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आर्टिकल 14 क्या है और यह किस प्रकार की समानता का अधिकार देता है?

✅भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 (Article 14) विधि के समक्ष समानता के अधिकार की बात करता है. यह समानता का अधिकार विदेशी और भारतीय सब पर लागू होता है.आइये इस लेख में जानते हैं कि यह अनुच्छेद किस तरह की समानता की बात करता है?

✅वर्तमान में भारत में नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 (CAA) को लागू कर दिया गया है. जिसके तहत कुछ धर्मों के विदेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. चूंकि इन विदेशी लोगों को धर्म के आधार पर नागरिकता दी जा रही है और एक धर्म विशेष के लोगों को नागरिकता नहीं दी जा रही है इसलिए CAA का विरोध करने वालों का तर्क है की यह कानून भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 (Article 14) का उल्लंघन है. क्योंकि आर्टिकल 14 विधि के समक्ष समानता के अधिकार की बात करता है.

✅आइये इस लेख में जानते हैं कि आखिर आर्टिकल 14 के अंतर्गत किस तरह के प्रावधान हैं? 

☑️भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 स्पष्ट रूप से कहता है कि, राज्य, भारत के राज्य में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा.

यहाँ पर ‘व्यक्ति’ से मतलब भारतीय नागरिक और विदेशी नागरिक के साथ-साथ संविधानिक निगम, पंजीकृत कम्पनियाँ, या किसी भी तरह का विधिक व्यक्ति सम्मिलित हो सकता है.

उपर दिए गये दो शब्दों ‘विधि के समक्ष समता’ और ‘विधियों के समान संरक्षण’ को जानना जरूरी है.

☑️‘विधि के समक्ष समता’ (Equality before Law): इसके प्रावधान ब्रिटेन के संविधान से लिए गये हैं. इसमें शामिल है;

✅I. न्यायालय के समक्ष सभी व्यक्तियों के लिए समान व्यवहार. अर्थात कानून अंधा होगा,वह नहीं देखेगा कि उसके सामने कटघरे में कौन खड़ा है? अमीर या गरीब.

✅II. किसी व्यक्ति विशेष के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं होगा. अर्थात सभी को समान अपराध के लिए समान सजा मिलेगी.

✅III. कोई भी व्यक्ति (चाहे वो अमीर/गरीब हो, गोरा हो काला हो, मंत्री हो) कानून से ऊपर नहीं होगा. अर्थात कानून, मंत्री और संत्री दोनों के लिए समान होगा.

☑️विधियों का समान संरक्षण (Equal protection of laws): इसके प्रावधान अमेरिका के संविधान से लिए गये हैं. इसमें निम्न प्रावधान दिए गये हैं.

✅I. समान विधि के अंतर्गत सभी के लिए समान नियम है. 

✅II. बिना भेदभाव के सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए.

✅III. कानून द्वारा दिए गए विशेषाधिकारों और दायित्वों का समान परिस्तिथियों के अंतर्गत समान व्यवहार.
सर्वोच्च न्यायालय का मानना है की आर्टिकल 14 के अंतर्गत लिखित विधि का शासन ही संविधान का मूलभूत तत्व है. इसलिए इसे किसी भी तरह से यहाँ तक कि संविधान सशोधन के द्वारा भी समाप्त नहीं किया जा सकता है.


☑️समता नियम के अपवाद (What are the exceptions to right to equality):

✅ऐसा नहीं है की समता का नियम पूर्ण रूप से लागू होता है. इसके कुछ अपवाद भी हैं, अर्थात इन परिस्तिथियों और व्यक्तियों के मामले में यह लागू नहीं होता है. जैसे

👉🏿I. राष्ट्रपति या राज्यपाल की पदावधि के दौरान किसी न्यायालय द्वारा उनकी गिरफ़्तारी या कारावास की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जा सकती है.

👉🏿II. विदेशी (संप्रभु शासक), राजदूत एवं कूटनीतिक व्यक्ति फौजदारी एवं दीवानी के मुकदमों से मुक्त होंगे.

👉🏿III. संयुक्त राष्ट्र संघ एवं इसकी एजेंसियों को भी कूटनीतिक मुक्ति प्राप्त है.

👉🏿IV.  संसद में या किसी संसदीय समिति के किसी सदस्य द्वारा कही गयी किसी बात के लिए उसके विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी.

☑️आर्टिकल 14 और नागरिकता कानून (Article 14 and CAA)

☑️चूंकि CAA में इस बात का प्रावधान है कि यह 3 देशों के नागरिकों को धर्म के आधार पर नागरिकता देता है और मुस्लिम धर्म के लोगों को इसमें शामिल नहीं करता है अर्थात धर्म के आधार पर भेद साफ तौर पर नजर आता है.

✅जबकि भारतीय संविधान के भाग-III में मौजूद समता के अधिकार में आर्टिकल 14 के साथ ही अनुच्छेद 15 जुड़ा है. इसमें कहा गया है, "राज्य, किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ जाति, लिंग,धर्म, जन्मस्थान, मूल, वंश, या इनमें से किसी के आधार पर किसी नागरिक के बीच  कोई भेद नहीं करेगा."

☑️फ़िलहाल यह मामले सुप्रीम कोर्ट में पहुँच चुका है और अब कोर्ट ही तय करेगा कि नागरिकता संशोधन कानून, आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है या नहीं?
 

Hypotheses on right to equality in Indian Constitution

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