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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

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लक्समबर्ग और सूरीनाम के साथ समझौते को मंत्रिमंडल की मंजूरी, जानिए खास बातें।।

(687 words)

सरकार ने भारत और लक्समबर्ग के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके अलावा भारत और सूरीनाम के बीच स्वास्थ्य और औषधि क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को भी मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिए गए।

भारत-सूरीनाम के बीच हुए समझौते के क्या हैं मायने
 
गौरतलब हो भारत और सूरीनाम के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते से दोनों देशों के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालयों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में संयुक्‍त पहल और प्रौद्योगिकी विकास के जरिए सहयोग को प्रोत्‍साहन मिलेगा। इससे भारत और सूरीनाम के बीच द्विपक्षीय संबंध सुदृढ़ होंगे। साथ ही जन स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में विशेषज्ञता की भागीदारी को बढ़ाकर और विभिन्‍न प्रासंगिक क्षेत्रों में परस्‍पर अनुसंधान गतिविधियों का विकास कर आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा।

भारत-सूरीनाम के समझौते की मुख्‍य विशेषताएं :

दोनों सरकारों के बीच जिन मुख्‍य विषयों में सहयोग किया जाएगा वे इस प्रकार हैं-

-चिकित्‍सकों, चिकित्‍सा अधिकारियों, अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों और विशेषज्ञों का आदान-प्रदान और प्रशिक्षण।
-मानव संसाधन और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सुविधाओं के विकास में सहायता।
-स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में मानव संसाधन को अंशकालिक प्रशिक्षण प्रदान करना।
-फार्मास्‍युटिकल्‍स, चिकित्‍सकीय उपकरण और प्रसाधन सामग्री संबंधी विनियमन और इस संबंध में सूचना का आदान-प्रदान।
-फार्मास्‍युटिकल्‍स क्षेत्र में व्‍यवसाय विकास के अवसरों को बढ़ाना।
-जैविक और अनिवार्य औषधियों की खरीद और औषधि आपूर्ति स्रोतों संबंधी सहायता।
-चिकित्‍सा उपकरणों और फार्मास्‍युटिकल्‍स उत्‍पादों की खरीद।
-तंबाकू नियंत्रण।
-मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का विकास।
-अवसाद की जल्‍द पहचान और प्रबंधन।
-डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य एवं टेली-मेडिसिन।
-अन्‍य कोई भी सहयोग का क्षेत्र, जिसे दोनों पक्ष तय करें।

भारत-लक्समबर्ग के बीच हुए समझौता के क्या है मायने

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और फाइनेंसियल एंड कमीशन डे सर्विलांस डू सेक्टयूर फाइनेंसर (सीएसएसएफ), लक्समबर्ग के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है। इस समझौते से प्रतिभूति नियमों के क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग को मजबूत करने और आपसी सहायता की सुविधा देने, तकनीकी ज्ञान के उपयोग संबंधी पर्यवेक्षी कार्यों के कुशल प्रदर्शन के लिए योगदान करने तथा भारत और लक्ज़मबर्ग के प्रतिभूति बाजारों को नियंत्रित करने वाले नियमव कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन को सक्षम बनाने की संभावना है।

प्रमुख प्रभाव:

सीएसएसएफ, सेबी के समान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन के बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (आईओएससीओ एमएमओयू) का सह-हस्ताक्षरकर्ता है। हालांकि आईओएससीओ एमएमओयू के दायरे में तकनीकी सहयोग के प्रावधान नहीं हैं। प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन प्रतिभूति कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन के लिए सूचना साझा करने के ढांचे को मजबूत करने में योगदान देगा तथा तकनीकी सहायता कार्यक्रम को स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करेगा। तकनीकी सहायता कार्यक्रम, पूंजी बाजार; कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण गतिविधियां और प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित मामलों में परामर्श के माध्यम से प्राधिकरणों को लाभान्वित करेगा।

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया गया था विनिमय बोर्ड (सेबी)

भारत में प्रतिभूति बाजार को विनियमित करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना की गई थी। सेबी का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा भारत में प्रतिभूति बाजारों के विकास को बढ़ावा देना व इन्हें विनियमित करना है।

सेबी के मुख्य कार्यों में शामिल हैं - पंजीकरण, विनियमन और प्रतिभूति बाजार में काम करने वाले बिचौलियों की निगरानी; स्व-नियामक संगठनों को विनियमित करना और बढ़ावा देना; प्रतिभूति बाजारों से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार अभ्यासों को रोकना और भारत या विदेश के प्राधिकरण को ऐसी जानकारी साझा करना जो कार्यों के कुशल निर्वहन के लिए आवश्यक हो सकती हैं।
  
लक्समबर्ग का कमीशन डे सीएसएसएफ सार्वजनिक कानून इकाई

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