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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

इम्युनिटी बढ़ाने के लिये भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में न फंसे : स्वास्थ्य विशेषज्ञ।।

कोरोना से बचना है तो दृढ़ संकल्प और निश्चिय के साथ ही खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसा नहीं है कि देश में हर कोई संक्रमित हो रहा है, बल्कि करीब 130 करोड़ की आबादी में संक्रमितों की संख्या का प्रतिशत काफी निम्न है। इसलिये अगर नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना से जंग जीत पयेंगे। लेकिन इस जंग के लिये हथियार हमेशा अपने साथ रखना है, वो है मास्क, सेनिटाइजर या साबुन-पानी से हाथ धोना और बाहर निकलने पर सुरक्षित दूरी बना कर रखें। कोरोना से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारी के लिये प्रसार भारती ने सफदरजंग हॉस्प‍िटल, नई दिल्ली के डॉ. नीरज गुप्ता और डॉ. पीयूष रंजन, एम्स से विशेष बातचीत की। 

लंदन के एक शोध के मुताबिक वायरस म्यूटेट हो रहा है, क्या हमारे देश में भी ऐसा हो रहा है?

वायरस के स्वरूप बदलने की पहले से ही उम्मीद थी। चीन के वुहान से निकल कर जब वायरस इटली तक पहुंचा तो अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले वहां यह काफी घातक था। ऐसे ही अमेरिका और भारत में वायरस में फर्क माना जा रहा था। ऐसा पाया गया है कि भारत में कोरोना वायरस के चार मुख्य वायरस हैं और 23-24 म्यूटेट वायरस मिल चुके हैं।

कई बार लोग गमछे या महिलायें चुन्नी का प्रयोग करते हैं, यहे कितना सुरक्षित है?

गमछा और चुन्नी को पर्याप्त नहीं मान सकते हैं। लेकिन फिर भी अगर अचानक कहीं जा रहे हैं और ट्रीपल लेयर मास्क नहीं है तो इसका प्रयोग कर सकते हैं। वैसे तीन लेयर वाला मास्क या एन95 मास्क ही आपको सुरक्षित रख सकता है?

प्लाज्मा थैरपी देने पर मरीज कितने दिन में ठीक होता है?

प्लाज्मा से मरीज कितना ठीक हो सकता है, ये मरीज के शरीर पर निर्भर करता है। उसका शरीर कितनी जल्दी एंटीबॉडी को एबजॉर्ब करके वायरस से लड़ता है। इसके अलावा भी कई चीजें होती हैं। हालांकि बीते कुछ समय से प्लाज्मा थैरेपी प्रभावी नहीं दिख रही है। इसके प्रयोग से डेथ रेट पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। इसलिये निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकते हैं कि प्लाज्मा देने पर मरीज कितने दिन में ठीक होगा।

कोरोना से बचने के लिये इम्युनिटी पावर कैसे बढ़ायें?

इम्युनिटी एक दिन में नहीं बनती यह लंबे समय तक चलने वाली एक प्रक्रिया है। कोरोना महामारी आने के बाद से इम्युनिटी से संबंधित टीवी या बाजार में कई भ्रामक विज्ञापन भी आ रहे हैं। कई कंपनियां दावा कर रही हैं कि इतने दिन में इम्युनिटी बढ़ायें। सच तो यह है कि हफ्ते दस दिन इम्‍युनिटी नहीं बढ़ती है। इम्‍युनिटी एक प्रकार से लॉन्‍ग टर्म इंवेस्टमेंट है जो आप अच्‍छे खान-पान से कर सकते हैं। अगर आप धूम्रपान नहीं करेंगे, व्यायाम, योगा करेंगे तो धीरे-धीरे शरीर में इम्युनिटी बढ़ने लगेगी।

क्या कोरोना को लेकर लोग गंभीर नहीं है, क्या गलती हो रही है?

युवा घर के बाहर जाते हैं, और वही मूल तौर पर संक्रमण को फैलाने के लिये ज़िम्मेदार हैं। युवा घर से बाहर निकलते हैं, उनके संक्रमण होने पर भी उनमें लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन घर में आकर दूसरों को संक्रमित कर देते हैं। इसलिये घर के हर सदस्य को सावधान रहना है। ऐसा नहीं है कि आप बुजुर्ग को सुरक्षित रखने के लिये उन्हें बाहर जाने से रोक रहे हैं, तो वो बचे रहेंगे, अगर आप बाहर जा रहे हैं और सावधानी नहीं बरत रहे हैं, तो वो आपके जरिए संक्रमित हो सकते हैं।

कई लोग जिन्हें खांसी, जुकाम नहीं है, वे मास्क हटाकर बात करते हैं, यह कितना सुरक्षित है?

ऐसा नहीं है कि वायरस केवल खांसने, छींकने या जुकाम होने पर ही फैले। संक्रमित व्यक्ति चाहे लक्षण वाला हो या बिना लक्षण वाला, उसके बोलने, गाना गाने, हंसने, रोने से भी वायरस मुंह के जरिये बाहर निकल आता है। अब कितनी तेजी से वायरस दूसरे व्यक्ति तक पहुंचेगा और उसे संक्रमित करेगा, यह वायरस की गति पर निर्भर करता है। अगर दोनों ने मास्क लगाया है तो संक्रमण की संभावना मात्र 1.5 प्रतिशत रह जाती है। अगर दोनों ने कॉटन के मास्क के साथ करीब 6 गज की दूरी बनाए रखी है तो संक्रमण की आशंका न के बराबर हो जाती है।

कोमोरबिडिटी वाले मरीज ज्यादा भयभीत और तनाव में हैं, उन्हें क्या सलाह है?

ऐसे लोग सबसे ज्यादा, इसलिये डर रहे हैं क्योंकि उन्हें पहले से कोई बीमारी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कोमोरबिडिटी वालों को ही वायरस हो रहा है। बल्कि अगर किसी को डायबिटीज़ या कोई अन्य बीमारी है औऱ वो सामान्य है तो कोई परेशानी नहीं है। दवाई लेते रहें और तनाव न लें। वायरस से बचने के नियमों का पालन करेंगे तो वायरस से सुरक्षित रहेंगे।

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