कर्नाटक में प्रसिद्ध कन्नड़ संत कवि और संगीतकार कनकदास की 533वीं जयंती मनाई जा रही है। वे 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य में रहते थे। कनकदास के कीर्तन और सामाजिक संदेश जन-जन में अभी भी बहुत लोकप्रिय हैं। उनका जन्म एक चरवाहा परिवार में हुआ था। भगवान की भक्ति के लिए वे भक्त कनकदास के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने नरसिंह स्तोत्र, राम ध्यान मंत्र और मोहना तरंगिनी जैसी प्रमुख रचनाएँ की हैं।
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने आज कनकदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उनके विचारों और साहित्य को बढ़ावा देने वाली प्रतिभाओं को कनक श्री, कनक गौरवऔर कनक युवा पुरस्कार दिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कनकदास ने कीर्तन के माध्यम से जो संदेश दिया, उन पर अमल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत कनकदास ने संदेश दिया था कि जाति और समुदाय के नाम पर हमें लड़ना नहीं चाहिए और केवल अच्छे विचारों को महत्व देना चाहिए।
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