ज्यादातर उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर हीं क्यों स्थित होते हैं?

पूरे विश्व में चार प्रकार के रेगिस्तान (मरुस्थल) पाए जाते हैं: उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान; तटीय रेगिस्तान; सर्द रेगिस्तान; ध्रुवीय रेगिस्तान। पृथ्वी कि सतह का पांचवा हिस्सा रेगिस्तान है। वे एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं। सहारा विश्व का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान (मरुस्थल) है।

दुनिया के अधिकांश उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान महाद्वीपों के पश्चिमी दिशा में 20°-30° के बीच स्थित होने के चार प्रमुख कारक जिम्मेदार हैं:

1. व्यापारिक हवाओं के अपतटीय क्षेत्र और और बारिश छाया क्षेत्र में अंतर्गत आना: जब व्यापारिक हवा बहते हुए पूर्व से पश्चिम तक आती है तब तक शुष्क हो जाती है जिसके वजह से महाद्वीपों के पश्चिमी दिशा या पश्चिमी मार्जिन तक नमी नहीं मिलती है। यह सूखी हवाएं उस क्षेत्र की धरती से नमी सोख कर धरती को अधिक शुष्क बना देती हैं। जिसके कारण महाद्वीपों के पश्चिमी दिशा में रेगिस्तान (मरुस्थल) का निर्माण हो जाता है।

2. प्रतिचक्रवात की स्थितियों का निर्माण: महाद्वीपों के पश्चिमी क्षेत्र और 20°-30° अक्षांश के बीच का क्षेत्र अवरोही हवा का क्षेत्र होता हैं। जिसकी वजह से हवा संपीड़ित और गर्म हो जाती है जिससे हवा नमी रहित हो जाती है।

🔰भूमंडलीय आदर्श वायुदाब वाले क्षेत्रो की सूची

3. वृष्टिछाया (Rain-shadow) का कारण रेगिस्तान (मरुस्थल) का निर्माण: जब एक विशाल पर्वत वर्षा के बादलों को आगे की दिशा में बढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है तब उसके आगे का प्रदेश वृष्टिहीन हो जाता है और इसे वृष्टिछाया क्षेत्र (Rain-shadow Zone) कहते हैं।

🔰Rainshadow region

आपने देखा होगा कि किस प्रकार ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं बादलों को अपनी तरफ नमी मुक्त करने पर विवश कर देती है जिसकी वजह से पर्वत के दूसरी ओर अनुवात या रक्षित स्थान की तरफ वायु शुष्क रहती है। इसी वृष्टिछाया (rain-shadow) की वजह से वहां रेगिस्तान बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। भारतीय थार का मरुस्थल वृष्टिछाया के कारण की निर्मित हुआ है।

4. महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर ठंड महासागर धाराओं की उपस्थिति के कारण बादल नहीं बन पाते और फिर वहां वर्षा नहीं हो पाती। जिसकी वजह से रेगिस्तान (मरुस्थल) के निर्माण वाली स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

0 comments:

Post a Comment

We love hearing from our Readers! Please keep comments respectful and on-topic.