ब्रहमांड के अन्दर उन सभी आकाशीय पिंडों एवं उल्काओं तथा समस्त सौर परिवार, जिसमे सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी आदि भी शामिल हैं, का अध्ययन किया जाता है।
ब्रहमाण्ड के नियमित अध्ययन का प्रारम्भ क्लाडियस टालेमी द्वारा (140 ई.) में हुआ।
टालेमी के अनुसार पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केंद्र में है तथा सूर्य और अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।
1573 ई. में कापरनिकस ने पृथ्वी के बदले सूर्य को केंद्र में स्वीकार किया।
पृथ्वी व् चंद्रमा के बीच का अन्तरिक्ष भाग सिसलूनर कहलाता है।
ब्रह्माण्ड उत्पत्ति की वैज्ञानिक परिकल्पनाएं
बिग-बैंग सिद्धांत – जॉर्ज ली मैत्रे (Georges Lemaître)
निरंतर उत्पत्ति का सिद्धांत – थॉमस गोल्ड और हमैन बॉण्डी (thomas gold and hammen bandi)।
संकुचन विमोचन का सिद्धांत – डॉ. एलेन सैण्डिज (Allan Sandage)।
ब्रह्माण्ड की जानकारी का सबसे आधुनिक स्रोत प्रो. जे. क्रॉय बुरबिज a(professor j kroy Burbidge) द्वारा प्रतिपादित किया गया, जो बता है की प्रत्येक गैलेक्सी ताप नाभिकीय अभिक्रिया के फलस्वरूप काफी मात्र में हीलियम उत्सर्जित करती है।
प्रकाश वर्ष वह दूरी है जिसे प्रकाश शून्य में 29,7925 किमी. प्रति सेकेण्ड या लगभग 186282 मिल प्रति सेकेण्ड की गति से एक वर्ष में तय करता है।
एक प्रकाश वर्ष = 9.4605284 × 1015 मीटर
ब्रह्माण्ड इकाई से तात्पर्य सूर्य और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी 149597870 किमी. (लगभग 149,600,000) किमी.) या 15 करोड़ किमी है।
सूर्य और उसके पडोसी तारे सामान्य तौर से एक गोलाकार कक्षा में 150 किमी. प्रति सेकेण्ड की औसत गति से मन्दाकिनी केंद्र के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, इस गति से केंद्र के चारों एक एक चक्कर को पूरा करने में सूर्य को 25 करोड़ वर्ष लगते हैं। यह अवधि ब्रह्माण्ड वर्ष कहलाती है।
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