Follow Us 👇

Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

उत्तराखंड त्रासदी: आखिर क्या है ग्लेशियर टूटने का कारण, जानें इसके बारे में सबकुछ।।

उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ 

चमोली भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक जिला है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। चमोली अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है। अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है। 


धौलीगंगा नदी के बारे में 📎

"धौली गंगा" नदी "गंगा" नदी की पांच आरंभिक सहायक नदियों में से एक है।
 यह नदी अलकनंदा नदी से विष्णु प्रयाग में संगम करती है।

हिमस्खलन व ग्लेशियर की बाढ़ के चलते ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को बड़ा नुकसान हुआ।

क्या होता है ग्लेशियर फटना?

सालों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह एकत्र होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है. 99 प्रतिशत ग्लेशियर आइस शीट के रूप में होते हैं. इसे महाद्वीपीय ग्लेशियर भी कहा जाता है. यह अधिकांशत: ध्रुवीय क्षेत्रों या बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होता है. हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे ही ग्लेशियर पाए जाते हैं. किसी भू-वैज्ञानिक हलचल की वजह से जब इसके नीचे गतिविधि होती है तब यह टूटता है. कई बार ग्लोबल वार्मिंग के कारण से भी ग्लेशियर के बर्फ पिघल कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं. यह प्रक्रिया ग्लेशियर फटना या टूटना कहलाता है.

ग्लेशियर कितने प्रकार के होते हैं?

ग्लेशियर बर्फ के एक जगह जमा होने  के कारण बनता है. ये दो प्रकार के होते हैं. पहला अल्‍पाइन ग्‍लेशियर और दूसरा आइस शीट्स. जो ग्लेशियर पहाड़ों पर होते हैं वह अल्‍पाइन कैटेगरी में आते हैं.

क्या प्रभाव हो सकता है ग्लेशियर फटने से?

ग्लेशियर के टूटने से भयंकर बाढ़ आ सकते हैं. ग्लेशियर के बर्फ टूटकर झीलों में फिर उसका अत्यधिक पानी नदियों में बाढ़ लाता है. इससे आसपास के इलाकों में भंयकर तबाही, बाढ़ और जानमाल का नुकसान होता है. मौजूदा घटना से उत्तराखंड के देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश को सबसे ज्यादा खतरा पहुंचने की आशंका है. यह हादसा बद्रीनाथ और तपोवन के बीच हुआ है. राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो पुल के बहने की पुष्टि की है.

दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी

लगभग साढ़े सात साल पहले 16 जून 2013 में केदारनाथ में ऐसी ही तबाही हुई थी. जून 2013 में बादल फटने और ग्लेशियर टूटने की वजह से भीषण बाढ़ आई और भूस्खलन हुआ. लगभग 5700 लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान लगभग तीन लाख लोग फंस गए थे. उसके बाद राज्य में यह दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी है.

0 comments:

Post a Comment

Thank You For messaging Us we will get you back Shortly!!!