विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय- वैज्ञानिक नवोन्मेषों को प्रोत्साहन देने, अंतर-विभागीय समन्वयन और वाणिज्यीकरण के लिए प्रौद्योगिकीय अंतरण आरंभ करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए स्टार्ट-अप्स को सहायता प्रदान करने वाले अपने त्रि-आयामी दृष्टिकोण के साथ समाज तक विज्ञान के त्वरित लाभ पहुंचाने में संलग्न है। पिछले तीन वर्षों में इसी दृष्टिकोण के साथ सम्मिलित कार्रवाई की गई है।
वैज्ञानिक नवोन्मेष उद्योगों को वैश्विक बाजार में सेंध लगाने तथा उस पर नियंत्रण करने के लिए प्रतिस्पर्धा का लाभ प्रदान करने की प्रेरक शक्ति है। भारत सरकार ने जनवरी, 2016 में प्रमुख पहल ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ का शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप इंडिया कार्य योजना की घोषणा करते हुए कहा, ‘’ सफल स्टार्ट-अप्स सामान्यत: उन लोगों द्वारा सृजित किए जाते हैं, जो किसी विचार या लोगों के समक्ष आने वाली समस्या का समाधान करने की इच्छा से प्रेरित होते हैं।‘ विज्ञान और प्रौद्योगिकी इस कार्यक्रम और उद्यमिता के वे प्रमुख कारक हैं, जिन पर देश के स्टार्ट-अप्स की प्रगति को सुगम बनाने के लिए 19 सूत्री स्टार्ट अप इंडिया कार्ययोजना में बल दिया गया है। अंतर-मंत्रालयी बोर्ड (आईएमबी) को स्टार्ट अप्स से प्राप्त आवेदनों का मूल्यांकन करने और कर छूट तथा अन्य तरह के लाभ की पेशकश करने का दायित्व सौंपा गया है।
दो अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम अटल नवोन्मेष मिशन और निधि- राष्ट्रीय नवोन्मेष विकास और प्रयोग पहल हैं। ये दोनों कार्यक्रम नवोन्मेषों से प्रेरित उद्यम पारितंत्र विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इनके अलावा नवोन्मेषी पारितंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए एफआईसीसीआई, सीआईआई और उच्च प्रौद्योगिकी वाली निजी कम्पनियों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारियां की जा रही हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग जनता को लाभ पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर निष्पादन में सुधार लाते हुए विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों को एकजुट करता आया है। जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद (बीआईआरएसी) नई प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराता आया है, रोटावैक उन्हीं में से एक है। जिसके प्रबंध निदेशक डॉ. रेणु स्वरूप का कहना है, ’’सरकार उद्यमिता का सृजन करने के लिए सहयोगपूर्ण नीतियां प्रारंभ कर रही है और कानूनी बाधाओं को हटा रही है तथा हम वाणिज्यीकरण के शीर्ष पर है।‘’ स्वच्छ भारत पहल को आगे बढ़ाने के लिए विशिष्ट कचरा प्रबंधन हेतु बायोडाइजेस्टर्स कई रूपों में सामने आए हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निसारगुना बायोगैस प्लांट को और बेहतर बनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) का प्रौद्योगिकी वाणिज्यीकरण विकास कार्यक्रम (पीडीटीसी)- एनआरडीसी वाणिज्यीकरण के लिए महत्वपूर्ण मूल्य वर्धन के साथ प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन दे रहा है। एनआरडीसी और सीएसआईआर- राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ),गोवा ने आविष्कारों और नवोन्मेषों, सूत्रीकरण, जानकारी और समुद्र विज्ञान से संबंधित आंकड़े एकत्र करने की प्रक्रियाओं, पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन तथा वातावरण संबंधी प्रभाव के पूर्वानुमान के लिए इस साल सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
आईआईटी दिल्ली के ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह (आरयू टैग) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के तत्वावधान में उचित प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विकास संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और भारतीय वैज्ञानिक शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) आदि सहित उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थानीय समुदायों के साथ जोड़ने के लक्ष्य के साथ उन्नत भारत अभियान नामक कार्यक्रम का आरंभ किया है।
अंतरिक्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने प्रक्षेपण यान कार्यक्रम में नई प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया है। उन्नत प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी पहल के अंतर्गत पुन: उपयोग के योग्य प्रक्षेपण यान- प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (आरएलवी-टीडी) और स्क्रैमजेट इंजन प्रौद्योगिकी प्रदर्शक ने अपनी पहली उड़ाने सफलतापूर्वक संपन्न की हैं। इसके अलावा, भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान- मार्क II (जीएसएलवी-एमके II) का प्रक्षेपण, स्वदेशी क्रायोजनिक अपर स्टेज (सीयूएस) का वहन करने वाला जीएसएलवी का लगातार तीसरा सफल प्रक्षेपण बन चुका है।
