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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

राहुल गांधी का भाग्य, हस्तरेखा आधारित विश्लेषण




इस पोस्ट में प्रस्तुत चित्र में दिखाई दे रही हस्तरेखाओं का सामुद्रिक शास्त्र के आधार पर एक सामान्य विश्लेषण किया गया है ।

( विवाह न होने के कारण आत्मनिर्भर होने से जो हस्तरेखाएँ मिट चुकी उसके कारण विश्लेषण में कुछ एरर सम्भावित है )

जातक का शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे हथेली का फूला भाग ) लुंजपुंज दिखाई दे रहा है जो जातक के अपने व्यक्तित्व से किसी को आकर्षित करने की अक्षमता दर्शाता है ।

मंगल पर्वत ( अंगुष्ठ मूल और तर्जनी मूल के बीच हथेली का हिस्सा ) अवनत होने से जातक के जीवन में पराक्रम का अभाव रहेगा ।

गुरु पर्वत (तर्जनी उंगली के ठीक नीचे हथेली का हिस्सा ) अपेक्षाकृत कम उन्नत होने से व्यक्तित्व में गुरुत्ता का अभाव रहेगा ।

शनि पर्वत ( मध्यमा उंगली के नीचे हथेली का हिस्सा )एकदम पोचा होने से जीवन में उच्चतम उपलब्धियां प्राप्त नही होंगी ।

सूर्य पर्वत (अनामिका ऊँगली के नीचे हथेली का हिस्सा ) उन्नत होने से तथा स्पष्ट लम्बी सूर्य रेखा होने से जातक को राज्य पक्ष से लाभ प्राप्त होगा । सूर्य रेखा लम्बी होने से पर्याप्त प्रसिद्धि भी प्राप्त होगी ।

बुध पर्वत (कनिष्ठ या चीटी ऊँगली के नीचे का हिस्सा ) उन्नत और विस्तृत है । बुध बाल-ग्रह कहलाता है अतः जातक की बाल सुलभ चेष्टाएँ जीवन पर्यंत बनी रहेगीं । शायद चित्र अस्पष्ट होने से बुध पर्वत स्थित विवाह रेखा दिखाई नही दे रही ।

चन्द्र पर्वत (अनामिका के नीचे कलाई के पास हथेली का हिस्सा ) उन्नत है । चन्द्रमा मन का स्वामी है अतः ऐसे जातक के स्वभाव में चंचलता होती है तथा मनसा , वाचा, कर्मणा स्थिरता का अभाव होता है ।

अंगूठे और तर्जनी के मध्य न्यून कोण बन रहा है जो जातक के संकुचित और अदूरदर्शी स्वभाव का घोतक है ।

अंगूठे का ऊपरी पर्व पीछे की और झुका हुवा है जो जातक में दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव बताता है ।

तर्जनी ऊँगली का ऊपरी पर्व निचले दोनों पर्वो की अपेक्षा अधिक पुष्ट है जो जातक के आचरण में विशेष सदाचार का अभाव दर्शाते हैं ।

मध्यमा उंगली अनामिका ऊँगली की और झुक कर उसके सहारे खड़ी है । अनामिका सूर्य अर्थात पिता और मध्यमा शनि अर्थात पुत्र की ऊँगली है अतः ऐसे जातक जीवन में अपनी पैतृक विरासत के सहारे रहते है ।

कनिष्ठा ऊँगली के तीनों पर्व समान है जो जातक के जीवन के तीनों भागों (बालपन , जवानी , बुढ़ापा ) में समान बुद्धिमानी स्तर प्रदर्शित करते है ।

ह्रदय रेखा अच्छी है , कुछ स्थानों पर द्वीप (डाट) बने है जो जातक को समय समय पर अपने ह्रदय के भावों के विपरीत कार्य करने के सूचक है ।

जीवन रेखा गहरी और मणिबन्ध तक है जो दीर्ध आयुष्य बताती है ।

मंगल रेखा चित्र में दिखाई नही दे रही है । स्पष्ट और गहरी मंगल रेखा हो तो वह जातक की डेयर डेशिंग या रिस्क लेने की क्षमता बताती है ।

भाग्य रेखा दो है जो शनि एवं बुध पर्वत की और जा रही है । ऐसे जातक ऐश्वर्यवान होते है । एवं राज्य पक्ष एवं कला के क्षेत्र से धन प्राप्त करते है ।

मस्तिष्क रेखा मोटी और कड़ियाँ युक्त है जो अंतिम सिरे पर नीचे की और झुक रही है । ऐसे जातक सामान्य बुद्धि के , भ्रमित एवं सलाहकारों पर आश्रित रहते है , स्वयं कोई निर्णय नही ले पाते है ।

निष्कर्ष - कांग्रेस का बंटाधार

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