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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

डोंगरिया कोंध।।

Dongria Kondh
हाल ही में ओडिशा के जनजातीय संग्रहालय ने डोंगरिया कोंध (Dongria Kondh) जनजाति की श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives), उनकी संरचनाओं एवं कामकाज पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक लघु फिल्म प्रसारित की।

⭕प्रमुख बिंदु:
डोंगरिया कोंध एक विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (PVGTs) है जो ओडिशा के रायगढ़ एवं कालाहांडी ज़िलों में नियामगिरी पहाड़ियों (Niyamgiri Hills) की ढलानों में निवास करती है।
यह जनजाति अपने समुदाय के ही अंतर्गत कम-से-कम 10 प्रकार के सहकारी श्रम साझा करने का अभ्यास करती है।
गौरतलब है कि खड़े पहाड़ी ढलानों पर कृषि करने के लिये अत्यधिक श्रम की आवश्यकता होती है जो एक एकल परिवार प्रदान नहीं कर सकता है इसलिये डोंगरिया कोंध जनजाति ने सभी परिवारों के कृषि कार्यों को पूरा करने के लिये श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives) की अवधारणा नामक एक नई स्वदेशी प्रणाली विकसित की।  

🖊️श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives) की अवधारणा:
इस प्रणाली में पूरे समुदाय के श्रम को संलग्न करके सभी परिवारों के कृषि कार्यों को पूरा किया जाता है।    
सामुदायिक सदस्य कृषि लागत को कम करने के साथ-साथ सभी सदस्यों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिये एक साथ कार्य करते हैं।
सहकारी रूप से, युवा लड़के एवं लड़कियाँ, पुरुष, महिलाएँ एवं बुजुर्ग गाँव के खेतों व बागों में श्रम के मामले में समान रूप से योगदान करते हैं।

🖊️a. साहबती प्रणाली (Sahabati System):
इस प्रणाली के तहत गाँव के सभी डोंगरिया लोग एक ग्रामीण की ज़मीन पर एक दिन के लिये कार्य करते हैं। 
परंपरागत रूप से, मेजबान ग्रामीण बदले में अन्य डोंगरिया श्रमिकों के लिये चावल, दाल, करी एवं मांड की दावत की पेशकश करता है।
अब सामुदायिक भोज को समाप्त कर दिया गया है किंतु मेजबान गाँव की निधि के लिये एक टोकन राशि का भुगतान करता है। एकत्र धन का उपयोग पूरे गाँव के लिये एक दावत के आयोजन हेतु किया जाता है।

🖊️b. पंडबाती प्रणाली (Pundabati System):

इस प्रणाली में समुदाय के 10 से 15 सदस्यों को बुलाया जाता है जब खेतों में कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
उल्लेखनीय है कि कार्य की प्रकृति के आधार पर गाँव के सदस्यों को भी विशेष समूहों में संगठित किया जाता है।

🖊️1. दासीबाती (Daasibati):

यह गाँव की छोटी, अविवाहित लड़कियों का एक सहकारी समूह है जिन्हें कम तनाव वाले किंतु थकाऊ कार्य करने के लिये कहा जाता है जैसे- निराई, खेतों की बाड़, सफाई या फसलों की कटाई आदि।

🖊️2. धनग्दाबाती (Dhangdabati):

यह अविवाहित पुरुषों का सहकारी समूह होता है जिन्हें पेड़ों की कटाई, गड्ढे खोदना आदि कार्य प्रदान किये जाते हैं।   

🖊️3. दातारुबाती (Datarubati):

इसके तहत बूढ़े लोग शराब के एक हिस्से के लिये अपने-अपने क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद करते

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