जैसे कोई एक टॉपिक लिया पाठ्यक्रम का आपने ... ज़ाहिर सी बात है , नोट्स बनाना है उस टॉपिक का... तो 2/3 किताबें जो अपने पास थी, उसमें इस टॉपिक को पढा ढंग से, फ़िर उसको समझकर संक्षिप्त नोट्स बना दिया... अपने पास मौजूदा पुस्तकों में से आपको 4/5 बिंदु मिले लिख लिए... उसके बाद आपने नेट के जरिये कुछ वेबसाइट से देखकर भी पॉइंट ऐड कर दिए... औऱ इस प्रकार आपका एक टॉपिक अच्छा खासा तैयार हो गया... फिर जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता जाएगा,आप और बिंदु ऐड करते जाओगे...
यही टॉपिक अग़र आप किसी बन बनाई पीडीएफ से पढ़ते... तो आपको उस पीडीएफ के उतर पर कभी विश्वास नहीं होगा, आपको लगेगा कि क्या पता यह उतर अभी पूर्ण है या अपूर्ण है, या इस उतर में कुछ ग़लती भी है... न उस बन बनाई पीडीएफ के बिंदु पूर्णतः समझ आएंगे... जबकि क़िताबों से मेहनत करके जो आपने उतर लिखा, उस पर आपको पूर्ण विश्वास रहेगा, औऱ पूर्णता भी रहेगी, क्योंकि आप स्वयं ने क़िताब से लिखा है... औऱ यूनिक भी होगा, क्योंकि पीडीएफ तो हजारों फ़ोन में है, जबकि आपका लिखा उतर सिर्फ आपके पास ही है।
अब मान लो आपने उस टॉपिक के वीडियो देखें, एक वीडियो तो मिलेगा नहीं इस टॉपिक का, कई वीडियो ढूंढे, देखें, काफी समय भी बर्बाद हो गया, मग़र कोई ढंग की सामग्री नहीं मिली, जैसी तैसी मिली वो आपने लिख ली, अब आपको नहीं पता कि यह पूर्ण है या नहीं है, ग़लत है या सही है, मतलब अविश्वास बना रहेगा उस टॉपिक पर...
इसलिए टॉपिक क्लियर करने का सर्वोत्तम तरीका यह होता है कि सबसे पहले आप अपने पाठ्यक्रम का एक टॉपिक उठाओ, फिर जो भी आपके पास औंथेटिक क़िताब है, उससे उस टॉपिक को दो तीन बार अच्छे से पढ़कर उसके संक्षिप्त नोट्स बना दो... फिर आपकी कोई वीडियो देखने की इच्छा हो, तो देख लो, नया पॉइंट मिलेगा नहीं औऱ मिल भी गया तो कोई मसाला होगा जो परीक्षा की दृष्टि से काम का नहीं होगा... किसी कोचिंग के बन बनाये नोट्स है आपके पास तो वो भी देख लो, कोई नया बिंदु मिले तो ऐड कर दो...एक समय बाद वीडियो, पीडीएफ , बन बनाये प्रिंटेड नोट्स से आपका मन उठ जाएगा, ये सब आपको कचरा सामग्री लगेंगे औऱ आप वापस पुस्तकों की तरफ़ लौट आओगे..👍
इस प्रकार हर दिन अगर एक टॉपिक भी तैयार करते है तो भी 6 महीने में इतने टॉपिक तैयार हो जाते हैं, जितना किसी एग्जाम का पाठ्यक्रम नहीं है। आजकल वीडियो और पीडीएफ में नए नए बनावटी तथ्य रूपी मसाला प्रस्तुत किया जाता है बच्चों को भ्रमित किया जाता है, बच्चा नए तथ्य देखकर उनको रटने लगता है, औऱ वीडियो को ही अब कुछ मान बैठता है.... इस चक्कर महत्वपूर्ण अवधारणा टॉपिक की बच्चा मिस कर जाता है... ।
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