Follow Us 👇

Sticky

तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

पूर्व सरपंच ने अपने गांव को भारत के नक्शे पर दी नई पहचान, मिला पद्मश्री पुरस्कार ।।


(718 words)
 
72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बारे राजस्थान की एक ऐसे व्यक्ति को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिन्होंने अपने गांव के लिए वो किया, जिसकी वजह से विदेशों से भी लोग खिंचे चले आते हैं। दरअसल श्याम सुंदर पालीवाल को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पद्मश्री मिला है। निर्मल गांव पिपलांत्री के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल सरपंच रहते हुए गांव एक या दो नहीं बल्कि ऐसी कई योजनाओं पर अमल कराया जिसकी वजह पिपलांत्री गांव आज अपनी एक खास पहचान बना चुका है। 
 
पिपलांत्री गांव तब सुर्खियों में आया, तत्कालिक सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने गांव में बेटी के जन्म लेने पर यहां 111 पेड़ लगाने की मुहिम चलाई। गांव वालों की इस मुहिम ने धीरे-धीरे गांव का नक्शा ही बदल दिया। इसके अलावा गांव में अगर किसी की मृत्यु होती है तो यहां 11 पेड़ लगाने की भी परंपरा है।
 

पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

एक समय ऐसा था कि इस गांव के बंजर जमीन, धुएं और धूल से लोग शहरों की तरफ पलायन करने लगे थे, भू-जलस्तर काफी नीचे चला गया था, लेकिन गांव वालों की मेहनत और इच्छा शक्ति ने सब कुछ बदल दिया। सामान्य गांव की कल्पना से जुदा इस गांव की तारीफ पीएम मोदी ने कार्यक्रम मन की बात में भी कर चुके हैं। 

दुनिया के लिए भले ही इस गांव के पेड़ सिर्फ एक पेड़ हों लेकिन यहां की बेटियों के लिए ये पेड़ उनके भाई हैं। ये बेटियां इन पेड़ों को राखियां बांधती हैं, एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इस मुहिम का आलम यह है कि अब तक इस गांव में लाखों पेड़ लगाए जा चुके हैं। 
 

स्वच्छ ग्राम पंचायत पुरस्कार से सम्मानित 

पिपलांत्री ने आज जो पहचान बनाई है, इसके विकास की इबारत लिखने वाले इस गांव के नायक पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ही हैं। पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल के मुताबिक 2005 में जब वे यहां के सरपंच बने तो गांव बाकी रेगिस्तानी गांवों की तरह ही पानी की समस्या से जूझ रहा था। श्याम सुंदर पालीवाल ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए गांव वालों के साथ मिलकर प्रयास किया। धीरे-धीरे गांव की सूरत ही बदल गई। आज गांव में हर जगह पानी के झरने फूट पड़े हैं। लहलहाते खेत , पेड़-पौधों की हरियाली सबका मन मोह लेती है। गांव में इतनी साफ-सफाई रहने लगी कि 2007 में राष्ट्रपति ने पिपलांत्री को स्वच्छ ग्राम पंचायत के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 

इसरो वैज्ञानिक प्रभावित

मीडिया स्रोतों में इस बात का जिक्र है कि इसरो के वैज्ञानिक इस गांव में बड़े बदलाव देखकर दौरा भी किए। इसरो ने सैटेलाइट से 2006 में पिपलांत्री की तस्वीर भेजा, उसमें इन क्षेत्र की पहाड़िया खाली थीं, जबकि 2012 से 2016 तक पिपलांत्री क्षेत्र के तीन गांवों में हरियाली छा गई। इसरो ने इसका वेरिफिकेशन करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम पिपलांत्री क्षेत्र का दौरा करने के लिए भी भेजा कि इतने कम समय में ऐसा कैसे संभव हुआ और यहां क्या-क्या रिसोर्स हैं। 
 

जल, जंगल, जमीन और बेटी की मुहिम

गांव की सफलता यही नहीं रुकी, यहां कई बीघा जमीन पर एलोवेरा लगाया गया है, जिससे गांव वालों को काफी फायदा हो रहा है। गांव में ही एलोवेरा प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है। गांव की महिलाएं एलोवेरा से जूस, क्रीम तैयार कर रही हैं, जिनकी बाजार में काफी मांग भी है। यहां आंवला प्रोसेसिंग प्लांट और बांस उद्योग भी लगाया जा रहा है। पिपलांत्री के इस बदलाव से प्रभावित होकर इस गांव में देश ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटक भी खींचे चले आते हैं। आज यह गांव जल, जंगल , जमीन और बेटियों के लिए चलाई गई अपनी मुहिम से अन्य गांवों के लिए आदर्श है। देश के हर गांव जागरूकता फैलाकर अपने गांव की सूरत बदल कर विकास की नई इबारत लिख सकता है। 

राजसमंद जिले के पीपलांत्री में जलग्रहण व पर्यावरण संरक्षण की विभिन्न परियोजनाओं, नवाचारों, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर सम्मानित किया गया। पालीवाल की टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में भी सराहना हो चुकी है। उनके गांव को देखने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं। पालीवाल ने ग्रामीणों के सहयोग से सरपंच रहते हुए जलग्रहण और पर्यावरण की योजनाओं में जन सहयोग से पूरे इलाके में हजारों पेड़ लगवाने का काम भी किया है।

0 comments: