🗺 महीनों के विवाद के बाद, असम सरकार ने देहिंग पटकाई वन्यजीव अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड करने के लिए निर्णय लिया है। यह निर्णय पर 6 जुलाई, 2020 को लिया गया और असम सर्वानंद सोनोवाल के मुख्यमंत्री द्वारा इसकी घोषणा की गई।
विवाद
अप्रैल, 2020 के महीने में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से पर्यावरणविदों के नेतृत्व में एक विरोध अभियान चलाया गया था। यह अभियान स्टैंडिंग कमेटी की 57वीं बैठक के दौरान नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) द्वारा किए गए विवादास्पद निर्णय के कारण था।
इस निर्णय के तहत सालेकी प्रस्तावित आरक्षित वन के 98.57 हेक्टेयर क्षेत्र के अंदर कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी नार्थईस्टर्न कोलफील्ड (NEC) को कोयला खनन के लिए प्रारंभिक स्वीकृति दी गयी थी।
सालेकी प्रस्तावित आरक्षित वन ‘इको-सेंसिटिव ज़ोन’ के भीतर आता है, जो कि देहिंग पटकाई वन्यजीव अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर के दायरे में है।
विवाद के बाद, इस स्थान पर 3 जून को कोयला खनन कार्य बंद कर दिया गया। कोल इंडिया लिमिटेड की इकाई NEC 2003 से बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के इस स्थान पर खनन कर रही थी। इसके लिए असम के वन विभाग ने मई, 2020 में कोल इंडिया लिमिटेड पर 43.24 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
देहिंग पटकाई
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत 1992 में देहिंग पटकाई को एलीफेंट रिजर्व घोषित किया गया था। पर बाद में 13 जून, 2004 को देहिंग पटकाई को एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था।
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