नाबालिग, एससी/ एसटी वर्ग से संबंधि महिला या व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यकित को, मप्र धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 के तहत, 50,000 रुपये के न्यूनतम दंड के साथ 02-10 साल तक की जेल की सजा सुनाई जाएगी.
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ, मप्र धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 को अपनी मंजूरी दे दी है. जबरन धार्मिक धर्मांतरण के खिलाफ इस नए कानून के द्वारा कारावास और जुर्माने सहित सख्त सजा शुरू की गई है. यह बिल, मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करेगा, जिसे मप्र धर्म स्वातंत्र्य अधिनयम, 1968 के नाम से भी जाना जाता है.
मप्र धार्मिक स्वतंत्रता बिल, 2020 के प्रावधान
- नाबालिग, एससी/ एसटी वर्ग से संबंधित महिला या व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यकित को, मप्र धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 के तहत, 50,000 रुपये के न्यूनतम दंड के साथ 02-10 साल तक की जेल की सजा सुनाई जाएगी.
- किसी भी व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 1-5 साल की जेल और 25,000 रुपये का न्यूनतम जुर्माना लगेगा.
- बड़े पैमाने पर जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 5 से 10 साल की जेल की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा.
- इस 'लव जिहाद' कानून के तहत किसी भी व्यक्ति का धर्मांतरण करने के इरादे से की गई शादी को रद्द और अमान्य माना जाएगा. इस तरह के विवाहों को रद्द करने के लिए परिवार न्यायालय को सशक्त बनाया जाएगा. गुजारा भत्ता CrPC (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 125 के अनुसार दिया जाएगा.
- जो लोग अपनी मर्जी से अपना धर्म परिवर्तित करना चाहते हैं, उन्हें कम से कम दो महीने पहले जिला प्रशासन के समक्ष आवेदन करना होगा. अन्यथा, इसके लिए 3 से 5 साल के कारावास की सजा और 50,000 रुपये का न्यूनतम जुर्माना देना होगा.
'लव जिहाद' कानून का महत्व
प्रस्तावित कानून का उद्देश्य मध्य प्रदेश में अंतर्जातीय/ अन्य धर्म में होने वाले विवाह को विनियमित करना है. इस कानून के अनुसार, किसी भी महिला को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने पर 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपये का न्यूनतम जुर्माना लगेगा.
इस बिल की शुरुआत के पीछे प्रमुख कारण
यह बिल पेश करते समय, राज्य सरकार ने यह तर्क दिया है कि, वर्ष, 1968 का कानून अब पुराना और अप्रचलित हो गया है. पिछले 50 वर्षों में इस राज्य में जबरन धर्मांतरण के मामलों पर विचार करने के बाद, वर्ष, 1968 के अधिनियम को फिर से नया रूप दिया जा रहा है.
मप्र धार्मिक स्वतंत्रता बिल, 2020 में जबरन धर्मांतरण, विशेष रूप से विवाह के बहाने होने वाले धर्म परिवर्तन के खिलाफ संशोधित परिभाषायें, कठोर कारावास और उच्च जुर्माना शामिल हैं.
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