COVID-19 के मद्देनज़र असम राज्य के धेमाजी (Dhemaji) ज़िले में आर्मीवार्म (Armyworm) के कारण ग्रीष्मकालीन धान की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
राष्ट्रव्यापी लाकडाउन के कारण असम के धेमाजी ज़िले के जिन क्षेत्रों में फसल की कटाई नहीं हो पाई थी वहाँ आर्मीवार्म कैटरपिलर (Armyworm Caterpillar) के हमले से फसल को नुकसान हुआ है।
कीट-पतंगों की कई प्रजातियों के लार्वल स्टेज (Larval Stage) वाले आर्मीवार्म कैटरपिलर में तीव्र भूख होती है, कीटविज्ञानशास्त्री (Entomologists) बताते हैं कि यह कैटरपिलर पौधों की 80 से अधिक प्रजातियों को खाता है।
कृषि वैज्ञानिक मानते है कि इस कैटरपिलर हमले के पीछे मौसम भी एक कारक है क्योंकि मानसून पूर्व की बारिश ने असम में कृषि के लिये विपरीत स्थिति उत्पन्न कर दी है। वहीं असम में अभी तापमान काफी अधिक है और वर्षा न होने पर आर्मीवार्म कीट फसलों को अधिक नुकसान पहुँचा सकते हैं।
आर्मीवार्म (Armyworm):
आर्मीवार्म धान की फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कैटरपिलर हैं। इसकी कम-से-कम तीन प्रजातियाँ हैं जो एशिया महाद्वीप में धान की फसल को नुकसान पहुँचाती हैं। ये निम्नलिखित हैं-
राइस स्वार्मिंग कैटरपिलर (Rice Swarming Caterpillar)
कॉमन कटवार्म (Common Cutworm)
राइस ईयर-कटिंग कैटरपिलर (Rice Ear-cutting Caterpillar)
आर्मीवॉर्म धान के पौधे के आधार (जड़ के पास) पर पत्तियों एवं नई रोपी गई फसल को काटकर खाता है।
भारी वर्षा के बाद सूखे की अवधि आर्मीवॉर्म के विकास के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करती है।
सूखे खेतों में आर्मीवॉर्म मिट्टी या चावल के पौधों के आधार में पाए जा सकते हैं।
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