के लिए कितने सदन वाली व्यवस्था बेहतर है और इनकी मौजूदा दौर में कितनी प्रासंगिकता है।

विधान परिषद से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

संसद में लोकसभा और राज्यसभा की तरह ही संविधान ने राज्यों को द्विसदनीय व्यवस्था का अधिकार दिया है। यद्यपि छह राज्यों में ही उच्च सदन की व्यवस्था है। इनमें आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। विधान परिषद के सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की एक तिहाई से ज्यादा और चालीस से कम नहीं होनी चाहिए। राज्यसभा की तरह इसके सदस्य सीधे विधायकों या स्थायी निकायों द्वारा चुने जाते हैं अथवा राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।

संसद के पास राज्य में विधान परिषद की स्थापना और समाप्त करने का अधिकार होता है। संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्य विधानसभा दो तिहाई बहुमत से संकल्प पारित कर केंद्र को भेजती है। आंध्रप्रदेश में 1958 से उच्च सदन है, इसे 1985 में समाप्त कर दिया गया था। हालांकि इसे एक बार फिर 2007 में पुनर्गठित किया गया। राजस्थान और असम के विधान परिषद गठन के प्रस्ताव संसद में अटके हुए हैं।

राज्यसभा की तरह ही विधान परिषद स्थायी सदन है। इसके सदस्यों में से एक तिहाई हर दो साल की अवधि में कार्यमुक्त हो जाते हैं। यद्यपि विधानसभाओं को इनके सुझावों को न मानने का अधिकार होता है।

पक्ष-विपक्ष के तर्क

उच्च सदन के पक्ष में रहने वालों का तर्क है कि इसके अस्तित्व में आने से बेहतर बहस हो सकेगी और बहुमत की सरकारों के जल्दबाजी में लिए निर्णयों को जांचा जा सकेगा। इसके साथ ही उनका कहना है कि यह व्यवस्था मनोनीत पेशेवरों को विधान प्रकिया से जुड़ने की आज्ञा देती है। यद्यपि जो लोग दूसरे सदन के विरोध में हैं वो अक्सर तर्क देते हैं कि इससे कानून बनने में देरी होती है। इस सदन को राजनीतिक व्यक्तियों से भरा जाता है जो चुनाव नहीं जीत सकते हैं। साथ ही यह सरकारी कोष की बर्बादी है।

ओडिशा ने प्रस्तावित उच्च सदन के लिए वार्षिक करीब 35 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसके साथ ही राजस्थान सरकार ने एकमुश्त 100 करोड़ रुपये और असम ने 19 करोड़ रुपये वार्षिक के साथ ही 69 करोड़ का खर्चा बताया है।

0 comments: