चंद्रयान -2 ऑर्बिटर ने इस 20 अगस्त, 2020 को चंद्रमा की कक्षा में अपना एक वर्ष पूरा कर लिया है. इस ऑर्बिटर को 20 अगस्त, 2019 में चंद्र कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था.
इसरो ने यह कहा है कि, चंद्रयान -2 ऑर्बिटर पर लगे सभी उपकरण वर्तमान में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और लगभग सात वर्षों तक इसे चालू रखने के लिए ऑर्बिटर पर पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है.
चंद्रयान -2 ऑर्बिटर: प्रमुख विशेषताएं
• चंद्रयान -2 ऑर्बिटर ने लॉन्च होने के बाद अपने पहले एक साल में चंद्रमा के चारों ओर 4,400 से अधिक परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और इसरो के अनुसार, इसके सभी उपकरण वर्तमान में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.
• इसरो ने यह बताया कि, इस ऑर्बिटर को 100 किमी (+/- 25 किमी) ध्रुवीय कक्षा में आवधिक कक्षा रखरखाव (ओएम) कुशलता के साथ बनाए रखा जा रहा है.
• पिछली 24 सितंबर, 2019 को 100 किमी चंद्र कक्षा में स्थापित होने के बाद से अब तक, ऑर्बिटर में 17 ऑर्बिट रखरखाव कार्य किए जा चुके हैं.
• इसरो ने यह आश्वासन दिया है कि, लगभग सात वर्षों तक चालू रहने के लिए ऑर्बिटर में पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है.
चंद्रयान -2 ऑर्बिटर उपकरण
• चंद्रयान -2 ऑर्बिटर आठ वैज्ञानिक उपकरणों और पेलोड्स से लैस है जिसमें चंद्र सतह की मैपिंग के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे शामिल हैं और जो चंद्रमा के एक्सोस्फीयर (बाहरी वातावरण) का अध्ययन करते हैं.
• इन पेलोड्स से प्राप्त कच्चा (रॉ) डाटा इस एक वर्ष के दौरान भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डाटा सेंटर (ISSDC) में डाउनलोड किया गया है.
• इसरो ने एक औपचारिक सहकर्मी समीक्षा द्वारा सत्यापन के बाद, वर्ष 2020 के अंत तक सार्वजनिक डाटा जारी करने की एक योजना बनाई है. प्रथम-वर्ष के अवलोकन के अनुसार, यह ऑर्बिटर चंद्र विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
• इस ऑर्बिटर की प्रत्याशित लंबी आयु के कारण चंद्रमा पर इसकी निरंतर उपस्थिति से वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के बीच वर्तमान रूचि को पुनः पैदा करने में बहुत योगदान मिलने की उम्मीद है.
चंद्रयान -2 मिशन का उद्देश्य
चन्द्रयान -2 मिशन को व्यापक तरीके से चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के तहत चंद्रमां की सतह पर स्थलाकृति, खनिज विज्ञान, भूतल रासायनिक संरचना, थर्मोफिजिकल विशेषताओं और वातावरण का विस्तृत अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया गया था.
पृष्ठभूमि
भारत का दूसरा चंद्र अभियान, चंद्रयान -2 गत 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया था और ठीक एक साल पहले 20 अगस्त को चंद्र की कक्षा में स्थापित किया गया था. यद्यपि इसरो ने चंद्र सतह पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था, जो प्रज्ञान रोवर को अपने साथ लेकर गया था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन आठ वैज्ञानिक उपकरणों से लैस चंद्रयान -2 ऑर्बिटर को सफलतापूर्वक चंद्र की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था और यह उम्मीद के मुताबिक काम कर रहा है.
चंद्रयान -2 मिशन चंद्र सतह के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का पहला प्रयास था. हालांकि, सितंबर 2019 में विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त होकर चंद्रमा की सतह पर गिर गया था.
चंद्रयान -1, भारत का पहला चंद्र मिशन वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था. इस मिशन ने चंद्र सतह पर सतही पानी की व्यापक उपस्थिति और उपसतही-ध्रुवीय जल-बर्फ जमा होने के लिए संकेत के स्पष्ट प्रमाण दिए थे.
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