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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

जानिए केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में :

 • सतर्कता के क्षेत्र में केन्द्रीय सरकारी एजेंसियों को सलाह तथा मार्गदर्शन देने हेतु, के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों पर सरकार ने फरवरी,1964 में केन्द्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की थी।
 • राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी किए जाने के फलस्वरूप केन्द्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त, 1988 को ‘’सांविधिक दर्जा’’ देकर एक बहुसदस्यीय आयोग बनाया गया है। 
 • इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त, जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नहीं हो सकते) होते हैं।
 • केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक, संसद के दोनों सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पास किया गया था तथा राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर, 2003 को इस विधेयक को स्वीकृति दी थी। 
 • आयोग में एक अध्यक्ष व दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं। 
 • इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) तक होता है। अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।
 • केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती हैं , लेकिन कार्यकाल के दौरान इनकी सेवाओं में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
 • अप्रैल, 2004 के ‘’लोकहित प्रकटीकरण एवं मुखबिर संरक्षण’’ पर भारत सरकार के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरूपयोग करने सम्बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्त करने तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश करने वाली एक ‘’नामित एजेंसी’’ के रूप में केन्द्रीय सतर्कता आयोग को प्राधिकृत किया था ।
 • केन्द्रीय सतर्कता आयोग की अवधारणा एक शीर्षस्थ सतर्कता संस्थान के रूप में की गई है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है एवं केन्द्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने में सलाह देता है।

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