GGO राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020: जानिए इसका इतिहास और महत्व GGO

भारत में प्रत्येक साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है. यह दिवस ‘रमन प्रभाव’ की खोज के कारण मनाया जाता है. यह खोज भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को की गई थी. भारत सरकार प्रत्येक साल इस दिन वैज्ञानिकों को सम्मानित करती है जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है.

इस खोज के कारण सीवी रमन को साल 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह किसी भी भारतीय एवं एशियन व्यक्ति द्वारा जीता गया पहला नोबल पुरस्कार था. नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में साल 1901 में शुरू किया गया था. यह पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 का थीम
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 के लिए थीम ‘Women In Science’ (महिलाएं और विज्ञान) है. इस थीम का मकसद विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना करना है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में मनाया जा रहा है. इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाली महिला वैज्ञानिकों को पुरस्कार प्रदान करेंगे.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उद्देश्य
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य देश में विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि में बढ़ोतरी करना है. इस दिन का मूल उद्देश्य छात्रों को नए प्रयोगों के लिए प्रेरित करना, उन्हें विज्ञान के प्रति आकर्षित करना और उन्हें विज्ञान और वैज्ञानिक उपलब्धियों से अवगत कराना है. इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र मौका देकर नई उंचाइयों को हासिल करना इसका अहम उद्देश्य है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  28 फरवरी को ही क्यों?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस ‘रमन प्रभाव’ की खोज के कारण मनाया जाता है. इस खोज की घोषणा भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को की थी. राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्य़ोगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने साल 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर मनाने हेतु केंद्र सरकार को कहा था. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था. वर्ष 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर नामित किया गया. पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था.

सीवी रमन के बारे में
• सीवी रमन का जन्म 07 नवंबर 1888 को ब्रिटिश भारत में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी (तमिलनाडु) में हुआ था. उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे. सीवी रमन ने तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीए किया और उन्होंने इसी कॉलेज में एमए में प्रवेश लिया और मुख्य विषय भौतिकी को चुना था. उन्होंने भारत सरकार के वित्त विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लिया और उन्हें प्रथम स्थान मिला.

• उन्होंने कोलकाता में साल 1907 में असिस्टेंट अकाउटेंट जनरल की नौकरी की. वे इंडियन एशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ साइंस और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में शोध करते रहे. उन्होंने स्टील की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टील डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों और अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर भी शोध किया.

• उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की थी. भारत सरकार ने उन्हें साल 1954 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था.

रमन प्रभाव क्या है?
रमन प्रभाव एक ऐसी घटना है जिसमें प्रकाश की किरण को अणुओं द्वारा हटाए जाने पर वे प्रकाश अपने तरंगदैर्ध्य में परिवर्तित हो जाता है. प्रकाश की किरण जब एक धूल–मुक्त, पारदर्शी रसायनिक मिश्रण से गुजरती है तो आनेवाली बीम की दूसरी दिशा में प्रकाश का छोटा सा अंश उभरता है. इस बिखरे हुए प्रकाश का ज्यादातर हिस्से का तरंगदैर्ध्य अपरिवर्तित रहता है. उनके शोध से पता चलता है कि समुद्री जल का रंग नीला क्यों दिखता है. सीवी रमन ने इसकी खोज इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता की प्रयोगशाला में काम करने के दौरान की थी.
▱▰▱▰▱▰▱▰▱▰▱▰▱

0 comments:

Post a Comment

We love hearing from our Readers! Please keep comments respectful and on-topic.