संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (अमेंडमेंट) बिल, 2020 के द्वारा एक अध्यादेश को बदल दिया गया है, जो पहले कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए संसाधनों को इकट्ठा करने के उपायों के एक हिस्से के तौर पर लाया गया था.
लोकसभा ने 15 सितंबर, 2020 को एक विधेयक पारित किया है, जिसके माध्यम से 01 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाले एक वर्ष के लिए संसद के सदस्यों के लिए देय वेतन में 30% तक कटौती की गई है.
संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (अमेंडमेंट) बिल, 2020 के द्वारा एक अध्यादेश को बदल दिया गया है, जो पहले कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए संसाधनों को इकट्ठा करने के उपायों के एक हिस्से के तौर पर लाया गया था.
इस विधेयक को 14 सितंबर, 2020 को निचले सदन में पेश किया गया था. भारत सरकार ने इस महामारी के मद्देनजर वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के लिए संसद सदस्यों के स्थानीय क्षेत्र विकास योजना कोष के अस्थायी निलंबन के लिए भी अपना अनुमोदन दिया था.
सांसदों के वेतन में कटौती पर जारी एक बयान
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने संशोधन विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए यह कहा कि मौजूदा कोविड -19 महामारी से लड़ने और इसके अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए धन की आवश्यकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि, लॉकडाउन के कारण समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है और ऐसे में सरकार को इस संकट से निपटने के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे.
संसद सदस्यों को स्थानीय क्षेत्र विकास योजना निधि (MPLADS) बहाल करने की विपक्ष की मांग
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020-2021 और वर्ष 2021-22 के लिए MPLADS फंड को निलंबित करने का निर्णय लिया गया था.
अब, क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने इस योजना को बहाल करने की मांग रखी थी, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने यह बताया कि, MPLADS पर जो भी निर्णय लिया गया है वह अस्थायी है और केवल दो साल की अवधि के लिए ही लागू रहेगा.
इस सरकारी योजना के तहत, दोनों सदनों के सदस्य हर साल 5 करोड़ रुपये के खर्च से जुड़े विकास कार्यक्रम की सिफारिश कर सकते हैं. लोकसभा में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने यह मांग रखी थी कि इस फंड को बहाल किया जाए क्योंकि उन्होंने सांसदों के वेतन में कटौती के सरकार के फैसले का समर्थन किया है.
विपक्षी दलों का यह दृष्टिकोण था कि, इस निधि को फिर से बहाल किया जाना चाहिए क्योंकि इसका उपयोग सदस्यों द्वारा अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए किया जा रहा है. इस धन का 93% सदस्यों द्वारा उपयोग किया गया है और उनमें से अधिकांश धन का उपयोग अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और ग्रामीणों के लिए कल्याणकारी गतिविधियों के संचालन के लिए किया गया है.
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