भारत हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाता है। भारत सरकार देश के लोगों को टीकाकरण के महत्व को बताने के लिए हर साल राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाती है। वर्ष 1995 में भारत में पोलियो के खिलाफ एक ओरल वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी। भारत 1995 से पल्स पोलियो कार्यक्रम का अवलोकन कर रहा है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य सभी लोगों को पोलियो से बचाव के लिए जागरूक करना और इसे पूरी तरह से दुनिया से मिटाना है।
🧩 हाइलाइट :
27 मार्च 2014 को, भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के 11 अन्य देशों के साथ पोलियो मुक्त देश के रूप में प्रमाणित किया गया था। ये देश थे बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, नेपाल, श्रीलंका, तिमोर-लेस्ते और थाईलैंड भारत में पोलियो के रोगियों का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को सामने आया था।
🤔 टीकाकरण क्या है?
अत्यधिक संक्रामक रोगों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। टीकाकरण, विश्व से एक बड़ी मात्रा में चेचक और पोलियो, खसरा और टेटनस जैसी बीमारियों का निवारण करने में बहुत मददगार साबित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने बताया कि पच्चीस निवारण योग्य इन्फेक्शन के लिए प्रमाणित टीके उपलब्ध हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीकाकरण (Vaccination / immunization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले विकार या वायरस के खिलाफ मजबूत हो जाती है।
टीका शरीर में मौजूद रक्त में घुलने के बाद स्वास्थ्य प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाते हुए बाहरी आक्रमण यानी वायरस के हमलों से सुरक्षित बनाने में मदद करता है। टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी बनने से वायरस या बैक्टीरिया जैसे कीटाणु कमजोर हो जाते हैं या खत्म हो जाते हैं या कमजोर कर देते हैं। जिससे व्यक्ति बीमारी का शिकार नहीं बन सकते हैं।
📌 National Vaccination Day 2021 :
ऐसा देश में 1995 से लगातार हो रहा है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination या Immunization Day) यह पहली बार 1995 में ही मनाया गया था। उसी दिन देश में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के कारण ही देश में पोलियो का प्रसार थम पाया है। इस बार कोरोना महामारी के प्रसार की शृंखला तोड़ने के लिए कोविड-19 के टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इससे इस वर्ष राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का महत्व और अहम हो गया है।
💉 टीकाकरण दिवस का इतिहास :
देश में पहली बार राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च, 1995 को मनाया गया था। उस दिन देश में ओरल पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी। देश में विकलांगता की जनक मानी जानी वाली पोलियो महामारी को खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा पल्स पोलियो अभियान (Pulse Polio Campaign) की शुरुआत की गई थी।
पिछले कुछ दशकों में टीटनस, पोलियो, टीबी जैसी घातक बीमारियों से लड़ने के लिए टीके एक अभिन्न हथियार के तौर पर उभरे हैं और इनके कारण लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं हैं।
🧂पल्स पोलियो अभियान :
पल्स पोलियो अभियान के तहत, देश में पांच वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को ओरल पोलियो वैक्सीन की दो बूंदें दी गई थीं। इसके लिए एक नारा दो बूंद जिंदगी की काफी लोकप्रिय हुआ था। गांव-गांव, शहर-शहर स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठनों की टीम घर-घर जाकर, स्कूल, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाते थे। इन प्रयासों के कारण ही 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।
💉 टीकाकरण दिवस का महत्व :
वर्तमान दौर में टीकाकरण के महत्व को कमतर नहीं आंका नहीं जा सकता है। इंसानों को ज्ञात गंभीर और घातक बीमारियों या महामारियों से बचाने के लिए टीकाकरण ही सबसे प्रभावी उपाय है। भारत में पोलियो उन्मूलन इसका ज्वलंत उदाहरण है।
हाल ही में वैश्विक संक्रामक महामारी कोविड-19 के खिलाफ दुनियाभर में टीकाकरण की शुरुआत हुई है। इससे पहले भी दुनियाभर में व्यापक टीकाकरण अभियानों के परिणामस्वरूप दुनिया के प्रमुख हिस्सों से चेचक, खसरा, टिटनस जैसे अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक बीमारियों का खात्मा हुआ है।
📌 उपरोक्त समाचार से महत्वपूर्ण तथ्य :
• विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह 2020 अप्रैल के अंतिम सप्ताह (24 से 30 अप्रैल) में मनाया गया।
• विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह 2020 का विषय :
➥ VaccinesWork for All
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