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Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

योगदर्शन में ईश्वर का स्वरूप।।

योगसूत्र = क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्ट:
                   पुरुषविशेष ईश्वरः ।। 24।।

पुरुष प्रकृति साहचर्यवश क्लेश, कर्म
      कर्म-फल, वासना से युक्त दिखलाता है।

किन्तु क्लेश, कर्म, कर्म-फल, वासनाविमुक्त
        पुरुष विशेष वही ईश्वर कहाता है।

तीनों काल में न दु:ख दोष का है लेश जहाँ
       सर्वशक्तिमान् एकरूप माना जाता है।

उसके बराबर या उससे बड़ा न कोई
        इच्छामात्र से ही मुक्ति-फल का प्रदाता है।।

सूत्रार्थ :   क्लेश, कर्म, कर्मों के फल और और वासनाओं से असम्बद्ध, अन्य पुरुषों से विशिष्ट (उत्कृष्ट) पुरुषोत्तम ईश्वर है।

     - डॉ देवीसहाय पाण्डेय
       (पातंजलयोगदर्शनम् से)
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