चर्चा में क्यों?
वन्यजीव तस्करी भारत में संगठित अपराध का एक खतरनाक रूप बनकर उभर रही है जो भारत की जैव विविधता और इसकी वनस्पतियों के लिए एक गंभीर खतरा है। वन्यजीवों की तस्करी पर अंकुश लगाने के अपने निरंतर प्रयास में, दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने भारत और बांग्लादेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा में तस्करी कर लाए गए 32 विदेशी पक्षियों को बरामद किया।
बांग्लादेश से भारत में तस्करी कर लाए जा रहे पक्षियों को दो पिंजरों में भरा गया था। पेट्रापोल में कस्टम विभाग ने पक्षियों को अलीपुर चिड़ियाघर के निदेशक को सौंप दिया गया है।
पिछले कुछ हफ्तों में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ द्वारा लगभग 100 विदेशी पक्षियों की तस्करी को रोका गया है। इन पक्षियों को कोलकाता और अन्य जगहों के बाजारों में तस्करी कर लाया जाता है और शौकीनों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता है।
भारत में अवैध वन्यजीव व्यापार
पिछले कुछ वर्षों में अवैध वन्यजीव व्यापार संगठित अपराध के रूप में तेजी से उभरा है जिसने दुनिया भर में कई जंगली प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है।
भारत में वन्यजीवों से प्राप्त विविध उत्पादों जैसे नेवले के बाल; साँप की खाल; गैंडे का सींग; टाइगर और तेंदुए के पंजे, हड्डियां, खाल, बाल(गलमुच्छा); हाथी के सूँड; हिरण के सींग; शहतूत शाल; कछुए के शल्क; कस्तूरी; भालू का पित्त; औषधीय पौधे; लकड़ियाँ और पिंजरे वाले पक्षी जैसे विभिन्न प्रकार के तोते, मैना आदि के लिए इनका अवैध व्यापार किया जाता है।
भारत से इनकी तस्करी का एक बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए है और इसकी भारत में कोई प्रत्यक्ष मांग नहीं है।
वैश्विक स्तर पर लगभग 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वन्यजीवों का अवैध वार्षिक व्यापार होता है, और यह ड्रग्स, नकली मुद्रा और मानव तस्करी के बाद चौथा सबसे बड़ा अवैध बाजार है।
TRAFFIC द्वारा जुटाये गए आंकड़ों के अनुसार, भारत अवैध वन्यजीव व्यापार के मामले में शीर्ष 20 देशों में शामिल है।
मई 2020 में USAID ROUTES ROUTES (Reducing Opportunities for Unlawful Transport of Endangered Species) और TRAFFIC द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत मुख्य रूप से चेन्नई और मुंबई के हवाई अड्डे से ऐसे तस्करी को अंजाम दिया जाता है।
भारत में अवैध वन्यजीव व्यापार पर अंकुश लगाने के प्रयास
1. भारत में केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर वन्य जीव की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए कई नियम तथा कानून पारित किए गए हैं। इनमें से महत्वपूर्ण हैं-
✅ मद्रास वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1873
✅ ऑल इण्डिया एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1879
✅ द वाइल्ड बर्ड एण्ड एनीमल्स प्रोहिबिशन एक्ट, 1912
✅ बंगाल राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1932
✅ असम राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1954
✅ इण्डियन बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (आइबीडब्ल्यूएल), 1952
✅ वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972
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