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देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों को उन्नत खेती और उसके लाभ पहुंचाने के लिये तमाम शोध हो रहे हैं और योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस बार खेती में पानी की लागत कम करने के लिए उपाय बताए गए हैं। किसान फसलों की टपक दार विधि से सिंचाई करके पानी की बचत के साथ-साथ खेती में लगने वाले लागत पर प्रभावी अंकुश लगा सकते हैं। यह सिंचाई की एक ऐसी पद्धति है। जिससे बूंद-बूंद पानी सीधे पौधों की जड़ों में जाता है। जिससे फसलों का बेहतर विकास होने के कारण उत्पादन में भारी इजाफा होता है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चुनिंदा किसान टपक दार सिंचाई विधि का उपयोग कर खेती की लागत कम कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं।
इस बारे में किसान अनिल पांडे बताते हैं कि इस विधि से बूंद-बूंद पानी थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में सीधे पौधों की जड़ों पर टपकता रहता है। जिससे पौधों का समुचित विकास होता है। पौधों को उचित मात्रा में पानी मिलने से उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। जिससे उत्पादन में भारी इजाफा होता है।
खेती में तकनीक के सहारे लागत को घटाएं
पांडे बताते हैं किसानों को खेती में तकनीक का सहारा लेना चाहिए। जिससे लागत घटती है। उत्पादन बढ़ने से किसानों को दोगुना मुनाफा मिलता है। खरपतवार पर नियंत्रण रासायनिक खादों की कम मात्रा के साथ होता है। शत-प्रतिशत उपयोग सतही सिंचाई करने के कारण एक तरफ जहां खर्च अधिक आता है। वहीं पर्याप्त मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। अधिक पानी हो जाने के कारण फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। जिससे पौधों का समुचित विकास नहीं हो पाता है। पूरे खेत में पानी भर जाने के कारण फसलों के बीच में खाली स्थानों पर घास उग आती है। जो खेत की उर्वरा शक्ति खींचने के साथ-साथ फसलों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इन खरपतवार के नियंत्रण के लिए किसानों को अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
बताया कि टपक दार सिंचाई विधि में फसलों को पंक्ति में बोए जाने के कारण रासायनिक खाद कम मात्रा में डालनी पड़ती है। जिसका पौधे शत-प्रतिशत उपयोग कर लेते हैं। टपक सिंचाई द्वारा 30 से 60 प्रतिशत तक सिंचाई पानी की बचत होती है। इसके द्वारा ऊबड़-खाबड़, क्षारयुक्त, बंजर जमीन शुष्क खेती वाली, पानी के कम रिसाव वाली जमीन और अल्प वर्षा की क्षारयुक्त जमीन भी खेती हेतु उपयोग में लाई जा सकती है।
किसानों को मिलते हैं 80 से 90 प्रतिशत तक अनुदान
प्रधानमंत्री लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत उद्यान विभाग के माध्यम से 2 हेक्टेयर तक के जोत वाले किसानों को सरकार द्वारा स्प्रिंकलर या टपक दार सिंचाई संयंत्र खरीदने पर 90 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। जबकि 2 हेक्टेयर से अधिक जोत वाले किसानों को इन संयंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसानों को उद्यान विभाग में ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन लक्ष्य के सापेक्ष 'पहले आओ-पहले पाओ' की तर्ज पर स्वीकृत किए जाते हैं। अनुदान की राशि डीबीटी योजना के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में भेज दी जाती है।
क्या कहते हैं उपनिदेशक
इस बारे में गोंडा के उपनिदेशक उद्यान अनीश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रधानमंत्री लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत जिले को 1760 हेक्टयर में टपक दार व स्प्रिंकलर संयंत्र लगाने के लक्ष्य मिले हैं। फिलहाल अभी लक्ष्य आया है। बजट नहीं मिला है। लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसानों से आवेदन मांगे जा रहे हैं। किसानों को अपनी खसरा खतौनी, बैंक पासबुक, आधार कार्ड के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सिंचाई कि यह बहुत ही उत्तम विधि है। इसमें किसानों को सरकार द्वारा 80 से 90 प्रतिशत तक अनुदान डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खाते में दिया जाता है।
(हिन्दुस्थान समाचार)
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