इसरो का आपदा प्रबंधन सहायता (डीएमएस) कार्यक्रम निरंतर अंतरिक्ष आधारित आंकड़े और सूचना साथ ही साथ आपदाओं के कुशल प्रबंधन के लिए संचार के साधन मुहैया करवा रहा है। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) में स्थापित निर्णय सहायता केंद्र (डीएमएस-
डीएससी) जंगल की आग सहित प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी कर रहा है। 2016 में 110 से ज्यादा बाढ़ मानचित्र संबंधित राज्य और केंद्रीय अधिकारियों को भेजे जाने के साथ ही साथ भुवन और एनडीईएम वैब पोर्टल के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराए गए। मई में आए चक्रवाती तूफान रोआनु, अक्टूबर में आए चक्रवाती तूफान क्यांत और दिसम्बर 2016 में आए चक्रवाती तूफान वरदा सहित बंगाल की खाड़ी पर बने दबावों पर नजर रखी गई और चक्रवाती तूफान के मार्ग और तीव्रता का पूर्वानुमान लगाया गया। सूचना के प्रसार के लिए सभी प्रकार की सूचनाएं मौसम विज्ञान एवं समुद्र विज्ञान से संबंधित उपग्रह आंकड़ा अभिलेखीय केंद्र (एमओएसडीएसी) वेबसाइट पर नियमित रूप से अद्यतन की जाती हैं।
राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम)
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारत को विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति वाला देश बनने में समर्थ बनाने के लिए 2015 में राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन प्रारंभ करने को मंजूरी प्रदान की। इस मिशन का कार्यान्वयन और संचालन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) द्वारा 4500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सात साल की अवधि के लिए किया जा रहा है। 70 से ज्यादा उच्च क्षमता वाली कंप्यूटिंग सुविधाओं को संस्थापित किया जा रहा है और ये सुपर कंप्यूटर राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) पर राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन पर नेटवर्क्ड किए जाएंगे, जो अकादमिक संस्थाओं तथा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को उच्च गति वाले नेटवर्क के साथ जोड़ने का कार्य करता है। मिशन के तहत 2017 के अंत तक 6 सुपर कंप्यूटर संस्थापित किए जाने को मंजूरी दी गई है। एनएसएम ने सी-डेक और आईआईएससी के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं और उद्योग की भागीदारी के साथ पहला ऐसा कार्यक्रम अभी हाल ही संपन्न हुआ है।
समय से पहले जन्म पर बहु- संस्थागत राष्ट्रीय कार्यक्रम
समय से पहले जन्म कार्यक्रम मातृ-शिशु स्वास्थ्य और प्रथम अंतर-संस्थागत कार्यक्रम है और भारत में स्वाभाविक समय से पहले जन्म विज्ञान का वित्त पोषण विभाग द्वारा ग्रेंड चैलेंज प्रोग्राम के तहत 48.85 करोड़ रुपये की कुल लागत पर 5 साल की अवधि के लिए किया जा रहा है। यह मूलभूत पैथोफिजियोलॉजिकल व्यवस्थाओं के ज्ञान को संवर्धित करते हुए समय से पहले जन्म (पीटीबी) के पूर्वानुमान एवं निदान के लिए बहुविषयक अनुसंधान प्रयासों की परिकल्पना करता है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य संबंधी समानता लाने, शिशु और मातृ मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी लाने की दिशा में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
आज के भारत के पास वैश्विक स्तर पर योगदान देने के लिए स्पष्ट अनुसंधान एवं नवोन्मेषी पारितंत्र है। अब भारत महज प्राप्तकर्ता न बनकर समान आधार पर अंतर्राष्ट्रीय संघों के साथ साझेदारी कर सकता है। 2017 में 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. आर चिदम्बरम द्वारा देश को यह उद्देश्य स्पष्ट कर दिया गया- ‘आज का भारत समान साझेदारी के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग चाहता है’। भारत उच्च-उर्जा भौतिकी में स्वयं को साबित कर चुका है। मानवजाति की सेवा के लिए सुरक्षित, सुदृढ़ और टिकाऊ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा में वैश्विक साझेदारी के साथ वैश्विक नाभिकीय ऊर्जा साझेदारी केंद्र (जीएनसीईपी) का निर्माण किया जा रहा है।
सर्वसाधारण को विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने और तो और निरक्षरों को विज्ञान के बारे में सोचने तथा दुनिया भर में पहचान पाने के लिए नवोन्मेषों को सामने लाने की दिशा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव और नवोन्मेष उत्सव से व्यापक बल मिला है।
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