💥चर्चा में क्यों?💥
💫हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में पिछले कुछ दिनों से सैंड बोआ (sand boa) का अवैध व्यापार काफी बढ़ा है।
💥प्रमुख बिन्दु💥
💫विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में पिछले कुछ दिनों से सैंड बोआ (sand boa) का अवैध व्यापार काफी बढ़ गया है। इससे इस दुर्लभ सांप के विलुप्ति का खतरा बढ़ गया है।
💫विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत में अवैध वन्यजीवों के व्यापार पर प्रतिबंध के बावजूद, आंध्र प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में दुर्लभ जीवों का भूमिगत कारोबार बे-रोकटोक जारी है, जिससे जैवविविधता को सबसे ज्यादा खतरा है।
💥सैंड बोआ (sand boa)💥
💫सैंड बोआ (sand boa) एक दुर्लभ साँप है। इसे भारत में इसे रेड सैंड बोआ सांप (Red Sand Boa Snake) भी कहा जाता है। यह साँप भारत के कुछ भागों को छोडकर लगभग हर जगह पाया जाता है।
💫भारत में स्थानीय स्तर पर सैंड बोआ (sand boa) को ‘दो मुँह वाला सांप ’ (Two-Headed Snake) भी कहते हैं। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम एरिक्स जॉनी (Eryx Johnii) है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सैंड बोआ की कीमत काफी ज्यादा है। इसीलिए इसका अवैध व्यापार होता है।
💫इस सांप का उपयोग कई प्रकार की दवाओं व सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ लोगों का कहना है कि सैंड बोआ को जादू-टोने हेतु भी उपयोग किया जाता है।
अन्य सापों की तरह सैंड बोआ भी मांसाहारी होते हैं। ये अधिकतर चूहे, छिपकली, मेढक, खरगोश आदि को अपना शिकार बनाते हैं।
💥सैंड बोआ (sand boa) का संरक्षण💥
💫भारत में सैंड बोआ (sand boa) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षण प्राप्त है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 4 के तहत सैंड बोआ सूचीबद्ध है। इस अधिनियम के तहत सैंड बोआ को पकड़ना या इसका व्यापार करना कानूनी तौर पर अपराध है।
❣️👉अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सैंड बोआ (sand boa) साइट्स (CITES) की ‘परिशिष्ट II’ के तहत संरक्षित है।
❣️👉वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 (Wildlife Protection Act, 1972)
इसे भारतीय संसद ने वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में पारित किया था।
💫इस अधिनियम का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना है।
वर्ष 2003 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था।
💥साइट्स (CITES)💥
💫वन्य जीव और वनस्पतियों के लुप्तप्राय प्रजातियों हेतु अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) विभिन्न देशों के बीच एक बहुपक्षीय संधि या समझौता है।
💫इसके माध्यम से वन्यजीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अवैध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर रोक लगाई जाती है।
💫यह बहुपक्षीय संधि 1 जुलाई, 1975 से लागू है। वर्तमान में साइट्स (CITES) के 183 सदस्य देश हैं। भारत भी इसका सदस्य है।
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