चिंतन का अर्थ ( meaning of thinking)
मनुष्य के सामने कोई न कोई समस्या आती रहती हैं ऐसी स्थिति में बहुत समस्या का समाधान करने के लिए उपाय के बारे में सोचने लगता है वह इस बात पर विचार करना आरंभ कर देता है की समस्या का किस प्रकार समाधान किया जा सकता है| इस प्रकार चिंतन प्रक्रिया प्रारंभ होती हैं और समस्या का समाधान होते ही प्रक्रिया समाप्त हो जाती हैं|
अतः कह सकते हैं चिंतन विचार करने की वह मानसिक प्रक्रिया है जो किसी समस्या के साथ आरंभ होती है और उसके अंत तक चलती रहती हैं|
“चिंतन मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पहलू हैं या मन की बातों से संबंधित मानसिक क्रिया है|” - रॉस
चिंतन के प्रकार
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1 प्रत्यक्षीकरण चिंतन
यह चिंतन की सरलतम विधि हैं| इस चिंतन प्रक्रिया में चिंतन किसी व्यक्ति वस्तु घटना के प्रत्यक्षीकरण से आरंभ होता है|
जैसे- इमली देखकर मुंह में पानी आना|
2 अमूर्त चिंतन
इस चिंतन में किसी वस्तु के संपर्क में आना आवश्यक नहीं है| इस चिंतन को प्रत्यक्षीकरण चिंतन से श्रेष्ठ माना जाता है| इस चिंतन में प्रतीक चिन्हों को देखकर चिंतन आरंभ होता है|
जैसे- रेडक्रॉस को देख कर बालक हॉस्पिटल के बारे में सोचना प्रारंभ कर लेता है|
3 सृजनात्मक चिंतन
चिंतन वस्तुओं, घटनाओं एवं परिस्थितियों का विश्लेषण करता है| इस प्रकार के चिंतन में नवीनता का सृजन होता है|
4 तार्किक चिंतन
चिंतन सबसे उच्च कोटि का है| इस प्रकार के चिंतन में बालक किसी समस्या का समाधान करने के लिए प्रयोग का प्रयोग करते हुए किसी लक्ष्य तक पहुंचता है|
इसे विचारात्मक चिंतन भी कहते हैं|
यह चिंतन उच्च कक्षा के बालकों में उत्पन्न करना चाहिए|
चिंतन और शिक्षा:-
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बौद्धिक विकास में चिंतन का प्रमुख रोल होता है| शिक्षा- प्रक्रिया को सुचारु रुप से चलाने के लिए चिंतन शक्ति का विकास करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है|
बालकों में चिंतन शक्ति का विकास करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1 भाषा- विकास पर ध्यान
2 रठने की आदत को दूर करना
3 जिज्ञासा को जागृत करना
4 प्रेरणा प्रदान करना
5 वाद विवाद एवं तर्क के लिए अवसर देना
6 उत्तरदायित्व के कार्य सपना
7 अध्यापन विधि पर ध्यान देना
8 मूल्यांकन पद्धति पर ध्यान देना
9 विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करना
10 प्रत्यक्षीकरण अनुभव का विकास करना
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