2. नेतृत्व - रामनारायण चैधरी।
3. प्रारम्भ - मेनाल नामक स्थान से(1921 में)
4. 1923 में ठिकानेदार(बेगू) काठुर अनुप सिह ने किसानों से समझौता कर दिया। और लगान की दर कम कर दी।
5. इस समझौते को मेवाड़ के राजा ने मानने से इनकार कर दिया इसे वोल्शेविक क्रान्ति का नाम दिया। किसानों ने पुनः आन्दोलन कर दिया। 1923 में राजा ने एक आयोग मिस्टर ट्रेन्च को भेजा किसानों ने इसका बहिष्कार कर दिया।
6. 13 जुलाई 1923 में गोविन्दपुरा ग्राम में बेगू के एक किसान सम्मेलन में मिस्टर ट्रेन्च के आदेश पर पुलिस ने गोली बारी की और इस गोली बारी में रूपा जी व किरपा जी किसान मारे जाते है।
7. 1924 में लगान की दरें घटा दि जाती है और बेगार प्रथा को समाप्त कर दि जाती है। इस प्रकार यह आन्दोलन सफलता पूर्वक समाप्त हो जाता है।
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